Hello दोस्तों नमस्कार आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे मानव शरीर की सबसे जटिल भाग मस्तिष्क(parts of the brain)के बारे में, अगर आपको मानव मस्तिष्क के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तब यह आर्टिकल आपके लिए ही है। इस आर्टिकल मे हम समझेंगे। मस्तिष्क क्या होता है(anatomy of the brain), मस्तिष्क के कार्य(structure of brain), मस्तिष्क के भाग(parts of the brain)इन सभी विषयों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
मस्तिष्क क्या है(What is human brain in hindi)
मस्तिष्क एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कोमल अंग है। तंत्रिका तंत्र के द्वारा शरीर की क्रियाओं के नियंत्रण और समन्वयन में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका मस्तिष्क की ही होती है। मस्तिष्क खोपड़ी(anatomy of the brain)की मस्तिष्कगुहा या क्रेनियम (brain box or cranium) के अंदर सुरक्षित रहता है। यह चारों ओर से तंतुमय संयोजी ऊतक (fibrous connective tissue) की एक झिल्ली से घिरा होता है जिसे मेनिजीज (meninges) कहते हैं।
यह झिल्ली कोमल मस्तिष्क को बाहरी आघातों तथा दबाव से बचाता है। मेनिंजीज और मस्तिष्क के बीच सेरीब्रोस्पाइनल द्रव्य (cerebrospinal fluid) भरा होता है। मस्तिष्क की गुहा भी इस द्रव्य से भरी होती है। सेरीब्रोस्पाइनल द्रव्य मस्तिष्क को बाहरी आघातों से सुरक्षित रखने में मदद करता है तथा यह मस्तिष्क को नम बनाए रखता है।
मस्तिष्क के भाग(About parts of brain in hindi)
मनुष्य का मस्तिष्क अन्य कशेरुकों की अपेक्षा ज्यादा जटिल और विकसित होता है। इसका औसत आयतन लगभग1650 mL तथा औसत भार करीब 1.5 kg होता है। मस्तिष्क को तीन प्रमुख भागों में बाँटा गया है-
- अग्रमस्तिष्क (forebrain),
- मध्यमस्तिष्क (midbrain)
- पश्चमस्तिष्क(hindbrain)।
अग्रमस्तिष्क- -यह दो भागों—(क) प्रमस्तिष्क या सेरीब्रम (cerebrum) तथा (ख) डाइएनसेफलॉन (diencephalon) — में बँटा होता है।
a) प्रमस्तिष्क या सेरीब्रम(Function of Cerebrum)
यह मस्तिष्क के शीर्ष, पार्श्व तथा पश्च भागों को ढंके रहता है। यह मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग (प्रायः 23 हिस्सा) है। यह एक अनुदैर्घ्य खाँच द्वारा दाएँ एवं बाएँ भागों में बँटा होता है, जिन्हें प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध (cerebral hemisphere) कहते हैं। दोनों गोलार्द्ध तंत्रिका ऊतकों से बना कॉर्पस कैलोसम (corpus callosum) नामक रचना के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।
गोलार्द्ध में अनेक अनियमिताकार उभरी हुई रचनाएँ होती हैं जिन्हें गाइरस (gyrus) कहते हैं। दो गाइरस के बीच अवनमन (depression) वाले स्थान को सल्कस (sulcus) कहते हैं। इनके कारण प्रमस्तिष्क वल्कुट (cerebral cortex) का बाहरी क्षेत्र (surface area) बढ़ जाता है। कॉर्टेक्स, सेरीब्रम (cerebrum)का बाहरी मोटा धूसर आवरण है जिसपर अलग-अलग निर्दिष्ट केंद्र होते हैं, जो विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय कुशलतापूर्वक करते हैं।
यह मस्तिष्क का अत्यंत महत्त्वपूर्ण भाग है। यह बुद्धि और चतुराई का केंद्र है। मानव में किसी बात को सोचने-समझने की शक्ति, स्मरण-शक्ति, किसी कार्य को करने की प्रेरणा, घृणा, प्रेम, भय, हर्ष, कष्ट के अनुभव जैसी क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय सेरीब्रम के द्वारा ही होता है।
यह मस्तिष्क के अन्य भागों के कार्यों पर भी नियंत्रण रखता है। जिस व्यक्ति में यह औसत से छोटा होता है, तथा गाइरस और सल्कस कम विकसित होते हैं, वह व्यक्ति मंद बुद्धि का होता है।
b) डाइएनसेफलॉन(Diencephalon)
अग्रमस्तिष्क का यह भाग प्रमस्तिष्क गोलार्डों के द्वारा ढंका होता है। यह कम या अधिक ताप के आभास तथा दर्द और रोने जैसी क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
2) मध्यमस्तिष्क(Function of cerebellum)
यह मस्तिष्क स्टेम (brain stem) का ऊपरी भाग है। इसमें अनेक तंत्रिका कोशिकाएँ (केंद्रिकाएँ) कई समूहों में उपस्थित होती हैं। इसमें संतुलन एवं आँख की पेशियों को नियंत्रित करने केकेंद्र होते हैं।
3) पश्चमस्तिष्क(Brain stem)
पृष्ठभाग में (क) अनुमस्तिष्क या सैरीबेलम (cerebellum) एवं अधरभाग में (ख) मस्तिष्क स्टेम (brain stem) मिलकर पश्चभाग बनाते हैं।
a)अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम-
अनुमस्तिष्क मुद्रा (posture),समन्वय, संतुलन, ऐच्छिक पेशियों की गतियों इत्यादि कानियंत्रण करता है। यदि मस्तिष्क से सेरीबेलम को नष्ट करदिया जाए तो सामान्य ऐच्छिक गतियाँ (normal voluntary movements) असंभव हो जाएँगी। उदाहरण के लिए, हाथों का परिचालन ठीक से नहीं होगा, अर्थात वस्तुओं को पकड़ने में हाथों को कठिनाई होगी, पैरों द्वारा चलना मुश्किल हो जाएगा आदि।
इसका कारण यह है कि हाथों और पैरों की ऐच्छिक पेशियों का नियंत्रण सेरीबेलम के नष्ट होने से समाप्त हो जाता है। इसी प्रकार, बातचीत करने में कठिनाई होगी; क्योंकि तब जीभ और जबड़ों की पेशियों के कार्यों का समन्वय नहीं हो पाएगा इत्यादि।
b) मस्तिष्क स्टेम (Brain stem)
इसके अंतर्गत (i) पॉन्स वैरोलाई (pons varolii) एवं (ii) मेडुला ऑब्लांगेटा (medulla oblongata) आते हैं।
(i) पॉन्स वैरोलाई-
तंत्रिका तंतुओं से निर्मित पॉन्स (pons) मेडुला के अग्रभाग में स्थित होता है। यह श्वसन को नियंत्रित करता है।
(ii) मेडुला ऑब्लांगेटा-
यह बेलनाकार रचना है जो पीछे की ओर स्पाइनल कॉर्ड या मेरुरज्जु के रूप में पाया जाता है। स्पाइनल कॉर्ड मस्तिष्क के पिछले सिरे से शुरू होकर रीढ़ की हड्डियों में न्यूरल कैनाल (neural canal) के अंदर से होता हुआ नीचे की ओर रीढ़ के अंत तक फैला रहता है।
इसी में अनैच्छिक क्रियाओं के नियंत्रण केंद्र स्थित होते हैं। मेडुला द्वारा आवेगों का चालन मस्तिष्क और मेरुरज्जु के बीच होता है। मेडुला में अनेक तंत्रिका केंद्र होते हैं जो हृदय-स्पंदन या हृदय की धड़कन (heartbeat), रक्तचाप (blood pressure) और श्वसन-गति की दर (rate of respiration) का नियंत्रण करते हैं। मस्तिष्क के इसी भाग द्वारा विभिन्न प्रतिवर्ती क्रियाओं; जैसे खाँसना (coughing), छींकना (sneezing), उलटी करना (vomiting),पाचक रसों के स्राव इत्यादि का नियंत्रण होता है।
