About GSLV full form-हेलो दोस्तों नमस्कार आज इस आर्टिकल में हम जानेगे। GSLV क्या होता है, GSLV ka full form kya होता है। GSLV का इस्तेमाल कब किया जाता है। इस आर्टिकल के अंत तक आपको GSLV से जुड़ी बेसिक जानकारी मिल जाएगी।
GSLV का फुल फॉर्म-Geosynchronous Satellite Launch Vehicle
GSLV क्या है(What is GSLV)
GSLV एक satellite launcher रॉकेट है। इसका मुख्य काम पृथ्वी के ऑर्बिट में satellites को पहुंचाना है। 2 टन से भारी उपग्रहों की 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई वाली भू-स्थिर कक्षा (Geostationary Orbit/Geosynchronous Orbit) में स्थापना के लिए जी.एस.एल.वी. यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle- GSLV) प्रयुक्त किये जाते हैं।
इनमें क्रायोजेनिक इंजनों की जरूरत होती है। क्रायोजेनिक्स या क्रायोफिज़िक्स विज्ञान की वह शाखा है जिसमें अतिशय न्यून ताप पर पदार्थ की अवस्था और आचरण का अध्ययन किया जाता है। इसी प्रौद्योगिकी पर क्रायोजेनिक इंजन बनाये गये हैं जिनमें ईंधन (Fuel) के रूप में द्रव हाइड्रोजन (-253°C) और ऑक्सीकारी (Oxidiser) के रूप में द्रव ऑक्सीजन (-183°C) प्रयुक्त किए जाते हैं।
गर्म होने पर ये गैसें तीव्रता से प्रसरित होती हैं और यान को जबरदस्त बूस्ट देती हैं। जी.एस.एल.वी. यानों की प्रौद्योगिकी फिलहाल चंद देशों के पास ही है। जिनमे भारत,अमरीका, रूस, फ्रांस, चीन तथा जापान शामिल है । भारत ने जिस जी.एस.एल.वी. (मार्क-1) को निर्मित किया है, उसकी भार वहन क्षमता 1.8 टन है जिसमें रूसी क्रायोजेनिक इंजन संलग्न होते हैं।
पूरे यान की लंबाई 49.1 मीटर और भार 401 टन है। यह त्रिचरणीय राकेट है। पहला चरण जलकर यान को 25% वेग देता है, दूसरा चरण भी 25% वेग देता है और तीसरा चरण (जिसमें क्रायोजेनिक इंजन संलग्न होता है) जलकर 50% वेग प्रदान करता है और उपग्रह को 36000 किमी. की ऊंचाई वाली भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है।
पहले चरण की मुख्य मोटर ठोस प्रणोदक(Hydroxyl Terminated Poly Butadiene-HTPB) संचालित है। इसमें 129 टन प्रणोदक भरा जाता है।प्रथम चरण के साथ ही चार बूस्टर लगाये जाते हैं जो द्रव प्रणोदक (UDMH-Unsymmetrical Dimethyl Hydrazine + Nitrogen tetroxide) संचालित हैं। प्रत्येक बूस्टर मोटर 40 टन प्रणोदक ले जा सकता है।
दूसरे चरण में 37.50 टन प्रणोदक प्रयुक्त किया जाता है और सबसे ऊपरी चरण में रूसी क्रायोजेनिक इंजन प्रयुक्त होता है जो 12.50 टन द्रव हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ले जाता है।
तीसरा चरण जलकर यान को सर्वाधिक शक्ति (थ्रस्ट) प्रदान करता है और उसके ऊपर सवार संचार उपग्रह को भू-स्थिर अंतरण कक्षा(Geostationary Transfer Orbit-GTO) मे डाल देता है।
GSLV कि पहली उड़ान(GSLV first flight)
जी.एस.एल.वी-डी 1 पहली बार किसी भारतीय राकेट में क्रायोजेनिक इंजन (रूसी) का इस्तेमाल किया गया। 28 मार्च, 2001 को जी.एस.एल.वी.-डी1 (GSLV-D1) की पहली उड़ान आयोजित हुई।
प्रक्षेपण से एक सेकंड पूर्व अचानक बाधा उत्पन्न हो गयी। कम्प्यूटर ने इसके प्रथम चरण के साथ संलग्न, द्रव प्रणोदक संचालित चारों बूस्टरों (Strap on Motors) के प्रज्वलन का जैसे ही आदेश दिया, उसकी एक मोटर में आग लग गई (उसके गैस जनरेटर में खराबी के कारण पर्याप्त दाब उत्पन्न नहीं हो सका और उक्त मोटर का ‘विकास’ इंजन पर्याप्त 95% उछाल नहीं ले सका), समुचित दबाव न बन पाना स्वचालित सुरक्षा प्रणाली ने अविलंब भांप लिया और उसने चारों बूस्टर मोटरों का प्रज्वलन रोककर प्रक्षेपण को स्वतः स्थगित कर दिया और इस प्रकार भारी क्षति होते-होते रुक गई।
GSLV कि दूसरी उड़ान(GSLV’s second flight)
