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सूर्य(sun)के बारे में रोचक तथ्य और संपूर्ण जानकारी(Everything About sun in hindi)

Everything About sun in hindi-Hello दोस्तों। सूर्य(sun) हमारे सौरमंडल का महत्वपूर्ण हिस्सा है बिना सूर्य के हम अपने सौरमंडल की कल्पना भी नहीं कर सकते है। हमारे सौरमंडल(solar system) के बनने से लेकर अब तक सूर्य हमें निरंतर ऊर्जा देता आ रहा है। हम सभी जानते है की कही पर भी जीवन पनपने के लिए जीन चिझो की महत्पूर्ण भूमिका होती है उनमे सबसे उपर सूर्य का प्रकाश है।

दोस्तों आज इस आर्टिकल मे जानेगे। सूर्य क्या है(What is sun)?, सूर्य मे इतनी ऊर्जा कहा से आती है। साथ सूर्य से जुडी और भी बेसिक जानकारीयों पर फोकस करेंगे। अगर आप सूर्य के बारे मे ज्यादा कुछ नहीं जानते है। तब यह आर्टिकल आपके लिए ही है। आर्टिकल के अंत तक आपको सूर्य(sun)से जुडी सभी जानकारी मिल जाएगी।

सूर्य क्या है(What is sun in hindi)

Abou sun in hindi-सूर्य(sun) एक तारा है जो गैस के बदलो से मिलकर बना है। यह बादलो के atom एक दूसरे से Combined होकर सूर्य को निरंतर ऊर्जा देते रहते है। हमारे पुरे ब्रह्माण्ड मे इसके जैसे अनेको तारे है। हमारे ब्रह्माण्ड मे कुछ तारे तो इतने बड़े है। जिनके Comparison मे हमारा सूर्य छोटे गोली देखेगा। इससे हमारे ब्रह्माण्ड(universe) के विशालता का पता चलता है।

सूर्य कि बनावट(Structure of sun in hindi)

What exactly is the sun?-प्राचीन काल से ही सूर्य(sun) बिभिन्न सभ्यताओं में आस्था का केंद्र रहा है। सूर्य के प्रति हमारी आस्था कहीं ना कहीं सूर्य के महत्व को दर्शाती है।सूर्य की आन्तरिक संरचना तथा सौर मॉडल(solar system) सूर्य की तथाकथित सतह जिससे हमें सूर्य(sun in hindi) का सम्पूर्ण प्रकाश आता हुआ प्रतीत होता है, प्रकाशावरण फोटोस्फीयर कहलाता प्रकाशावरण (Photosphere) का शाब्दिक अर्थ है प्रकाश का आवरण (Sphere of light)|

प्रकाशावरण एक अपेक्षाकृत पतली परत है, इसकी मोटाई लगभग 500 किलोमीटर है। हमारा सम्पूर्ण प्रेक्षण प्रकाशावरण तक ही सीमित है, क्योंकि दृश्य प्रकाश तथा अन्य वैद्युत चुम्बकीय विकिरणों के लिए भी प्रकाशावरण से निचली सतहें अपारदर्शी होती हैं।

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सूर्य(sun) की भीतरी सतहों में हो रही गतिविधियों के अनुमान के लिए हमें एक मॉडल(solar model) की आवश्यकता होती है। सौर मॉडल का निर्माण सूर्य के कुछ भौतिक गुणों, कुछ ज्ञात तथ्यों एवं भौतिकी के सामान्य नियमों से किया जा सकता है।खगोलीय प्रेक्षणों के आधार पर सूर्य के तीन महत्वपूर्ण मापदण्ड ज्ञात किये गए हैं । जिनमें पहलाहै सूर्य का द्रव्यमान M = 2×100^30 किलोग्राम, जो पृथ्वी के द्रव्यमान से 3,33,000 गुना अधिक है।

सूर्य का द्रव्यमान(mass of sun) पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों की कक्षाओं(orbit) के अध्ययन से आसानी से ज्ञात किया जा सकता है ग्रहों(planet) को अपनी कक्षाओं में घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल सूर्य तथा ग्रह के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल से मिलता है। गुरुत्वाकर्षण बल सीधे तौर पर द्रव्यमान से सम्बन्धित है। ग्रहों के कक्षीय वेग से हम सूर्य के द्रव्यमान की गणना करते हैं।

दूसरा मापदण्ड है सूर्य(sun) की त्रिज्या (R)। यह त्रिकोणमिति के सामान्य प्रयोग की सहायता से सरलतापूर्वक ज्ञात की जा सकती है। सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी रडार की सहायता से ज्ञात की जा सकती है। सूर्य द्वारा आँखों पर आरोपित कोण को मापकर सूर्य की त्रिज्या का मान R=700000 किलोमीटर प्राप्त होता है। सूर्य की त्रिज्या हमें बताती है कि सूर्य में उपस्थित द्रव्यमान कितना स्थान घेरेगा.अर्थात् सूर्य का आयतन क्या होगा।

