- जन्म-25 दिसम्बर, 1642
- जन्म स्थान-लिंकन शायर, इंग्लैंड
- निधन-20 मार्च, 1727
आधुनिक भौतिक विज्ञान के जन्मदाता सर आइजक न्यूटन ने गति के तीनों नियमों का पता लगाया और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत प्रतिपादित किया। न्यूटन ने गणित में कैलकुलस की नींव डाली तथा प्रिज्म की सहायता से सबसे पहले पता लगाया कि स्वेत रंग सात रंगों से मिलकर बना है।
सर आइजक न्यूटन का जन्म – Isaac newton biography in hindi
सन् 1642 के क्रिसमस का दिन। सारा ब्रिटेन क्रिसमस की खुशियों में डूबा था। उसी समय इंग्लैंड के एक छोटे से गांव के, खेतों में बने एक छोटे से घर में एक कमजोर से बालक ने जन्म लिया।
यह बालक मानो सचमुच संसार को क्रिसमस का एक अमूलय उपहार था। एक ऐसा नन्हा उपहार जिसे जन्म के समय डॉक्टरों ने यह कह दिया था कि वह बालक शायद ही ज्यादा दिन जिंदा रहे, परंतु जब वह बड़ा हुआ तो उसने संसार की तमाम मान्यताओं को बदल कर रख दिया। आज भी जिसकी गिनती इतिहास के गिने-चुने महान वैज्ञानिकों में की जाती है।
न्यूटन ( Isaac newton biography in hindi ) का बचपन बड़ा ही दिलचस्प रहा। 12 साल की उम्र में उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया। स्कूल में वे अधिक प्रतिभाशाली छात्र नहीं रहे, लेकिन चित्रकला और मशीनरी में उनको विशेष रुचि थी। यह देखते हुए उनके चाचा ने 19 वर्ष की आयु में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनटी कालिज में दाखिल करा दिया।
सर आइजक न्यूटन और गुरुत्वाकर्षण की खोज -Isaac Newton inventions in hindi
सन् 1664 की बात है एक बार वे छुट्टियां बिताने अपने गांव वूल्सथोर्प आए हुए थे। इसी गांव में उनकी मां का एक सुंदर-सा बगीचा था। एक दिन अपने बगीचे में एक सेब के पेड़ के नीचे बैठे हुए कुछ सोच रहे थे। तभी अचानक एक सेब पेड़ से नीचे गिरा। उनके मन में यह विचार आया कि यह सेब सीधा जमीन पर ही क्यों गिरा?
यह ऊपर, दाएं या बाएं क्यों नहीं चला गया? शेष दूसरी वस्तुएं भी जमीन की ओर ही क्यों गिरती हैं? उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि निश्चय ही सेब का जमीन की ओर गिरने का कोई विशेष कारण है। निश्चित रूप से कोई बल उसे भूमि की ओर खींच रहा है। यही नहीं एक फूल की छोटी-सी पंखुड़ी से लेकर विशाल तारों तक के बीच में भी कोई न कोई आकर्षण बल (Gravitation Force) है।
बाद में इसी आधार पर न्यूटन (Isaac newton hindi) ने विश्व-व्यापी गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
इस सिद्धांत के अनुसार “ब्रह्मांड में प्रत्येक वस्तु हर दूसरी वस्तु को एक आकर्षण बल द्वारा खींचती है, जो उनके द्रव्यमानों (डे) के गुणनफल के समानुपाती तथा दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।“
सर आइजक न्यूटन ( Isaac newton biography in hindi ) को भौतिकी का जन्मदाता कहा जाता है और उनकी गिनती आज भी विश्व के महानतम् वैज्ञानिकों में की जाती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस बच्चे के जन्म के बाद कुछ महीनों तक बचने की भी आशा न थी, वह बड़े होकर विश्व के महानतम् वैज्ञानिकों में से एक हुआ। सन् 1665 में न्यूटन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ही ग्रेजुएशन किया।
सौभाग्यवश उस कालिज में उन्हें गणित के जाने-माने प्रोफेसर आइजक बैरो (Isaac Barrow) के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रोफेसर बैरो को न्यूटन में असाधारण प्रतिभा के दर्शन हुए। प्रोफेसर बैरो ने सन् 1669 में अपना पद छोड़ दिया ताकि न्यूटन वहां प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हो जाएं। इस प्रकार 27 वर्ष की उम्र में न्यूटन ट्रिनटी कालिज में गणित के प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए।
न्यूटन के कार्यों से प्रभावित होकर सन् 1672 में उन्हें रॉयल सोसायटी, लंदन का फैलो चुना गया, जो अपने-आप में बहुत बड़ा सम्मान था।
सर आइजक न्यूटन प्रिज्म एक्सपेरिमेंट – Newton prism experiment showed that white sunlight in hindi
न्यूटन ( Isaac newton) ने प्रकृति के अनेक अनजाने रहस्यों का पता लगाया। उन्होंने बताया कि सूर्य का प्रकाश जो देखने में सफेद लगता है वास्तव में बैंगनी, जामुनी, पीले, नीले,हरे, संतरी तथा लाल-सात रंगों से मिलकर बना है। इन सात रंगों को एक प्रिज्म की सहायता से अलग-अलग किया जा सकता है।
इन सात रंगों को मिलाकर सफेद रंग बनाया जा सकता है। न्यूटन ( Isaac newton biography in hindi ) की डिस्क को घुमाने से सात रंग सफेद रंग में बदल जाते हैं।
सर आइजक न्यूटन और गति के नियम -Newton law of motion
