किरचौफ का विकिरण नियम (Kirchhofr’s law of radiation)-
किरचौफ के नियम के अनुसार “अच्छे उत्सर्जक अच्छे अवशोषक” होते हैं। अर्थात् जो पिण्ड किसी ताप पर अधिक ऊष्मा का उत्सर्जन करते हैं, वही कम ताप पर ऊष्मा का अच्छा शोषण भी करते हैं तथा अच्छे अवशोषक अच्छे उत्सर्जक भी होते हैं। इसके विपरीत बुरे अवशोषक बुरे उत्सर्जक होते हैं।
यदि हम दो प्याले (Cups) लें,जिनमें एक की बाहरी सतह खुरदरी व काली हो तथा दूसरे की चमकदार व सफेद हो तथा इनमें एक साथ चाय भर दें तो हम पाते हैं कि काली व खुरदरे सतह वाले प्याले की चाय जल्दी ठण्डी हो जाती है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि काली व खुरदरी सतह ऊष्मा की अच्छी अवशोषक होती है, जिससे किरचौफ के अनुसार यह ऊष्मा की अच्छी उत्सर्जक भी होगी। फलतः इस प्याले वाली चाय से ऊष्मा हानि अधिक होगी व चाय जल्दी ठण्डी पड़ जायेगी।
दूसरी ओर सफेद व चमकदार सतह ऊष्मा की बुरी अवशोषक होती है, अतः यह बुरी उत्सर्जक भी होगी, जिसके कारण इस प्याले की चाय से ऊष्मा हानि कम होगी व चाय गर्म बनी रहेगी।
यदि इन दोनों प्यालों में बर्फीला ठण्डा पानी डाल कर धूप में रख दिया जाये तो खुरदरी सतह वाले प्याले का पानी जल्दी गर्म होगा, क्योंकि अब यह सतह ऊष्मा का अधिक अवशोषण करेगी। लाल काँच इसलिये लाल दिखाई देता है क्योंकि यह अपने ऊपर गिरने वाले प्रकाश में से लाल प्रकाश को परावर्तित कर देता है तथा शेष रंगों के प्रकाश का अवशोषण कर लेता है।
सफेद प्रकाश के सात रंगों में लाल रंग को छोड़कर शेष रंगों का सम्मिलित प्रभाव हरे रंग जैसा होता है, अतः किरचौफ के अनुसार लाल रंग की उत्सर्जन क्षमता हरे रंग के लिये सबसे अधिक होगी। यही कारण है कि जब लाल काँच को अधिक ताप पर गर्म किया जाता है तो वह हरा दिखाई देता है। दूसरी ओर हरे काँच को गर्म करने पर वह लाल दिखाई देगा।
स्टीफेन का नियम (Stefan’s law)
किसी कृष्णिका के एकांक पृष्ठीय क्षेत्रफल से प्रति सेकेण्ड उत्सर्जित विकिरण ऊर्जा उसके परम ताप के चतुर्थ घात के अनुक्रमानुपाती होती है।
यदि कृष्णिका का परम ताप T व एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकेण्ड उत्सर्जित ऊर्जा E हो तो-
•E∝T4
•E = σT^4
जहाँ σ स्टीफेन नियतांक है। इसका मान 5.67 x 10^-8 जूल/(मी०^2 सेo-K^4) होता है। स्टीफेन नियतांक है। इसका मान 5.67 x 10^-8
जूल/(मी०^2 सेo-K^4) होता है।
न्यूटन का शीतलन नियम (Newton’s law of cooling)-
इस नियम के अनुसार किसी वस्तु के ठण्डे होने की दर वस्तु तथा उसके चारों ओर के माध्यम के तापान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है। अतः वस्तु जैसे-जैसे ठण्डी होती जायेगी उसके ठण्डे होने की दर कम होती जायेगी।
उदाहरणार्थ गर्म पानी को 80°C से 70°C तक ठण्डा होने में लिया गया समय 40°C से 30°C तक ठण्डा होने में लिये गये समय की अपेक्षा बहुत कम होता है।
यह article “किरचौफ का विकिरण नियम(Kirchhofr’s law of radiation), न्यूटन का शीतलन नियम (Newton’s law of cooling), स्टीफेन का नियम (Stefan’s law) ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।