ऊर्जा क्या है (What is Energy)
किसी बल के किसी वस्तु पर लगने से वस्तु की चाल बढ़ सकती है,उसकी स्थिति या आकृति बदल सकती है, इत्यादि । कोई गतिमान वस्तु (पिंड)दूसरी वस्तु को गति में ला सकती है, जैसे-चल रहा कोई गेंद किसी स्थिर गेंद पर टक्कर मारकर उसे लुढ़का देता है। अत: ऊर्जा किसी गतिमान वस्तु में कार्य करने की क्षमता (Capacity) है ।
ऊर्जा की परिभाषा(Defination of energy)
कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। किसी वस्तु को कुल ऊर्जा कितनी है, इसकी माप कार्य करने की उसकी क्षमता के पदों में होती है। अत: यह स्पष्ट है कि ऊर्जा का मात्रक वही होता है जो कार्य का मात्रक है, अर्थात् जूल। कार्य की भाँति, ऊर्जा भी एक अदिश राशि है।
किसी वस्तु को अपनी गति के कारण जो ऊर्जा होती है, उसे गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) कहते हैं, जबकि किसी वस्तु को उसकी स्थिति या आकृति में परिवर्तन के कारण जो ऊर्जा होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) कहते हैं। गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा को एक साथ लेने पर जो ऊर्जा प्राप्त होती है उसे यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy in hindi) कहते हैं
ऊर्जा(Energy in hindi ) अन्य रूपों (Forms) में प्रकट हो सकती है, जैसे-ऊष्मा, प्रकाश, ध्वनि, रासायनिक वैद्युत चुंबकीय और नाभिकीय ऊर्जा में। न्यूक्लीय ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) में प्राय: व्यक्त किया जाता है।
•1ev = 1.6 x 10^-19 joule
गतिज ऊर्जा(Kinetic energy in hindi)
किसी वस्तु को उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा का व्यंजक(Kinetic energy equation)
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा कार्य की उस मात्रा द्वारा दी जाती है जो विराम में आने से पहले उस वस्तु द्वारा की जा सकती है।
मान लें कि द्रव्यमान m की कोई वस्तु (पिंड) वेग के साथ चल रही है और वस्तु पर कोई अचर विरोधी बल F गति की विपरीत दिशा में लगता है जिसके कारण वस्तु गति की दिशा में दूरी 5m तय करके रुक जाती है। चूंकि अंतिम वेग शून्य है, गति के समीकरण से 0 =y^2 + 2as जिससे a=-v^2/2s ऋणात्मक चिह बताता है कि त्वरण व वेग की दिशा की विपरीत दिशा में है।
अत:, बल F की दिशा त्वरण +v^2/2s है। अब, वस्तु की गतिज ऊर्जा K = विराम में आने से पहले वस्तु द्वारा बल के विरुद्ध किया गया कार्य= Fs = mas (चूँकि F = ma)
=ms (चूंकि बल की दिशा में a =v^2/2s)
इसलिए K=1/2mv^2
गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान का और उसकी चाल के वर्ग का समानुपाती होता है। यदि वस्तु का द्रव्यमान दुगुना कर दिया जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा दुगुनी हो जाएगी। बशर्ते उसकी चाल समान रहे । इसके विपरीत, यदि वस्तु की चाल दुगुनी हो जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा चौगुनी हो जाएगी।
किसी गतिमान वस्तु का संवेग p =mv । अत: उसकी गतिज ऊर्जा P=(p/2m)^2 होंगी।
यह समीकरण संवेग के पदों में गतिज ऊर्जा का व्यंजक देता है। गतिज ऊर्जा को T या E, द्वारा भी दर्शाया जाता है। बंदूक से छोड़ी गई गोली, धनुष से छोड़ा गया तीर, गतिमान हथौड़ा,गिरती वर्षा की बूंदें, बहती हवा, नाचता लट्ट, आदि गतिज ऊर्जा के उदाहरण हैं।
जलविद्युत शक्ति स्टेशन (Hydroclectric Power Station) में पहाड़ी से नीचे गिरते हुए पानी की गतिज ऊर्जा का इस्तेमाल डायनेमो (Dynamo) को चलाने में होता है, जिससे विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है
स्थितिज ऊर्जा(Potential energy in hindi)
किसी वस्तु को उसकी स्थिति या आकृति में परिवर्तन के कारण जो कार्य करने की क्षमता होती है उसे उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक(Potential energy equation)
अपनी स्थिति के कारण किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा की गणना वस्तु को उस स्थिति तक लाने में किए गए कार्य की मात्रा, W को निर्धारित कर की जा सकती है।
मान लें कि द्रव्यमान m की किसी वस्तु को पृथ्वी-तल से ऊँचाई तक उठाया गया है। वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्व बल mg, ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर लगता है, जहाँ, g गुरुत्वीय त्वरण है। अतः गुरुत्व बल के विरुद्ध किया गया कार्य होगा।
W= बल x दूरी =mg.h.
कार्य की यह मात्रा वस्तु में उसकी स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाएगी। अत: वस्तु की स्थितिज ऊर्जा है
W = mgh स्थितिज ऊर्जा को E, द्वारा भी दर्शाया जाता है
इस स्थितिज ऊर्जा को उसके अन्य रूपों से अलग बताने के लिए इसे गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (Gravitational Potential Energy in hindi) कहा जाता.है। गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा वस्तु-पृथ्वी तंत्र (System) का संयुक्त गुण है न किसी एक का।
वस्तु और पृथ्वी की आपेक्षिक स्थितियाँ तंत्र की स्थितिज ऊर्जा निर्धारित करती हैं, उनके बीच की दूरी जितनी अधिक होगी स्थितिज ऊर्जा उतनी ही अधिक होगी।
स्थितिज ऊर्जा के कुछ उदाहरण(Example of potential energy)
पहाड़ी पर स्थित जलाशयों के पानी में स्थितिज ऊर्जा है, क्योंकि पृथ्वी तल पर आने में इसके द्वारा कार्य किया जाता है जिससे विद्युत उत्पन्न करनेवाली मशीन डायनेमो चलायी जा सकती है। मकान की छत पर रखी ईंट, लपेटी हुई कमानी, धनुष की तनी हुई डोरी आदि में स्थितिज ऊर्जा है।
गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा में अंतर(Diffrence between kinetic energy and potential energy)
(i) गतिज ऊर्जा गति के कारण कार्य करने की क्षमता है, जबकि स्थितिज ऊर्जा संरूपण के कारण कार्य करने की क्षमता है।
(ii) स्थितिज ऊर्जा गुप्त रूप से संचित ऊर्जा है, जबकि गतिज ऊर्जा संचित ऊर्जा नहीं है।
(iii) स्थितिज ऊर्जा आपेक्षिक है, जबकि गतिज ऊर्जा आपेक्षिक नहीं है।
ऊर्जा का रूपांतर(Transformation of Energy in hindi)
ऊर्जा की एक खास विशेषता है कि यह एक रूप से दूसरे रूप में बदली जा सकती है। जैसे—जब किसी गेंद को सीधे ऊपर की ओर फेंका जाता है तो इसकी प्रारंभिक गतिज ऊर्जा का रूपांतर (Transformation) स्थितिज ऊर्जा में होता जाता है। जैसे-जैसे गेंद ऊपर जाता है, अपने गतिपथ के उच्चतम बिन्दु पर गेंद क्षणभर के लिए रुक जाता है।
मतलब उसकी चाल शून्य हो जाती है और इसलिए उसकी गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है। इस स्थिति में उसकी कुल ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा के रूप में होती है। फिर, जब गेंद नीचे गिरना शुरू करता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलने लगती है और जब वह जमीन के पास मात्र (Just) पहुँचता है तो उसकी गतिज ऊर्जा के रूप में होती है। जब गेंद जमीन से टकराता है तब उसकी गतिज ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा, ऊष्मा ऊर्जा और कभी-कभी प्रकाश ऊर्जा में बदल जाती है।
अपने प्रसिद्ध ‘आपेक्षिकता के सिद्धांत’ (Theory of Relativity) में आइन्सटीन (Einstein, 1879-1955) ने यह दिखाया कि जब द्रव्यमान विरामावस्था में होता है तब भी उसे ऊर्जा होती है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि इस ऊर्जा का सूत्र है
E =mc^2जहाँ c प्रकाश की चाल है
नोट : पृथ्वी पर ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है।
ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धांत-ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धांत या नियम (Principle or law of conservation of energy)
ऊर्जा न तो उत्पन्न और न नष्ट की जा सकती है किन्तु एक रूप से दूसरे रूप में उसका रूपांतर हो सकता है। इस कथन में यह मान्यता अंतर्निहित है कि ऊर्जा के विभिन्न रूपों को सही-सही मापा जा सकता है।
• ऊर्जा का अपव्यय-किसी तंत्र (System) की कुल ऊर्जा सभी प्राकृतिक प्रक्रियाओं में संरक्षित रहती है। किन्तु, एक रूप से दूसरे रूप में ऊर्जा के रूपांतर में ऊर्जा का एक अंश अवांछनीय रूपों में बदल जा सकती है।
जैसे—किसी मशीन में ऊर्जा का एक अंश उसके चल हिस्सों के बीच घर्षण को पार करने में जाता है और यह ऊष्मा के रूप में प्रकट होता है। मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु की स्थिति में भी, ऊर्जा का एक छोटा अंश हवा के प्रतिरोध को पार करने में जाता है। ऊर्जा का यह अंश ऊष्मा के रूप में वायुमंडल द्वारा अवशोषित हो जाता है।
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