जी.एस.एल.वी. की दूसरी उड़ान (मिशन GSLV-D2) 8 मई, 2003 को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्रीहरिकोटा से आयोजित की गई जिसमें इसने सफलतापूर्वक भारत के दूरसंचार उपग्रह ‘जी सैट-II’ को 36,000 किमी. की ऊंचाई वाली भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर दिया।
‘जी सैट -II’ (Geostationary Satellite) इस शृंखला का दूसरा उपग्रह है। जी.एस.एल.वी. की यह उड़ान अपनी पूर्ववर्ती उड़ान से काफी समुन्नत थी। ‘जी सैट-I’ का भार 1540 किग्रा. था जबकि ‘जी सैट-II’ का भार 1800 किग्रा. है। इस प्रकार इसरो ने अपनी प्रक्षेपण क्षमता में 30% की अभिवृद्धि अर्जित की।
GSLV कि तीसरी उड़ान(GSLV’s third flight)
जी.एस.एल.वी. 20 सितंबर, 2001 को जी.एस.एल.वी. की तीसरी उडान (मिशन First Opreational Flight GSLV-FO) में राकेट ने भारत के प्रथम शैक्षणिक उपग्रह – एजुसैट (Educational Satellite EDUSAT) को उड़ान भरने के 17 मिनट बाद भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर दिया।
उपग्रह का भार 1950 किग्रा. है। यह ‘इसरो द्वारा स्थापित एक बड़ा उपग्रह था। जो पूर्णतः शैक्षिक सेवाओं को समर्पित है। उपग्रह की कार्यकारी अवधि 7 वर्ष आंकलित की गई है। यह जी.एस.एल.वी. की प्रथम परिचालनात्मक उड़ान (Operational Flight) है जबकि 18 अप्रैल, 2001
और 8 मई, 2003 की उड़ानें विकासात्मक उड़ाने (Developmental Flights) थीं जिसमें जीसैट-| और जीसैट-II नामक संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया था।
GSLV कि चौथी उड़ान(GSLV’s fourth flight)
जी.एस.एल.वी. राकेट की चौथी उड़ान (मिशन GSLV-FO2) दुर्भाग्यपूर्ण रही। 10 जुलाई, 2006 को.सायं 5 : 38 बजे राकेट ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र (SDSC), श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी लेकिन टेक ऑफ के 60 सेकंड बाद राकेट के साथ इस पर सवार उपग्रह ‘इन्सैट-4सी’ भी नष्ट हो गया।
2180 किग्रा. वजनी उपग्रह के निर्माण पर 96 करोड़ रुपये और राकेट के निम्ही पर 150 करोड़ रुपये लागत आई थी। इस यान की विफलता का कारण यह था कि इसके प्रथम चरण के एक बूस्टर.में उड़ान के 0.2 सेकंड बाद ही अचानक दाब निर्मित नहीं हो पाया। मात्र तीन बूस्टरों से प्रक्षेपण यान का नियंत्रण असंभव था और इसीलिए यान अपने निर्धारित लक्ष्य से भटक गया और आग के शोलों में परिवर्तित होकर बंगाल की खाड़ी में जा समाया।
GSLV कि पांचवी उड़ान(GSLV’s fifth flight)
जी.एस.एल.वी. का चौथा प्रक्षेपण ‘इसरो’ के लिए एक आघात अवश्य था लेकिन शीघ्र ही ‘इसरो’ के वैज्ञानिकों ने अपनी तकनीकी दक्षता का परिचय देते हुए इसका निराकरण भी कर दिया। 2 सितंबर, 2007 को हुई जी.एस.एल.वी. की पांचवीं उड़ान (मिशन GSLV-F04) पूर्णतः त्रुटिहीन थी। श्रीहरिकोटा से इसकी उडान सांय 4:21 बजे आयोजित होनी थी लेकिन कुछ तकनीकी त्रुटियों के चलते यह 1 घंटा 50 मिनट विलंब से सम्पन्न हो सकी।
राकेट ने 6:21 बजे उड़ान भरी और प्रायः 17 मिनट बाद अत्याधुनिक दूरसंचार उपग्रह ‘इन्सैट- 4सीआर’ को भू-स्थिर अंतरण कक्ष (GTO) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। 2130 किग्रा. वजनी इस उपग्रह में उच्च क्षमता वाले 12 के.यू. बैंड के प्रेषानुकर (Transponders) संलग्न हैं।
उपग्रह की कार्यकारी अवधि 10 वर्ष आंकलित की गई है। आशा की जानी चाहिए कि इससे डी.टी. एच. सेवाओं में अभिवृद्धि होगी और सीधे उपग्रह से सूचनाओं का संकलन किया जा सकेगा। उपग्रह कुशलतापूर्वक राष्ट्र को अपनी सेवाएं मुहैया करा रहा है। GSLV कि 5 वे उड़ान के बाद और भी बहुत सारे उड़ाने सफल रहे।
यह article “GSLV का फुल फॉर्म क्या है। GSLV के बारे मे बेसिक जानकारी(About GSLV full form information)“पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।