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पृथ्वी के बारे मे बेसिक जानकारी-Basic information about earth in hindi

पृथ्वी (Earth in hindi)—पृथ्वी शुक्र और मंगल के बिच स्थित ग्रह है। पृथ्वी सौरमंडल का अकेला ग्रह है, जहाँ जीवन है। इसका व्यास 12,756 किमी और सूर्य से औसत दूरी 14.96 करोड़ किमी है। यह सूर्य की परिक्रमा 365.25 दिनों में पूरी करती है। पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।

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पृथ्वी की उत्पत्ति(Internal structure of the Earth in hindi)

अन्य ग्रहों की भाँति पृथ्वी की शुरूआत उल्कापिंड के ठंडे समूह के रूप में हुई। सौरमंडल के अन्य ग्रहों में सिलिकॉन, लोहा और मैग्नीशियम के यौगिक अधिकतर पाए जाते हैं तथा अन्य तत्त्व भी अल्प मात्रा में होते हैं।

जैसे ही अधिकाधिक उल्कापिंड पृथ्वी से टकराए और उससे चिपक गए, उनकी गतिज ऊर्जा ऊष्मा में बदल गई । यूरेनियम, थोरियम और पोटैशियम के परमाणुओं के विघटन से और पृथ्वी के संपीडन से भी पृथ्वी गर्म हुई और उसकी उत्पत्ति.के करीब 80 करोड़ वर्ष बाद वह अंततोगत्वा पिघल गई। फलस्वरूप, पृथ्वी के अस्तित्व के पहले 80 करोड़ वर्षों का इतिहास मिट गया।

एक बार पिघल जाने पर पृथ्वी अपने गुरुत्व के अधीन फिर से संघटित होने लगी। जैसे ही पृथ्वी का ताप बढ़ा लोहा पिघल गया। पिघला लोहा बड़ी-बड़ी बूंदों के रूप में बह सकता था। ये भारी बूंदें पृथ्वी के केन्द्र की ओर गिरने लगी जिसके फलस्वरूप अपेक्षाकृत हल्के घटक विस्थापित होकर सतह पर आ गए।

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इस प्रकार आद्य पर्पटी बनी। गुरुत्व के कारण पृथ्वी के केन्द्र पर गए लोहे से पृथ्वी का क्रोड बना । पृथ्वी का परतदार अवस्था में संघटन विभेदन कहलाता है। विभेदन के दौरान आद्य पदार्थों के(about earth in hindi) अणुओं में फंसी गैस और भाप विमोचित हुई जिससे वायुमंडल और महासागरों की उत्पत्ति हुई।

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विभेदन के फलस्वरूप पृथ्वी का संघटन तीन मुख्य परतों-पर्पटी, मेंटल या प्रावार और क्रोड-में हुआ। पर्पटी का तीन भाग जल से भरा हुआ है और पर्पटी वायुमंडल से घिरा हुआ (आवृत्त) है।

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पृथ्वी की पर्पटी–

महाद्वीपों के नीचे यह 35 से 65 किमी. तक मोटी हो सकती है जबकि महासागरों के नीचे यह करीब 10 किमी. तक मोटी है।

मैंटल—

पृथ्वी के क्रोड और पर्पटी के बीच का क्षेत्र मैंटल या प्रावार कहलाता है । यह पर्पटी की तली से करीब 2900 किमी. की गहराई तक फैला होता है। यह आशा की जाती है कि मैंटल अधिकतर लोहे के और मैग्नीशियम के सिलिकेटों से बना है। मैंटल में उच्च दाब के अधीन चट्टान सामान्यत: ठोस अवस्था में रहते हैं।

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क्रोड-

इसमें भीतरी ठोस गोला होता है जो बाहरी तरल खोल से ढंका रहता है । पृथ्वी के केन्द्र पर ताप करीब 4000°C है और दाब करीब 37 लाख गुना वायुमंडलीय दाब है। भीतरी क्रोड में इन उच्च दाबों के कारण लोहा उच्च ताप के बावजूद ठोस अवस्था में रहता है। फिर भी बाहरी क्रोड में, जहाँ दाब कम है, लोहा पिघला हुआ रहता है।

यह article “पृथ्वी के बारे मे बेसिक जानकारी-Basic information about earth in hindi “पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।

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