(Particle in hindi)-विज्ञान की भाषा में कण किसी पदार्थ के एक छोटे आकार के टुकड़े को कहते हैं। मूल कण (Elementary particles)भौतिकी में मूल कण वे कण हैं जिनकी संरचना किन्हीं और कणों से नहीं होती तथा जिनको विभाजित नहीं किया जा सकता। 1932 के पहले तक केवल यह माना जाता था कि प्रोटान व इलेक्ट्रॉन ही केवल मूल कण होते हैं। लेकिन 1932 में चैडविक द्वारा न्यूट्रॉन नामक आवेश रहित कण की खोज के पश्चात् इनकी संख्या तीन हो गई।
इसके बाद मूल कणों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई तथा पाजिट्रॉन, ऐन्टि-प्रोटान (anti proton), पाई मैसोन(meson), न्यूट्रिनों, फोटान (photon) आदि मूल कणों की खोज हुई ।
आज इनकी संख्या 30 ऊपर पहुंच चुकी है। कुछ प्रमुख मूल कणों का विवरण निम्न हैं-
परमाणु (Atom)—
परमाणु वे सूक्ष्मतम कण हैं जो रासायनिक क्रिया में भाग ले सकते हैं परन्तु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकते । पदार्थ के अणुओं का निर्माण परमाणुओं से होता है ।
परमाणु मुख्यतः तीन मूल कणों इलेक्ट्रॉन, प्रोटान व न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है । इसके केन्द्र में एक नाभिक होता है जिसमें प्रोटान व न्यूट्रॉन स्थिर होते हैं । इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। परमाणु में इलेक्ट्रॉनों व प्रोटानों की संख्या बराबर होती है जिससे यह उदासीन होता है।
(1) इलेक्ट्रॉन (Electon Particle in hindi)-
इलेक्ट्रॉन नामक मूल कण की खोज सबसे पहले हुई। इसकी खोज 1897(Thomson) ने की थी। इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित कण होते हैं तथा परमाणु में नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इन पर -1.6×10^-19 कूलॉम का आवेश होता है। इनका द्रव्यमान 9.1×10^-31 किग्रा. होता है। यह एक स्थायी (stable) मूल कण है।
(2) प्रोटान (Proton Particle in hindi)—
प्रोटान एक धनात्मक मूल कण है,जिसकी खोज 1919 में रदरफोर्ड ने की थी। इस पर इलेक्ट्रॉन के आवेश 1.6×10^-19 कूलॉम के बराबर धनात्मक आवेश होता है। ये परमाणु के नाभिक में स्थित होते हैं। इनका द्रव्यमान 1.67×10^-27 किग्रा. होता है। यह एक स्थायी मूल कण है।
(3) न्यूट्रॉन (Neutron Particle in hindi)-
न्यूट्रॉन आवेश रहित मूलकण होते हैं। इनकी खोज 1932 में चैडविक ने की थी। ये प्रोटान के साथ परमाणु के नाभिक में स्थित होते हैं। इनका द्रव्यमान प्रोटान के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है। न्यूट्रॉन एक अस्थायी(unstable) मूल कण है । इसका जीवन काल लगभग 17 मिनट होता है। न्यूट्रॉन का उपयोग जीव विज्ञान व चिकित्सा विज्ञान में होता है। आवेश रहित होने के कारण इनका उपयोग नाभिकीय विखण्डन (nuclear fission) में किया जाता है।
(4) पाजिट्रॉन (Positron Particle in hindi)—
यह एक धनावेशित मूल कण है, जिसका द्रव्यमान व आवेश इलेक्ट्रॉन के बराबर होता है। इसलिये इसे इलेक्ट्रॉन का ऐन्टि-कण (anti particle) भी कहते हैं। इसकी खोज 1932 में एण्डरसन ने की थी।
(5) न्यूट्रिनो (Neutrino Particle in hindi)—
ये द्रव्यमान व आवेश रहित मूल कण हैं। इनकी खोज 1930 में पाउली (Pauli) ने की थी। ये दो प्रकार के होते हैं, न्यूट्रिनो व एन्टिन्यूट्रिनो। इनके चक्रण (spin) एक दूसरे के विपरीत होते हैं।
(6) पाई-मैसोन ( meson Particle in hindi)—
पाई-मैसोन नामक मूल कणों की खोज 1935 में वैज्ञानिक युकावा ने की थी। ये कण दो प्रकार के होते हैं-धनात्मक पाई मैसोन व ऋणात्मक पाई मैसोन। वे अस्थायी कण होते हैं। इनका जीवन काल 10^-8 सेकेण्ड व द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का 274 गुना होता है ।
(7) फोटॉन (Photon Particle in hindi)—
ये ऊर्जा के बण्डल (packets)होते हैं जो प्रकाश की चाल से चलते हैं। सभी प्रकार की विद्युत चुम्बकीय किरणों का निर्माण इन्हीं मूल कणों से होता है। इनका विराम द्रव्यमान (rest mass) शून्य होता है।
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