Glass meaning in hindi-हमारे दैनिक जीवन में काँच (glass in hindi) का महत्वपूर्ण स्थान है। मानव क्रियाकलाप का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ काँच किसी-न-किसी रूप में इस्तेमाल में न आता हो। इसका उपयोग घरेलू कामकाज की चीजों से लेकर अनुसंधानशालाओं तक अनेकानेक रूपों में होता है।
काँच में कुछ ऐसे असाधारण गुण होते हैं जिनके कारण विभिन्न क्षेत्रों में इसका व्यापक उपयोग होता है। इसके गुणों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण है—प्रकाश के प्रति इसकी पारदर्शिता । इसका दूसरा महत्वपूर्ण गुण यह है कि गर्म किए जाने पर यह मुलायम हो जाता है, जिसके कारण इसे साँचों में ढालकर इसके विभिन्न आकृति एवं आकार की वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं।
काँच के संघटन में जटिलता एवं चरता (variability) होने के कारण काँच की कोई एक सरल परिभाषा देना मुश्किल है। परंतु यह कहा जा सकता है कि काँच साधारणतः सिलिका और सोडियम तथा कैल्शियम या अन्य धातुओं के सिलिकेटों का बेरवादार कठोर, परंतु भंगुर,
पारदर्शक, अपारदर्शक या अल्प पारदर्शक समांगी मिश्रण होता है।
काँच के उपयोगिता के विभिन्न क्षेत्र (Various area of utilities of the glass in hindi)-
काँच के उपयोग का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। हमारे दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले वस्तुओं, जैसे घरेलू बरतन और विद्युत-बल्ब से लेकर प्रयोगशालाओं तथा कारखानों में इस्तेमाल किए जानेवाले अनेकानेक औजारों तथा यंत्रों को बनाने में काँच(glass in hindi) का उपयोग होता है। काँच को काटा या तराशा जा सकता है तथा इसकी चादरें (sheets) भी बनाई जा सकती है।
पिघले हुए काँच को साँचों में ढालकर विभिन्न आकृति एवं आकार के बरतन, सजावट की वस्तुएँ या संग्राहक बनाए जा सकते हैं। फूंकनी कला द्वारा गलित काँच से नलियाँ, रेशा, तार आदि बनाए जा सकते हैं। एक निपुण काँच (Glass meaning in hindi)फूंकनेवाला कलाकार काँच से आश्चर्यजनक एवं जटिल सामग्रियाँ ठीक उसी प्रकार बना सकता है, जिस प्रकार निपुण कुम्हार अपने चाक पर गीली मिट्टी से भाँति-भाँति के बरतन, खिलौने और सजावट की वस्तुएँ बना लेता है।
काँच की प्रकृति (Nature of the glass in hindi):
हालाँकि काँच ठोस जैसा दिखता है, परंतु यह ठोस न होकर एक अतिशीतलित द्रव(supercooled liquid) है । काँच की आंतरिक संरचना न तो किसी ठोस की तरह सुव्यवस्थित एवं रवेदार होती है और न ही इसका कोई निश्चित द्रवणांक (melting point) होता है।
अतिशीतलन (Super cooling glass in hindi):
किसी द्रव को रवेदार ठोस में परिवर्तित किए बिना उसे अपने हिमांक (freezing point) से कम ताप तक ठंडा करने की प्रक्रिया को अतिशीतलन (supercooling) कहते हैं। अतिशीतलन प्रायः श्यान द्रवों (viscous liquids) में होता है और काँच इस प्रक्रिया का चरम उदाहरण है, क्योंकि गलित काँच (glass in hindi)(द्रव) को ठंडा करने पर रवेदार ठोस में बदले बिना ही इसका पिंडन हो जाता है।
काँच का निर्माण-Formation of glass in hindi
काँच मुख्यतः सिलिका (SiO2), जो बालू( रेट ) का मुख्य संघटक है, से बनता है। संगलित (fused) सिलिका एक उत्तम कोटि का काँच बनाता है, जिसे क्वार्ट्स काँच (quartz glass) कहते हैं। इसका ऊष्मीय प्रसार गुणांक (thermal coefficient of expansion) बहुत कम होता है। इसीलिए क्वार्ट्ज काँच(glass in hindi) का एक विशेष गुण यह है कि ताप में अचानक उतार-चढ़ाव से यह अप्रभावित रहता है, जबकि अन्य साधारण किस्म के काँच ताप में एकाएक उतार-चढ़ाव होने से चटककर चूर-चूर हो जाते हैं। बालू का द्रवणांक उच्च (1700°C) होने के कारण क्वार्ट्स कौंच (Glass meaning in hindi)का निर्माण काफी खर्चीला होता है।
अतः काँच के निर्माण में आनेवाले व्यय को कम करने के लिए बालू में गालक (flux) मिला दिया जाता है, जिससे बालू का द्रवणांक कम हो जाता है।साधारण काँच के निर्माण में सोडियम ऑक्साइड (Na2O) को गालक के प्रयुक्त किया जाता है। सामान्यतः सोडियम ऑक्साइड कच्ची सामग्री सोडा राख (जो सोडियम कार्बोनेट होता है) से प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार से निर्मित काँच(glass in hindi) को जल काँच (water glass) कहते हैं। यह जल में विलेय होता है, जो काँच के लिए सर्वथा अवांछनीय है। परंतु इस काँच के भी कई उपयोग हैं।
जल काँच विलयन का उपयोग अंडों के संरक्षण, लकड़ी की बनी वस्तुओं को अग्निसह (fire-proof) बनाने तथा सस्ते किस्म के साबुन बनाने में होता है।
सिलिका एवं सोडियम कार्बोनेट के मिश्रण में चूना या चूना पत्थर को मिलाकर गलाने पर प्राप्त काँच जल में अविलेय होता है। इन कच्ची सामग्रियों से बने काँच सबसे सस्ते एवं साधारण होते हैं। इन्हें सोडा-चूना सिलिका काँच अथवा सोडा काँच(Glass meaning in hindi) भी कहते हैं।
सोडा काँच का निर्माण (Formation of soda glass in hindi) :
जैसा कि पहले बताया गया है, साधारण काँच के निर्माण में कच्चे माल के रूप में बालू अर्थात् सिलिका (SiO,), सोडा राख (Na2co) एवं चूना पत्थर (CaCO) का उपयोग किया जाता है। इन्हें अलग-अलग पीसकर इनका चूर्ण बना लिया जाता है। अब, इन्हें उचित अनुपात में मिलाकर प्राप्त मिश्रण को पुनः पीसा जाता है, ताकि समांग बारीकपाउडर प्राप्त हो जाए।
प्राप्त महीन पाउडर में टूटे काँच(glass in hindi) के कुछ छोटे-छोटे टुकड़े, जिन्हें क्यूलेट कहते हैं और जो गालक का काम करते हैं, मिलाकर मिश्रण को एक पुनरुत्पादक भट्ठी (regenerative furnace) में 1200°C से 1400°C तक गर्म किया जाता है। भट्ठी के उच्च ताप पर मिश्रण के प्रत्येक अवयव पिघल जाते हैं
जब CO2, गैस का निकलना बंद हो जाता है तो संगलित मिश्रण को धीरे-धीरे लगभग 800°C ताप तक ठंडा किया जाता है। इस ताप पर प्राप्त काँच (Glass meaning in hindi)इच्छित श्यानता (viscosity) तथा सुनम्यता (plasticity) प्राप्त कर लेता है। इस अवस्था में प्राप्त मुलायम काँच को दावकर,ढालकर या फूंककर इच्छित आकार एवं आकृति की बोतलें,बिजली के बल्ब, खिड़कियों के शीशे, दर्पण, घरेलू बरतन, काँच की नलियाँ आदि बना लिये जाते हैं।