न्यूटन ने गति के तीन नियम प्रतिपादित किए, जो आज भी विद्यार्थियों को पढ़ाए जाते हैं।
न्यूटन का गति-नियम (Newton’s laws of motion)-
भौतिकी के पिता न्यूटन ने सन् 1687 ई० में अपनी पुस्तक प्रिंसिपिया में सबसे पहले गति के नियम को प्रतिपादित किया था।
न्यूटन का प्रथम गति-नियम (Newton’s first law of motion) –
“यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है, तो वह विराम अवस्था में रहेगी या यदि वह एक समान चाल से सीधी रेखा में चल रही है, तो वैसी ही चलती रहेगी, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल लगाकर उसकी वर्तमान अवस्था में परिवर्तन न किया जाए।”
प्रथम नियम को गैलिलियो का नियम या जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
न्यूटन का द्वितीय गति-नियम (Newton’s second law of motion)-
“किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस वस्तु पर आरोपित बल के समानुपाती होता है, तथा संवेग परिवर्तन बल की दिशा में होता है।”
अब यदि आरोपित बल बल की दिशा में उत्पन्न त्वरण a एवं वस्तु का द्रव्यमान m हो, तो न्यूटन के गति के दूसरे नियम से F=ma,
न्यूटन के दूसरे नियम से बल का व्यजंक प्राप्त होता है।
नोट : प्रथम नियम दूसरे नियम का ही अंग है।
न्यूटन का तृतीय गति-नियम-Newton’s third law of motion)
“प्रत्येक क्रिया के बराबर, परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। “
उदाहरण- (i) बन्दूक से गोली चलाने
पर, चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगना (ii) नाव से किनारे पर कूदने पर नाव को
पीछे की ओर हट जाना (ii) रॉकेट को उड़ाने में।
साथ ही न्यूटन (Isaac newton) ने गणित में कैलकुलस की नींव डाली। वास्तव में न्यूटन ने गणित और भैतिकी को एक नया मोड़ दिया।
न्यूटन ने अपनी खोजों को दो पुस्तकों के रूप में छपवाया। प्रकाश से सम्बंधित उनके आविष्कार ‘आप्टिक्स’ (Opticks) नामक पुस्तक में छपे तथा दूसरे आविष्कार ‘प्रिन्सीपिया’ (Principia) नामक पुस्तक में। न्यूटन के विषय में यूं तो बहुत-सी बातें प्रसिद्ध हैं लेकिन
सर आइजक न्यूटन से जुडी एक दिलचस्प कहानी – some interesting fact’s about Isaac newton in hindi
एक घटना विशेष ही उनके महान व्यक्तित्त्व पर प्रकाश डालने के लिए काफी है। बात उन दिनों की है जब वे ट्रिनटी कॉलिज, कैम्ब्रिज में प्रोफेसर थे।
उस समय उनकी उम्र लगभग 51 वर्ष की थी। उस समय वे एक ऐसी पुस्तक लिखने में व्यस्त थे, जिसमें उनके पिछले वर्षों में किए गए सभी प्रयोगों का विवरण था। एक दिन वे गिरिजाघर में प्रातः कालीन प्रार्थना में चले गए। उनके पास एक स्वामी-भक्त कुत्ता था, जिसका नाम डायमंड था।
उनकी अनुपस्थिति में मेज पर एक चूहा आया और उनके कागज कुतरने लगा। कुत्ते ने जब यह देखा कि चूहा उसके मालिक के कागज कुतर रहा है तो वह चूहे पर झपटा। इस छीना-झपटी में मेज पर जलती हुई मोमबत्ती लुढ़क गई और कागजों में आग लग गई।
वापस आने पर न्यूटन ने देखा कि उनकी वर्षों की साधना राख में बदल गई है। कोई सामान्य व्यक्ति होता तो गुस्से में अपना आपा खो बैठता। क्रोध करने की बजाय न्यूटन ने अपने कुत्ते से केवल इतना ही कहा—’ओ डायमंड! तुझे पता नहीं है कि तूने क्या शैताची की है।
न्यूटन जीवन भर उच्च पदों पर काम करते रहने पर भी विज्ञान की सेवा में लगे रहे। सन् 1689 में वे विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप में पार्लियामेण्ट के सदस्य चुने गए।
सन् 1703 में उन्हें रॉयल सोसायटी, लंदन का अध्यक्ष चुना गया। उसके बाद वे जीवनपर्यन्त रॉयल सोसायटी के अध्यक्ष नियुक्त होते रहे। सन् 1705 में उन्हें महारानी ऐन ने कैम्ब्रिज में एक विशेष समारोह में सर की पदवी से विभूषित किया।
इन सब सम्मानों के बावजूद भी वे विज्ञान की सेवा में लगे रहे और उन्हें कभी भी अभिमान ने छूआ तक नहीं।
सर आइजक न्यूटन की मृत्यु – Isaac newton death
वृद्धावस्था में भी न्यूटन खगोलीय पिंडों से सम्बंधित खोज कार्यों में लगे रहे। 85 वर्ष की जीर्णावस्था में भी वे रॉयल सोसायटी की एक मीटिंग की अध्यक्षता करने गए लेकिन लौटने के दौरान वे बीमार पड़ गए। 20 मार्च, 1727 को उनका देहांत हो गया।
वैज्ञानिक के रूप में न्यूटन ( Isaac newton) की उपलब्धियों को गैलीलियो और अलबर्ट आइन्स्टीन के समकक्ष रखा जाता है। उनके महान योगदानों के लिए विश्व उन्हें कभी भुला नहीं सकता।
ये article” महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन की जीवनी – Isaac newton biography in hindi ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा