Surface tension in Hindi-दोस्तों क्या आपको पता है पानी की सतह पर जब कोई मच्छर बैठता है तो वह उसमे डूबता नहीं है बल्कि तैरने लगता है। यहाँ तक की छोटी छोटी चीटियां भी पानी की सतह पर तैरने लगती हैं। आप यह कदापि मत सोचियेगा की उन्हें तैरना आता है। यह सब होता है विज्ञान के कुछ नियम के कारण दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम उन्ही नियमों के चर्चा करेंगे।
पृष्ठ-तनाव की परिभाषा (Surface Tension)– द्रव का स्वतंत्र पृष्ठ हमेशा तनाव की स्थिति में होता है तथा उसमें न्यूनतम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। द्रव के पृष्ठ का यह तनाव ही पृष्ठ-तनाव कहलाता है।
•“किसी द्रव का पृष्ठ-तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गई कल्पित रेखा की एकांक लंबाई पर पृष्ठ के तल में तथा रेखा के लंबवत् रूप में कार्य करता है।”
•यदि रेखा की लंबाई । पर F बल कार्य करता है, तो पृष्ठ-तनाव (T) = F/I होता है।
•इसका SI मात्रक न्यूटन/मीटर होता है
• विमीय सूत्र [MT-2] होता है।
किसी द्रव के लिए पृष्ठ-तनाव का मान द्रव के ताप पर निर्भर करता है तथा उस माध्यम पर भी निर्भर करता है, जो द्रव के पृष्ठ की दूसरी ओर होता है। ताप बढ़ाने पर पृष्ठ-तनाव घटता है तथा क्रांतिक ताप(Surface tension in Hindi) पर पृष्ठ-तनाव शून्य हो जाता है।
संसंजक बल किसे कहते है(Cohesive Force in hindi)-
संसंजक बल की परिभाषा(Cohesive Force)– प्रत्येक पदार्थ अणुओं से मिलकर बना होता है, जिनके बीच आकर्षण बल कार्य करता है। अतः एक ही पदार्थ के अणुओं के बीच.लगने वाले आकर्षण बल को संसंजक बल कहते हैं।
ठोसों में संसंजक बल का मान बहुत अधिक होता है, जिसके कारण ठोसों का आकार निश्चित होता है। द्रवों में संसंजक बल का मान बहुत कम होता है। इसी कारण द्रवों का कोई निश्चित आकार नहीं होता है।
गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य होता है, जिससे उनमें विसरण (diffusion) का गुण पाया जाता है। जिन द्रवों के अणुओं के बीच संसंजक बल अधिक होते हैं, वे बरतन की दीवारों को गीला (Surface tension in Hindi)नहीं करते। जैसे पारा। पृष्ठ-तनाव का कारण संसंजक बलों का होना है।
आसंजक बल किसे कहते है(Adhesive Force in hindi)
आसंजक बल की परिभाषा(Adhesive Force)-भिन्न-भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच लगने
वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं। आसंजक बल के कारण ही ब्लैकबोर्ड पर चॉक से लिखने पर अक्षर उभर आते हैं, पीतल के बरतनों पर निकेल की पॉलिश की जाती है तथा पानी काँच को भिंगोता है।
जब किसी द्रव और ठोस के लिए आसंजक बल का मान द्रव के अणुओं के संसंजक बल के मान से अधिक होता है, तो वह ठोस को गीला कर देता है। जैसे पानी काँच पर चिपकता है, क्योंकि पानी और काँच के अणुओं के बीच लगने वाला आसंजक बल पानी के अणुओं के बीच लगने वाला (Surface tension in Hindi)संसंजक बल से अधिक होता है।
जब किसी द्रव और ठोस के लिए आसंजक बल का मान द्रव के अणुओं के संसंजक बल के मान से कम होता है, तो द्रव उस ठोस को गीला नहीं कर पाता है। जैसे पारा काँच पर नहीं चिपकता है, क्योंकि पारा और काँच के अणुओं के बीच लगने वाला आसंजक बल पारे के अणुओं के बीच लगने वाले संसंजक बल से कम होता है।
आणविक परास (Molecular Range)- वह अधिकतम दूरी (10^-9 मीटर),जिस पर दो अणु एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं, आणविक परास कहलाती है।
पृष्ठ-तनाव पर निम्न बातों का प्रभाव पड़ता है-
- संदूषण का प्रभाव (Effect of Contamination)–यदि जल की सतह पर
धूल, कोई चिकनाई (ग्रीज या तेल) हो, तो इससे जल का पृष्ठ-तनाव घट जाता है। - विलेयक का प्रभाव (Effect of Solute)- यदि विलेयक बहुत घुलनशील है, तो द्रव का पृष्ठ-तनाव बढ़ जाता है। यदि विलेयक कम घुलनशील है, तो.पृष्ठ-तनाव घट जाता है। जैसे— साबुन या फेनॉल (phenol) डालने पर जल का पृष्ठ-तनाव घट जाता है।
- ताप का प्रभाव (Effect of Temperature)-ताप बढ़ने पर संसंजक बल का मान घट जाता है।जिससे पृष्ठ-तनाव घट जाता है।
यह article “पृष्ठ-तनाव किसे कहते है, पृष्ठ-तनाव परिभाषा क्या है(Surface tension in Hindi) ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।