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सूर्य(sun) की त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या की लगभग 109 गुनी है। सूर्य में.13 लाख पृथ्वियाँ समा सकती हैं। यह तथ्य सूर्य की विशालता को प्रकट करता है। तीसरा प्रमुख मापदण्ड है सूर्य की ‘ल्यूमिनोसिटी’ । इससे पता चलता है कि सूर्य प्रति सेकंड सभी दिशाओं में कितनी ऊर्जा उत्सर्जित करता है। इसका आंकिक मान 3.84 x 10^26 वॉट है। किसी तारे या अन्य तप्त पिण्ड की ल्यूमिनोसिटी उसके पृष्ठ क्षेत्रफल तथा.तापमान पर निर्भर करती है।

सूर्य के लिए L= 4πR^2.σT^4′ जहाँ पर प्रथम पद सूर्य का पृष्ठ क्षेत्रफल प्रदर्शित करता है तथा द्वितीय पद सूर्य(sun) के एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा को। सूर्य(sun) का प्रभावी तापमान है, जिसका मान, सूर्य के स्पेक्ट्रम की तुलना कृष्णिका स्पेक्ट्रम से करने पर, 5778 केल्विन प्राप्त होता है। सूर्य के विभिन्न क्षेत्रों का तापमान भिन्न-भिन्न होता है। अतः T एक प्रकार से सूर्य का औसत तापमान है।

सूर्य मे अथाह ऊर्जा कैसे उतपन्न होती है और सूर्य का इतिहास(Why is the sun a good source of energy?)

Energy source of sun-सूर्य की अथाह ऊर्जा का स्रोत तथा इसकी क्रियाविधि को समझने में प्राचीन काल से ही महान वैज्ञानिकों ने रूचि दिखाई। प्रारम्भ में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के दहन को ही सौर ऊर्जा का सोत समझा.जाता था। किन्तु यदि ऐसा होता तो सूर्य मात्र 3000 साल तक ही अपनी ऊर्जा उत्सर्जित कर पाता।

1842 में जे. आर. मेयर ने सूर्य की ऊर्जा को उल्कापिण्डों से सम्बन्धित बताया। उनके अनुसार सूर्य में गिरते उल्कापिण्ड(asteroids) सूर्य से घर्षण व टक्कर के फलस्वरूप पर्याप्त ऊर्जा उत्सर्जित कर सकते है। किन्तु सूर्य में गिरते पिण्डों के कारण सूर्य के द्रव्यमान में बढ़ोतरी होनी चाहिए जिसका सीधा प्रभाव ग्रहों के कक्षीय वेग पर पड़ना चाहिए।

ग्रहों(planets in hindi) के वेग में त्वरण न होने के कारण लॉर्ड केल्विन तथा हरमन वॉन हेल्महोल्ट्ज़ ने इस सिद्धान्त का विरोध किया। उन्होंने सूर्य में उत्पन्न ऊर्जा का कारण सूर्य का संकुचन बताया। यदि सूर्य प्रतिवर्ष 20 मीटर संकुचित होता है तब यह 5 करोड़ वर्षों तक ऊर्जा दे सकता है।

यह समय हालांकि अत्यधिक लम्बा है किन्तु जैसा कि हम पहले बता चुके हैं, सूर्य(sun) की आयु इससे कहीं अधिक है। 1920 में सर जेम्स जीन्स ने ऊर्जा का स्रोत रेडियोएक्टिवता को बताया। यह तथ्य हालांकि गलत साबित हुआ किन्तु वैज्ञानिकों का ध्यान सौर ऊर्जा के स्रोत के रूप में नाभिकीय ऊर्जा पर चला गया।

1929 में एटकिन्सन और हूटरमैन्स ने सुझाव दिया कि सौर ऊर्जा(solar energy) परमाणुओं के नाभिक द्वारा बाह्य प्रोटॉन ग्रहण करने से उत्पन्न हो सकती है। महान वैज्ञानिक जॉज गमोव ने इस तथ्य को उस समय के नए विज्ञान परमात्र यान्त्रिकी से गणितीय आधार प्रदान किया। उन्होंने अपने सुरंग सिद्धांत के द्वारा प्रोटॉनों(proton) के संलयन को सम्भाव्य सिद्ध किया। 1939 में हेन्स वेदे ने अमरीका तथा कार्ल वॉन वाइन्सकर ने जर्मनी में स्वतन्त्र रूप से कार्बन नाभिक द्वारा अतिरिक्त प्रोटॉन ग्रहण करने की अभिक्रिया प्रस्तावित की।

यह अभिक्रिया कार्बन-नाइट्रोजन ऑक्सीजन चक्र या सीएनओ चक्र के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में यह बहुविदित है कि सीएनओ चक्र सूर्य(sun) से बड़े तारों के ऊर्जा जनन में तो महत्वपूर्ण है, किन्तु सूर्य में यह अपेक्षाकृत कम प्रभावी है।

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सूर्य(sun) में ऊर्जा का मुख्य स्रोत प्रोटॉन-प्रोटॉन चक्र है। सूर्य के केन्द्र का तापमान 1.5 करोड़ केल्विन तथा घनत्व लगभग 150 ग्राम घन सेन्टीमीटर है। सूर्य के केन्द्र का अत्यन्त उच्च ताप तथा दाब नाभिकीय संलयन के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ प्रदान करता है। प्रोटॉन-प्रोटॉन चक्र (P-P चक्र) में 6 हाइड्रोजन नाभिक एक समय में संलयित होकर एक हीलियम का नाभिक बनाते हैं तथा दो हाइड्रोजन नाभिक अपने मूल रूप में प्राप्त होते हैं।

इस क्रिया में उत्पाद नाभिकों का संयुक्त द्रव्यमान अभिकारक नाभिकों के संयुक्त द्रव्यमान से कुछ कम होता है। द्रव्यमान में आई यह कमी द्रव्यमान क्षति कहलाती है तथा आइन्सटीन के विख्यात समीकरण E = mc^2 के अनुसार ऊर्जा में परिवर्तित होती है। वर्तमान समय में सूर्य(sun) में 50 लाख टन हाइड्रोजन प्रति सेकंड ऊर्जा में परिवर्तित हो रही है। हाइड्रोजन की इतनी बड़ी खपत के बाद भी हमारा सूर्य(sun) अगले 4.5 अरब वर्षों तक जीवित रहेगा।

सूर्य और हमारा जीवन(Importance of sun in our life)

About sun hindi-सामान्यतः शान्त प्रतीत होने वाला सूर्य(sun) वास्तव में एक अत्यन्त परिवर्ती तारा है। दूरबीनों की सहायता से सूर्य के परिवर्ती पक्ष अर्थात् सौर सक्रियता का आसानी से अवलोकन किया जा सकता है।

सूर्य(sun) का यह पक्ष न केवल सूर्य के समग्र अध्ययन का मूल है अपितु अन्तरिक्षीय मौसम तथा पृथ्वी सहित समस्त ग्रहों के मौसम का निर्धारक भी है। सौर सक्रियता के अन्तर्गत सूर्य कलंक (sunspot) सौर प्रज्वाल (solar flares), सौर फिलामेन्ट प्रॉमिनेन्स विस्फोट तथा किरीटावरणीय द्रव्य उत्सर्जन (Coronal Mass Ejection) आदि परिघटनाएँ आ जाती हैं।

सूर्य अपनी सक्रियता को दर्शाने में एक निश्चित आवर्तिता प्रस्तुत करता है। 22 वर्षों का सूर्य कलंकों का पूर्ण चक्र सौर सक्रियता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। सौर सक्रियता का प्रत्यक्ष सम्बन्ध सूर्य के चुम्बकीय क्षेत्र से भी है, जो सूर्य कलंकों के उद्भव के लिए उत्तरदायी है। आधुनिक अध्ययन से पता चला है कि सूर्य एक डायनमो की भाँति कार्य करता है।

जिस प्रकार डायनमो में यान्त्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है, सूर्य(sun) में भी ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण होता है। सूर्य एक ओर जहाँ हमारी पृथ्वी पर जीवन का आधार है वहीं सौर सक्रियता हमारे जीवन पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है।

इन प्रभावों में से सौर तूफान प्रमुख है। सूर्य के वे क्षेत्र जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खुली होती हैं किरीटावरणीय छिद्र (Coronal holes) कहलाते हैं। इनसे निरन्तर आवेशित कणों का प्रवाह आकाश में होता रहता है, जिसे सौर वायु (Solar Wind) कहते हैं।

सूर्य(sun) पर होने वाले भीषण विस्फोटों जैसे सौर प्रज्वाल आदि में भी बड़ी मात्रा में आवेशित कण उत्सर्जित होते हैं तथा सौर तूफान का रूप धारण कर लेते हैं। सूर्य से निकले आवेशित कण पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र से टकराकर उसमें विचलन उत्पन्न करते हैं। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में यह विचलन ही भू-चुम्बकीय तूफान कहलाता है। सामान्यतः भू-चुम्बकीय तूफान का प्रभाव ध्रुवीय क्षेत्रों में ध्रुवीय ज्योति के रूप में दिखाई देता है।

