स्तनधारी वर्ग (Mammalia)
स्तनधारी शब्द का अर्थ है स्तन ग्रंथियाँ (Mammary glands) रखने वाले जन्तु जिनसे उत्पन्न दुग्ध द्वारा इनके शिशु पोषण प्राप्त करते हैं। यह ग्रीक शब्द (Mammae =Mammary glands to suckle the young ones) से बना है। ये बहुत ही विकसित जन्तु होते हैं। ये मुख्यतः स्थलीय होते हैं तथा कुछ जलीय एवं वायुवीय भी होते हैं। इन जन्तुओं का रुधिर, ऊष्ण रक्त वाले(Stenothermal), अर्थात् इनके शरीर का तापमान बाहरी वातावरण के तापमान परिवर्तन के साथ नहीं बदलता ।
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ह्वेल तथा समुद्री गायों (Sea-Cows) को छोड़कर इस वर्ग के सभी जन्तु चार पादों वाले अर्थात् चौपाये होते हैं। इनके सम्पूर्ण शरीर पर बाल होता है। बाह्य कंकाल सींग (Horn) पंजे या खुर के रूप में होता है। इनकी त्वचा (Skin) मोटी एवं जलरोधी (Water proof) होती है। इसमें श्वेद ग्रंथियाँ (Sweal glands) अत्यधिक विकसित होती है। बाह्यकर्ण में कर्ण पल्लव (Ear pinna) होते हैं। अन्तःकर्ण में कॉक्लिया (Cochiea) पूर्ण विकसित व कुंडलित होता है।
इनके दाँत जबड़ों की अस्थियों के गड्ढ़ों में लगे होते हैं, अर्थात् गर्त दंती या थीकोडॉन्ट (Thecodont) होते हैं। दाँत कई प्रकार होते हैं, अर्थात् विषमदंती या हेटरोडाँट (Heterodont) होते हैं। इनके जीवन में दाँत दो बार निकलते हैं। अतः इन जन्तुओं को द्विबारदंती या डाइफायोडॉन्ट (Diophyodont) कहते हैं । दाँत चार प्रकार के होते हैं : कृन्तक (Incisors)-कुतरने के लिए, भेदक (Conine)-माँस फाड़ने के लिए, अग्रचर्वणक (Pre-Molars) और चर्वणक (Molars)—चबाने एवं पीसने के लिए।
देहगुहा डायाफ्राम (Diophragm) द्वारा वक्षीय गुहा (Thoracic cavity) तथा उदरगुहा (Abdominal cavity) में विभाजित होती है। हृदय में चार कोष्ठ होते हैं। शिरा विवर (Sinus venosus) अनुपस्थित होता है। केवल बायाँ महाधमनी चाप (Left systemic arch) पाया जाता है। लाल रक्त-कण (R.B.C.) गोलाकार एवं केन्द्रकहीन (Non- nucleated) होते हैं।
शुद्ध एवं अशुद्ध रुधिर अलग-अलग होता है। फेफड़े प्लूरल गुहा (Pleural cavities) में बन्द रहते हैं।स्तनधारी वर्ग के प्राणियों का मस्तिष्क अपेक्षाकृत बड़ा व अधिक विकसित होता है। सेरीबम (Cerebrum) तथा सेरीबेलम (Cerebellum) अधिक जटिल एवं बड़े होते हैं।सेरीबम के दोनों भागों को परस्पर जोड़ने के लिए कार्पस कैलोसम(Corpus callosum) पाया जाता है। इन जन्तुओं में सात ग्रीवा कशेरुक होते हैं।
कशेरुक-मूल के दोनों सिरे चपटे (Amphiplatyan Centrum) होते हैं। इन जन्तुओं में एक जपन-तन्तूपास्थि सन्धि (Publie symphysis) होती है। वृक्क (Kidney) सेम के बीज की आकृति का होता है, मूत्रवाहिनी मूत्राशय में खुलती है। मोनोट्रीम जन्तुओं में मूत्रवाहिनी एक जनन-मूत्र कोटर (Urinogenital sinus) में खुलती है।
नर में मूत्र-मार्ग (Urethra) और जनन-वाहिनी (Genital Duct) मिलकर एक जनन-मूत्र नली बनाते हैं। मादा में मूत्र-मार्ग और जनन-नली एक योनि-प्रघाण (Vestibule) में खुलते हैं। प्राचीन स्तनधारियों में वृषण (Tests) उदर में स्थित होते हैं, परत अधिकाँश वर्तमान स्तनधारियों में वृषण (Testes) शरीर गुहा के बाहर वृषण-कोषों (Scrotal sacs) में पाये जाते हैं। नर में मैथुन के लिए मैथुन अंग शिश्न (Penis) पाया जाता है ।
