डाप्लर प्रभाव की परिभाषा-जब ध्वनि स्रोत और श्रोता के बिच आपेक्षिक गति होती है। ऐसी स्थिति मे श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति बदली हुई प्रतीत होती है। इसे ही Doppler effect कहते है।(Doppler effect in hindi)
डाप्लर प्रभाव की वख्या (Doppler effect in hindi)
डाप्लर प्रभाव (Doppler’s effect)-दैनिक जीवन में हम अनुभव करते हैं कि जब रेलवे स्टेशन पर कोई रेलगाड़ी सीटी बजाती हुई स्टेशन की ओर आती है, तो हमें उसकी ध्वनि तेज सुनाई देती है।
हमें सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति-सीटी की वास्तविक आवृत्ति से अधिक प्रतीत होती है तथा जब गाड़ी स्टेशन से दूर जाती है,
तो सीटी की ध्वनि धीमी सुनाई देती है। अर्थात सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति सीटी की वास्तविक आवृत्ति से कम प्रतीत होती है ।
इसी प्रकार यदि हम किसी सीटी बजाते हुये स्थिर इंजन के पास जाये तो भी हमें उसकी ध्वनि तीव्र सुनाई देती है तथा जब दूर जायें तो ध्वनि धीमी सुनाई देती है।(Doppler effect in hindi)
इससे यहनिष्कर्ष निकलता है कि “जब किसी ध्वनि स्रोत (source) व श्रोता (observer) के बीच आपेक्षिक गति (relative motion) होती है, तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति उसकी वास्तविक आवृत्ति से अलग (Different) सुनाई देती है।”
ध्वनि में आवृत्ति परिवर्तन के इस प्रभाव को सर्वप्रथम जॉन डाप्लर ने 1842 में नोटिस किया, और इसपर एक नियम दिया। जिसके कारण उन्हीं के नाम पर इसे Doppler effect कहते हैं। डाप्लर के प्रभाव का उपयोग किसी स्टेशन को आते हुये वायुयान की दिशा के वेग को ज्ञात करने में किया जाता है।
स्टेशन से रडार के द्वारा रडार-तरंगें वायुयान की ओर भेजी जाती हैं, जो इससे परावर्तित होकर वापस लौट आती हैं। यदि इन परावर्तित तरंगों की आवृत्ति भेजी गई तरंगों की आवृत्ति से अधिक (Doppler effect in hindi)होती है, तो वायुयान स्टेशन की ओर आ रहा है और यदि परावर्तित तरंगों की आवृत्ति घटी हुई प्रतीत होती है
तो यान स्टेशन से दूर जा रहा है। इन आपतित व परावर्तित तरंगों के बीच आवृत्ति का अन्तर ज्ञात करके वायुयान के वेग का पता करते हैं। इसी प्रकार समुद्र के अन्दर पनडुब्बी का पता करते हैं।
इन सबका युद्ध के समय उपयोग होता है।डाप्लर का प्रभाव प्रकाश तरंगों के लिये भी लागू होता है।लेकिन ध्वनि तरंगों के Doppler effect व प्रकाश तरंगों के डाप्लर प्रभाव में मुख्य अन्तर यह है कि ध्वनि तरंगों में यह प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि श्रोता या स्रोत में कौन गतिमान है,
अर्थात् उनकी आपेक्षिक गति पर निर्भर करता है, जब कि प्रकाश तरंगों में यह प्रभाव स्रोत या श्रोता के बीच आपेक्षिक गति पर निर्भर नहीं करता।
प्रकाश में डाप्लर के प्रभाव का खगोलीय विज्ञान में अत्यन्त महत्व है।इससे यह पता लगाया जाता है कि कोई आकाशीय पिण्ड पृथ्वी की ओर आ रहा है या पृथ्वी से दूर जा रहा है।(Doppler effect in hindi)
यदि वह पृथ्वी की ओर आ रहा है, तो उससे प्राप्त आवृत्ति रेखायें प्रयोगशाला में बैंगनी रंग की ओर विस्थापित होती हैं और यदि पिण्ड पृथ्वी से दूर जा रहा है, तो ये रेखायें लाल रंग की ओर विस्थापित होती है।
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