About Wifi full form-हेलो दोस्तों नमस्कार, आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे। Wifi क्या होता है, Wifi full form क्या होता है, Wifi कैसे कनेक्ट करें, Wifi की रेंज क्या होती है। अगर Wifi के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते है तभी यह आर्टिकल आपके लिए ही है।
Wifi क्या होता है, Wifi का अविष्कार कब हुआ(What is Wi-fi, Wi-fi invention, full form)
दोस्तों आप सभी जानते हैं इंटरनेट का आविष्कार बहुत साल पहले हो गया था। लेकिन उस समय इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादा नहीं किया जाता था। क्योंकि इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए बहुत सारे केबल की जरूरत पड़ती थी। जो एक मुश्किल भरा काम था। लोग इंटरनेट चलाने के लिए कैफे जाया करते थे।
इन सभी मुश्किलों से निपटने के लिए computer scientist ने Wifi का आविष्कार किया। Wifi का अविष्कार John O Sullivan और John dean ने सन 1991 मे किया था। Wifi technology को 1998 मे Wi-fi Alliances नाम के कंपनी ने प्रस्तुत किया था। Wifi एक लोकप्रिय wireless Technology का नाम है। यह हाई स्पीड internet और network connection देने के लिए Radio signals का उपयोग करता है।
Wifi का full form क्या होता है(What is full form Of wifi)
दोस्तों Wifi का फुल फॉर्म “Wireless fidelity” होता है। Wi-fi को WLAN के नाम से भी जाना जाता है। जिसका फुल फॉर्म ” Wireless Local area network” है यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसके माध्यम से आज हम internet और network connection का इस्तेमाल कर रहे हैं।
Wi-fi की सहायता से आप बड़े ही आसानी से Mobile, Laptop,Computer और Printers को आपस में जोड़ सकते हैं।
Wi-fi के प्रकार(Types of Wi-fi)
मुख्य रूप से तीन प्रकार के वायरलेस नेटवर्क हैं – WAN, LAN और PAN:
1)WLANS: वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क
2)WPANS: वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क
3)WMANS: वायरलेस महानगरीय क्षेत्र नेटवर्क
4)WWANS: वायरलेस वाइड एरिया नेटवर्क
Wi-fi की रेंज क्या होती है(What is the range of wi-fi)
Wifi की रेंज ज्यादा दुरी तक नहीं होती है एक 2.5 -5 gigahertz वाले Wifi की रेंज लगभग 150 से 300 फीट तक होती है। यह टेक्नोलॉजी लोकल एरिया नेटवर्क के अंतर्गत आती है। इसके जरिए हम एक सीमित स्थान तक इंटरनेट से जुड़ सकते हैं।
आज Wifi इतना ज्यादा advanced हो चुका है कि इसके द्वारा हम इंटरनेट के अलावा डाटा का ट्रांसफर भी करते हैं।
Wifi कैसे काम करता है(How does work Wi-fi)
आज के समय मे प्रत्येक computer, laptop और mobile मे wifi लगा रहता है। यह Wifi एक छोटी सी होती है। इस चिप को इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेज में फिट कर दिया जाता है यह chip वायरलेस सिग्नल को ट्रांसफर करते हैं। इसके बाद हम इसे वॉयरलैस राउटर के द्वारा कनेक्ट कर देते है और इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।
दोस्त Routers को भी इंटरनेट से जुड़ने के लिए केबल्स वगैरा का इस्तेमाल करना पड़ता है। जो internet service provider(ISP) से जुड़ा रहता है। दोस्तों Wi-fi से निकलने वाली radio waves दीवार के आर पार भी जा सकती है। जिससे एक ही बिल्डिंग के अन्य कमरों में भी वाईफाई का इस्तेमाल किया जा सकता है।
Wifi की speed राउटर से दूरी पर निर्भर करता है। आप जितना ज्यादा दूरी पर रहेंगे स्पीड उतनी ही कम होंगी।
Wifi के benefit क्या है
1) यह टेक्नोलॉजी काफ़ी user-friendly है। मतलब आप बड़े ही आसानी से किसी भी Smartphone, laptop को Wi-fi से कनेक्ट कर सकते है।
2) इसका इस्तेमाल करना बहुत आसान है। बस Wifi को on करना है अगर कोई password है तो उसे डाल कर connect हो जाना है।
3) पहले हर जगह wifi मिलना मुश्किल था लेकिन आज के समय मे हर जगह wifi मिल जाता है। आप चलते फिरते किसी भी आपने friend के wi-fi का इस्तेमाल कर सकते है।
4) आप एक wifi से बहुत सारे Devices को connect कर सकते है। और एक समय पर सभी Devices मे इंटरनेट का accces पा सकते है।
5) Mobile Network की तुलना मे wi-fi की speed काफी तेज होती है। आप 1mb/s से 300mb/s तक speed का लाभ उठा सकते है।
Wi-Fi का इतिहास
वाईफाई का जन्म 1985 में हुआ था, जब यूएस एफसीसी ने घोषणा की थी कि वायरलेस फ्रीक्वेंसी 900MHZ, 2.4 Ghz और 5.8 Ghz कोई भी इसे बिना लाइसेंस के इस्तेमाल कर सकता था। फिर शुरू होती है Wi-Fi कहानी।
आप नहीं जानते होंगे कि ये फ्रीक्वेंसी बैंड माइक्रोवेव ओवन और अन्य घरेलू उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं। इसलिए लोग सोचते हैं कि वे बेकार हैं। संचार में विशेष रूप से बेकार। इसलिए, इस बैंड को उपलब्ध कराने के लिए, FCC इसके उपयोग को अनिवार्य कर दिया था । इसे स्पीयर स्पेक्ट्रम टेक्नोलॉजी कहा जाता है। स्प्रेड स्पेक्ट्रम प्रौद्योगिकी लाइसेंस 1941 में प्राप्त किया गया था। जॉर्ज एंथिल और अभिनेत्री हेडी लैमर को सबसे पहले परमिट मिला ।
यह कई आवृत्तियों के साथ संकेतों को प्रसारित करने की एक तकनीक है। इस परिवर्तन से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, लेकिन उस समय इस तकनीक के बाद वायरलेस सिग्नल में कई सुधार हुए, और उन्होंने हस्तक्षेप की समस्या का समाधान नहीं किया। क्योंकि उस समय मोबाइल फोन में पहले से ही रेडियो लग चुका था। क्योंकि इसका सिग्नल की गुणवत्ता पर बहुत प्रभाव पड़ता है, WLAN (वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क) नामक एक तकनीक भी सामने आई है, लेकिन कई तकनीकी खामियां हैं। ऐसा लगता है कि वायरलेस लैन के लिए कोई मानक नहीं है। विभिन्न कंपनियों के उपकरणों को जोड़ने में कई कठिनाइयां होती हैं।1988 में, उस समय एनसीआर कंपनी को वायरलेस कैश रजिस्टर की आवश्यकता थी। यही कारण है कि उन्होंने विक्टर हेस और ब्रूस टच की मदद से इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (आईईईई) को एक मानक बनाने की कोशिश की।
मानक 1997 में तैयार किया गया था, और इसका आकर्षक नाम “802.11” है। यह केवल 1997 में जारी किया गया था। उस समय, 802.11 मानक में डेटा संचरण दर लगभग 2 मेगाबिट प्रति सेकंड थी। 802.11a 1999 में जारी किया गया था। इसकी गति लगभग 54 मेगाबिट प्रति सेकेंड है। यह बहुत महंगा था , इसलिए अगला संस्करण जारी किया गया, जिसे 802.11 बी कहा जाता था , जो वाईफाई तकनीक से शुरू हुआ, यह संस्करण बहुत सस्ता था , और इस नेटवर्क का कवरेज भी बहुत अधिक था , क्योंकि किसी तरह यह तकनीकी बाड़ तक पहुंच गया है। जल्द ही, इसने हार्डवेयर बाजार में अपनी स्थिति स्थापित कर ली। यह अपनी सीमा और अनुकूलता के कारण बहुत प्रसिद्ध है।इस कारण से, 6 कंपनियों ने वायरलेस ईथरनेट संगतता गठबंधन, अर्थात् WECA का गठन किया है। इसका उपयोग यह जांचने के लिए करें कि वाईफाई की प्रतिलिपि बनाई जा सकती है या नहीं। 2002 में, इसे वाई-फाई, वायरलेस नाम दिया गया था, और एक शब्द HiFi से लिया गया था। कुछ साल बाद, इसका नाम वाई-फाई एलायंस रखा गया। अब तक आप वाईफाई के इतिहास को समझ गए होंगे।
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