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पदार्थ किसे कहते हैं? पदार्थ के बारे में संपूर्ण जानकारी- What is Matter in hindi

Matter in hindi-दोस्तों अपने छोटी कक्षाओं में पदार्थ के बारे में जरूर पढ़ा होगा। और शायद कुछ लोगों को याद होगा कि पदार्थ क्या है और किसे कहते हैं। अगर आप पदार्थ के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। तो यह आर्टिकल आपके लिए है आर्टिकल के अंत तक आपको पदार्थ से जुड़ी संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी।

पदार्थ किसे कहते हैं(What is matter in hindi)

वैज्ञानिक तौर पर पदार्थ वह सामग्री है जिसमे द्रव्यमान हो, स्थान घेरता हो अर्थात जिसमें आयतन हो और जिसे हम अपनी ज्ञानेंद्रियां द्वारा अनुभव कर सकते हो, उन्हें हम पदार्थ कहते हैं।

आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को भौतिक गुणधर्म और रासायनिक प्रकृति के आधार पर दो भागों में बांट दिया है। अभी हम पदार्थ को भौतिक गुणों के आधार पर जानेगे।

पदार्थ के गुण(Properties of matter in hindi)

किसी पदार्थ मे दो प्रकार के गुण होते हैं (1) बाहरी गुण और (2)आंतरिक गुण

(1) बाहरी गुण– पदार्थ के गुण जिन्हें हम अपनी आंखों और इंद्रियों से अनुभव कर सकते हैं वह सभी चीजें बाहरी गुण या भौतिक गुण के अंतर्गत आता है।

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(2)आंतरिक गुण- जबकि पदार्थ के पैसे गुण जो आंतरिक परीक्षण और व्यवहार से पता चलता है आंतरिक गुण या रसायनिक गुण कहलाता है।

पदार्थ की अवस्थाएं(States of matter in hindi)-

हम अपने आस-पास अनेक प्रकार के पदार्थों से बने वस्तुओं को देखते हैं, लेकिन ध्यान से देखने से स्पष्ट पता चलता है कि वस्तुएँ जिन पदार्थों से बनी होती हैं वे पांच अवस्थाओं में पाये जाते हैं अर्थात् पदार्थ पांच भौतिक अवस्थाओं में पाये जाते हैं- ठोस, द्रव, गैस, प्लाज्मा और बोस-आइंस्टाइन कंडन सेट

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1) ठोस अवस्था(Solid States of matter in hindi)

ठोस अवस्था पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें कणों के बीच रिक्त स्थान न्यूनतम अर्थात नगण्य होता है तथा कणों के बीच आकर्षण बल प्रबल होता है।

किसी वस्तु में गति के कारण जो कार्य करने की क्षमता होती है उसे गति ऊर्जा कहते हैं इस प्रकार ठोस के कणो में सबसे कम गतिज ऊर्जा होती है। जिसके कारण ठोस का आकार निश्चित हो जाता है।

ठोस के गुणधर्म-(Properties of Solid)

•ठोस पदार्थ के आकार और आयतन निश्चित होते है।
• ठोस पदार्थों को सम्पिंडित नहीं किया जा सकता है।
• ठोस पदार्थ के घनत्व उच्च होते हैं।
• ठोस पदार्थों में तरलता का अभाव होता है

2) द्रव्य अवस्था(Liqud States of matter in hindi)

द्रव अवस्था पदार्थ की वह अवस्था होती है जिसमे पदार्थ के कणों के बीच खाली स्थान ठोस की अपेक्षा अधिक होता है। इन खाली स्थानों की अधिकता के कारण द्रव के कणों के स्थान निश्चित नहीं होते और कण एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति करते रहते हैं।

द्रव पदार्थों में कणो के बीच लगने वाला आकर्षण बल ठोस पदार्थों के कणों की अपेक्षा बहुत कम होता है। इसलिए यह बल कणो को निश्चित स्थान पर पकड़ कर नहीं रखता। जिससे कण एक द्रव एक दूसरे के उपर फिसलने लगते हैं और दर्व्य बहने लगता है।

द्रव के गुणधर्म-(Properties of liquid)

• द्रव पदार्थ के आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित होते हैं
• द्रव पदार्थों के घनत्व प्राय ठोस पदार्थों से कम होता है
• द्रव पदार्थ आंशिक समपंडित होते हैं।
• द्रव पदार्थों में तरलता का गुण होता है अर्थात यह आसानी से बहते हैं।
• द्रव पदार्थ अपने बर्तन को पूर्ण रूप से नहीं भर पाते है।

गैसीय अवस्था(Gas States of matter in hindi)

गैसीय अवस्था पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें कणों के बीच की दूरी बहुत ज्यादा होती है। और जब गैस को दबाया जाता है तब दाब बढ़ने से यह रिक्त स्थान कम होने लगते हैं। ” वह अवस्था जिसमें पदार्थ के आकार और आयतन दोनों ही अनिश्चित होते हैं गैस कहलाता है”

गैसीय पदार्थ के गुणधर्म(Properties of gas)

• गैसीय पदार्थों के आकार और आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं
• गैसीय पदार्थ में पूर्ण सम्पिण्डन गुण पाया जाता है।
• गैसीय पदार्थों के घनत्व बहुत कम होते हैं
• गैसीय पदार्थ पूरी तरह तरल होते हैं। मतलब इनमें तरलता के सारे लक्षण पाए जाते हैं।
• गैसीय पदार्थ बर्तन को पूरी तरह भर देती है मतलब इनके आयतन निश्चित नहीं होते है

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प्लाज्मा अवस्था(Plasma States of matter in hindi)

प्लाज्मा अवस्था पदार्थ की वह अवस्था है जिसमे मुक्त इलेक्ट्रॉन और आयन एक दूसरे में मिले हुए रहते हैं। प्राकृतिक रूप में प्लाज्मा सूर्य और तारों में पाया जाता है सूर्य तारों के भीतर लगभग 1000000 डिग्री सेल्सियस तापमान होने के कारण परमाणु टूट जाते हैं और इनसे इलेक्ट्रॉन टूट कर अलग हो जाते हैं परमाणु के शेष भाग आवेशित हो जाते हैं। जिसे आयन कहते हैं इसलिए प्लाज्मा को मुक्त इलेक्ट्रॉन और आयनो का मिश्रण कहा जाता है।

इस तरह से प्लाज्मा का निर्माण बहुत अधिक तापमान के कारण होता है जिस कारण इसमें एक विशेष प्रकार की चमक होती है। इसे ही पदार्थ की चौथी अवस्था मानी जाती है।

बोस-आइंस्टाइन कंडेंन-सेट(fifth state of matter bose einstein condensate)

सन् 1920 में प्रसिद्ध भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस (S.N. Bose)ने पदार्थ की पाँचवीं अवस्था के लिए कुछ गणनाएँ की थी। इन गणनाओं के आधार पर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने पदार्थ की पाँचवीं अवस्था बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट (BEC) की भविष्वाणी की और बताया की “सामान्य वाय के घनत्व के एक लाखवें भाग के बराबर घनत्व वाली गैस की अति निम्न तापमान पर ठंढा करने से पदार्थ की BEC अवस्था प्राप्त होती है।”

इस पाँचवीं अवस्था का सर्वप्रथम निर्माण प्रयोगशाला मे सन् 2001 में अमेरिका के वैज्ञानिक एरिक ए० कॉनेल, उल्फगैंग केटरले और कार्ल ई० वैगन ने किया । बाद में इन्हें इसी कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस प्रकार आधुनिक वैज्ञनिकों के अनुसार पदार्थ की पाँच अवस्थाएँ- ठोस, द्रव, गैस, प्लाज्मा और बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट (BEC) हैं।

पदार्थ के बारे में स्मरणीय तथ्य(Some interesting facts about matter in hindi)

  1. पदार्थ सूक्ष्मतम कणों अर्थात् परमाणुओं या अणुओं से मिलकर बने होते हैं।
  2. हमारे आस-पास के पदार्थ मुख्यतः तीन भौतिक अवस्थाओं ठोस, द्रव और गैस में पाये जाते हैं।
  3. ठोस पदार्थ के कणों के बीच लगने वाला अन्तराण्विक बल प्रबलतम और गैस पदार्थ में दुर्बलतम होता है जबकि द्रव पदार्थ के कणों में इन दोनों के मध्यवर्ती होते हैं।
  4. ठोस के कणों की परतों में फिसलन नहीं होता, जबकि द्रव के कणों में फिसलन होता है एवं गैस के कण स्वतंत्र विचरण करते हैं। इस प्रकार ठोस में बहाव नहीं होता जबकि द्रव और गैस में बहाव की प्रवृति (तरलता का गुण) होती है जिसके कारण द्रव और गैस तरल हैं।
  5. ठोस पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान एवं गतिज ऊर्जा दोनों न्यूनतम होते हैं जबकि गैसीय पदार्थ में ये दोनों अधिकतम द्रव में दोनों के मध्यवर्ती होते हैं।
  6. पदार्थ की अवस्थाओं में परिवर्तन ताप और दाब में परिवर्तन लाकर किया जा सकता है।
  7. वह पदार्थ जो ठोस से द्रव में परिवर्तित हुए बिना सीधे गैस अवस्था में और गैस अवस्था से सीधे ठोस अवस्था में आ जाता है, उसे ऊर्ध्वपात कहते हैं और इस क्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।
  8. ठोस जिस तापमान पर द्रव में बदलता है उसे गलनांक या द्रवणांक कहते हैं और द्रव जिस तापमान पर गैस (वाष्प) में बदलता है उसे क्वथनांक कहते हैं।
  9. ठोस से द्रव बनने की क्रिया को द्रवण या गलन या संगलन कहते हैं और द्रव से वाष्प बनने की क्रिया को वाष्पीकरण या वाष्पन कहते हैं।
  10. वाष्प को ठंढा कर द्रव बनने की क्रिया को द्रवीकरण या संघनन कहते हैं तथा द्रव को ठंढा कर ठोस बनाने की क्रिया को जमना कहते हैं।
  11. किसी ठोस पदार्थ का गलनांक उसके कणों के बीच के आण्विक आकर्षण बल के सामर्थ्य (strength) को दर्शाता है।
  12. किसी द्रव में क्वथन की क्रिया निश्चित ताप एवं दाब पर होता है जबकि वाष्पीकरण की क्रिया सभी तापक्रम पर होता है।
  13. किसी द्रव के वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले चार मुख्य कारक- सतह का क्षेत्रफल, तापमान, आर्द्रता एवं वायु की गति हैं।
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