किसी तालाब में पत्थर फेंकने पर पानी में गिरने वाले बिंदु से किनारे की ओर एक वृत्ताकार लहर दिखाई देती है आपने कभी सोचा है यह लहर क्या होती है और कैसे बनती है। विज्ञान की भाषा में हम इन्हें तरंग कहते हैं यह तिरंगे विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं। आज हम विद्युत चुंबकीय तरंग( electromagnetic waves Hindi) के बारे में जानेंगे।
विद्युत चुंबकीय तरंगे क्या होती है- What is electromagnetic waves Hindi
विद्युत चुंबकीय तरंगों को समझने से पहले हमें यह समझना होगा कि एक चार्ज पार्टिकल अपने चारों तरफ समय के साथ बदलता हुआ विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है।
जिस प्रकार तलाब में कंकर फेंकने पर लहर उत्पन्न होती है ठीक उसी प्रकार जहां पर बहुत सारे आवेशित कण मौजूद हो उनके बीच बिछोभ से भी लहरें उत्पन्न होती है। उत्पन्न हुई इन्हीं लहरों को हम विद्युत चुंबकीय तरंगे कहते हैं।
मतलब “विद्युत चुंबकीय तरंगे वे तरंगे होती हैं जो एक दूसरे के लंबवत तलों में विद्युत क्षेत्र और चुंबकीय क्षेत्र के कंपन से बनी हुई होती है तथा या कंपन तरंग के संचरण की दिशा के लंबवत होता है”
विद्युत चुंबकीय तरंगों का इतिहास- History of electromagnetic waves Hindi
1820 में वैज्ञानिक ओस्टेड ने एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने देखा कि जब किसी तार से विद्युत धारा गुजारी जाती है तब उसके चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी नोट किया कि डायरेक्ट करंट(DC)से उत्पन्न मैग्नेटिक फील्ड स्थिर होता है।
इसके बाद सन 1831 मे माइकल फैराडे ने यह ज्ञात किया कि जब किसी परिपथ के चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तब उस परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिस कारण उस परिपथ में विद्युत धारा उत्पन्न होने लगती हैं।
इसके कुछ सालों बाद सन 1865 में जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने यह पता लगाया कि जिस भी जगह पर चुंबकीय क्षेत्र या विद्युत क्षेत्र दोनों में से कोई एक समय के साथ बदल रहा होता है ठीक उसी समय दूसरा क्षेत्र भी स्वतः उत्पन्न हो जाता है। साथ ही इन क्षेत्रों में में तरंग जैसे गुण होते हैं।
हर्ट्ज़ का प्रयोग(hertz experiment )– सन 1887 में जर्मन वैज्ञानिक हर्ट्ज़ ने कंपन करने वाले आवेशित कणों द्वारा विद्युत चुंबकीय तरंगों को प्रयोगशाला में उत्पन्न किया आज की पूरी संचार प्रणाली के पीछे इनके प्रयोग का बड़ा हाथ है। इनके प्रयोग से पूरे विश्व जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ।
बॉस का प्रयोग(Bose’s experiment)– भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने अपनी कोलकाता की प्रयोगशाला में हर्ट्ज़ द्वारा उत्पन्न तरंगों से बहुत कम wavelength वाली तरंगों को उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की। इस प्रकार बेतार के तार की खोज हुई।
मारकोनी का प्रयोग(Marconi’s experiment)– जिस समय भारतीय वैज्ञानिक बॉस प्रयोग कर रहे थे ठीक उसी समय इटली के वैज्ञानिक मारकोनी भी अपने प्रयोग कर रहे थे। लेकिन इन्होंने अपने द्वारा उत्पन्न विद्युत चुंबकीय तरंगों को 2900 किलोमीटर दूर तक संचालित किया। और पूरी दुनिया को एक नए युग में लाकर खड़ा कर दिया।
आज भी रेडियो के आविष्कार का श्रेय मारकोनी को दिया जाता है जबकि इसमें भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस भी शामिल थे।
विद्युत चुंबकीय तरंगों की विशेषताएं-Characteristics of electromagnetic waves hindi
1) यह तरंगे विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से मिलकर बनी होती है जिसमें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र एक दूसरे के लंबवत होते हैं
2) इन तरंगों को चलने के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है यह तिरंगे निर्वात में प्रकाश की गति से चलती हैं दुनिया के अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है प्रकाश भी विद्युत चुंबकीय electromagnetic waves Hindi तरंगे होती है
3) यह तरंगे विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से मिलकर जरूर बनी है लेकिन इन तरंगों पर इन क्षेत्रों का कोई असर नहीं होता है।
4) विद्युत चुंबकीय तरंगों से संवेग उत्पन्न होता है मतलब विद्युत चुंबकीय तरंगे जिस सतह पर गिरती हैं उस पर दाब डालती हैं।
विद्युत चुंबकीय तरंगों के प्रकार- Type of magnetic waves in Hindi
विद्युत चुंबकीय तरंगों को दो भागों में बांटा गया है। (1) पहले भाग में वैसे विद्युत चुंबकीय तरंगे आती है जो मानव नेत्र को प्रभावित करती है जैसे दृश्य स्पेक्ट्रम।
(2) जबकि इस भाग में वैसे चुंबकीय तरंगे आती हैं जो मानव नेत्र को प्रभावित नहीं करती जैसे अदृश्य स्पेक्ट्रम।
A) अवरक्त किरणें (Infrared rays)– यह वैसी किरणे होती है जिनका wavelength 7.8×10^-7 से अधिक होता है जिसके कारण इनका हमारी आंखों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इन तीनों की खोज विलियम हारसेल ने सन 1800 मे की थी। जब कोई पदार्थ अत्यधिक मात्रा में गर्म हो जाता है तब उससे इन करणो का उत्सर्जन होता है।
B) सूक्ष्म या माइक्रो तरंगे(Microwaves)– इन तरंगों का तरंगदैर्ध्य कुछ मिली मीटर से लेकर10^-1 तक होता है इनकी खोज वैज्ञानिक हर्ट्ज़ ने 1888 मैं की थी इन तीनों की उत्पत्ति विशेष प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक परिपथ द्वारा होता है।
C) रेडियो तरंगे(Radio waves)– इन तरंगों का तरंगदैर्ध्य 100 किलोमीटर से लेकर 1 सेंटीमीटर के बीच होता है इन तरंगों का पूर्ण आंतरिक परिवर्तन आयन मंडल द्वारा होता है जिस कारण इसे पृथ्वी के किसी भी भाग में भेजा जा सकता है।
D) पराबैगनी तरंगे(Ultraviolet waves)- इन तरंगों की खोज रिटर ने सन 1801 मे किया था। इन तरंगों का तरंगदैर्ध्य 3800×10^-10 से लेकर 600×10^-10 मीटर तक होता है। प्रयोगशाला में इनकी उत्पत्ति विद्युत विसर्जन नलिका द्वारा किया जाता है।
सूर्य से निकलने वाली प्रकाश में लगभग सभी प्रकार के तरंगे होती हैं।
E)X-किरणे(X-rays) – इन तरंगो का तरंगदैर्ध्य 1×10^-10 से लेकर 100×10^-10 के बीच होता है इनका आविष्कार रोजतंन (Roentgen) ने 1895 ने किया था। जब कैथोड किरणें या तेजी से दौड़ रहे इलेक्ट्रॉन टंगस्टन जैसे तत्वों पर पड़ते हैं तब उनसे एक्स किरणों की उत्पत्ति होती हैं।
F) गामा किरणें( Gamma rays)– गामा किरणें की खोज हेनरी बैक्वेरेल ने की थी इन करणो का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है इनकी उत्पत्ति रेडियोएक्टिव पदार्थों के नाभिक से होती है कई प्रयोगों में पाया गया है गामा किरणों से अनुवांशिक परिवर्तन भी संभव है। कुछ बीजो पर गामा किरणों को डाला गया जिनसे उसकी नस्ले बदल गई।
विद्युत चुंबकीय तरंगों के उपयोग-Use of electromagnetic waves hindi
विज्ञान के हर क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग किया जाता है जीव विज्ञान से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान तक इसका दायरा फैला हुआ है। हम जिन मोबाइल से आज बातें करते हैं यह भी अविष्कार इन्हीं तरंगों से संभव हो पाया है।
रिमोट कंट्रोल, सेटेलाइट इन्वेंशन से लेकर कैंसर के इलाज तक में इन किरणों का महत्वपूर्ण योगदान है।
ये article ” विद्युत चुंबकीय तरंगे क्या होती है? परिभाषा, उपयोग और जानकारी – everything about electromagnetic waves Hindi” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा
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