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Genetics का हिंदी मतलब क्या है,परिभाषा(About Genetics meaning in hindi)

हेलो दोस्तो आज इस आर्टिकल में जानेंगे Genetics meaning in Hindi क्या होता है। genetic का हिंदी मतलब क्या होता है। अगर आप साइंस फिक्शन फिल्मों के दीवाने हैं तो यह नाम आपने जरूर कहीं ना कहीं सुना होगा। दोस्तों इस आर्टिकल के अंत तक आपको Genetics से मिली बेसिक जानकारी मिल जाएगी।

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Genetics का हिंदी मतलब

प्रत्येक जीव में बहुत से ऐसे गुण होते हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी माता-पिता, अर्थात जनकों से उनके संतानों में संचरित होते रहते हैं। ऐसे गुणों को आनुवंशिक गुण (hereditary characters) या पैतृक गुण कहते हैं। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीवों के मूल गुणों का संचरण आनुवंशिकता (heredity) कहलाता है।

मूल गुणों के संचरण के कारण ही प्रत्येक जीव के गुण अपने जनकों के गुण के समान होते हैं। इन गुणों का संचरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जनकों के युग्मकों (gametes) के द्वारा होता है। अतः, जनकों से उनके संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी युग्मकों के माध्यम से पैतृक गुणों का.संचरण आनुवंशिकता कहलाता है।

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एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में मूल गुणों का संचरण जीवों का विशिष्ट लक्षण है। इस गुण के कारण एक जीव अपने ही जैसे दूसरे जीव का जन्म देता है। जैसे एक जनक मेढ़क की अगली पीढ़ी मेढ़क ही होता है। मटर के बीज से मटर का पौधा ही उत्पन्न होता है। इसी प्रकार, मनुष्यों में भी माता-पिता से उत्पन्न सभी संतान उनके जैसे (अर्थात मनुष्य) ही होते हैं। इसके बावजूद एक माता-पिता से उत्पन्न सभी संतानों के गुणों का अवलोकन करने पर हम उनमें अंतर पाते हैं। यही अंतर विभिन्नता कहलाता है। आनुवंशिकता एवं विभिन्नता का अध्ययन जीवविज्ञान की एक विशेष शाखा के अंतर्गत होता है, जो आनुवंशिकी या जेनेटिक्स (genetics) कहलाता है।

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किसी जीव की जीनी संरचना (genetic constitution) उस जीव का जीनप्ररूप या जीनोटाइप (genotype) कहलाता है।.जीवों के गुणों (जैसे शारीरिक गठन, लंबाई, त्वचा एवं बालों का रंग इत्यादि). का निर्धारण उनके जीन प्ररूपों के कारण ही.होता है। जीन प्ररूप के कारण प्रकट होनेवाले गुणों की नींव का निर्धारण जनकों (माता-पिता) के युग्मकों के संयोजन के समय ही हो जाता है। जीवों के कुछ विशिष्ट गुण वातावरणीय दशाओं द्वारा भी निर्धारित हो सकते हैं। जीन प्ररूप तथा वातावरणीय दशाओं द्वारा निर्धारित वैसे आनुवंशिक लक्षण या विशेषक (hereditary characters or traits) जो स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, लक्षणप्ररूप या फेनोटाइप (phenotype) कहलाते हैं।

मेंडल के आनुवंशिकता के नियम

ग्रेगर जॉन मेंडल (Gregor Johann Mendel, 1822-84)ऑस्ट्रिया देश के ब्रून (Brunn) नामक स्थान में ईसाइयों के एक मठ के पादरी थे। इन्होंने अपने वैज्ञानिक खोजों से आधुनिक आनुवंशिकी की नींव डाली। इसीलिए, उन्हें आनुवंशिकी का पिता (father of genetics) कहा जाता है। मटर के पौधों पर किए गए अपने प्रयोगों के निष्कर्षों को उन्होंने 1866 में Annual Proceedings of the Natural History Society of Brunn में प्रकाशित किया। परंतु, विज्ञान जगत में 34 वर्षों तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया। उनके मृत्यु के पश्चात 1900 में इनके प्रयोगों के निष्कर्ष को वैज्ञानिकों द्वारा मान्यता मिली।

मेन्डेल के नियम

मेन्डेल के तीन नियम इस प्रकार है-

प्रभाविकता का नियम (Law Dominance)-

एक जोड़ा विपर्यायी गुणों वाले शुद्ध पिता तथा माता में संकरण करने से प्रथम संतान पीढ़ी में प्रभावी गुण प्रकट होते हैं जबकि अप्रभावी गुण छिप जाते हैं।

पृथक्करण का नियम (Law of Segregation)-

एक जोड़ा लक्षण कारकों (जीन) के प्रत्येक सजातीय जोड़े के दोनों कारक युग्मक बनने समय पृथक होते हैं और इनमें से केवल एक कारक ही किसी एक युग्मक (gamete) में पहुँचता है । इस नियम को युग्मकों के शुद्धता का नियम (Law of Purity of gametes) भी कहते हैं।

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स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)-

