ओज़ोन एक विशेष प्रकार की ऑक्सीजन है जिसे ट्राई-ऑक्सीजन या त्रै-ऑक्सीजन की संज्ञा भी दी जाती है। जबकि सामान्य ऑक्सीजन के प्रत्येक अणु (molecules) में दो ऑक्सीजन परमाणु होते हैं, ओज़ोन के प्रत्येक अणु में तीन ऑक्सीजन परमाणु विद्यमान रहते हैं।
ओजोन परत कैसे बनता है ? – About ozone layer in hindi
अधिकांश रूप में ओज़ोन (Ozone layer in hindi ) ऊपरी वायुमण्डल में पराबैंगनी विकिरण द्वारा ही घटित होती है। पराबैंगनी विकिरण के फलस्वरूप ऑक्सीजन के अणु टूटकर ऑक्सीजन के.परमाणु के रूप में परिवर्तित होते रहते हैं तथा जब ये परमाणु किसी अन्य ऑक्सीजन के अणु से जुड़ते है. तब ओजोन का निर्माण होता है.
ओज़ोन की उत्पत्ति का एक और स्रोत है सूर्य-कलंक । सूर्य-कलंक घटित होने पर एक प्रकार की विद्युतीय शक्ति का विस्फोट होता है जिसके फलस्वरूप आवेशित कणो की बढ़ती मात्रा ओज़ोन की मात्रा को बढ़ाती है। ओज़ोन की इस प्रक्रिया से बढ़ी मात्रा वायुमण्डल से और अधिक गरमी absorb करने की क्षमता रखती है जिसके परिणामस्वरूप जलवायु में भी परिवर्तन स्वाभाविक है। ओज़ोन की ऐसी परत पृथ्वी के चारों ओर वायुमण्डल में करीब 20 से 35 कि.मी की दूरी के बीच में स्थापित रहती है। इस परत का तापमान लगभग 42° सेल्सियस होता है।
इसका कोई रंग नहीं होता, परन्तु अपने तरल आकार में यह गहरे नीले रंग की दिखाई देती है। इसमें तीखी गंध वाली गैस होती है जो विशेष रूप से पराबैंगनी प्रकाश को सोखने की क्षमता रखती है।
इस प्रक्रम में सूर्य से निकली 93 प्रतिशत पैराबैंगनी
विकिरणें यहीं सोख ली जाती हैं। अतः इनमें से केवल 7 प्रतिशत ही भूमि तक पहुंचती हैं। यह प्राकृतिक नियन्त्रण अत्यन्त आवश्यक है, अन्यथा घोर विनाश की संभावना बढ़ जाती है। पृथ्वी पर इनकी मात्रा का बढ़ना तथा घटना दोनों ही जीवन के प्रति अहितकर होते हैं।
ओजोन परत पृथ्वी के लिए एक रक्षा कवच -Ozone layer in hindi meaning
वायुमण्डल में उपस्थित ओज़ोन की यह परत अत्यन्त उपयोगी होती है। सूर्य की शक्तिशाली विकिरणों में से कुछ को निष्क्रिय कर यह पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा करती है। यह परत सूर्य की किरणों की तापमान को कम करने में भी सहायता करती है जिसके फलस्वरूप पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों का तापमान सहने योग्य बना रहता है। यदि यह ओज़ोन परत (Ozone layer in hindi ) गायब हो जाए तो पृथ्वी पर इतनी गरमी हो जाएगी कि यहां जीव-जन्तुओं अथवा जीवनधारी प्राणियों तथा पेड़-पौधों आदि का जीवित रहना असम्भव हो जाएगा।
ऑक्सीजन की अपेक्षा ओज़ोन अन्य पदार्थों के साथ अधिक सरलता तथा तेज़ी से घुल-मिल जाती है और कीटाणुओं को तुरन्त ही नष्ट करने की क्षमता रखती है। इसी कारण ओज़ोन का प्रयोग जल के शुद्धिकरण तथा सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता हेतु भी किया जाता है।
कई अन्य सामान्य वस्तुओं जैसे कपड़ा, मोम, कागज, आटा आदि को और अधिक विरंजित या सफेद
बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। पृथ्वी पर अन्य कई कार्य करते समय भी ओज़ोन का निर्माण होता है। जैसे बिजली की कड़क के साथ उठने वाले तूफान भी ओज़ोन की उत्पत्ति करते हैं तथा विद्युतीय उपकरणों (electronic devices ), एक्सरे आदि के प्रयोग से भी इसका उत्पन्न होना स्वाभाविक है। कभी-कभी ऑक्सीजन की मशाल से किसी धातु के काटते समय भी नीले-नीले रंग की चिंगारियां उठती दिखाई देती हैं जो स्पष्ट रूप से संकेत करती हैं कि इन चिंगारियों द्वारा भी ओज़ोन बन रही होती है।
ओज़ोन परत की वायुमण्डल (Ozone layer in hindi )में उपस्थिति तथा पृथ्वी पर इसके विभिन्न उपयोग जीवनोपयोगी है
ओजोन परत में छिद्र का कारण क्या है ? – What is ozone layer depletion in hindi
प्रदूषण की अत्यधिक मात्रा के कारण वायुमण्डल में ओज़ोन परत में छिद्र उत्पन्न हो रहे हैं जिनके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर ग्रीनहाउस इफैक्ट के कारण अत्यधिक गरमी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है जो जीवन के प्रति हानिकारक है। दूसरी ओर अत्यधिक मात्रा में विद्युतीय उपकरणों का उत्पादन व प्रयोग भी अवांछनीय समझा जा रहा है क्योंकि इनके प्रति बढ़ते हुए प्रयोग के कारण प्राणियों के फेफड़ों के ऊतकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ओज़ोन में एक प्रकार की तीव्र विद्युतीय गंध रहती है। यदि इस गंध को अत्यधिक मात्रा में सूंघ लिया जाए, तो यह फेफड़ों के ऊतकों को हानि पहुंचाकर नष्ट तक भी कर सकती है।
ओज़ोन की पर्याप्त मात्रा अथवा स्तर बनाए रखने में मानव का दोहरा दायित्व है। प्रथमः, वह कोई भी ऐसा कार्य न करे जिससे वायुमण्डल में स्थापित ओज़ोन परत को कोई हानि पहुंचे और दूसरी ओर यह कि वह उपकरण निर्माण में इसका कोई विकल्प ढूढ़े ताकि ओज़ोन के अवांछनीय प्रभाव से सुरक्षित रखा जा सके।
सामान्यतौर पर ओज़ोन के अणु सूर्य द्वारा घटित पराबैंगनी विकिरणों को अधिकांश रूप में अपने में सोखकर व समताप मण्डल के तापमान को बढ़ाकर इसे नीचे भूमि पर आने से रोक देते है .
जो पृथ्वी के जीव-जन्तुओं को सुरक्षा प्रदान करती है। परन्तु फिर भी यह प्रायः माना जाता है कि भूमध्य रेखीय क्षेत्र के ऊपर ओज़ोन की परत अत्यधिक पतली होती है जिसके कारण इस क्षेत्र में पराबैंगनी किरणों का प्रकोप अत्यधिक रहता है जिसके परिणामस्वरूप यहां पर रहने वाले प्राणियों में कैंसर जैसे रोगों का अत्यधिक मात्रा में होने की आशंका सदैव बनी रहती है।
ओज़ोन परत को सर्वाधिक हानि (ozone layer depletion in hindi ) पहुंचती है सी. एफ. सी. अथवा क्लोरो-फोरो-कार्बन यौगिकों द्वारा जिनका उत्पादन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसा भय व्यक्त किया जाता है कि यदि इनका उत्पादन इसी गति से होता रहा तो अगले कुछ ही वर्षों में ओज़ोन परत (Ozone layer in hindi) ह्रास भी अत्यन्त तीव्रता से होने की आशंका है।
अतः 24 दिसम्बर, 1987 को कैनेडा की राजधानी मोन्ट्रियल में 159 देशों ने बैठक कर सहमति प्रकट की कि 2010 तक सी. एन. सी. के उत्पादन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया जाए तथा इसका विकल्प खोज ओज़ोन अधिक को सुरक्षित बनाए रखने का प्रयास किया जाए। लेकिन यह पूर्ण रूप से सफल नहीं रहा.
ये article” जीवन के लिए महत्वपूर्ण क्यों है ओजोन परत ? Ozone layer in hindi ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा