कोशिका विज्ञान(Cytology in hindi)—संसार में सभी जीव, छोटे से अमीबा से
लेकर बडा हाथी तक छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बने हैं। कोशिका जीवधारियों की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है। यह अर्धपारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane) से ढ़की रहती है और इसमें स्वत: जनन की क्षमता होती है।
कोशिका की खोज 1665 में एक अंग्रेज वनस्पतिशास्त्री राबर्ट हुक (Robert Hooke) ने बोतल की कार्क के आधार में मधुमक्खी जैसे छत्ते देखे और इसे कोशिका (Cell) का नाम दिया।
राबर्ट हुक का अध्ययन उनकी पुस्तक “माइक्रोग्राफिया”(Micrographia) में प्रकाशित हुआ। ल्यूवेनहाक (Leeuwenhock) ने कोशिका के अन्दर के संघटन का अध्ययन किया। 1838 में वनस्पति शास्त्री श्लाइडेन (Schleiden) और जन्तु वैज्ञानिक श्वान (Schwann) ने कोशिका का सिद्धान्त (Cell Theory) प्रस्तुत किया।
कोशिका विज्ञान की महत्वपूर्ण खोज-(About Cytology in hindi)
19वीं सदी का अंतिम चौथाई काल कोशिका विज्ञान का क्लासिकल काल (Classical period of cytology) कहा जाता है क्योंकि इसी समय कोशिका विज्ञान(Cytology in hindi) के क्षेत्र में बहुत सी महत्वपूर्ण खोजें हुईं। इनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं-
•1833 में राबर्ट ब्राउन (Robert Brown, 1833) ने केन्द्रक (nucleus) की खोज की।
• जीवद्रव्य की खोज डुजार्डिन ने किया, जबकि इसका नामकरण पुरकिंजे (Purkinge) ने 1838 में किया था।
•जीव द्रव्य को प्रोटोप्लाज्म (Protoplasm) के नाम से भी जाना जाता है।
•जीवद्रव्य सिद्धान्त (Protoplasm theory)-शूल्ज (Schultze, 1861) ने दिया।
•गोलगी बॉडी उपकरण (Golgi body apparatus)-1867 में जार्ज (George) ने खोजा।
• केन्द्रिक (Nuclein) केन्द्रक के भीतर के इस संघनित भाग की खोज मीशर (Meischer) ने 1871 में की।
• 1876 में हर्टविंग (Hertwing) तथा 1877 मे फोल (Fol) ने पता लगाया कि जीव के अण्डाणु (ovam) निषेचन के समय एक शुक्राणु (Sperm) एक अण्डाणु से संयोजित (fusion) होता है।
•1880 में फ्लेमिंग (Flemming) ने क्रोमेटिन (Chromatin) का पता लगाया और कोशिका विभाजन के बारे में बताया।
•1888 में वाल्डेयर (Waldeyer) ने इसे क्रोमोसोम (Chramosome) नाम दिया।
• 1883 में स्चिम्पर (Schimper) ने पर्णहरित (Chloroplast) का नाम दिया।
• 1892 में वीजमैन (Weismann) ने सोमैटोप्लाज्म (Somatoplasm) तथा जर्मप्लाज्म (Germplasm) बीच विभेद दिया।
• पैलेड (G.E. Palade) ने राइबोसोम (Ribosomes) की खोज की, और नोबल पुरस्कार प्राप्त किया।
• डी डुवे (C. De Duve) ने लाइसोसोम की खोज किया। लाइसोसोम को “आत्महत्या की थैली” भी कहा जाता है।
• बोवेरी (T Boveri) ने सेन्ट्रोसोम का नाम दिया।
• बेन्डा (C. Banda) ने माइटोकॉड्रिया की खोज किया। इसे कोशिका का “पावर हाउस या ऊर्जाघर” (Power House) कहा जाता है।
• जोहेनसन (W.L. Johansan) ने जीन शब्द का प्रतिपादन किया।
•वेडबर्ग (T. Svedberg) ने ‘अल्ट्रा सेन्ट्रीफ्यूज” का आविष्कार किया। इस खोज के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया।
• हेन्सले (A.G. Tanstey) ने इकोसिस्टम (Ecosystem) पारिस्थितिकी तन्त्र शब्द का प्रतिपादन किया ।
• वैक्समैन (Waksman) ने एन्टीबॉयोटिक (antibiotic) स्ट्रेप्टोमाइसीन (streptomycin) की खोज की। और इन्हें 1952 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• समनर (J.B. Sumenar) प्रथम एन्जाइम “यूरिएज” का क्रिस्टलन (Crystallisation) किया और बताया कि सभी एन्जाइम प्रोटीन होते हैं। ये नोबल पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
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