प्रज्वलित दुमदार पिण्डों को धूमकेतु अथवा कॉमेट कहते हैं। ये आकाश में कभी-कभार ही दिखाई पड़ते हैं। यह किसी भी ठोस पदार्थ (solid objects) से निर्मित नहीं होते। ऐसा माना जाता है कि ये छोटे-छोटे सूक्ष्म ठोस कणों(solid particles) के आकार में धूल व गैसों के तूफ़ानों के रूप में उठते हैं।
भले ही धूमकेतु प्रत्यक्ष रूप से सुन्दर व ठोस आकार में आकाश (space) में चमकते दिखाई देते है , लेकिन ये गैस व धूल के सूक्ष्म से कण ही होते हैं। प्रकट होते समय धूमकेतु (comets) सर्वप्रथम प्रकाश के सूक्ष्म बिन्दु के आकार में ही दिखाई पड़ता है, चाहे इसका व्यास हजारों मील का ही क्यों न हो। यह प्रकाश-बिन्दु (light points) ही धूमकेतु या पुच्छल तारे(comets meaning in hindi) की नाभिका होती है।
इसे ही धूमकेतु (comets) का शीर्ष भी कहते हैं। इस शीर्ष को धूमकेतु के ‘कोमा’ की संज्ञा भी दी जाती है। इस शीर्ष या कोमा पर चमकती गैसों (gas) के विशाल बादल अथवा धुंधले बर्फ समान इतने हल्के गोले से होते हैं जिन्हें सूर्य की वायु (solar winds) सहज ही उड़ा ले जाती है और जैसे-जैसे सूर्य की विकिरणें (radiation) इनके आर-पार होती हैं, ये गैसें आयनीकृत (ionization) होकर प्रकाश से प्रज्वलित हो जाती हैं।
धूमकेतु के मुख्य भाग -Comets define in hindi
किसी भी धूमकेतु (comets) के तीन प्रमुख भाग होते हैं। पहला इसका व्युक्लियस (nucleus ) अथवा केन्द्रबिन्दु जो बर्फ व धूल से निर्मित होता है। इसे प्रायः ‘डर्टी स्नोबाल’ या कलंकित हिमकन्दुक की संज्ञा भी दी जाती है जिसका व्यास एक मील से लेकर हज़ारों मीलों तक लम्बा हो सकता है।
गैस धूल रूपी ‘कोमा’ इसका दूसरा भाग और तीसरा भाग है इसकी दुम जो इसके सूर्य (sun) के निकट आने पर ही प्रकट होती है । इसके कोमा का व्यास भी एक से डेढ लाख कि. मी. तक का होता है और दुम भी कोई 10 कि. मी. की। जब सौर वायु इन गैसों को ठंडा कर वापिस लाती है, तब धूमकेतु की दुम बनती प्रतीत होती है। ज्यों-ज्यों धूमकेतु (comets) सूर्य के निकट आता-जाता है, त्यों-त्यों इसकी दुम लम्बी, और ऐरिजोना से दिखने वाला एक धूमकेतु(comets meaning in hindi) लम्बी होती चली जाती है क्योंकि बढ़ती हुई
सौर वायु का दबाव(pressure of air) क्रमशः अधिकतर होता चला जाता है। अतः ज्यों-ज्यों धूमकेतु सूर्य से दूर पहुंचता चला जाता है, त्यों-त्यों सौर वायु ( solar wind ) का दबाव भी गैसों के विरुद्ध तीव्र होता चला जाता है। यही कारण है कि धूमकेतु की दुम सदा ही सूर्य की विपरीत दिशा में संकेतरत रहती है।
दूसरे शब्दों में, ज्यों-ज्यों धूमकेतु (comets) सूर्य के निकट पहुंचता है, त्यों-त्यों इसकी पूंछ प्रकट होती है। सूर्य के प्रभाव क्षेत्र में आने से धूमकेतु के केन्द्रबिन्दु से अत्यन्त सूक्ष्म गैस एवं द्रव्य के चमकदार कण दुम के आकार में उठ खड़े होते हैं। ज्यों-ज्यों इस पूंछ की लम्बाई व चमक बढ़ती जाती है, त्यों-त्यों यह सूर्य के निकट आता जाता है। परन्तु सूर्य की रोशनी के दबाव के फलस्वरूप ये सूक्ष्म-कण धूमकेतु (comets) के शीर्ष को अत्यधिक प्रज्वलित करते हुए सूर्य की विपरीत दिशा में एक लम्बी दुम बनाते दिखाई देते हैं। अतः जब धूमकेतु (comets meaning in hindi)
