समस्थानिक का सामान्य अर्थ समानस्थान में रहने वाला अर्थात् आवर्त सारणी (periodic table) में समानस्थान में रहने वाला। आवर्त सारणी में समानस्थान में वे ही तत्व रहते हैं जिनकी परमाणु संख्या समान होती है लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न भिन्न होती है।उन्हें हम समस्थानिक(Isotope in hindi) कहते हैं
समस्थानिक की परिभाषा-” वैसे तत्व जिनके परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान सांख्य भिन्न-भिन्न होती है उन्हें हम समस्थानिक कहते हैं”
प्रकृति में प्रायः तत्वों के अनेक परमाणु ऐसे होते हैं, जिनकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या अलग-अलग होती है। किसी एक तत्व के ऐसे ही परमाणु को समस्थानिक कहते हैं। इस प्रकार एक ही तत्व के वे परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है, उसे समस्थानिक कहते हैं। स्पष्टतः परमाणु संख्या समान होने का अर्थ है कि परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की संख्या समान है और द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होने का अर्थ है नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न-भिन्न हैं। इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि वे तत्व जिनके परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की संख्या समान हो लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न-भिन्न हो उसे समस्थानिक कहते हैं।
समस्थानिकों के गुण-Properties of the Isotope in hindi
समस्थानिकों के मुख्यतः निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं-
(i) एक ही तत्व के सभी समस्थानिकों के भौतिक गुण (Physical properties)भिन्न-भिन्न होते हैं, क्योंकि नाभिक में न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न-भिन्न होती है। यही कारण है कि तत्व का परमाणु द्रव्यमान, घनत्व, गलनांक, क्वथनांक इत्यादि भिन्न-भिन्न होते हैं।
(ii) एक ही तत्व के सभी समस्थानिकों के रासायनिक गुण समान होते हैं; क्योंकि समस्थानिकों(Isotope in hindi) में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन की संख्या समान होती है। इस कारण इसके इलेक्ट्रॉनिक वन्यास समान होते हैं और संयोजी इलेक्ट्रॉन (valence electron) की संख्या समान होती है। इस प्रकार इसके रासायनिक गुण समान होते हैं ।
(iii) चूँकि समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होती है। अतः इनमें प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉन एक समान होते हैं।
(iv) एक ही तत्व के सभी समस्थानिक आवर्त सारणी में एक ही स्थान पर रहते हैं, क्योंकि इसके बाह्यतम अथवा बाहरी कक्षा में समान इलेक्ट्रॉन होते हैं।
समस्थानिकों का अनुप्रयोग-Applications of Isotope in hindi
कुछ समस्थानिकों में विशेष प्रकार के गुण होते हैं जिसके कारण हम इनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न उद्देश्यों के लिये करते हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण समस्थानिकों(Isotope in hindi) के उपयोग निम्नलिखित हैं-
(i) कैंसर रोग के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक (Cobalt-60) का उपयोग होता है।
(ii) यूरेनियम के एक समस्थानिक (Uranium-235) का उपयोग परमाणु भट्ठी में ईंधन (fuel) के रूप में होता है।
(iii) जमीन के अन्दर बिछाई गई जल पाइप, तेल पाइप, गैस पाइप आदि के रिसाव (leakage) का पता लगाने के लिए समस्थानिक का उपयोग किया जाता है।
(iv) मानव शरीर में ट्यूमर का पता लगाने में आर्सेनिक के समस्थानिक (Arsenic-74) का उपयोगकिया जाता है।
(v) अस्थि रोग को दूर करने के लिए फॉस्फोरस के समस्थानिक का उपयोग होता है।
(vi) घेघा रोग के इलाज में आयोडीन के समस्थानिक (Iodine) का उपयोग किया जाता है।
(vii) मानव शरीर में रक्त प्रवाह की चाल पता लगाने के लिए सोडियम के समस्थानिक(sodium-24) का उपयोग किया जाता है।
(viii) रुधिर कैंसर के उपचार में फॉस्फोरस के समस्थानिक (Phosphorus-32) का उपयोग किया जाता है।
(ix) मृत जानवरों, पेड़-पौधों, पत्थर के पुराने नमूनों तथा पृथ्वी की आयु ज्ञात करने में कार्बन के समस्थानिक (Carbon-14) का उपयोग किया जाता है।
रेडियो समस्थानिक-Radio Isotope in hindi
किसी स्थाई तत्व पर जब तीव्र वेग वाले प्रोटॉन अथवा न्यूट्रॉन अथवा अल्फा कणों से प्रहार करके उसे रेडियोसक्रिय तत्व में परिवर्तित कर दिया जाता है तो निर्मित रेडियोसक्रिय तत्व रेडियो समस्थानिक(Isotope in hindi) कहलाते हैं।
समभारिक-Isobars in hindi
अभी तक हमने देखा कि एक ही तत्व में समान परमाणु संख्या के लिए इसी तत्व के द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होते हैं जो समस्थानिक कहलाते हैं। लेकिन यह भी संभव है कि भिन्न-भिन्न परमाणु संख्या वाले भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं में द्रव्यमान संख्या समान हो सकती है। ऐसे भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु समभारिक कहलाते हैं। अर्थात् भिन्न-भिन्न परमाणु संख्या वाले तत्वों का जिसकी द्रव्यमान संख्या समान होती है समभारिक कहलाते हैं।
इस प्रकार समभारिकों में उनके नाभिकों में प्रोटॉन की संख्या भिन्न-भिन्न होती है और उनमे न्यूक्लियॉनों अर्थात् द्रव्यमान संख्या (प्रोटॉन + न्यूट्रॉन) की संख्या कम होती है। समभारिक को हम निम्नलिखित उदाहरणों की सहायता से भली-भाँति समझ सकते हैं
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