संकरण के दौरान संकर के विभिन्न गुणों की वंशागति स्वतंत्र रूप में होती है और जब दो या दो से अधिक गुणों के समजातीय जोड़ों की वंशागति का अध्ययन एक ही संकरण में किया जाता है तो दोनों जोड़ों का वितरण एक-दूसरे से स्वतंत्र होता है।

मेन्डेल के नियम का महत्व

मेन्डेल के नियमों के आधार पर कई खराब लक्षणों को हटाकर अच्छे गुणों को उसके स्थान पर लाया जा सकता है। इसके द्वारा अच्छी फसल देने वाले बीजों की खोज, जो कि रोग, सूखा,कीड़े-मकोड़ों के प्रति अवरोधी होती है, किया जा सकता है । अनेक आनुवंशिक रोगों के बारे में खोज करके उनका निवारण हो सकता है। पौधों एवं जन्तुओं की ऐसी नई जातियाँ उत्पन्न की जा सकती हैं जो वातावरण में अधिक अनुकूल होकर जीवित रह सके।

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मनुष्यों में कुछ आनुवंशिक रोग (Genetic diseases in Man)

वर्णान्धता (Colour blindness)

इसमें रोगी को लाल एवं हरा रंग पहचानने की क्षमता नहीं होती है। इसमें मुख्य रूप से पुरुष प्रभावित होता है क्योंकि स्त्रियाँ सिर्फ वाहक (Carrier) का काम करती हैं। स्त्रियों में यह रोग केवल 0.9% ही पाया जाता है। स्त्रियों में यह रोग तभी होता है जब इसके दोनों गुणसूत्र (XX) प्रभावित हों । यदि केवल एक गुणसूत्र (X) पर वर्णान्धता के जीन हैं तो स्त्रियाँ वाहक कार्य करेंगी। लेकिन वर्णान्ध नहीं होंगी। इसके विपरीत पुरुषों में केवल X-गुणसूत्र पर वर्णान्धता का जीन उपस्थित होने पर पुरुष वर्णान्ध होंगें।

हीमोफीलिया (Haemophilia)

साधारणतः एक व्यक्ति को चोट लगने पर औसतन 2-5 मिनट में रक्त का थक्का बनकर बहना बन्द हो जाता है। किन्तु हीमोफिलिया रोग से ग्रस्त व्यक्ति में चोट लगने पर आधा घन्टा से 24 घंटे तक रक्त में कुछ प्रोटीन की कमी के कारण थक्का नहीं बनता है और रक्त हमेशा बहता रहता है और अन्ततः शीघ्र उपचार न होने पर रोगी की मृत्यु हो जाती है। हेल्डेन का मानना है कि यह रोग ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया से आरम्भ हुआ। हीमोफीलिया की भी वंशागति वर्णान्धता के समान ही होती है। इसमें भी स्त्रियाँ वाहक का कार्य करती हैं।

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कर्णपल्लवों का हाइपरट्राइकोसिस (Hypertrichosis of pinna)

यह लक्षण पिता के y गुणसूत्र से संतान में पहुँचता है। इसमें कर्णपल्लव पर बड़े-बड़े बाल उग आते हैं।

टर्नर सिन्ड्रोम (Turner’s Syndrome)

यह स्त्रियों में होता है। इसमें शरीर अल्पविकसित, कद छोटा तथा वक्ष चपटा होता है। स्त्रियों में जननांग प्रायः अविकसित होता है जिससे वे बांझ (sterile) होती हैं । लगभग 5000 व्यक्तियों में एक व्यक्ति रोगी पाया जाता है।

क्लीनेफेल्टर सिन्ड्रोम (Klinefelter’s Syndrome)

इसमें गुणसूत्रों की संख्या 56 के स्थान पर बढ़कर 47 हो जाती है। यह पुरुषों में होता है। इसमें पुरुषों के वृषण (testes) अल्पविकसित होते हैं। स्त्रियों के समान स्तन विकसित हो जाता है। इस तरह के पुरुष नपुंसक (sterile) होते है। लगभग 500 व्यक्तियों में एक व्यक्ति इस तरह का पाया जाता है।

डाउन्स सिन्ड्रोम (Down’s Syndrome)

इस तरह के रोगी मन्दबुद्धि के होते हैं, आँखें टेढ़ी, जीभ मोटी तथा अनियमित शारीरिक ढाँचा होता है। इसे मंगोलिज्म (Mangolism) भी कहते हैं।

पटाऊ सिन्ड्रोम (Patau’s Syndrome)

इसमें रोगी का ऊपर का होठ बीच से कट जाता है। तालू में दरार (cleft palate), मन्द बुद्धि, नेत्ररोग इत्यादि अन्य लक्षण इस रोग में होते हैं।

हमने क्या सीखा

दोस्तों इस आर्टिकल मे हमने जाना Genetics meaning in Hindi क्या होता है। genetic का हिंदी मतलब क्या होता है। Genetics से जुड़े हमें जितनी भी जानकारी प्राप्त हुई। उसे हमने आपके सामने प्रस्तुत किया है। अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई डाउट है। तो आप बेफिक्र होकर हमें कमेंट या ईमेल कर सकते हैं।

यह article “Genetics का हिंदी मतलब क्या है,परिभाषा(Genetics meaning in hindi)“पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।

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