सूर्य से दूर जाता दिखाई देता है, तब इसकी दुम आगे-आगे ही चलती है। इसकी गति धीरे-धीरे कम हो जाने पर धूमकेतु दृष्टि से ओझल हो जाता है। फिर भी धूमकेतु कई वर्षों तक आंख से ओझल रहते हैं, फिर भी कभी न कभी उन्हें दोबारा सूर्य के सामने आना ही होता है।
क्या धूमकेतु सौर परिवार का हिस्सा है ? -Comets fact’s in hindi
हाँ धूमकेतु (comet’s ) भी सौर परिवार (solar system )के सदस्य हैं। ये भी सूर्य के इर्द-गिर्द अपने पथ पर अनियमित रूप से चक्कर पर चक्कर काटते रहते हैं। उनको अपना यह चक्कर पूरा करने में कभी-कभी तो हज़ारों वर्ष लगते हैं क्योंकि उनका परिक्रमा पथ (planetary orbit ) अत्यन्त लम्बा होता है।
जैसे ‘एन के’ नामक धूमकेतु (comets)प्रत्येक तीन वर्षों के अन्तराल पर पुनः दिखाई देता है, हैलीज़ नामक धूमकेतु (Halley comet) 76 वर्षों में अपनी परिक्रमा सम्पूर्ण कर फिर प्रकट हो उठता है। पिछली बार यह 1910 व 1986 में प्रकट हुआ। यह सूर्य के इर्द-गिर्द उल्टी दिशा में चक्कर काटता है।
निरन्तर निश्चित समय बाद दिखाई देने वाले धूमकेतुओं को आवर्ति धूमकेतु की संज्ञा दी जाती है। जब कोई धूमकेतु लम्बे समय के लिए अदृश्य रहता है तो प्रायः यह समझा जाता है कि यह लुप्त हो गया है। वस्तुतः न ही यह लुप्त होता है न ही नष्ट। यह भी कहा जाता है कि ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण (gravitational ) के परिणामस्वरूप कुछ धूमकेतु अपने नियमित पथ से भटककर छोटा पथ अपना लेते हैं और दूसरे ग्रह क्षेत्र में स्थानान्तरित हो जाते हैं। उदाहरणार्थ, बृहस्पति ग्रह ने इस प्रक्रम में अनेक धूमकेतु एकत्र कर लिए हैं।
धूमकेतुओं की पूंछ आकार व परिमाण में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। कुछ छोटी एवं खूटीदार और कुछ लम्बी व पतली-सी। इनकी लम्बाई कम से कम 50 लाख मील होती है तथा कभी-कभी दस करोड़ मील लम्बी भी। कुछ धूमकेतु बिना दुम के भी होते हैं। फिर अब तक लगभग एक हज़ार धूमकेतुओं की सूची बनाई जा चुकी है, फिर भी यह कहा जा सकता है कि सौरमण्डल (solar system ) में अनन्त धूमकेतु (infinite comets) हो सकते हैं, जिनको जानना व पहचानना विज्ञान(science ) के लिए अत्यन्त रोचक विषय है।
कभी ऐसा भी समय था जब धूमकेतु देखना अपशगुन माना जाता था तथा इन्हें कई प्रकार के संक्रामक रोगों, युद्ध, मृत्यु आदि का संकेतक समझा जाता था। रूढ़िवादी आज भी इन्हें इसी प्रकार की मुसीबतों का दाता मानते हैं। यह भी सत्य है कि कुछ न कुछ धूमकेतु तो सदा के लिए भी अदृश्य हो जाते हैं, विशेषकर जब वे टूट-टूटकर इतने छोटे हो जाते हैं कि उनको देखना सम्भव नहीं रहता।
वे टूट-टूटकर उल्का-धूल के आकार अपना लेते हैं। इस प्रकार यद्यपि कुछ धूमकेतु (comets meaning in hindi) तो अन्ततः अपना रूप परिवर्तित करते हैं और धीरे-धीरे अनंत space मे घूम होकर नष्ट हो जाते है.
ये article”धूमकेतु क्या है ? सम्पूर्ण जानकारी हिंदी – Comets meaning in hindi ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा