हेलो दोस्तों अपने नाभिकीय ऊर्जा(Nuclear Energy in hindi) के बारे में जरूर पढ़ा या सुना होगा। बीसवीं सदी में अगर नाभिकीय ऊर्जा की खोज नहीं होती। तो शायद घर घर बिजली पहुंचाने का सपना अधूरा ही रह जाता है। वैसे बिजली उत्पादन करने के और भी कई तरीके हैं। लेकिन नाभिकीय उर्जा(nabhikiya urja) से बहुत बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जाता है। आज के इस आर्टिकल मे नाभिकीय ऊर्जा से जुड़े सभी कांसेप्ट को क्लियर करेंगे।
नाभिकीय ऊर्जा क्या है-What is Nuclear Energy in hindi
जब किसी भारी तत्व के नाभिक का विखण्डन होता है तो ऊर्जा प्राप्त होती है। वास्तव में ऊर्जा की यह मात्रा बहुत अधिक होती है। विखण्डन से प्राप्त इस ऊर्जा को ही ‘नाभिकीय ऊर्जा (nabhikiya urja)’ कहते हैं। यदि यूरेनियम के एक नाभिक का विखण्डन किया जाय तो लगभग 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा की मात्रा प्राप्त होती है।
एक ग्राम यूरेनियम का विखण्डन करने पर उतनी ही ऊर्जा की मात्रा प्राप्त होती है जितनी कि अति विस्फोटक (T.N.T.) (tri-nitro tolune) के 20 टन के विस्फोट से प्राप्त होती है।
नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy in hindi)को नियंत्रित करके इसका उपयोग कई रचनात्मक कार्यों में किया जा सकता है। नाभिकीय ऊर्जा(nabhikiya urja)का मुख्य उपयोग नाभिकीय रिएक्टर में किया जाता है। नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत शक्ति में परिवर्तित करके कल-कारखाने चलाये जा सकते हैं एवं विद्युत संकट का समाधान किया जा सकता है।
परमाणु भट्टी (Atomic Pile in hindi)-
परमाणु भट्टी या नाभिकीय रिएक्टर(nuclear in hindi) के द्वारा नाभिकीय ऊर्जा(Nuclear Energy in hindi)को रचनात्मक कार्यों के प्रयोग में लाते हैं। इसमें नियन्त्रित शृंखला अभिक्रिया के द्वारा ऊर्जा.उत्पन्न की जाती है।
सबसे पहला नाभिकीय रिएक्टर प्रोफेसर फर्मी के निर्देशन में शिकागो विश्वविद्यालय में बनाया गया था। रिएक्टर में यूरेनियम (U235) या प्लूटोनियम (Pu293) को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है । जब इन विस्फोटक पदार्थों पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो नये न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं। इन न्यूट्रॉनों की गति को धीमी करने के लिये भारी जल, ग्रेफाइट आदि मन्दकों (Moderators) को प्रयोग में लाया जाता है।
विस्फोट के पश्चात् अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिसे जल या कार्बन डाई आक्साइड के द्वारा भाप में परिवर्तित करके टर्बाइन मशीन की सहायता से विद्युत उत्पन्न की जाती है ।
रिएक्टर में अभिक्रिया के दौरान कई प्रकार के हानिकारक विकिरण उत्सर्जित होते हैं जो आस-पास के वातावरण व रिएक्टर में काम करने वालों को नुकसान पहुँचा सकते हैं इसे रोकने के लिये रिएक्टर के चारों ओर मोटी-मोटी कंक्रीट की दीवारें बना दी जाती है। इन दीवारों को परिरक्षक (shield) कहते हैं। नाभिकीय रिएक्टर(nuclear in hindi)में होने वाली अभिक्रिया को नियन्त्रित रखना आवश्यक होता है, नहीं तो विस्फोट हो सकता है।
इसके लिये रिएक्टर में कैडमिडम की छड़ें लगायी जाती हैं। ये छड़ें ‘नियन्त्रक छड़ें’ (controller rods) कहलाती हैं । नाभिकीय रिएक्टरों के अनेक उपयोग हैं। रिएक्टर से प्राप्त नाभिकीय ऊर्जा(nuclear in hindi) को विद्युत ऊर्जा मे परिवर्तित करके विद्युत उत्पादन के लिये विद्युत गृह बनाये जाते| इस प्रकार विद्युत उत्पादन के लिये कोयले के स्थान पर नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग होना है।
रिएक्टर में अनेक प्रकार के रेडियो समस्थानिक उत्पन्न होते हैं, जिनका चिकित्सा, विज्ञान, कृषि, रोगों के उपचार, उद्योग-धन्धों आदि में उपयोग होता है।
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