Space मे research के लिए vehicle बनाने का idea सबसे पहले Hermann oberth, Wehrner von braun और Konstantin Tsiolkovsky को आया था. 20 सदी मे.:international space station in hindi
इन्होने अपनी science fiction वाली Imagination को बढ़ाया. और सोचा क्यों न space मे इंसानो का एक किला हो.
जहाँ जाकर ठहरा जा सके. और वही से फिर space घूमा भी जा सके.
किसको पता था उनका यह idea आगे
चलकर बहुत बड़ा योगदान देने वाला है. Science के field मे.
कुछ समय बाद इस concept को आधार मानकर scientists ने एक new concept तैयार किया.
एक ऐसा imaginary concept, space station का जो कुछ ऐसा दिखता था.
अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन का इतिहास (history of international space station in hindi )
शुरुआती दिनों मे जो space station बने थे. वह इस imaginary space station से काफ़ी अलग थे.
और उस समय के technology के reality से जुड़े हुए थे. दुनिया का सबसे पहला space station रूस ने बनाया था.
जिसका नाम था. Salyut-1. और इसे 19 अप्रैल 1971 मे पृथ्वी के orbit मे launch किया गया.
और फिर cold war के चलते NASA भी पीछे नही रही. और फिर NASA ने 14 मई 1973 मे ” Skylab ” के नाम से एक space station launch किया.
लेकिन यह सभी space station बस एक trailer था. असली कहानी तो अभी बाकी थी.
क्युकी अब बनने वाला था. दुनिया का सबसे बड़ा space station. जो space मे हमारे पृथ्वी को orbit करने वाला था.
मै बात कर रहा हुँ. ISS (International space station in hindi ) की.
दोस्तों ISS किसी एक देश का नही है. इसे US, Russia, European space agency(ESA), और Canada और japan ने मिलकर बनाया है.
इन सभी देशों का एक साथ मिलकर काम करने का इतिहास काफ़ी रोमाचक है.
चलिए एक नजर डालते है. इतिहास पर,
1984 मे US ने एक project announced किया. जिसका नाम था “Freedom “.
लेकिन कुछ कारणवश US की कांग्रेस ने इसकी Funding रोक दी. और फिर इस प्रोजेक्ट पर काम रुक गया.
और फिर 1993 के बाद जब NASA ने दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करना start किया.
और इस प्रोजेक्ट को दुबारा ज़िंदा किया. फिर इसी प्रोजेक्ट का नाम अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International space station ) रख दिया गया.
क्युकी अब इसमें कई अन्य देशों ने भी Funding लगाई थी.
करीब 5 साल बाद ISS (International space station in hindi ) का construction शुरू हो गया.
और लगभग 10 साल बाद इसका पूरा काम complete हो गया.
तो दोस्तों ऊपर image मे हमारा space station है. यह देखने मे भले ही छोटा लग रहा हो. लेकिन इसका आकार एक बड़े football field जितना है.
और यह करीब 250 किलोमीटर पृथ्वी की सतह से ऊपर है. Space station मे एक साथ करीब 6 लोग आराम से 6 months तक रहते है.
और फिर earth पर वापस आ जाते है.
अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन को कैसे बनाया गया है. (International space station hindi )
अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International space station) बहुत सारे छोटे छोटे vehicle से मिलकर बना है. जिन्हे कहते है, Modules.
चुकी इतने सारे देशों की funding लगी है. इसलिए कई सारे Modules,
Specifically अलग अलग देशों ने बनाया है.
साथ ही इस space station मे research lab भी है. जिसमे astronaut,
Science experiment भी करते है.
जो अधिकतर space से related होते है. इन space station मे astronaut’s के रहने के room बिल्कुल अलग है.
जो देखने मे एक कैप्सूल जैसे मालूम पड़ते है. इन कैप्सूल को कहा जाता है. Pressure chamber.
कोई भी astronaut बिना किसी suit के यहां आराम से रह सकता है. क्युकी यह area,
Pressurized होती है.
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यह chamber, space station के बिलकुल center मे है . जिसे दो segment मे अलग किया गया है.
एक है russia द्वारा design किया गया. Russian Orbital segment जो की पूरा हिस्सा अकेला russia का है.
और एक है American orbital segment जो की united state का module है. जिसमे japan, ESA, और canada के भी कुछ छोटे module शामिल है.
Russia हमेशा से extra privacy चाहता था. इसिलए इसका modules सबसे अलग है.
ये सभी modules अलग अलग देशों मे उनके customization के हिसाब से बनाया गया है. और फिर उन्हें space मे ले जाकर फिट किया गया है.
अब आप सोच रहे होंगे. की इन्हें space मे कैसे जोड़ा गया होगा. चलिए इसे थोड़ा अच्छे से समझते है.
Space station के कोने मे कुछ Docking port’s होते है. जो कुछ ऐसे दिखाई देते है.
यह basically खाचे होते है. जो एक module को दूसरे module से जोड़ने का काम करते है.
लेकिन ISS के module केवल इन्ही Docking port’s से नही जुड़ते है. एक और चीज होती है जो इन module को lock करके रखती है. जिसे कहते है.pressurized meeting adapter (PMA).
अब इन module को एक दूसरे के करीब लाया जाता है. Propeller की मदद से और फिर इन्हें attached कर दिया जाता है.
अब इतना कुछ पूरा करने के लिए हमें जरुरत पडती है . energy की, और यह energy हमें मिलती है. solar panels से जो space station मे लगे रहते है.
जब इन panels पर सूरज की रौशनी पडती है तब generate होती है. Energy जिससे हमारा space station रोशन होता है.
Space station का main goal
Space से जुडी research करना है. इसीलिए यहां सभी देशों के अपने अपने experiment lab बने हुए है.
अमेरिकन experiment lab का नाम है Destiny, japan के experiment lab का नाम है Kibo, और ESA का experiment lab, columbus है.
जबकी russia के experiment lab का नाम “poisk” है.
जो की private, russian orbital segment ” मे आता है. और यह ISS के left side मे है.
यह सभी segment एक दूसरे से जुड़े हुए है. एक strong structure की मदद से. जिसे आप ISS की रीड की हडी कह सकते हो.
इसे technical भाषा मे “tross ” कहा जाता है. ISS मे astronaut को किसी भी छोटे मोटे काम के लिए space मे बाहर जाने की जरुरत नही पडती.
क्योकि canada ने ISS मे जगह जगह पर robotic hand’s बना रखे है. जिसे कहते है. ” Canadarm “.
यह बिलकुल एक hand की तरह काम करते है.
इनकी मदद से astronaut’s, ISS के अंदर रहकर बाहर के लगभग सभी काम कर लेते है.
Facts about international space station hindi
1) अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन(International space station) हमारे earth के चारो तरफ 27700km/hours
के speed से orbit कर रहा है.
2)अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International space station), लगभग 109 मीटर लम्बा और 72 मीटर चौड़ा है. जो की एक फुटबॉल ग्राउंड जितना बड़ा है.
3)space station एक दिन मे 15 से 16 चक्कर लगाता है. Earth का मतलब वहाँ रहने वाले astronaut के लिए 24 घंटे मे 15 से 16 बार दिन और रात होता है.
4)space station मे एक दिन 90 मिनट का होता है.
5)आप space station को आसमान मे देख सकते हो. यह हर 92 मे आपके ऊपर से एक बार चक्कर लगाता है.
6)space station को बनाने मे लगभग 15 हजार करोड़ US डॉलर लगे है. जो की indian rupees मे 10 लाख करोड़ से भी ज्यादा है.