Fertilizers in hindi-जिस प्रकार हमें स्वस्थ रहने के लिए विटामिनों (vitaminis) खनिजों (minerals), प्रोटीनों(proteins) आदि की आवश्यकता पड़ती है, उसी प्रकार पौधों के विकास के लिए भी कुछ तत्त्वों(Fertilizers meaning in hindi) की आवश्यकता होती है।
पौधों के विकास के लिए सबसे आवश्यक तत्त्व नाइट्रोजन,फॉस्फोरस एवं पोटैशियम हैं। पौधे मिट्टी से जल और पोषक तथा हवा से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करके अपना भोजन निर्माण करते हैं। परंतु, खेतों में बार-बार पौधों को उपजाने के कारण खेतों की मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम आदि की कमी हो जाती है, जिसके कारण खेतों की उर्वराशक्ति धीरे-धीरे घटने लगती है। अतः मिट्टी की उर्वराशक्ति को कायम रखने के लिए उसमें बाहर से खाद (manure) और उर्वरक (fertilizers in hindi) मिलाए जाते हैं।
खाद क्या है (Manure meaning in hindi)
ये पाकृतिक पदार्थ हैं जो मृत जंतुओं तथा पौधों के विघटन से प्राप्त होते हैं। खाद मिट्टी को आवश्यक तत्त्व तथा ह्यूमस प्रदान करते हैं जिससे मिट्टी उपजाऊ हो जाती है। खाद को जैव उर्वरक (organic fertilizer meaning in hindi) भी कहते हैं।
उर्वरक क्या है (Fertilizer in hindi)
ये मानवनिर्मित प्राकृतिक पदार्थ हैं जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। ये मिट्टी में आवश्यक पोषणकारी तत्त्वों (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम आदि) की आपूर्ति करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हैं। उर्वरकों को अजैविक अथवा कृत्रिम उर्वरक (inorganic or artificial fertilizer) भी कहते हैं।
उर्वरकों के प्रकार-Types of Fertilize meaning in hindi
उर्वरकों में विद्यमान पोषक तत्त्वों के आधार पर उर्वरकों को हम तीन भागों में वर्गीकृत करते हैं-
1)नाइट्रोजनी उर्वरक (Nitrogenous fertilizer in hindi)
2)फॉस्फेटी उर्वरक (Phosphatic fertilizer in hindi)
3) पोटाश उर्वरक (Potash fertilizer in hindi)
नाइट्रोजनी उर्वरक (Nitrogenous fertilizer in hindi):
पेड़-पौधों की समुचित वृद्धि के लिए आवश्यक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व नाइट्रोजन है। मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए मिलाए गए उर्वरक को नाइट्रोजनी उर्वरक कहते हैं। नाइट्रोजनी उर्वरकों में अमोनियम सल्फेट, अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, कैल्शियम तथा सोडियम नाइट्रेट प्रमुख हैं। यूरिया नाइट्रोजनी उर्वरकों में सबसे उत्तम उर्वरक (Fertilizers in hindi)है ।
इसमें लगभग 47% नाइट्रोजन उपस्थित रहता है। भारत में यह बिहार राज्य के सिंदरी एवं पंजाब राज्य के नंगल खाद कारखानों में तैयार किया जाता है । नाइट्रोजनी उर्वरकों के निर्माण में प्रयुक्त होनेवाला मूल पदार्थ अमोनिया (NH3) है । इसके उत्पादन के लिए इस शताब्दी के आरंभ में एफ. हेबर नामक एक प्रसिद्ध रसायनशास्त्री द्वारा आविष्कृत हेबर विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि में अमोनिया का निर्माण नाइट्रोजन के साथ हाइट्रोजन की अभिक्रिया (उच्च दाब पर एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति में) कराकर किया जाता है।
आज हमारे देश में इसका औद्योगिक उत्पादन 20 से भी अधिक रासायनिक संयंत्रों में किया जा रहा है।
फॉस्फेटी उर्वरक (Phosphatic fertilizer meaning in hindi):
स्वस्थ फसल के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन के बाद फॉस्फोरस का स्थान आता है। पेड़-पौधों से फॉस्फोरस को सामान्यतः डाइहाइड्रोजन फॉस्फेट आयन H2PO4 के रूप में ग्रहण करते हैं। मिट्टी में फॉस्फोरस की पूर्ति फॉस्फेटी उर्वरक(Fertilizers meaning in hindi) के रूप में की जाती है। प्रमुख फॉस्फेटी उर्वरकों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
चूने का सुपर फॉस्फेट (Super phosphate of lime): यह यह मोनोकैल्सियम हाइड्रोजन फॉस्फेट तथा जिप्सम का मिश्रण होता है । इसे बनाने के लिए प्रकृति में पाई जानेवाली फॉस्फेटयुक्त के स्थान पर जानवरों की हड्डी का राख भी लिया जा सकता है। अब फॉस्फोराइट अयस्क का
चूर्ण या जानवरों की हड्डी का राख में लगभग 70% गंधकाम्ल की आवश्यक मात्रा मिलाकर दो-तीन दिनों तक छोड़ दिया जाता है। अभिक्रिया के फलस्पवरूप प्राप्त फॉस्फोरिक अम्ल को चट्टानों से प्राप्त कैल्शियम लवणों के साथ मिलाकर इस मिश्रण को सीधे ही मिट्टी में मिला देते
हैं।
ऐसा करने से मिट्टी में फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ जाती है। अन्य फॉस्फेटी उर्वरकों में ट्रीपल फॉस्फेट और फॉस्फेटिक स्लैग प्रमुख हैं। नाइट्रो फॉस्फेट या कैल्शियम सुपर फॉस्फेट नाइट्रेट एक मिश्रित उर्वरक (Fertilizers in hindi)है जिसमें फॉस्फोरस और नाइट्रोजन,दोनों आवश्यक तत्त्व उपस्थित होते हैं। प्रकृति में प्राप्त फॉस्फोराइट अयस्क चूर्ण या हड्डियों की राख की अभिक्रिया नाइट्रिक अम्ल से कराकर इसे प्राप्त किया जाता है |
पोटाश उर्वरक (Potash fertilizer meaning in hindi):
फसलों की उत्तम वृद्धि एवं स्वास्थ्य के लिए मिट्टी मे पोटैशियम लवणों की भी आवश्यकता होती है। कृषि योग्य भूमि में पोटैशियम लवणों की कमी को पूरा करने के लिए पोटाश उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। पोटाश उर्वरकों में पोटैशियम क्लोराइड (KCI), पोटैशियम सल्फेट (K2SO4 ) और पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3) प्रमुख हैं।
ये सभी पोटैशियम लवण प्रकृति में पाए जाते हैं। चट्टानों को खनन करके प्रचुर मात्रा में पोटैशियम प्राप्त की जाती है। इसे समुद्री जल से भी प्राप्त किया जाता है। समुद्री जल से पोटैशियम लवणों को प्राप्त करने के लिए इससे सामान्य लवण (NaCl) पृथक कर लेने के पश्चात् बचे हुए अवशिष्ट पदार्थों (मातृद्रव) का प्रभाजी रवाकरण किया जाता है।
उर्वरकों के प्रयोग में सावधानी (Precautions taken in the use of fertilizers in hindi):
उर्वरकों के प्रयोग में निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए–
- उर्वरकों के प्रयोग के बाद मिट्टी की अच्छी तरह सिंचाई की जानी चाहिए।
- उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से फसलें नष्ट हो सकती हैं, अतः उर्वरकों का प्रयोग(Fertilizers meaning in hindi) आवश्यकतानुसार तथा मिट्टी की प्रकृति के अनुसार करना चाहिए।
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