DMCA.com Protection Status

ओटोवान ग्वेरिक की जीवनी – Otto von Guericke biography in hindi

विख्यात भौतिक शास्त्री एवं दार्शनिक जिन्होंने वायु पम्प का आविष्कार किया। वायु के महत्त्व को सांस लेने के संदर्भ में परिभाषित किया। प्रतिदीप्ति का सिद्धांत ग्वेरिक ने ही प्रतिपादित किया।

ओटोवान ग्वेरिक का जन्म – Birth of Otto von Guericke

तथ्यविवरण
जन्म20 नवम्बर, 1602
मृत्यु11 मई, 1686
शिक्षालिपजिग विश्वविद्यालय, जेना विश्वविद्यालय, लीडन विश्वविद्यालय
व्यवसायभौतिकशास्त्री, इंजीनियर, दार्शनिक
प्रमुख खोजवायुपम्प, स्थिर विद्युत, विद्युत प्रतिदीप्ति
अन्य शोधखगोलशास्त्र, धूमकेतु

ओटोवान ग्वेरिक का जन्म एक धनी-मानी परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा-दिक्षा लिपजिग (Lipzig) विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुई। सन् 1621 में जेना विश्वविद्यालय में इन्होंने कानून का अध्ययन किया और सन् 1623 में लीडन विश्वविद्यालय में गणित और यांत्रिकी का अध्ययन किया। सन् 1631 में वे स्वीडन के गुस्तावस-11 (Gustavus-11) की सेना में इंजीनियर नियुक्त हुए।

ग्वेरिके एक प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री, इंजीनियर और दार्शनिक थे। इन्होंने वायुपम्प का आविष्कार (otto von guericke pump) किया। इस पम्प की सहायता से उन्होंने निर्वात (Vacuum) तथा जल में और सांस लेने में वायु के महत्त्व का अध्ययन किया। सन् 1646 से 1681 तक वे मगडेवर्ग के मेयर पद पर और ब्रेन्डनबर्ग के मजिस्ट्रेट पद पर आसीन रहे।

ओटोवान ग्वेरिक और उनसे जुडी दिलचस्प कहानी -Otto von Guericke biography in hindi

ओटोवान ग्वेरिक के मेयर बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सन् 1618 में जर्मनी में एक भयंकर युद्ध छिड़ गया, यह युद्ध लगभग 30 वर्षों तक चला। ओटोवान ग्वेरिक ने इस युद्ध में अपना बहुत योगदान दिया। वे गणित तथा यांत्रिकी के कुशल इंजीनियर बन गए। संयोगवश युद्ध में उनके पक्ष की पराजय हो गई।

Read More  Conor Swail Biography, Facts, Childhood, Family, Life, Wiki, Age, Work, Net Worth

शत्रु ने मगडेवर्ग पर कब्जा कर लिया और नगर को बुरी तरह नष्ट कर दिया। इस युद्ध में लगभग 30,000 व्यक्ति मारे गए। सौभाग्यवश ग्वेरिक के मौत से बच गए। बाद में उन्होंने नगर का पुनर्निर्माण करने में बहुत मदद की और उन्हें नगर का मेयर बना दिया गया। इस पद को वे 35 वर्षों तक सम्भाले रहे। मेयर के जिम्मेदार पद पर होने के नाते वे बहुत ही व्यस्त रहते थे। लेकिन विशेष रुचि होने के कारण वे वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए कुछ न कुछ समय निकाल ही लेते थे। Otto von Guericke biography in hindi.

Join

ओटोवान ग्वेरिक के अविष्कार -Otto von Guericke Inventions

ओटोवान ग्वेरिक के अविष्कार -Otto von Guericke Inventions

ग्वेरिक ने कहीं अरस्तू (Aristotle) का यह कथन कि–’सिद्धांततः पूर्ण निर्वात असंभव है,’ पढ़ा था। उन्हें यह कथन एक चुनौती के रूप में दिखाई दिया।
उन्हें यह पता था कि गैलीलियो यह सिद्ध कर चुके हैं कि वायु में भार होता है। वे टोरिसेली द्वारा वायुदाबमापी पर किए गए प्रयोगों से भी भलीभांति परिचित थे। इन सब अनुभवों के आधार पर सन् 1650 में निर्वात पैदा करने के लिए उन्होंने एक वायुपम्प का आविष्कार किया। इस पम्प से काफी ऊंची सीमा तक निर्वात पैदा हो जाता था। उन्होंने इस पम्प को कुछ दूसरे प्रयोगों के लिए भी प्रयोग किया।

उन्होंने यह सिद्ध करके दिखाया कि किसी निर्वात कक्ष में बजने वाली घंटी की ध्वनि बाहर सुनाई नहीं देती है। इस तथ्य से उन्होंने यह सिद्ध किया कि प्रकाश तो निर्वात से होकर गुजर सकता है लेकिन ध्वनि निर्वात से होकर नहीं गुजर सकती। उन्होंने यह भी प्रदर्शित किया कि निर्वात में मोमबत्ती नहीं जल सकती और जीवित जानवर भी कुछ ही देर में मर जाते हैं।

ओटोवान ग्वेरिक (Otto von Guericke biography in hindi )ने कई प्रकार की निर्वात मशीनें भी बनाईं। अपने प्रयोग को सिद्ध करने के लिए उन्होंने तांबे के दो अर्धगोले बनाए जो एक दूसरे के साथ फिट होकर एक पूर्ण गोले का निर्माण करते थे। इनको मगडेबर्ग के अर्धगोलों के नाम से जाना जाता है। इन गोलों की सहायता से वान ग्वेरिक ने रेजन्सबर्ग में बादशाह फर्डीनद्र-111 के सामने निर्वात की विशाल शक्ति का प्रदर्शन किया।

Read More  What Is Empathy and What Does It Mean?

