दोस्तों आप सभी के घरों में बिजली (Electricity in hindi)आती है। इस बिजली से पंखा, टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर और भी बहुत सारी डिवाइस चलती है। क्या आपने कभी सोचा है? यह बिजली होती क्या है। और यह किन चीजों से मिलकर बनी होती है। इसकी खोज कैसे हुई। दोस्तों आज के आर्टिकल में हम इन सभी चीजों के बारे में जानेंगे।(About Electricity in hindi)
विद्युत धारा क्या है-What is Electricity in hindi
“इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को हम विद्युत धारा कहते हैं”
•विद्युत की परिभाषा(Electricity in hindi)- “आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। ठोस चालकों में आवेश का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण के कारण होता है। जबकी liquid और gas मे आयन के गति के कारण होता है“
विद्युत धारा की खोज और उसकी बेसिक समझ-About Electricity in hindi
आज से हजारों वर्ष पहले , करीब 600 ईसा पूर्व में यूनान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थेल्स ने पाया कि जब आम्बर नामक पदार्थ को ऊन के किसी कपड़े से रगड़ा जाता है तो उसमें छोटी-छोटी वस्तुओं को (Electricity in hindi)अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है।
शुरुआती दिनों में स्वयं थेल्स भी इस घटना को न समझ सके तथा उन्होंने सोचा कि अम्बर में यह आर्कषण का गुण उसके अपने विशिष्ट गुणों के कारण होता है तथा यह आर्कषण का गुण केवल अम्बर में ही पाया जाता है।
लेकिन बाद में पाया गया कि अम्बर के अलावा अनेक अन्य पदार्थ भी रगड़े जाने पर छोटी-छोटी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने लगते हैं। जैसे—यदि किसी कंधे को बालों से रगड़ कर, कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों के पास लायें तो कागज के टुकड़े कंधे की ओर आकर्षित होते हैं।
इसी प्रकार किसी काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ने पर या एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ने पर भी इन छड़ो में भी कागज के टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने का (Electricity in hindi)गुण आ जाता है ।
इससे पता चलता है की पदार्थों को आपस में रगड़ने पर उनमें दूसरी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है। तब कहा जाता है कि पदार्थ ‘विद्युतमय’ (electrified) हो गई हैं तथा वह गुण जिसके कारण पदार्थ ‘विद्युतमय‘ होते हैं, “विद्युत’ (electricity in hindi) कहलाता है ।
पदार्थों के विद्युतमय हो जाने पर उनमें कुछ आवेश(charge) की मात्रा संचित हो जाती है तथा पदार्थ विद्युत आवेशित (electrically charged) कहलाते हैं। पदार्थों को परस्पर रगडने से या घर्षण से उस पर जो आवेश की मात्रा संचित होती है, उसे ‘स्थिर-विद्युत’ कहते हैं। ‘स्थिर-विद्युत’ में आवेश स्थिर रहता है।
जब आवेश किसी तार या चालक पदार्थ में बहता है तो उसे धारा-विद्युत (current-electricity) कहते हैं।
आवेश के प्रकार-Types of charge in hindi
आवेश के प्रकार-जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं या एबोनाइड की छड़ को (About Electricity in hindi)बिल्ली की खाल से रगड़ते हैं तो उनमें छोटी-छोटी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण उत्पन्न हो जाता है।
यदि दो आवेशित एबोनाइड की छड़ें एक-दूसरे के पास लायी जायँ तो दोनों छडों में प्रतिकर्षण होता है । यदि एक काँच की छड़ व दूसरी एबोनाइड की छड़ को एक-दूसरे के पास लाया जाय तो दोनों छड़ों में आकर्षण होता है।इससे निष्कर्ष निकलता है कि आवेश दो प्रकार के होते हैं। एक तो वह आवेश जो काँच की छड़ में उत्पन्न होता है तथा दूसरा जो एबोनाइड (Electricity in hindi)की छड में उत्पन्न होता है।
बेंजामिन फ्रेंक्लिन (Benjamin Franklin) ने इन दो प्रकार के आवेशों को धनात्मक आवेश (positive charge) व ऋणात्मक आवेश (negative charge) नाम दिया।
वह आवेश जो काँच की छड़ों के बीच की छड़ पर संचित होता है धनात्मक होता है तथा एबोनाइड की छड़ पर संचित आवेश ऋणात्मक होता है। समान (like) प्रकार के आवेशों में आकर्षण होता है।
अब यह प्रश्न उठता है कि वस्तुओं को आपस मे रगड़ने पर उसमे आवेश कहा से आ जाता है ?
वास्तव में पदार्थ अनेक छोटी-छोटी इकाइयों से बना होता है जिन्हें ‘परमाणु’ (atom) कहा जाता है। परमाणु के केन्द्र में एक नाभिक (nucleus) होता है जिसमें धनात्मक कण प्रोटॉन (proton) व उदासीनकण न्यूट्रॉन (neutron) होते हैं तथा नाभिक के बाहर ऋणात्मक कण इलेक्ट्रॉन (electron) नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
एक प्रोटॉन पर जितना धनात्मक आवेश होता है उतना ही ऋणात्मक आवेश एक इलेक्ट्रॉन पर होता है तथा इस आवेश का मान 1.6 x 10^-19 कूलॉम होता है। जहाँ कूलॉम किसी चालक में 1 ऐम्पियर की विद्युत धारा 1 सेकेण्ड तक प्रवाहित करने पर उत्पन्न आवेश की मात्रा है।
जब हम काँच की छड़ को रेशम से रगड़ते हैं तो इस प्रक्रिया में कुछ इलेक्ट्रॉन काँच की छड़ से निकल कर रेशम के कपड़े में चले जाते हैं।
इस प्रकार काँच की छड़ में इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाने से उस पर धनात्मक आवेश आ जाता है । अब चूंकि रेशम के टुकड़े में कुछ इलेक्ट्रॉन और आ जाते हैं।
जिससे उस पर ऋणात्मक आवेश आ जाता है। इसी प्रकार जब हम एबोनाइड की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ते हैं तो बिल्ली की खाल से कुछ इलेक्ट्रॉन एबोनाइड की छड़ में स्थानान्तरित हो (About Electricity in hindi)जाते हैं
जिससे छड़ ऋणावेशित हो जाती है तथा बिल्ली की खाल इलेक्ट्रॉन की कमी के कारण धनावेशित हो जाती है। अतः वस्तुओं का आवेशन इलेक्ट्रॉनों(Electricity in hindi) के स्थानान्तरण के फलस्वरूप होता है।
इस प्रक्रिया में प्रोट्रॉन भाग नहीं लेता है। जब किसी वस्तु पर इलेक्ट्रॉनों की कमी होती है तो उस पर धनात्मक आवेश होता है तथा यदि इलेक्ट्रॉनों की अधिकता होती है तो उस पर ऋणात्मक आवेश होता है। लेकिन कुल मिलाकर दोनों वस्तुओं पर आवेश की मात्रा शून्य ही रहती है क्योंकि एक वस्तु पर जितना धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है ठीक उतना ही ऋणावेश दूसरी वस्तु पर उत्पन्न हो जाता है।
आगे की तालिका में अंकित किन्हीं दो वस्तुओं को रगड़ने पर तालिका में जिस वस्तु का नाम पहले है, वह धनावेशित होती है तथा जिस वस्तु का नाम बाद में है वह ऋणावेशित होती है।
Electricity का चमत्कार
Electricity एक प्राकृतिक घटना है जो पूरे प्रकृति में होती है और कई अलग-अलग रूप लेती है। इस पोस्ट में हम आज के समय में उपयोग होने वाली Electricity के बारे में बात करेंगे। हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स को कौन सी शक्तियां हमें स्थानांतरित करने की क्षमता देती हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि निकेल पावर स्रोत के माध्यम से तार के माध्यम से Electricity कैसे बहती है और यह कैसे एल ई डी को चालू करती है, मोटर को चलाती है और हमारे संचार उपकरणों को शक्ति प्रदान करती है। यदि हम Electricity को परिभाषित करते हैं, तो विद्युत आवेश Electricity के प्रवाह को Electricity कहा जाता है। लेकिन इतना ही नहीं इस लाइन के पीछे भी कई राज छिपे हुए हैं। ये विद्युत आवेश कहाँ से आते हैं? और हम इसे कैसे आगे बढ़ा सकते हैं या प्रवाहित कर सकते हैं और वे कहाँ प्रवाहित होते हैं और ये चार्ज कैसे मशीन को काम करते हैं। आखिर ये लोडर यांत्रिक कार्य कैसे करते हैं?
ऐसे कई सवाल दिमाग में आते हैं। हो सकता है कि आपने इनमें से कई सवालों का सामना पहले भी किया हो और इन सवालों के जवाब जानने के लिए इस लेख को पढ़ रहे हों। पहले हम समझते हैं कि Electricity क्या है, फिर हमें इसे समझने की जरूरत है। पदार्थ और अणु क्या हैं, या यों कहें कि पदार्थ और अणु Electricity प्रकृति का एक मूलभूत हिस्सा है और ऊर्जा के सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले स्रोतों में से एक है। हमें Electricity अन्य स्रोतों जैसे कोयला, प्राकृतिक गैस, तेल, परमाणु ऊर्जा और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से भी प्राप्त होती है। यह हमारे लिए ऊर्जा का एक और स्रोत है। झरनों के चारों ओर कई शहर और कस्बे बनाए गए हैं, जो यांत्रिक ऊर्जा का स्रोत हैं। १०० साल पहले टरबाइन चलाने से पानी पैदा होता है, Electricity का उत्पादन शुरू होने से पहले जमीन पर दीयों से घरों को जलाया जाता था। रेफ्रिजरेटर में खाना ठंडा परोसा गया। और कमरों को लकड़ी या कोयले के चूल्हे से गर्म किया जाता था।
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