दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम Bulb का Invention से जुड़ी, सभी खोजो पर प्रकाश डालेंगे। और यह समझने की कोशिश करेंगे कि एडिशन से पहले किन किन लोगों ने इस महत्वपूर्ण खोज में अपना योगदान दिया। किस आर्टिकल के अंत तक Bulb का Invention और उसके पीछे अपना जीवन न्योछावर करने वाले अनेकों वैज्ञानिकों के नाम पता चलने वाले हैं।
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Bulb का आविष्कार कैसे हुआ?
जब हम किसी रेलवे स्टेशन बस स्टेशन या स्टेडियम में रात के समय जाते हैं तो हमें दिनों रात में कुछ ज्यादा फर्क नहीं लगता। इन जगहों की चकाचौंध रौशनी को देखकर मन में यही लगता है कि मानो रात में ही सूरज निकल आया हो।
दोस्तों आज के समय में Bulb का प्रयोग स्कूल आफिस होटेल गार्डन स्ट्रीट मोटर गाड़ियां घरों में भी रौशनी के लिए किया जाता है। पर क्या कभी हमने ये सोचा है कि Bulb का आखिरकार Invention किसने किया है और इसे बनाने वाले वैज्ञानिक को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था और जब Bulb का अविष्कार नहीं हुआ था तो उस समय का जीवन कैसा रहा होगा।
वैसे हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि इलेक्ट्रिक Bulb की खोज से पहले लोग रौशनी के लिए रातों में मशाल तथा तेल से जलने वाली बत्तियों का इस्तेमाल करते थे। ये बत्तियां ज्यादा समय तक उपयोगी नहीं होती थीं। अक्सर आंधी और तूफान के जरूरत के समय ये बुझ जाया करती थीं। 18वीं सदी तक मोमबत्तियों तेल से बनाई गई लालटेन का विस्तार हो चुका था और बहुत सी जगहों पर इसका इस्तेमाल होना शुरू हो चुका था। दोस्तो हम अपनी आनेवाली किसी और Article के जरिए भी ये बताएंगे की तेल से जलने वाला चिराग यानी लालटेन का अविष्कार कैसे हुआ था। इसको बनाने का दिलचस्प इतिहास कैसा था और इसे बनाने में कितना वक्त लगा और मुश्किलें आईं।
मोमबत्तियों चिराग के Invention के बाद करीब उन्नीसवीं सदी की शुरू में गैस से बनाए गए लेंस का प्रयोग किया जाने लगा था। पर ये भी बहुत उपयोगी साबित नहीं हुए थे लेकिन Bulb की खोज ने इन सारी परेशानियों को एक ओर करके मानव जीवन को रात में होने वाले भयानक अंधेरे से निकालकर हमेशा के लिए रोशनी की तरफ मोड़ दिया। परंतु क्या आपको मालूम है कि अंधेरे को दूर करने वाले इस महत्वपूर्ण Bulb का invention किसने किया था।
अगर नहीं तो बता देते हैं। सन 1847 में जन्मे अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन को आधिकारिक तौर पर Bulb का Inventionक माना जाता है। बहुत सारे लोग यही मानते हैं कि Bulb का अविष्कार थॉमस एडिसन ने किया है। बेशक थॉमस एडिसन ने Bulb का अविष्कार किया है लेकिन किसी भी महान खोज के पीछे कई वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स किसानों की मेहनत होती है।
ठीक उसी तरह Bulb के अविष्कार में थॉमस एडिसन से पहले भी कई वैज्ञानिकों ने इस अविष्कार के लिए मेहनत की थी जिसमें से कुछ को तो सफलता मिली पर कुछ को असफलता ही मिली। उनका अविष्कार जनता के लिए उपयोगी साबित न हो सका और इन सबके पहले किए गए Bulb के अविष्कार को देख कर ही एडिसन ने मॉडर्न Bulb का अविष्कार किया था। तो चलिए इस Article के जरिए हम जानने की कोशिश करते हैं कि किन वैज्ञानिकों ने और इंजीनियर्स ने Bulb के अविष्कार में अपना प्रमुख योगदान दिया था।
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Bulb के आविष्कार में पहला प्रयास: अलेसांद्रो वोल्टा
सन 1745 में जन्मे एलेक्जेंड्रा वोल्टा ने पहली बार कॉपर का इस्तेमाल करके इलेक्ट्रिक बैटरी वॉल्टेज पाइल को बनाया था जो कि दुनिया की पहली इलेक्ट्रो कैमिकल सेल थी जिसके दोनों तरफ एक कॉपर वायर से कनेक्ट किया गया था। ये continuous electric current का सबसे पहला नमूना था।