इस प्रयोग के प्रदर्शन के लिए ग्वेरिक के ने तांबे से बने दो अर्धगोले लिए। दोनों अर्धगोलकों को एक दूसरे के साथ लगाया जिससे कि चौदह इंच व्यास की एक बड़ी गेंद बन गई। इस गोले को वायुरुद्ध बनाने के लिए उन्होंने एक चमड़े का छल्ला लिया। जिसे तारपीन में बने मोम के घोल में डुबाकर अर्धगोलों के जोड़ वाले स्थान पर चिपका दिया। थोड़ी ही देर में तारपीन उड़ गया और चमड़े का छल्ला दोनों अर्धगोलकों के साथ चिपक गया। एक अर्धगोले में लगी धौंकनी को निर्वात पम्प से जोड़ दिया गया और गोले के अंदर की वायु को बाहर निकाल दिया गया। गोले में निर्वात पैदा करने के बाद आठ घोड़े एक अर्धगोले पर और आठ घोड़े दूसरे अर्धगोले (otto von guericke horse experiment )पर जोत दिए गए और उन्हें एक दूसरे की विपरीत दिशा में हांका गया। घोड़ों खूब खींचा तानी की लेकिन वे इन दोनों अर्धगोलों को एक दूसरे से अलग न कर सके। अंत में घोड़ों ने अपनी सारी शक्ति लगा दी तब वे गोलों को अलग कर सके।

जब वे गोले अलग हुए तो सारे दरबारी घबरा गए क्योंकि गोलों के अलग होने पर भारी धमाके की आवाज हुई। वास्तव में यह आवाज रिक्त स्थान में एकदम वायु प्रवेश के कारण हुई थी। फर्डीनद्र यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि वायुदाब के कारण इन अर्धगोलों को अलग करना इतना कठिन था। राजा के पूछने पर ओटोवान ने उन्हें अलग करने की सरल विधि बताई। उन्होंने घोड़ों को खोल दिया और दोनों अर्धगोलों को पहले की भांति जोड़कर उनके बीच की हवा पम्प द्वारा निकल दी।

Read More  Lionel Andres Messi Biography Wiki, Age, Career, Net Worth, awards, and life story

इन्हें अलग करने के लिए उन्होंने एक गोले पर लगी टोंटी घुमा दी जिससे गोलों में वायु तेजी से प्रवेश कर गई और गोले आसानी से एक दूसरे से अलग हो गए। इसके बाद उन्होंने बड़े गोलों से इसी प्रदर्शन को दोहराया। इनके चारों ओर इतना अधिक वायुदाब था कि चौबीस घोड़े (otto von guericke horse experiment )भी इन्हें अलग न कर पाए। तभी ग्वेरिके ने टोंटी घुमाई और वे गोले एक दूसरे से अलग हो गए। अपने इन प्रयोगों से उन्होंने सिद्ध कर दिया कि वायुदाब में अपरिमित शक्ति निहित होती है।

अपने विभिन्न प्रयोगों के दौरान (otto von guericke air pump )सन् 1663 में इन्होंने एक ऐसा जनरेटर बनाया, जो स्थिर विद्युत (otto von guericke electricity ) पैदा करता था। यह जनरेटर गंधक से बनाया गया था, जिसे घुमाने
पर घर्षण द्वारा विद्युत पैदा होती थी। कई वर्षों बाद सन् 1672 में ग्वेरिके ने इस बात का पता लगाया कि गंधक की गेंद पर पैदा होने वाली विद्युत उसकी सतह पर एक चमक पैदा करती है। यह चमक विद्युत प्रतिदीप्ति (Electro Luminescene) कहलाती है। इस प्रकार ग्वेरिके पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विद्युत प्रतिदीप्ति को देखा।

ओटोवान ग्वेरिक की मृत्यु – Death of Otto von Guericke

बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस वैज्ञानिक ने खगोलशास्त्र (अंतरिक्ष विज्ञान) का भी अध्ययन किया और बताया कि धूमकेतु (Comets) नियमित रूप से अंतरिक्ष में अपने स्थान की ओर वापस आते हैं। जब वे अस्सी वर्ष के थे तो पदमुक्त होकर वे हेमबर्ग में वापिस चले गए और वहीं सन् 1686 में इस महान वैज्ञानिक का देहांत हो गया।

ये article” ओटोवान ग्वेरिक की जीवनी – Otto von Guericke biography in hindi ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा

DMCA.com Protection Status