तापानुशीतन (Annealing Glass meaning in hindi) :
उपर्युक्त विधि से प्राप्त काँच से निर्मित वस्तुओं को अचानक ठंडा किया जाता है। काँच ऊष्मा का कुचालक होता है। अतः इन्हें अचानक ठंडा करने पर इनका बाहरी भाग जिस दर से ठंडा होकर सिकुड़ेगा, उस दर से उनका भीतरी भाग नहीं सिकुड़ पाएगा। फलतः वे चटक जाएँगे या टूटकर चूर हो जाएँगे। अतः निर्मित काँच (glass in hindi)की वस्तुओं को ऐसे बंद कक्ष में रखते हैं जिसका ताप बहतु धीरे-धीरे कम होकर कमरे के ताप तक पहुँचता है। इस ढंग से पिघले काँच को धीरे-धीरे ठंडा करने की विधि को तापानुशीतन (annealing) कहा जाता है।
इस विधि से बने सोडा काँच(Glass meaning in hindi) सबसे सस्ते और साधारण काँच होते हैं जिनसे खिड़कियों के शीशे, दर्पण, घरेलू बरतन आदि बनाए जाते हैं। सोडा काँच का मृदुलन (softening) कम ताप पर ही होता है। इस कारण सोडा काँच को मृदु काँच (soft glass) भी कहते हैं।
सोडा काँच के दोष (Drawakes of soda glass Glass meaning in hindi):
सोडा काँच (साधारण काँच(glass in hindi)) का सबसे बड़ा दोष यह है कि ये भंगुर होते हैं और हल्की-सी ठोकर लगने पर टूट जाते हैं। ताप में अचानक उतार-चढ़ाव होने पर ये चटक जाते हैं। इन पर रासायनिक अभिकर्मकों (अम्ल, क्षार, लवण,कार्बनिक यौगिकों) का सरलता से प्रभाव पड़ता है। साधारण काँच में उपस्थित अशुद्धियों की थोड़ी मात्रा भी इन्हें प्रकाशिक यंत्रों (optical instrutments) में उपयोग के लिए अनुपयुक्त बना देती है।
रंगीन काँच बनाना (To form the coloured glass meaning in hindi) :
रंगीन काँच(glass in hindi) बनाने के लिए पिघले हुए काँच (fused glass) में धातु के ऑक्साइडों या लवणों की कुछ मात्रा मिला दी जाती है। जिस रंग का काँच बनाना होता है, उसी के अनुसार धातु के ऑक्साइड या लवण का चुनाव किया जाता है।
अन्य प्रकार के काँच-Other types of glass meaning in hindi
ऊपर क्वार्ट्ज काँच, जल काँच तथा सोडा काँच बनाने की जानकारी दी गई है। वर्षों के शोध के उपरांत कुछ अन्य प्रकार के काँच भी निर्मित किए गए हैं
जिनमें पारदर्शिता के मूल गुण के साथ साथ उनमें अन्य इच्छित गुणों, जैसे चीमड़ापन (toughness), कड़ापन (hardness), रासायनिक प्रतिरोधकता (chemical resitivity), स्पष्टता (clarity) और आघात प्रतिरोधकता(resistance to shock) का भी आवश्यकतानुसार समावेश कराया गया है। फलतः उपयोगिता एवं जनसाधारण के बीच इसकी लोकप्रियता में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। नीचे विभिन्न प्रकार के काँचों(glass in hindi) का वर्णन दिया गया है-
कठोर काँच (Hard glass meaning in hindi):
काँच के निर्माण में सोडियम कार्बोनेट की जगह पोटैशियम कार्बोनेट का उपयोग करने पर प्राप्त काँच कठोर कहलाता है। अतः कठोर काँच पोटैशियम सिलिकेट, कैल्शियम सिलिकेट एवं सिलिका का मिश्रण (K,SiOZ, CasiO3, 4SiO,) होता है। इस काँच का मृदुलन ताप (softening temperature) मृदु काँच की तुलना में उच्च होता है, जिसके कारण इसे कठोर काँच (glass in hindi)कहा जाता है। इसका उपयोग मुख्यतः प्रयोगशाला में प्रयुक्त होनेवाले कड़े काँच के उपकरणों को बनाने में होता है।
पट्टिका काँच (Plate glass in hindi):
धातु की परत पर पिघले काँच की परत फैलाकर काँच का निर्माण किया जाता है। यह साधारण काँच से काफी मोटा होता है तथा इसका पृष्ठ काफी चिकना होता है। इसका उपयोग मुख्यतः दुकानों की खिड़कियों तथा दरवाजों में किया जाता है।
सुरक्षित काँच (Safety glass meaning in hindi):
ये काँच हल्के आघात से टूटते नहीं हैं। इनका निर्माण पट्टिका काँच से किया जाता है, जिसकी प्रक्रिया निम्नलिखित है-
पट्टिका काँच(glass in hindi) को पहले गर्म करते हैं और तब इसके दोनों बाहरी पृष्ठों पर ठंडी वायु की धारा प्रवाहित की जाती है। ऐसा करने से पट्टिका काँच के दोनों बाहरी पृष्ठ ठंडे होकर संकुचित हो जाते हैं, जबकि इन दोनों पृष्ठों के बीच की परतें अभी भी गर्म रहती हैं। धीरे-धीरे जब भीतरी परतें ठंडी होकर सिकुड़ती हैं, तब यह बाहरी परतों को दबाती हैं। इस प्रकार से बना काँच साधारण काँच की अपेक्षा अधिक प्रबल होता है। इस काँच पर चोट (आघात) पड़ने पर आघात द्वारा आरोपित कोई भी खिंचाव बल पहले आघात वाले क्षेत्र को फैलाने में ही लग जाता.है। फलतः काँच (Glass meaning in hindi)के टूटने की संभावना घट जाती है।
स्तरित या गोलीरोधी काँच (Laminaed or Bullet proof glass meaning in hindi):
स्तरित काँच अति प्रबल काँच होते हैं जिनसे होकर बंदूक या पिस्तौल की गोलियाँ भी पार नहीं कर सकती हैं। इस कारण स्तरित काँच का उपयोग वायुयानों या कारों के वात परिरक्षी शीशों (wind shields), गोलीरोधी पर्दो (bullet proof screens), धूप चश्मे (goggles) आदि के निर्माण में होता है।
इसे बनाने के लिए सुरक्षित काँच (glass in hindi)की कई परतों को किसी पारदर्शी आसंजक (transparent adhesive) द्वारा एक दूसरे से जोड़ दिया जाता है। काँच की विभिन्न परतों की जोड़ों में मजबूती लाने के लिए ऊष्मा एवं उच्च दाब भी आरोपित किए जाते हैं। स्तरित काँच को बनाने.में सुरक्षित काँच की जितनी अधिक परतों को जोड़ा जाता है,
काँच उतना ही अधिक मजबूत होता जाता है। स्तरित काँच के पृष्ठ पर पड़ी दरार आसंजक परत पर समाप्त हो जाती है तथा उसका फैलाव रुक जाता है।
प्रकाशीय काँच (Optical glass meaning in hindi) :
प्रकाशीय काँच विशेष विधियों द्वारा बनाए गए ऐसे काँच होते हैं जिनमें किसी भी प्रकार का दोष या विकृति नहीं रहता है। प्रकाशीय काँच की दो मुख्य किस्में होती हैं-
(a) फ्लिंट काँच (Flint glass meaning in hindi) :
इस विशेष प्रकार के काँच(glass in hindi) के निर्माण में चूना पत्थर की जगह लेड कार्बोनेट या लेड ऑक्साइड (लिथार्ज, PbO) का उपयोग किया जाता है। इस कारण इसे लेड क्रिस्टल काँच (Glass meaning in hindi)भी कहते हैं। साथ ही, सोडियम कार्बोनेट की जगह सोडियम कार्बोनेट एवं पोटैशियम कार्बोनेट का मिश्रण लिया जाता है। अतः फ्लिंट ग्लास मुख्य रूप से सोडियम,पोटैशियम एवं लेड सिलिकेटों का मिश्रण होता है ।
इस काँच के अपवर्तनांक (refractive index) एवं घनत्व के मान उच्च होते हैं। इस कारण ये साधारण काँच से अधिक पारदर्शक होते हैं तथा चमकते हैं। इनका उपयोग कलात्मक वस्तुओं, विद्युत-बल्बों एवं महँगे प्रकाशिक उपकरणों, जैसे दूरबीन और सूक्ष्मदर्शी के निर्माण में होता है।
(b) क्राउन काँच (Crownglass meaning in hindi):
काँच के निर्माण में सिलिका का फॉस्फोरस पेंटाऑक्साइड (PbO) द्वारा अंशतः प्रतिस्थापन करने पर क्राउन काँच प्राप्त होता है। इसका उपयोग चश्मों के लेंस बनाने में होता है।
ऊष्मारोधी काँच (Heat resistance glass meaning in hindi) :
इस काँच का ऊष्मीय प्रसार गुणांक कम होता है। ऐसे काँच(glass in hindi) के निर्माण में सोडियम ऑक्साइड गालक को बोरिक ऑक्साइड (B2O3) द्वारा और कुछ चूने (CaO) को ऐलुमिना (Al2O3) द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है। इस विधि द्वारा निर्मित काँच बोरोसिलिकेट काँच कहा जाता है। इस काँच का द्रवणांक उच्च होता है
जिसके कारण इसमें ऊष्मा सहने की अधिक क्षमता होती है। गर्म किए जाने पर इसका फैलाव साधारण काँच की अपेक्षा बहुत कम (लगभग एक तिहाई) होता है। इस कारण प्रयोगशालाओं, रसोईघरों, कारखानों तथा भट्ठियों में, जहाँ वस्तुओं को उच्च तापमान तक गर्म किया जाता है,
इस काँच(glass in hindi) का इस्तेमाल किया जाता है।
फोटोक्रॉमिक काँच (Photochromic glass meaning in hindi) :
यह एक विशेष गुणवाला काँच होता है जो कड़े धूप या तीव्र प्रकाश की उपस्थिति में अस्थायी रूप से गहरे रंग का हो जाता है, परंतु प्रकाश की तीव्रता कम होते ही इसका रंग पुनः पहले जैसा हल्का हो जाता है। अतः कड़ी धूप से आँखों की सुरक्षा के लिए बनाए जाने वाले धूप चश्मे में इसका उपयोग होता है। इस काँच(Glass meaning in hindi) में यह विशेष गुण इसमें उपस्थित सिल्वर आयोडाइड (AgI) लवण के कारण होता है।
क्रूक्स काँच (Crookes glass meaning in hindi) :
यह एक विशेष प्रकार का काँच होता है जिसमें सिरियम ऑक्साइड (CeO2) मिला रहता है। सिरियम ऑक्साइड पराबैंगनी किरणों (ultraviolet rays) को, जो आँखों के लिए हानिकारक होती हैं, शोषित कर लेता है। इस कारण इसका उपयोग चश्मे के लेंस बनाने में होता है।
जेना काँच (Jena glass meaning in hindi) :
यह जिंक बेरियम बोरोसिलकेटों का मिश्रण होता है। यह साधारण काँच की तुलना में बहुत अधिक मजबूत होता है। इस पर अम्लों, क्षारों या प्रयोगशाला में काम आनेवाले अन्य अभिकर्मकों का भी बहुत कम प्रभाव पड़ता है। उत्तम क्वालिटी के प्रयोगशाला उपकरणों को बनाने में इस काँच (glass in hindi)का प्रयोग किया जाता है।
पाइरेक्स काँच (Pyres glass in hindi) :
काँच के निर्माण में बोरॉन ऑक्साइड (B2O3) एवं ऐल्युमिनियम ऑक्साइड (AI2O3) को एक निश्चित अनुपात में मिलाने पर पाइरेक्स काँच(glass in hindi) प्राप्त होता है। इस कांच प्रसार गुणांक बहुत कम होता है ताप मे एकाएक चढ़ा उतार का असर भी इस पर नहीं के बराबर पड़ता है अतः प्रयोगशाला में उपकरणों के निर्माण के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
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