मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब इंसान की बनाई हुई चीज किसी धूमकेतु पर उतरी। 12 नवंबर 2014 की रात यूरोपियन स्पेस एजेंसी का अंतरिक्षयान रोसेटा 10 साल के सफर के बाद 67P धूमकेतु(Asteroid meaning in Hindi) पर सफलतापूर्वक उतरा था।
यह अंतरिक्ष यान बैटरी के खत्म हो जाने के कारण ज्यादा समय तक काम नहीं कर पाया। लेकिन धूमकेतु पर इसका उतरना, चंद्रमा पर उतरने से कम नहीं है। वैज्ञानिक इस को लेकर बहुत सारी संभावनाएं तलाश रहे हैं खास तौर से यह देखते हुए की अगली सदी से पहले ही जब पृथ्वी के गर्भ से कई जरूरी खनिज और अयस्क निपटा लिए जाएंगे। तब ऐसे ही धूमकेतु हमारे काम आएंगे।
हालांकि इस प्रयोग मे अंतरिक्ष यान अपनी वास्तविक समय सीमा यानी दिसंबर 2015 की बजाय अपनी शुरुआत दिनों में ही दम तोड़ दिया।
इस अंतरिक्षयान में लगे उपकरणों की सहायता से धूमकेतु की सतह की खुदाई करके उसकी विभिन्न परतो के नमूने जमा किया जाना था। लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। हमारा यह अंतरिक्ष यान छुद्र ग्रह पर उतरा और उसके कुछ समय बाद बंद पड़ गया। वैज्ञानिकों का मानना था कि इसकी बैटरी खत्म हो गई। क्योंकि इसमें लगे सोलर पैनल को सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पाया।
कैसा होगा भविष्य- Future of Asteroid meaning in Hindi
असल में एक अंदाजा है अगले 50 से 100 वर्षों में पृथ्वी पर मौजूद तेल के अलावा सोना, चांदी, जिंक, कॉपर सभी खनिज अयस्कों को निपटा दिया जाएगा।
ऐसे में हमारा वैज्ञानिक समाज छुद्रग्रहो और धूमकेतुओ से इन्हें निकाल कर लाने का सपना देख रहा है। चंद्रमा पर टाइटेनियम और प्लैटिनम जैसे दुर्लभ खनिजों की भारी मात्रा मिलने की उम्मीद भी लगाई जा रही है।
अभी इन जगहों से खनिज को निकालना और फिर पृथ्वी पर लाने की लागत काफी ज्यादा है। उन्हें वहां से पृथ्वी तक किस तरह धोकर लाया जाएगा, अभी एक बड़ी समस्या है। पर मुमकिन है। हो सकता है भविष्य में हम ऐसे अंतरिक्षयान बनाने में सफल हो जाए। जो हमारा काम आसान कर दे।
विभिन्न छुद्र ग्रह और उल्काओ के प्रकार- Types of Asteroid meaning in Hindi
1) सी-टाइप क्षुद्रग्रह-S-type asteroid in Hindi
हमारी पृथ्वी के नजदीक तीन तरह के क्षुद्रग्रह है इनमें से पहली कैटेगरी सी-टाइप क्षुद्रग्रह की है इन्हें carbonation asteroid कहा जाता है क्योंकि अब पूरी तरह से कार्बन से बने होते हैं। इन क्षुद्रग्रह से हमें पानी अमोनिया, प्राकृतिक गैस, नाइट्रोजन जैसे संसाधन मिल सकते हैं। पूरे अंतरिक्ष के 75% क्षुद्रग्रह इसी श्रेणी में आते हैं।
2) एस-टाइप क्षुद्रग्रह-S-type asteroid in Hindi
क्षुद्रग्रह का दूसरा प्रकार S-type asteroid है के पत्थर जैसे होते हैं। इन्हें siliceous asteroid भी कहा जाता है ऐसे क्षुद्रग्रह आमतौर पर आयरन और मैग्नीशियम से बने होते हैं। इनसे आयरन निकल मैग्नीशियम, टाइटेनियम जैसे खनिज तत्व मिलने की संभावना है।
3) एम-टाइप क्षुद्रग्रह-M-type asteroid in Hindi
तीसरा प्रकार M-type asteroid का है। यह असल में मेटल टाइप asteroid होते हैं ऐसे क्षुद्रग्रह पूरी तरह से निकल आयरन आदि धातुओ से बने होते हैं। इनमें आयरन,निकिल, कोबाल्ट,प्लैटिनम और ग्रुप-मेटल पाए जाते हैं। क्षुद्रग्रहो मे इनकी संख्या सबसे कम है। इस समय नासा में S-type क्षुद्रग्रह 3554 पर एक विस्तृत अध्ययन चल रहा है। इस क्षुद्रग्रह का व्यास 2 किलोमीटर और द्रव्यमान 30000000000 टन है।
क्षुद्रग्रह की कैसे होगी खुदाई
क्षुद्रग्रह से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है कि आखिर कैसे उन पर खुदाई होगी। इन अंतरिक्ष asteroid खनिजों को निकालने के लिए कौन-कौन से तरीके आजमाए जा सकते हैं। इसका भी वैज्ञानिको और काम में लगे कंपनियों ने पता कर लिया है।
1)स्ट्रिप माइनिंग –
जिस तरह पृथ्वी पर पिछली कुछ
सदियों से इंसान जमीन से कई तरह के अयस्क
निकाल रहा है, अंतरिक्षीय पिडों पर वे भारी-भरकम
मशीनें पहुंचा कर वहां की जमीन की ऊपरी परत
खोदकर भी खनिज और अयस्क निकाले जा सकते हैं।
ऐसी खुदाई तभी सफल होती है जब खनिज-अयस्क
की लंबी-लंबी पट्टियां सतह के ज्यादा भीतर न हों।
2)शाफ्ट माइनिंग-
इस तरह की माइनिंग जमीन केकाफी भीतर होती है। खोदकर निकाले गए खनिज एक लंबवत टनल या लिफ्ट के रास्ते बाहर भेजे जाते हैं। कोयला और हीरा को इसी तरह जमीन के अंदर खोदकर निकाला जाता है। कंक्रीट के रूप में इस्तेमाल होने वाली बजरी भी इसी तरह की खानों से निकाली जाती है।
3)मैग्नेटिक रैक्स-
एक संभावना यह भी है कि किसी एस्टेरॉयड की ऊपरी सतह पर ही किसी धातु का खनिज भारी मात्रा में बिखरा हुआ हो। उसे जमा करना काफी आसान होगा। इसके लिए यान से बड़े चुंबकीय ब्रश भेजने होंगे जो उन खनिजों को चिपका कर बटोर लेंगे।
4)हीटिंग-
माइनिंग का यह तरीका सबसे अनूठा और दिलचस्प है जिससे धूमकेतुओं में जमा लेकिन अस्थिर रहने वाले खनिजों को निकाला जा सकता है। एक राकेट के जरिए बहुत ऊंचा तापमान पैदा करने वाली कोई मशीन कॉमेट के भीतर धंसा दी जाए तो वह उसके अंदर मौजूद खनिजों को पिघला कर भाप में बदल देगी, जिसे सतह पर जमा किया जा सकता है।
5)सैल्फ रेप्लिकेटिंग मशीन-
अंतरक्षीय पिंडों पर खुदाई के लिए वैज्ञानिक ऐसी मशीनें बनाने की बारे में सोच रहे हैं जो ऐसी सतह पर पहुंच कर कुछ वक्त बाद वहां इंसानी मदद के बिना अपनी एक और कॉपी (प्रतिकृति) बना लें जिससे लंबे अरसे तक खुदाई का काम अपने आप चलता रहे। अभी इस किस्म की माइनिंग सिर्फ थ्योरी तक सीमित है, हालांकि अमरीकी स्पेस एजेंसी- नासा 80 के दशक में इस पर एक विस्तृत अध्ययन कर चुकी है जिसमें सोलर पावर से लेकर नैनो टेक्नोलॉजी तक के इस्तेमाल पर विचार किया गया था।
यह article “विज्ञान के सफर में छुद्रग्रहो कि यात्रा- Asteroid meaning in Hindi” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।