तीव्रता अधिक होने पर भू-चुम्बकीय तूफान उपग्रहीय संचार में बाधा उत्पन्न करते हैं, विद्युत व्यवस्था को हानि पहुँचा सकते हैं तथा अन्तरिक्ष यात्रियों के लिए घातक हो सकते हैं।

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वर्तमान समय में कई भूमि आधारित दूरबीनें दुनियाँ के हर हिस्से में सूर्य का निरीक्षण कर रही हैं। इसके साथ-साथ अन्तरिक्ष में स्थापित दूरबीनें जैसे सोलर डायनैमिक्स ऑब्जर्वेटरी (SDO) सूर्य पर चौबीसों घण्टे नजर रखती हैं। इनके द्वारा न केवल दृश्य प्रकाश में सूर्य का अध्ययन किया जाता है अपितु पराबैंगनी तथा एक्स-रे सूर्य के चित्र भी लिए जाते हैं।

सोलर टेरेस्ट्रियल रिलेशन ऑब्जर्वेटरी (STEREO) नामक दो युग्म दूरबीनें सूर्य के पिछले हिस्से का भी प्रेक्षण कर सूर्य का सम्पूर्ण चित्र प्रदर्शित कर सकती हैं। इस प्रकार सौर प्रेक्षण की अत्याधुनिक सुविधाओं के कारण सूर्य की सक्रियता की विवेचना तथा सौर तूफान की भविष्यवाणी सम्भव है।

सौर प्रेक्षण के क्षेत्र में होने वाली इस अभूतपूर्व उन्नति के बावजूद सूर्य(sun) के विषय में सामान्य जन चेतना का अभी भी अभाव है। चाहे सूर्य ग्रहण की बात हो या सौर तूफान की, इनसे जुड़े कई मिथक और अन्धविश्वास आज भी प्रचलित हैं। कुछ समय पूर्व ही जब सौर सक्रियता अपने चरम पर
थी, सौर तूफान के कारण दुनिया के अन्त की अफवाहें विश्व भर में प्रचलित रहीं। विश्व भर की मीडिया ने भी इस ख़बर को बड़े जोर शोर से उछाला है।

वैज्ञानिकों ने उजागर किया है सूर्य पहले भी सक्रियता दिखाता रहा है, धरती बहुत पहले से ही बड़े-बड़े सौर तूफानों का सामना करती रही है और भविष्य में भी सौर सक्रियता का यह चक्र चलता रहेगा। पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र एक ढाल की भाँति कार्य करके धरती की सौर तूफानों से रक्षा करता है। आस्था की दृष्टि से तो हमने सूर्य के महत्व को अवश्य ही स्वीकार किया है किन्तु सूर्य को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना भीआवश्यक है।हमारे लिए जीवनदायी होने के कारण सूर्य निःसन्देह पूज्य है, साथ ही रहस्यों से भरपूर होने के कारण शोध का भी पात्र है।

सूर्य के बारे मे रोचक तथ्य(Some facts about the Sun)

• क्या आपको पता है दोस्तों अगर सूर्य का आकार फुटबॉल इतना बड़ा मान लिया जाए। तब बृहस्पति ग्रह सूर्य की तुलना में 1 बॉल से भी छोटा होगा।(facts about the Sun in hindi)

• सूर्य की सतह का तापमान 5000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है जब किसकी कोर का तापमान एक करोड़ डिग्री सेल्सियस के करीब होता है।

• यदि हम सूर्य के केंद्र पर खड़े हो तब पृथ्वी के वायुमंडल के दबाव की तुलना में वहां पर 340 अरब गुना ज्यादा दबाव महसूस होगा। हम जिंदा नहीं बचेगे।

• पृथ्वी की तुलना में सूर्य पर गुरुत्वाकर्षण बल 28 गुना बढ़ जाता है। अगर पृथ्वी पर आपका वजन 40 किलो है। तब सूर्य पर आपका वजन 1120 किलोग्राम होगा।

• प्रकाश की स्पीड 300000 किलोमीटर प्रति सेकंड है आइंस्टाइन के अनुसार यह हमारे ब्रह्मांड की सबसे तेज गति है। फिर भी इस गति से प्लूटो तक पहुंचने में 5 घंटे 30 मिनट का समय लगेगा।

• क्या आपको पता है हमारी धरती अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा कर लेती है ठीक इसी प्रकार सूर्य भी अपनी धुरी पर 25 दिन में एक चक्कर पूरा करता है।

यह article “सूर्य के बारे में रोचक तथ्य और संपूर्ण जानकारी(Everything About sun in hindi)“पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।

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