अधिकांशतः.जन्तु बच्चे पैदा करने वाले अर्थात् जरायुज या विविपेरस (Viviparous) होते हैं, किन्तु जन्तु अण्डे देने वाले (Oviparous) भी होते हैं। जैसे—एकीडना (Echidna), एवं.डक-बिल प्लैटिपस (Duck-Billed Platypus)। इन जन्तुओं में निषेचन आन्तरिक (Internal fertilization) होता है। जबकि भ्रूण का विकास गर्भाशय (Uterus) में होता है। भ्रूण भादा के गर्भाशय से प्लैसेन्टा (Placenta) द्वारा जुड़ा रहता है और पोषण प्राप्त करता है। मादा (Female) में मासिक धर्म चक्र (Menstrual cycle) होता है।
स्तनधारी वर्ग को तीन उप-वर्ग में बाँटा गया है-
(1) प्रोटोथीरिया (Prototheria)
ऐसे स्तनधारी कईmलक्षणों में सरीसृपों (Reptiles) की तरह होते हैं। ये अंडे देने वाले (Oviparous) जन्तु हैं जिनके अण्डे कवच-युक्त (Shelled) होते हैं। अतः प्लेसेंटा (Placenta) नहीं पाया जाता । इनके स्तनों में स्तनाग्र (Teata) का अभाव होता है । बाह्य कर्ण पल्लवों (Pinnae) का अभाव होता है। ये जन्तु प्रायः आंशिक रूप से समतापी (Partially warm-blooded) होते हैं। इसके प्रमुख जन्तु हैं-एकिडना (Echidna), ऑर्निथोरिकस(Ornithorhynchus) या बत्तख चोंचा (Duck-Billed Platypus)।
(2) मैटाथीरिया (Metatheria)
इसका प्रमुख जन्तु आस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला कंगारू (Kangaroo) या मैक्रोपस (Macropus) है जो अल्प-विकसित बच्चे को देता है।अत: उसके पूर्ण विकास के लिए उसको मादा के उदर पर लगी थैलीनुमा शिशुधानी अर्थात् माँ पियम (Marsupium) में रखा जाता है। मार्सपियम में चूचक भी लगे होते हैं जिनसे शिशु दूध चूस सकते हैं। इनके मस्तिष्क में कार्पस कैलोसम नहीं होता है। इन जन्तुओं में वास्तविक या एलेंटोइक (Allantoic) प्लेसेण्टा अनुपस्थित रहता है तथा प्राय: योक सैक प्लेसेल (Yolk sac placenta) उपस्थित होता है।
(3) यूथीरिया या प्लैसेन्टिया (Eutheria Placentalia)
इस वर्ग में उच्च स्तनधारी सम्मिलित हैं, जिनमें बाह्यकर्ण होता है। भ्रूण मादा के गर्भाशय में विकसित होता है तथा इसमें एलेन्टोइक (Allantoic) प्लेसेंटा पूर्ण विकसित होता है। इन जन्तुओं में अवस्कर (Cloaca) का अभाव, गुदा (Anus) उपस्थित होता है । शिशुधानी (marsupium) का भी अभाव होता है। मस्तिष्क में कापर्स कैलोसम (Corpus callosum) उपस्थित होता है, तथा स्तन ग्रंथियों के बाहर चूचक (reats) पाए जाते हैं। यूथीरिया विभिन्न गणों (Order’s) में विभाजित किया गया है।
(i) गण-इनसेक्टीवोरा (Insectivora)
इस गण के प्रमुख जन्तु छ दर (Mole), सूज (Shrews), झाऊ चूहा (Hedgehog) है । ये जन्तु जमीन में बिल बनाकर रहते हैं। इनके दाँत नुकीले होते हैं, जिनसे रात्रि के समय निकल कर कीट पंतगों को भोजन के रूप में पकड़ते हैं।
ii) गण-काइरोप्टेरा (Chiroptera)
