परमाणु की दुनिया जितनी विचित्र और रहस्यमई है उतनी ही मजेदार भी है। इन छोटे-छोटे कणों के शक्तियों के बारे में जानकर हमारा वैज्ञानिक समुदाय भी दंग रह जाता है। इन कणो में से एक कण प्रोटॉन(Proton in Hindi)है जिसके बारे में हम आगे जानने वाले हैं। प्रोटॉन क्या है और प्रोटॉन की खोज किसने की(Proton ki kho kisne ki )
प्रोटॉन क्या है- Proton in Hindi
प्रोटॉन एक धनावेशीत subatomic particle है। जो परमाणु के नाभिक में स्थित रहता है। इसकी खोज इलेक्ट्रॉन से पहले कर ली गई थी। लेकिन इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद इसकी स्थिति का सही पता चला।
प्रोटॉन की खोज किसने की-Proton ki kho kisne ki
प्रोटॉन का आविष्कार सबसे पहले 1886 ई० में गोल्डस्टीन (Goldstein) ने विसर्जन नली प्रयोग के समय धन किरणों (positive rays) के अध्ययन के परिणामस्वरूप किया।
गोल्डस्टीन ने काँच की एक विसर्जन नली में सछिद्र कैथोड (perforated cathode) का प्रयोग कर अति निम्न दाब (0.001 mm of Hg) एवं उच्च विभव (10 KV या 10* V) पर विद्युत धारा प्रवाहित किया तो पाया कि एक विशेष प्रकार की किरणें एनोड की ओर से कैथोड की ओर गमन करती है और कैथोड के छिद्रों से गुजरकर विसर्जन नली को प्रकशमान कर देती है।
चूँकि ये किरणें कैथोड के छिद्रों (केनाल) से निकल कर जाती हैं, इसलिए इन किरणों को केनाल किरणें (canal rays) कहते हैं। इस प्रकार ये किरणें एनोड से निकलती प्रतीत होती हैं, इसलिए इन्हें एनोड किरण भी कहते हैं।
इन किरणों को विद्युतीय क्षेत्र से गुजारने पर ये ऋण विद्युत क्षेत्र की ओर आकर्षित होती हैं | इससे यह स्पष्ट निष्कर्ष निकलता है कि केनाल किरणें धन आवेशित कणों से बनी होती हैं। चूँकि धन आवेशित कण प्रोटॉन कहलाता है एवं ये केनाल किरणें धन आवेशित कण प्रोटॉन(Proton ki kho kisne ki) की बनी होती हैं। केनाल अथवा एनोड किरणों के कणों का द्रव्यमान और आवेश विसर्जन नली में ली गई गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है। अतः भिन्न-भिन्न गैसें भिन्न-भिन्न प्रकार की केनाल अथवा एनोड किरणें देती हैं
जिनमें विभिन्न द्रव्यमानों एवं विभिन्न आवेशों वाले धन आवेशित कण उपस्थित रहते हैं। गोल्डस्टीन महोदय ने यह बताया कि हाइड्रोजन गैस, हाइड्रोजन परमाणुओं से बनी होती है। जब उच्च विभव (लगभग 10000V) पर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो विद्युत ऊर्जा हाइड्रोजन परमाणुओं से इलेक्ट्रॉनों को अलग कर देती है। इस प्रकार हाइड्रोजन परमाणु आवेशित इलेक्ट्रॉन के अलग होने के बाद धन आवेशित कण प्रोटॉन शेष बच जाते हैं।
यही तीव्र और गतिमान प्रोटॉन, केनाल अथवा एनोड किरणें बनाती हैं। इस प्रकार केनाल अथवा एनोड किरणों का बनना यह प्रमाणित करता है कि सभी परमाणुओं में एक दूसरा मौलिक कण प्रोटॉन विद्यमान होता है। प्रोटॉन( discovery of proton in Hindi) की उपस्थिति के कारण ही नाभिक (nucleus) धनावेशित होता है और यह धनावेशित कण प्रोटॉन कहलाता है।
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प्रोटॉन के गुणधर्म-Properties of the proton in hindi
प्रोटॉन के मुख्यतः निम्नलिखित गुणधर्म गुण पाये जाते हैं-
(1) प्रोटॉन पर इकाई धन आवेश (+ 1) होता है, जिसका परिमाण 1.60218 x 10^-19कूलम्बहोता है। अर्थात् 1 प्रोटॉन = 1.6 x 10^-19
(ii) एक प्रोटॉन का द्रव्यमान एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से लगभग 2000 गुणा अधिक होता है | वास्तव में प्रोटॉन एक हाइड्रोजन परमाणु होता है जो अपना इलेक्ट्रॉन खो चुका होता है चूँकि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान लगभग नगण्य होता है, इसलिए हम यह कह सकते हैं कि एक प्रोटॉन का द्रव्यमान, हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है। इस प्रकार प्रोटॉन का सापेक्ष द्रव्यमान (relative mass) 1u और निरपेक्ष द्रव्यमान
(absolute mass) 1.67 x 10^-24ग्राम होता है।
(iii) प्रोटॉन, परमाणु के नाभिक में स्थित होते हैं ।
(iv) प्रोटॉन का आवेश (e) एवं द्रव्यमान (m) अनुपात (e/m) = 9.578 x 10^4 कूलम्ब/ग्राम होता है । इस अनुपात को सबसे पहले एक वैज्ञानिक डब्लू. वेन (W.Wein) ने टॉमसन तकनीक की सहायता से ज्ञात किया था। अतः किसी परमाणु का वह सूक्ष्मतम कण जो नाभिक में स्थित रहता है और जिसके ऊपर इकाई धन आवेश रहता है, प्रोटॉन ( About Proton in Hindi) कहलाता है इसे प्रायः p+ के द्वारा दर्शाते हैं। केवल हाइड्रोजन परमाणु (H) में ही एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन रहते हैं इसके अलावा अन्य सभी तत्वों के परमाणुओं में एक से अधिक इलेक्ट्रॉन
एवं प्रोटॉन रहते हैं।
यह article “प्रोटॉन(proton in hindi) क्या है? प्रोटॉन की खोज किसने की(Proton ki kho kisne ki) प्रोटोन के बारे में संपूर्ण जानकारी ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा