कार्बन-चक्र (Carbon-cycle diagram)
अजैव वातावरण से कार्बन का जैविक वातावरण में प्रवेश करना और फिर जैव शरीर से वापस अजैव वातावरण में पहुँचने के चक्रीय बहाव को ही कार्बन-चक्र कहा जाता है।
जीवों के लिए कार्बन का महत्त्व(About Carbon cycle diagram)
• कार्बन सभी प्रकार के जीवरूप अणुओं जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, न्यूक्लिक अम्ल और विटामिन का घटक है।
• पौधों में प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड (CO2,) की उपलब्धता जरूरी है।ताकि स्टार्च का निर्माण हो सके।
वातावरण मे कार्बन डाइऑक्साईड का उपयोग-
• वातावरण में उपस्थित CO2, को पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण के लिए ग्रहण करते हैं और उससे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं।
• खाद्य शृंखलाएँ (food chains) के द्वारा पौधों में बने कार्बोहाइड्रेट जंतुओं में पहुँच जाते हैं। जंतुओं एवं पौधों के मृत शरीर, जो पृथ्वी की सतह के नीचे स जाते हैं, वे लंबे समय के पश्चात जीवाश्म ईधन (कोयला और पेट्रोल) में परिवर्तित हो जाते हैं।
• वायुमंडल में अधिक मात्रा में उपस्थित CO2, समुद्र अथवा अन्य जल भंडार में घुल जाते हैं और वहाँ कुछ कार्बन कार्बोनेट पत्थर और चूना-पत्थर (limestone) में बदल जाते हैं।
जैव शरीर से CO2, की वापस वातावरण में मुक्त होने की क्रिया-
• श्वसन क्रिया द्वारा पौधे एवं जंतु CO2, को वातावरण में मुक्त करते रहते हैं।
• लकड़ी, कोयला, पेट्रोल, पेट्रोलियम, गैस आदि के जलने के कारण काफी अधिक मात्रा में CO2, वातावरण में मुक्त होता है। बैक्टीरिया द्वारा पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर के विघटन के दौरान भी CO2, वातावरण से मुक्त होता है।
• ज्वालामुखी फटने के कारण भी CO2, वातावरण में पहुँचता है। इस प्रकार कार्बन का वातावरण और जीवों के बीच आदान-प्रदान लगातार चलता रहता है।
ग्रीनहाउस प्रभाव (Greenhouse effect)
Carbon cycle diagram-वातावरण के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए सूर्य के प्रकाश से प्राप्त ऊष्मा का पृथ्वी पर पहुँचने तथा फिर ऊष्मा का वायुमंडल में वापस लौट जाने के बीच एक संतुलन का होना आवश्यक है।
दिन के समय सूर्य की ऊष्मा के कारण पृथ्वी गर्म हो जाती है और रात के समय ऊष्मा पृथ्वी से मुक्त होकर अंतरिक्ष में चली जाती है और पृथ्वी फिर से ठंडी हो जाती है। इस प्रकार वातावरण का तापमान नियंत्रित रहता है।
ठंडे देशों में कुछ विशेष प्रकार के ऊष्मा-संवेदनशील पौधों को पालने के लिए शीशे लगे घरों (glass houses) में रखा जाता है, ताकि दिन के समय इन्हें प्रकाश संश्लेषण के लिए ऊर्जा प्राप्त हो सके।
सूर्य के प्रकाश से ग्रीनहाउस के भीतर का तापमान बढ़ जाता है। रात के समय में ग्रीनहाउस के भीतर की गर्म ऊष्मा शीशे की परत से बाहर नहीं जा पाती है। इस प्रकार ग्रीनहाउस के भीतर का तापक्रम बाहर के तापमान से अधिक रहता है।
उद्योगीकरण, जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग, जंगलों की कटाई आदि कारणों से वायुमंडल में हानिकारक गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। ये हानिकारक गैसें पृथ्वी के चारों ओर एक आवरण का निर्माण कर देती हैं।
सूर्य के प्रकाश से ऊष्मा दिन के समय पृथ्वी पर पहुँच तो जाती है, किंतु रात के समय ऊष्मा को गैसों की परत अंतरिक्ष में जाने से रोक देती है और ऊष्मा पृथ्वी के वातावरण में ही फंस कर रह जाती है।
इस प्रकार वायुमंडल का तापमान सामान्य तापमान से अधिक रहता है और इसके फलस्वरूप भूमंडलीय तापन (Global Warming) हो रही है। पृथ्वी का तापक्रम बढ़ने से बर्फ और ग्लैशियर के पिघलने का खतरा पैदा हो गया है। अगर ऐसा होता रहा तो हमारी पृथ्वी के स्थलीय भाग का एक बड़ा अंश भविष्य में पानी में डूब जाएगा।
इसलिए एक नियंत्रित कार्बन चक्रण के साथ-साथ हमें इस बात का भी ध्यान रखना कि CO2, तथा अन्य ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा वातावरण में सामान्य से अधिक नहीं हो पाए।
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