इस Invention के बाद एलेक्जेंडर ने पहली बार एक हाइड्रोजन लैम्प बनाया जिसके कांच के अंदर हाइड्रोजन गैस भरी होती थी जो कि किसी प्रकार के दबाव से नोजल से बाहर निकलती थी अब फिर electric का यूज करके चिंगारी पैदा करती जो कि गैस को जला देती थी और गैस की जल्दी ही एक किस्म का उजाला यानि की प्रकाश होता था। पर यह तरीका कुछ कारगर साबित नहीं हुआ इसलिए उन्हें इस अविष्कार के लिए कोई पेटेंट नहीं मिल सका और इसके हाइड्रोजन लैम्प को पब्लिक के प्रयोग के लिए कभी बनाया ही नहीं गया।
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Bulb के आविष्कार में दूसरा प्रयास: डेवी का योगदान
अब इसके बाद अलग अलग तरीकों से scientist ने Bulb को बनाना शुरू किया लेकिन इन सभी में एक प्रॉब्लम ये था कि ये बहुत देर तक जल नहीं पाते थे। Volta के अविष्कार के बाद इंग्लैण्ड के रहने वाले हमफ्री डेवी के मन में सबसे पहले विद्युत के इस्तेमाल से रौशनी पैदा करने का विचार आया था जिन्होंने साल 1802 में इलेक्ट्रिसिटी पर अलग अलग अध्ययन करके एक बैटरी का निर्माण किया था।
फिर उन्होंने carbon rods को वायर के जरिये इस बैटरी से जोड़ दिया। कार्बन बैटरी से जुड़ते ही जलने लगा और इसे कुछ प्रकाश भी होने लगा। इनके इस अविष्कार को एक आर्क लैम्प का नाम दिया गया। इस अर्क लैम्प से बहुत ज्यादा रौशनी आती थी जिसे घर के लिए प्रैक्टिकल प्रयोग के लिए इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं था और साथ ही ये बहुत ज्यादा ऊर्जा भी कंज्यूम करती थी। इसलिए इनके बनाए गए इस electric arc lamp को एक अधूरा अविष्कार ही माना गया।
Bulb के आविष्कार में तीसरा प्रयास: वारेन द लुइ
1840 तक ये पता चल गया था कि एक सफल Bulb बनाने का सिद्धांत क्या है पर नहीं पता चल सका था कि उसे बनाने के लिए कौन सी धातु सबसे ज्यादा कारगर और लाभदायक होगी। अब इसके बाद अलग अलग तरीकों से साइंटिस्ट ने Bulb को बनाना शुरू किया लेकिन इन सभी तरीकों में एक प्रॉब्लम ये थी कि ये बहुत देर तक जल नहीं पाते थे।
मतलब Bulb के फिलामेंट को बनाने के लिए हाई रेजिस्टेंस वाला एक एलिमेंट चाहिए था एलिमेंट जितना पतला होता था उसमें उतना ज्यादा रेजिस्टेंस होता था और जितना ज्यादा रेजिस्टेंस होता था फिलामेंट उतना ज्यादा जलता और कम करेंट का इस्तेमाल करता। अच्छी रौशनी पैदा करता था अब ये ब्रिटिश साइंटिस्ट्स warren da lui ने प्लैटिनम फिलामेंट का इस्तेमाल करके Bulb को बनाया था लेकिन प्लैटिनम बहुत ही महंगा धातु था इसके कारण इसका इस्तेमाल पब्लिकली कभी नहीं किया गया।
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Bulb के आविष्कार मे चौथा प्रयास:हेनरी वुडवर्ड और मैथ्यू
24 जुलाई 1874 को कनाडा के रहने वाले हेनरी वुडवर्ड और मैथ्यू ने कैनेडियन पेटेंट कार्यालय में एक सफल Bulb बनाने का दावा किया और अपने इस अविष्कार के लिए पेटेंट की मांग की। पेटेंट कार्यालय ने उनके अविष्कार की अहमियत को देखते हुए उनके अविष्कार को उनके नाम पेटेंट दे दिया। उनका कैनेडियन पेटेंट नंबर था 3738। उन्होंने नाइट्रोजन गैस और अलग अलग साइज के कार्बन रॉड्स को इस्तेमाल करके bulb बनाया था। इन्होंने बड़े ग्लास ट्यूब में नाइट्रोजन गैस भरकर और दो कार्बन रॉड को वायर से कनेक्ट करके सफल Bulb बनाया। ये bulb पिछले बने सभी Bulb से काफी ज्यादा अच्छा था लेकिन ये दोनों इस Bulb का पेटेंट लेकर भी कोई खास कारोबार या नाम नहीं कमा सके। 1879 में इन दोनों ने इस Invention के राइट्स को थॉमस एडिसन को बेच दिया।
Bulb के आविष्कार मे पांचवा प्रयास:जोसेफ स्वान
