- जन्म-13 जून, 1831
- जन्म स्थान-एडिनबर्ग, ब्रिटेन
- निधन-5 नवम्बर, 1879
मैक्सवेल(james clerk maxwell)बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वे तैराकी घुड़सवारी और जिमनास्टिक में महारत रखते थे। इन्होंने प्रकाश के विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत का नयारूप दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
प्रकाश का रहस्य- Mystery of light
प्रकृति अपने आप में अत्यंत रहस्यमयी है। सदियों से वैज्ञानिक प्रकृति के जटिल रहस्यों को खोजने और उन्हें स्पष्ट करने में लगे हैं और आज जबकि विज्ञान अपनी उन्नति के चरम पर है।
तब भी यह नहीं कहा जा सकता कि विज्ञान ने प्रकृति के सभी रहस्यों को तलाश लिया है। प्रकाश प्रकृति के उन्हीं जटिल रहस्यों में मैक्सवेल(james clerk maxwell)से पहले प्रकाश के रहस्यों को समझने की कोशिश अनेक वैज्ञानिकों ने की। इसके लिए कई वैज्ञानिकों ने भांति-भांति की परि-कल्पनाएं प्रस्तुत की। किसी ने प्रकाश की व्याख्या सूक्ष्म कणों के रूप में की तो किसी ने तरंगों के रूप में।
कई वैज्ञानिकों ने प्रकाश को चलने के लिए ईश्वर जैसे किसी काल्पनिक माध्यम की कल्पना की परंतु यह कटु सत्य है कि सभी की कल्पनाएं कहीं न कहीं अधूरी थीं।
इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने।
मैक्सवेल का जन्म-james clerk maxwell biography in hindi
विज्ञान की इस दिव्य विभूति का जन्म 13 नवम्बर, 1831 को स्काटलैंड के एडिनबर्ग नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता ग्लैनेयर एक धनी व्यक्ति थे।
दुर्भाग्यवश जब इनकी उम्र केवल आठ वर्ष की ही थी तभी इनकी मां की मृत्यु हो गई।
मां का साया उठ जाने के बाद इनकी देख-रेख इनके पिता को ही करनी पड़ी। कौन जानता था कि गांव में जन्मा एक सीधा-सादा बालक एक दिन विज्ञान का ऐसा सिद्धांत प्रस्तुत करेगा जो विश्व भर में उसके नाम का डंका बजा देगा और भौतिकी की अनेक गूढ़ समस्याओं का समाधान कर देगा।
मैक्सवेल बचपन में बहुत ही सीधे-सादे थे और साधारण कपड़े पहनते थे। इसलिए उनके सहपाठी उन्हें ‘दफती'(मूर्ख) कहकर चिढ़ाते थे। बचपन से ही इनको प्रकृति से विशेष लगाव था।
इन्हें झील, पहाड़ियों और झरनों को देखने का बड़ा शौक था। प्रकृति के रंग-बिरंगे दृश्यों को देखकर वे उनमें डूब जाते थे और उनके विषय में कुछ न कुछ सोचते रहते थे।
निश्चय ही प्रकृति के इन रंग-बिरंगे दृश्यों ने उनकी प्रतिभा को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई। शायद यह प्रकृति का ही उपहार था कि आगे चलकर उन्होंने विविध रंगों को एक समीकरण(james clerk maxwell equations)में बांधने में सफलता प्राप्त की।
मैक्सवेल का योगदान-james clerk maxwell inventions
हमारे यहां एक कहावत है कि ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात’। यह कहावत मैक्सवेल के विषय में काफी हद तक चरितार्थ होती है। विद्वत्ता के लक्षण इस वैज्ञानिक
में किशोरावस्था में ही प्रकट होने लगे थे। 15 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने कार्टीशियन ओवल बनाने की एक यांत्रिक विधि खोज निकाली थी।
कार्टीशियन ओवल ज्यामिति में एक विशेष प्रकार का वक्र होता है। इस यांत्रिक विधि से सम्बंधित उन्होंने एक शोध पत्र तैयार किया जिसे उन्होंने रॉयल सोसायटी के समक्ष पढ़ा था।
18 वर्ष की उम्र में उन्होंने रोलिंग कर्व और लचीले ठोसों की साम्यावस्था के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अनुसंधान किए। इन विषयों पर लिखे शोध पत्र भी इन्होंने रॉयल सोसायटी के समक्ष प्रस्तुत किए थे।
इन्होंने शनि के छल्लों से सम्बंधित एक सनसनीखेज निबंध लिखा था। इसके लिए इन्हें ‘एडम पुरस्कार’ प्रदान किया गया। मैक्सवेल(james clerk maxwell inventions) की प्रतिभा का वास्तविक विकास तब हुआ जब वे स्कॉटिश वैज्ञानिक ‘निकोल’ के सम्पर्क में आए। वास्तव में निकोल इनके लिए महान गुरु सिद्ध हुए।
निकोल द्वारा बनाए निकोल प्रिज्म पर इन्होंने शोध कार्य प्रारम्भ किया, जिससे शोध करने की इनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति का अत्यधिक विकास हुआ। उन्हीं के साथ इन्होंने सन् 1855 में वर्णान्धता (Colour Blindness) पर शोध पत्र प्रकाशित किए।
मैक्सवेल(james clerk maxwell discoveries)की सबसे महत्त्वपूर्ण खोज थी-प्रकाश का विद्युत-चुम्बकीय(james clerk maxwell electromagnetism) सिद्धांत । इस सिद्धांत पर कार्य करने की प्रेरणा उन्हें माइकल फैराडे से मिली थी। माइकल फैराडे को स्वयं यह एहसास हो गया था कि प्रकाश एक विद्युत-चुम्बकीय घटना है लेकिन वे इसका कोई गणितीय आधार प्रस्तुत न कर पाए।
मैक्सवेल ने प्रकाश की विद्युत चुम्बकीय प्रवृत्ति को समझने के लिए अनेक प्रयोग किए और फिर इसे गणितीय रूप में प्रस्तुत किया। इस विषय से सम्बंधित उन्होंने अपने परिणाम ‘डायनामिकल थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड’ के नाम से प्रकाशित किए।
इसके आठ वर्ष बाद उन्होंने इसी विषय पर एक महान ग्रंथ ‘ट्रिटाइज ऑन इलेक्ट्रीसिटी एंड मैग्नेटिज्म’ लिखा।
मैक्सवेल की विद्युत-चुम्बकीय( james clerk maxwell electromagnetic wave)तरंगे ईथर के लचीले माध्यम से संचरित होती थीं। बाद में ईथर माध्यम की संकल्पना निराधार सिद्ध हो गई लेकिन इनका विद्युत चुम्बकत्व सिद्धांत(Electromagnetism theory) आज भी हर कसौटी पर सत्य उतरता है।
विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत के अतिरिक्त इन्होंने एक चकती का निर्माण किया जो मैक्सवेल चकती(james clerk maxwell disc) के नाम से प्रसिद्ध हुई। इन्होंने गैसों का गतिज ऊर्जा औसत मुक्त पथ तथा मैक्सवेल-बोल्ट्जमैन सांख्यिकी पर भी अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए।
इन्होंने विश्व-प्रसिद्ध कैम्ब्रिज की कैवेंडिश प्रयोगशाला में कार्य किया। वे कैम्ब्रिज में विश्व के प्रथम कैवेंडिश प्रोफेसर नियुक्त हुए। विज्ञान को जनसाधारण तक पहुंचाने के लिए अनेक प्रयोग किए क्योंकि उनकी दृढ़ मान्यता थी कि वास्तविक विज्ञान वही है, जो सबके हित के लिए हो।
मैक्सवेल की मृत्यु-james clerk maxwell death
मैक्सवेल विश्व-प्रसिद्ध वैज्ञानिक तो थे ही साथ ही साथ वे तैरने, घुड़सवारी करने और जिम्नास्टिक में भी दक्ष थे। वे अच्छी कविताएं भी कर लेते थे।
महान प्रतिभावाला यह वैज्ञानिक विज्ञान की सेवा करते हुए सन् 1879 में भगवान को प्यारा हो गया। यद्यपि दुनिया में आज मैक्सवेल नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा दिया गया विद्युत-चुम्बकीय सिद्धांत हमेशा विज्ञान के इतिहास में अमिट रहेगा।
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