इस गण का प्रमुख जन्तु चमगादड़ (Bats) है, जो मुख्यतः रात्रिचर (Noeturnal) उड़ने वाले स्तनी हैं। इनके अगले पैर डैनों में रूपान्तरित होते हैं। इसलिए इनमें उड़ने की क्षमता होती है। पिछले पैर छोटे और वृक्ष शाखाओं तथा तारों से लटकने में सहायता करती हैं। इनके कर्णपल्लव (Pinna) बड़े होते हैं। इनमें प्रतिध्वनि निर्धारण की तीव्र क्षमता होती है। कुछ जातियाँ कीटभक्षी जैसे-वैम्पाइरस स्पेक्ट्रम (Vampyrus spectrum) जो स्तनियों का रुधिर-पान (Sanguivorous) करने वाली होती हैं, जबकि दूसरी जातियाँ फलाहारी (Frugivorous) होती हैं।
(iii) गण-लैगोमॉर्फा (Lagomorpha)
इसके प्रमुख जन्तु खरहा या लीपस (Hare-Lepus) शशक या खरगोश (Rabbit, Oryctologus) हैं। इनके ऊपरी जबड़े में तेज नुकीले नुकीले जोड़े इन्सीजर-दाँत (Incisor-Teeth) होते हैं तथा कैनाइन का अभाव होता है । पश्चपाद बड़े तथा दृढ़ जिनसे दौड़ने में सहायता मिलती है।
(iv) गण-रोडेन्शिया (Rodentia)
इसके प्रमुख जन्तु गिलहरी, घरेलू चूहा-रैट्स, चूहिया (माऊस) हैं। ये मुख्यतः शाकाहारी जन्तु हैं। इनके ऊपरी जबड़े में एक जोड़ा छेनी(Chisel) के आकार के इन्सीजर दाँत होते हैं। इनके कुछ जन्तु कीटभक्षी भी हैं।
(v) गण-सिटिसिया (Cetacea)
इसके प्रमुख जन्तु डाल्फिन (Dolfin), नीली ह्वेल (Blue Whale-Balaenoptera) हैं। यह मछली जैसे जलीय स्तनधारी,दीर्घकाय, ग्रीवाहीन शरीर, अगले पैर तैरने के लिए अनुकूलित,पिछला पैर एवं बाह्यकर्ण अनुपस्थित, त्वचा के नीचे वसा की एक मोटी पर्त होती है। जिसे ब्लबर (Blubber) कहते हैं। यह ताप-रोधक स्तर बनाता है। दाँतों का अभाव रहता है या इनेमल (Enamel) रहित होता है।
(vi) गण-कार्नीवोरा (Carnivora)
इसके प्रमुख जन्तु कुत्ता (Canis familaiaris), भेड़िया (Canis lupus), शेर(Felis or Pantheraleo), तेन्दुआ (Panthera pardus),बिल्ली (Felisdomestica),भालू (ine), लोमड़ी, सील (Phoca), नेवला हरपेस्टीज (Mongoose-herpesres)इत्यादि हैं। ये प्रमुखत: माँसाहारी (Carnivorous) तथा शक्तिशाली जन्तु होते हैं जो शिकार को पकड़कर फाड़ डालते हैं। इनके कैनाइन (Canine) दाँत लम्बे व नुकीले होते हैं जिनसे माँस को छीलने व फाड़ने में सहायता मिलती है। इनके पंजे.मजबूत तथा 5 या 4 अंगुलियाँ युक्त होते हैं।
(vii) गण-प्राइमेट्स (Primates)
इसके प्रमुख जन्तु मानव (Man) या होमो सेपिएन्स (Homo sapiens), बन्दर(Macaa), गोरिल्ला (Gorilla), चिम्पान्जी (Chimpanzee),गिब्बन (Gibbon), लीमर (Lemur) इत्यादि हैं। ये मुख्यतः वृक्षाश्रयी तथा स्थलीय, सर्वाधिक विकसित स्तनी हैं। हाथ व पैर काफी लम्बे, अंगुलियाँ 5-5 तथा नाखून-युक्त (Nailed),सेरिब्रम (Cerebrum) अधिक विकसित । इनमें बाइनॉक्युलर दृष्टि (Binocular vision) होती है । वृषण शरीर से बाहर वृषणकोष (Scrotal sac), में स्थित होता है। इनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता, बोलने की क्षमता तथा विकसित औजार बनाने की क्षमता होती है।
हमने क्या सीखा
दोस्तों इस आर्टिकल मे हमने जाना Mammalia in Hindi क्या होता है। Mammalia का हिंदी मतलब क्या होता है। Mammalia जुड़े हमें जितनी भी जानकारी प्राप्त हुई। उसे हमने आपके सामने प्रस्तुत किया है। अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई डाउट है। तो आप बेफिक्र होकर हमें कमेंट या ईमेल कर सकते हैं।
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