Bulb को बनाने के लिए अगला प्रयास जो किया वो था कार्बन फिलामेंट और वैक्यूम की दिशा में और ये प्रयास किया गया था इंग्लैंड के रहने वाले जोसेफ स्वान द्वारा जोसेफ स्वान 1850 से ही बल बनाने में अपना पूरा योगदान देने लगे थे लेकिन उनका ये एक्सपेरिमेंट वैक्यूम पर आधारित था और सन 1850 में अच्छे पंप की कमी और बिजली की अच्छी सप्लाई न होने के कारण उनका ये प्रयोग उतना सफल नहीं हुआ जितना होना चाहिए था।
मगर 1870 के बाद से अच्छे पंप्स मिलने लगे थे जिसके बाद स्वान एक बार फिर अपने एक्सपेरिमेंट्स की तरफ लौट आए और अपने प्रयोग को पूरा करने के लिए उन्होंने चार्ल्स स्टीन की मदद ली जो कि वैक्यूम पंप के अच्छे जानकार थे और उनकी सहायता से अविष्कार में उन्हें सहायता मिली। सन 1880 में स्वान ने कॉटन के धागे का इस्तेमाल करके बल बनाया जिसमें उन्हें सफलता भी मिली और उन्हें उसका पेटेंट भी मिल गया। कई इतिहासकारों के मुताबिक जोसेफ स्वान ही दुनिया के वो पहले व्यक्ति थे जिनके घर में Bulb द्वारा रोशनी पहुंची थी।सबसे पहले स्वान के घर पहुंची थी और इस प्रकार से बिजली और Bulb दोनों दुनिया में सबसे पहले जोसेफ स्वान के घर ही पहुंचे थे।
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Bulb के आविष्कार मे छठा प्रयास:थॉमस एडिसन
जब Bulb के Inventionक का नाम लिया जाता है तो उसमें सबसे पहला नाम आता है थॉमस अल्वा एडिसन का। 11 फरवरी 1847 को अमेरिका में जन्मे थॉमस एडिसन को ही Bulb का असली Inventionक माना जाता है क्योंकि लाइट Bulb बनाएं तो बहुत लोगों ने लेकिन एडिसन वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने Bulb के सही अविष्कार में अपना योगदान दिया था और साथ ही उन्होंने उस Bulb में समय समय पर कई सुधार भी किए थे।
वही एकमात्र वैज्ञानिक थे जिन्होने पहला commercial practical bulb किया था जबकी बाकी के पहले बनाए गए Bulb के डिजाइन में कुछ न कुछ गलतियां थीं जिससे वो कभी सफल नहीं हो सके थे एडिसन और उनकी टीम 1878 से 1880 के बीच तीन हजार से भी ज्यादा Bulb डिजाइन्स बनाकर टेस्ट कर चुकी थी क्योंकि वो Bulb बहुत देर तक ऑन रखने के लिए हाई रजिस्टेंस मटेरियल खोजना चाहते थे इसलिए एडिसन अलग अलग मटीरियल्स का इस्तेमाल किया करते थे।
कुछ महीनों के बाद 1889 में कार्बन फाइबर बम्बू फिलामेंट का इस्तेमाल करके उन्होंने Bulb का अविष्कार किया जो कि लंबे समय तक ज्यादा रोशनी देने में सफल हुआ और इसी साल एडिसन को अपने इस अविष्कार का पेटेंट भी मिल गया। एक समय में एडिसन ने स्वान के खिलाफ मुकदमा चलाया कि स्वान ने एडिसन कि रिसर्च आइडिया चुराया है। इसके जवाब में स्वान ने अपना पूरा रिसर्च खुद प्रैक्टिकली साबित कर दिया और इसके बाद जोसेफ स्वान और एडिसन दोनों ने मिलकर काम करने की योजना बनाई।
अपने दोनों ने मिलकर एक कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम स्वान इलैक्टिक लाइट कंपनी रखा गया और हम आपको बता दें आज के समय में लैक्टिक Bulb में जो फिलामेंट प्रयोग किया जाता है वो टंगस्टन का बना होता है जो कि 1904 से हंगरी में प्रयोग होना शुरू किया गया था
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हमने क्या सीखा
दोस्तों इस आर्टिकल मे हमने जाना bulb ka aavishkar Kisne aur kab Kiya, bulb के अविष्कार से जुड़े हमें जितनी भी जानकारी प्राप्त हुई। उसे हमने आपके सामने प्रस्तुत किया है। अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई डाउट है। तो आप बेफिक्र होकर हमें कमेंट या ईमेल कर सकते हैं।
यह article “Bulb का Invention किसने किया? Bulb का Invention की रोचक कहानी(bulb ka avishkar kisne kiya)“पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।