मस्तिष्क के कार्य(Parts of brain and function)
मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। इसके द्वारा अनेक जैव कार्यों का समन्वय और नियंत्रण होता है। मस्तिष्क के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं।
a)आवेग-ग्रहण (To receive impulses)
मस्तिष्क सभी संवेदी अंगों से आवेगों को ग्रहण करता है। मस्तिष्क में ही ग्रहण किए गए आवेगों का विश्लेषण भी होता है।
b)ग्रहण किए गए आवेगों की अनुक्रिया (Responding to the impulses received)
विभिन्न संवेदी अंगों से जो आवेग मस्तिष्क में पहुँचते हैं, विश्लेषण के बाद मस्तिष्क उनकी अनुक्रिया के लिए उचित निर्देश निर्गत करता है। मस्तिष्क द्वारा ये निर्गत आदेश या निर्देश फिर प्रेरक न्यूरॉनों द्वारा अभिवाही अंगों; जैसे पेशियों और ग्रंथियों, में पहुँचते हैं। अब अभिवाही अंग इन्हीं निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं।
c)विभिन्न आवेगों का सहसंबंधन (Correlating various impulses)
मस्तिष्क को भिन्न-भिन्न संवेदी अंगों से एक साथ कई तरह के आवेग या संकेत प्राप्त होते हैं। मस्तिष्क इन आवेगों को सहसंबंधित कर विभिन्न शारीरिक कार्यों का कुशलतापूर्वक समन्वय करता है।
d)सूचनाओं का भंडारण (Srerage of information)
मानव मस्तिष्क का यह सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। मस्तिष्क में विभिन्न सूचनाएँ चेतना (consciousness) या ज्ञान (knowledge) के रूप में संचित रहती हैं। इसीलिए, मानव मस्तिष्क को चेतना या ज्ञान का भंडार भी कहा जाता है।
प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc)
न्यूरॉनों में आवेग का संचरण एक निश्चित पथ में होता है। इस पथ को प्रतिवर्ती चाप (reflex arc) कहते हैं। इस चाप में निम्नलिखित घटक होते हैं जो आवेग के चालन में भाग लेते हैं।
1)ग्राही अंग या रिसेप्टर्स (Receptors)
ये त्वचा, पेशियोंतथा अन्य अंगों में मौजूद रहते हैं। ग्राही अंग विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों को ग्रहण करते हैं।
2)संवेदना मार्ग (Sensory path)
ग्राही अंगों द्वारा उद्दीपनों के ग्रहण किए जाने के पश्चात इन उद्दीपनों का संचरण संवेदी न्यूरॉनों (sensory neurons) में होता है। ये संवेदी न्यूरॉन संवेदना मार्ग का निर्माण करते हैं।
3)तंत्रिका केंद्र (Nerve centres)
मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड तंत्रिका केंद्र का काम करते हैं। ये संवेदना मार्ग से आए हुए संदेशों को प्राप्त कर उचित आदेश देने का कार्य करते हैं।
4)प्रेरक मार्ग (Motor path)
तंत्रिका केंद्र द्वारा आदेशों का संचरण न्यूरॉनों (motor neurons) द्वारा होता है। प्रेरक न्यूरॉन प्रेरक मार्ग का निर्माण करते हैं।
5)अभिवाही अंग (Effectors)
प्रेरक मार्ग से होते हुए आदेश अभिवाही अंगों में पहुँचते हैं जहाँ पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से प्राप्त आदेशों के अनुसार उचित अनुक्रिया होती है। पेशियाँ अभिवाही अंग होती हैं। ये तंत्रिका केंद्र से प्राप्त आदेशों के अनुसार कार्य करती हैं।
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