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परमाणु बम (Atom Bomb in hindi) और हाइड्रोजन बम (Hydrogen Bomb in hindi) के बारे मे बेसिक जानकारी

हैलो दोस्तों आपने किसी न किसी फिल्म मे Atom bomb का नाम जरूर सुना होगा। ऐसा बताया(Atom Bomb in hindi)जाता है की यह दुनिया का सबसे ख़तरनाक बम है। लेकिन आपके जानकारी के लिए मे बता दू की दुनिया का सबसे ख़तरनाक बम हाइड्रोजन बम है। आज इस आर्टिकल मे हम इन्ही bombs के बारे मे जानने वाले है।

“परमाणु बम” शब्द का प्रयोग पहली बार 19 सितंबर, 1939 को “लंदन मॉर्निंग पोस्ट” में प्रकाशित एक लेख में किया गया था। परमाणु बम एक ऐसा हथियार है जो महान शक्ति का विस्फोट करने के लिए परमाणु विखंडन का उपयोग करता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पहला परमाणु बम बनाया गया था। परमाणु बम एक ऐसा हथियार है जो परमाणु विखंडन और संलयन का उपयोग करके एक ऐसा विस्फोट करता है जो इतिहास के किसी भी अन्य हथियार से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है।

परमाणु बम (Atom Bomb in hindi)

परमाणु बम को सामान्यतः नाभिकीय बम (Nuclear Bomb in hindi) भी कहा जाता है। इसका सिद्धान्त नाभिकीय विखण्डन पर आधारित है।

परमाणु बम को बनाने के लिये यूरेनियम (U35) अथवा प्लूटोनियम (Pu239)का प्रयोग किया जाता हैं। इसमें अनियन्त्रित शृंखला अभिक्रिया होती है जिसके फलस्वरूप अपार ऊर्जा की मात्रा उत्पन्न होती है।

बम में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ के लिये यह आवश्यक है कि उसका द्रव्यमान एक निश्चित द्रव्यमान से अधिक हो । इस निश्चित द्रव्यमान को ‘क्रान्तिक द्रव्यमान’ (critical mass) कहते हैं । यदि बम में प्रयुक्त पदार्थ का द्रव्यमान क्रान्तिक द्रव्यमान से कम होगा। तो वह पदार्थ विखण्डित न होकर स्थायी बना रहेगा।

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इसके लिये विखण्डित होने वाले पदार्थ के ऐसे दो टुकड़े लिये जाते हैं जिनका द्रव्यमान क्रान्तिक द्रव्यमान से कम होता है। इन दोनों टुकड़ों को अलग-अलग रखा जाता है। जब बम का विस्फोट करना होता है।तो इन दोनों टुकड़ों को आपस में मिला दिया जाता है जिससे कुल द्रव्यमान क्रान्तिक द्रव्यमान से अधिक हो जाता है एवं अनियन्त्रित विखण्डन अभिक्रिया प्रारम्भ हो जाती है तथा भयंकर विस्फोट के साथ अत्यधिक ऊर्जा मुक्त होती है।

बम के विस्फोट के पश्चात लगभग 107 डिग्री सेन्टीग्रेड ताप व लाखों वायुमण्डलीय दाब क बराबर दाब उत्पन्न होता है । विस्फोट में अन्धा कर देने वाली चमक व कई रेडियो ऐक्टिव विकिरण उत्पन्न होते हैं। जहाँ पर विस्फोट होता है, वहाँ से मीलों दूर के क्षेत्र में समस्त वस्तुयें व जीवित प्राणी नष्ट हो जाते हैं।

विस्फोट में उत्पन्न विनाशकारी रेडियो ऐक्टिव किरणों को हवा दूर तक बहा ले जाती है। परमाणु बम नाभिकीय ऊर्जा का विनाशकारी रूप है।

हाइड्रोजन बम (Hydrogen Bomb in hindi)-

हाइड्रोजन बम का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 1952 में किया। हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया पर आधारित है। यह बम परमाणु बम की अपेक्षा 1000 गुना अधिक शक्तिशाली होता है।

हाइड्रोजन बम में ड्यूटीरियम तथा ट्राइटियम के संलयन से अपार ऊर्जा मुक्त होती है। हाइड्रोजन बम के विस्फोट के पहले यह आवश्यक है कि पहले परमाणु बम का विस्फोट कराया जाये।

अत: हाइड्रोजन बम को बनाने के लिये पहले परमाणु बम बनाते हैं। इसे डयूटीरियम के किसी यौगिक से चारों ओर से ढक देते हैं। जब परमाणु बम में विस्फोट होता है तो अत्यधिक ताप व दाब के कारण ट्राइटियम के नाभिक एक-दूसरे से संलयित ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा उत्पन्न करते हैं। यही हाइड्रोजन बम सिद्धान्त है ।

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हाइड्रोजन बम से अपार ऊर्जा की मात्रा मुक्त होती है। परन्तु अभी तक इस ऊर्जा को नियन्त्रित करके रचनात्मक कार्यों में प्रयुक्त नहीं किया जा सका है क्योंकि जिस ताप पर संलयन की प्रक्रिया होती है, उस पर परमाणुओं से सभी इलेक्ट्रॉन अलग-अलग हो जाते हैं। तथा नाभिकों व इलेक्ट्रॉनों का मिश्रण बन जाता है। इस मिश्रण को ‘प्लाज्मा’ कहते हैं।

आज वैज्ञानिकों के सामने इस प्लाज्मा’ को संरक्षित करने की प्रक्रिया सबसे बड़ी समस्या है। वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयत्नशील हैं। जिस दिन इस प्लाज्मा को वैज्ञानिक संरक्षित करने में सफल होंगे, उस दिन संलयन ऊर्जा का प्रयोग रचनात्मक कार्यों के लिये किया जा सकेगा तथा ‘विखण्डन रिएक्टर के समान ‘संलयन-रिएक्टर का निर्माण भी संभव हो सकेगा।

सूर्य की ऊर्जा (Solar Energy in hindi)-

सूर्य तथा ब्रह्माण्ड के अन्य तारों की ऊर्जा का स्रोत भी वहाँ पर होने वाला नाभिकीय संलयन ही है। सूर्य का अधिकांश भाग हाइड्रोजन व हीलियम का बना है तथा इसके भीतर के भाग का ताप करीब 10^7 डिग्री केल्विन होता है। इतने अधिक ताप पर हाइड्रोजन नाभिकों का संलयन होता रहता है तथा अपार ऊर्जा मुक्त होती है।

1938 में अमेरिकी वैज्ञानिक बैथे ने बताया कि सूर्य पर दो तरह की संलयन अभिक्रिया-प्रोटान-प्रोटान चक्र व कार्बन नाइट्रोजन-चक्र होता है।

तारों में भी ऊर्जा का स्रोत वही है जो सूर्य में है। सूर्य के भीतरी भाग में जहाँ ताप 2 x 10^7 केल्विन है, प्रोटॉन-प्रोटॉन साइकिल की अधिक सम्भावना है किन्तु अनेक तारे जिनका ताप सूर्य से काफी अधिक है, जैसे साइरियस में कार्बन साइकिल की अधिक सम्भावना है।

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सूर्य जिस दर से ऊर्जा उत्सर्जित कर रहा है। उससे अनुमान लगाया जाता है कि वह अभी अगले 1000 करोड़ वर्ष तक इसी दर से ऊर्जा उत्सर्जित करता रहेगा।

यह article “परमाणु बम (Atom Bomb) और हाइड्रोजन बम (Hydrogen Bomb) के बारे मे बेसिक जानकारी “पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।

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