दुनिया में इस समय बहुत सी problems चल रही हैं और इन problems का एक बड़ा reason ये है कि लोग न तो खुद को अच्छे से जानते हैं और ना ही दूसरों को। इसी वजह से इस article में हम बात करेंगे अमेरिकन ऑथर रॉबर्ट ग्रीन की बुक द लॉज ऑफ ह्यूमन नेचर की।
इसमें उन्होंने ऐसे 7 law लिखे हैं जो पिछले सौ सालों के कई महान psychologist और philosopher जैसे कार्य सिगमंड फ्रायड, क्रेडिट नीचा और आर्थर शोभन पावर से inspired हैं। Author के हिसाब से हम साइकोलॉजी और बेसिकली उन सारे फैक्टर्स को भूल चुके हैं जो लोगों को कुछ भी करने के लिए motivate करते हैं और यही चीज लोगों को आगे बढ़ने और अपने दुखों को दूर करने से रोकती है। अगर उन्हें किसी इंसान से अपनी बात मनवानी हो तो उन्हें वो नहीं आता। अगर उन्हें कोई इंसान धोखा दे रहा हो तो वो वहां पर भी अपनी इग्नोर के शिकार बन जाते हैं और उन sign को पकड़ ही नहीं पाते जो अंत में उनको बर्बाद कर देते हैं और तभी ये article अपने आप में ही आपको साइकॉलजी और human nature के बारे में बहुत सी चीजें सिखाएगा।
Read this-Soul का मतलब क्या होता है, आत्मा के ऊपर एक वैज्ञानिक प्रयोग(Soul meaning in Hindi)
Law number one
एक इंसान होने के नाते हमें ऐसा लगता है कि हमारा thought process बहुत रेशनल है और हम अपनी लाइफ को पूरी तरह से कंट्रोल कर पा रहे हैं। लेकिन reality इसकी बिल्कुल opposite होती है। हमारे emotions हमें guide करते हैं। pleasure चीजों के पास जाने के लिए और दर्द देने वाली चीजों को avoid करने के लिए इसी वजह से हम दुनिया को वैसे देखते हैं जैसा हम feel कर रहे हैं बजाए जैसी वो असली में है इसलिए ज्यादा rational बनने के लिए पहले अपनी emotional ßide को बाहर आते हुए पकड़ो।
जैसे जब आपको एकदम से गुस्सा आता है आपके अंदर किसी इनसान के towards बहुत strong hate आती है या फिर कोई भी चीज आपको irrigate या अपनी तरफ attract करती है तो अपने उस emotion को पकड़ो और उसे question करना शुरू करो कि आपको एकदम से गुस्सा क्यों आया या irritation की हुई।
ये question आपको अपने असली डरों और मोटिवेशन के पास पहुंचाएगा और जब बात आती है दूसरे लोगों की irrationality की तब उन्हें चेंज करने की मत सोचो क्योंकि इससे बस आपके रिलेशनशिप खराब ही होंगे।
Read this-Meditation क्या है, Meditation कैसे करें, प्रकार, लाफ (About Meditation in hindi)
Law number two
रॉबर्ट ग्रीन के हिसाब से selph life का एक spectrum या फिर एक scale होता है जिसमें अगर आप के अंदर बहुत कम self love होता है तो आप हर समय खुद को ही doubt और खुद की ही कमियां निकालकर अपने आपको आगे बढ़ने से रोकते हो। और अगर आप मे self love हद से ज्यादा है तो उसके इसमें भी वो toxic बन जाता है और आप अपनी वैल्यू खुद को मिलने वाली attention से measure करने लगते हो।
इस point पर हम हर चीज को बहुत पर्सनल लेने लगते हैं और दूसरों को control या dominating करने की कोशिश करते हैं। बचपन में हम love feel करने के लिए दूसरों पर depends होते हैं और attention हमें ऐसा फील कराती है कि हम भी matter करते हैं लेकिन बड़े होने पर यही same thinking हमें toxic और इनमें immature बनाती है। इसलिए रॉबर्ट सलाह देते हैं अपने self obsession को Empathy में बदलने की और ये possible होगा खुद से फोकस हटाकर दूसरों से पूछना कि वो कैसा feel कर रहे हैं और उनकी क्या need है।
Read this-Share market से Share कैसे खरीदें(How to buy share in hindi)
Number three law
हम लोग एक नकाब पहनकर अपने आपको ऐसा दिखाते हैं कि हम कितने अच्छे confident model और सबसे बेहतर हैं और हमारी तो कोई इनसिक्योरिटी है ही नहीं। ये knowledge हमें बताती है कि हमें किसी भी इनसान को उसके social mask के बेसिस पर जज नहीं करना चाहिए ताकि जब वो आपको अपना असली चेहरा दिखाए तो वो आपके लिए shocking न हो।
आप किसी भी इंसान के असली चेहरे और उनकी unconditional Desire को पता लगा सकते हो उनकी body language से जैसे कौन सी बातों पर उनके facial expression बदल जाते हैं और जहां वो पहले खुश थे वहीं वो नाराजगी दिखाने लगे।
रोबॉट हमें इंसानों का एक अच्छा रीडर बनने को बोलते हैं क्योंकि ये skill आपको किसी के भी दिमाग में क्या चल रहा है ये भी बता पाएगी और आपको दूसरों को कब अकेला छोड़ देना चाहिए और कब उनकी मदद करनी चाहिए ये भी।
Read this-पैसा कब और कहां इन्वेस्ट करें(How to invest money in hindi)
Number four law
लोग कभी भी कोई एक चीज सिर्फ एक बार नहीं करते । हर तरह के behavior को develope करने में टाइम लगता है। हमारे character के ज्यादातर aspects हमारे बचपन में ही फिक्स हो जाते हैं और बाकी हम अपनी डेली हैबिट के through बनाते हैं और यही वो चीज होती है जो हमें अपने कई action को रिपीट करने को बोलती है। चाहे वो शख्स अच्छे हों जैसे अपनी बॉडी का खयाल रखना और दूसरों को अच्छे से treat करना या फिर बुरे action जैसे smoke करना या फिर हर इंसान से बद्तमीजी से बात करना। इसलिए जब भी आप किसी इंसान के साथ काम करने की सोचो तब उसकी बाहरी appeareans के part को देखो और उसके character को analyze करो देखो कि वो मुश्किल से situation में कैसे adapt करते हैं लोगों को कैसे ट्रीट करते हैं।
उनका past का behavior कैसा रहा है। अगर आपके इस analysis में वो फेल हो जाएं तो समझ जाएं कि उनका character weak है और वो भी toxicity को आपसे छुपा रहे हैं।
Read this-Subconscious mind या अवचेतन मन क्या है, परिभाषा,शक्ति (conscious and subconscious mind in Hindi)
Number five law
हमारे अंदर उन चीजों को पाने की चाहत होती है जो हमारे पास नहीं हैं। लेकिन जैसे ही हमें वो चीज मिल जाती है जो हमें चाहिए थी। तब हमारा दिमाग हमें किसी नयी चीज की तरफ धकेलने लगता है। हम लगातार यें देखने लगते हैं कि दूसरों के पास ऐसा क्या क्या है जो हमारे पास नहीं है।
हमारा relationship चाहे अच्छा भी चल रहा हो लेकिन फिर भी हम दूसरे लोगों को अपने partners से बेहतर समझने लगते हैं और कभी भी खुद में शांति नहीं ढूंढ पाते। ये insights हमें बताती है कि किस तरह से हमें desire के पीछे भागने के बजाय खुद को ही एक desire का object बना लेना चाहिए और अपने आप को उस लेवल पर रखना चाहिए जहां हर इंसान पास नहीं पहुंच सकता।
अगर आप किसी इनसान के लिए हमेशा ही available होते हों तो वो आपके साथ घुटन महसूस करने लगता है और आपकी value उनकी नजर में गिर जाती है। इसलिए इस law को फॉलो करने के लिए लोगों को उनकी ज़िन्दगी में अपनी गैर हाजिरी महसूस करवाओ।
Number six law
हम एसे बहुत से लोगों को जानते हैं जिनके लिए long term planning करना बहुत मुश्किल होता है। वो friends और group opinion से attract होते हैं जिस वजह से इस तरह के लोग साथ रहकर आपका टाइम भी खराब होने लगता है। आपको ऐसे लोगों के बजाय उन लोगों के साथ रहना चाहिए जिनके long term goals भी हैं और वो प्रेजेंट में रहकर उन गोल्स पर काम भी करते हैं।
Number seven law
जब आप खुद को या खुद के opinions को बदलने की कोशिश करते हों तब ये चीज लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं आती। हर इनसान ये feel करना चाहता है कि वो independent है जिस वजह से जब भी हमें ऐसा लगता है कि कोई अपने opinion या believe से हमारे आगे रखकर हमें चेंज करना चाहता है तब हम बहुत defensive और गुस्सा हो जाते हैं। यही रीजन है कि अगर आप किसी भी इंसान को convence या अपने मनमुताबिक चेंज करने चाहते हों तो उन्हें ऐसा फील करवाओ कि वो अपने ही free will अपने benefit के लिए खुद को चेंज कर रहे हैं।
बल्कि उन्हें ये फील करवावो कि आपकी बात मानने से वो एक नेक और परोपकारी इंसान बनेंगे। जितना खुद की जिद्दी नेचर से खुद को फ्री करोगे उतना ही आपके अंदर किसी को भी convince करने की creative power भी बढ़ती जाएगी।
हमने क्या सीखा
दोस्तों इस आर्टिकल मे हमने जाना Behavior in Hindi क्या होता है। आज हमने behavior meaning in Hindi जुड़े हमें जितनी भी जानकारी प्राप्त हुई। उसे हमने आपके सामने प्रस्तुत किया है। अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई डाउट है। तो आप बेफिक्र होकर हमें कमेंट या ईमेल कर सकते हैं।
यह article “Behavior का हिंदी मतलब क्या है, किसी इंसान को ऐसे परखे ? ( Behaviour meaning in Hindi)“पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।