गर्मियों के समय समुद्र, नदी, तालाब आदि का जल वाष्पीकृत होकर जलवाष्प के रूप में वायुमण्डल में उपस्थित रहता है। अत: वायुमण्डल में वायु व जलवाष्प दोनों का मिश्रण होता है। वायु के साथ घुली हुई इस जलवाष्प को आर्द्रता(Humidity in hindi)कहते हैं।
आर्द्रता की परिभाषा (Humidity)-“वायुमंडल में नमी की उपस्थिति को आर्द्रता कहते हैं।”
आपेक्षिक आर्द्रता परिभाषा (Relative Humidity in hindi)-
किसी ताप पर वायुमंडल के एकांक आयतन में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा एवं उसी ताप पर एकांक आयतन में उपस्थित संतृप्त जलवाष्प की मात्रा के अनुपात को वायुमंडल की आपेक्षिक आर्द्रता कहते हैं। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। इसकी कोई इकाई नहीं होती है।
कोहरा(Fog)-
जाड़े की रातों में जब धूल, धुआँ आदि के कणों पर जलवाष्प द्रवित होकर छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जमा हो जाता है, तो वायुमंडल धुंधला दिखाई देने लगता है। इस धुन्ध को कोहरा कहते हैं।
दैनिक जीवन में आद्रता के उदाहरण
वाष्प की यह मात्रा प्रत्येक स्थान पर समान नहीं होती। प्रायः समुद्रतटीय क्षेत्रों में जलवाष्प की मात्रा वायुमण्डल में अधिक पापी जाती है। यही कारण है कि तटीय शहर जैसे बम्बई, अहमदाबाद आदि जगहे कपड़े के बड़े कल कारखानों के लिये प्रसिद्ध हैं, क्योंकि वायु में अधिक जलवाष्प होने के कारण धागा मजबूत होता है व जल्दी नही टूटता।
किसी दिये गये ताप पर वायु जलवाष्प की एक निश्चित मात्रा ही ग्रहण कर सकती है तथा इस अवस्था में वायु संतप्त (saturated) अवस्था में होती है। यदि ताप को और अधिक बढ़ा दें तो वायु को संतृप्त करने के लिये अधिक जलवाष्प की आवश्यकता होगी।
किसी दिये हुये ताप पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा तथा उसी ताप पर, उसी आयतन की वायु को संतृप्त करनेके लिये आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के अनुपात को आपेक्षिक आर्द्रता’ (relative humidity) कहते हैं।
समाचारों में मौसम सम्बन्धी जानकारी आपेक्षिक आर्द्रता को प्रतिशत में व्यक्त करते हैं। आपेक्षिक आर्द्रता को मापने के लिये हाइग्रोमीटर (Hygrometer) नामक यंत्र का इस्तेमाल करते हैं।
ताप बढ़ने पर आपेक्षिक आर्द्रता बढ़ जाती है यही कारण है कि गर्मी के दिनों में सर्दियों की अपेक्षा वायु को संतृप्त करने के लिये अधिक जलवाष्प की आवश्यकता होती है, जिससे गर्मियों में अधिक वाष्पन होता है। गर्मियों के दिनों में कपड़ों आदि का जल्दी सूखना इसी कारण सम्भव होता है।
आपेक्षिक आर्द्रता से सम्बन्धित और भी कई घटनायें देखने को मिलती हैं। गर्मी के दिनों में वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प गर्मी पाकर गर्म होती हैं जिससे जलवाष्प का घनत्व घटता है।
घनत्व घटने के कारण जलवाष्प हल्की होकर ऊपर उठती है। वायुमण्डल के ऊपरी भाग में दाब व ताप कम होने के कारण ये जल वाष्प फैलती हैं व पानी की छोटी-छोटी बूंदों में परिवर्तित होकर(Humidity in hindi) तैरती रहती हैं। इसी को ‘बादल’कहा जाता है।
जब वायुमण्डल का ताप और अधिक गिर जाता है तो ये छोटी-छोटी बूंदे मिलकर जल की बड़ी-बड़ी बूंदे बनाती है जो अधिक भार होने के कारण पृथ्वी की ओर गिरती हैं इसी को ‘वर्षा’ कहा जाता है।
यदि वायुमण्डल का ताप और अधिक गिरकर 0°C पर पहुँच जाता है तो यें बूंदे बर्फ में परिवर्तित होकर पृथ्वी की ओर गिरती है ; जिन्हें “ओला” कहा जाता है । जाड़ों के दिनों में जब वायुमण्डल का ताप गिर जाता है तो पृथ्वी की सतह पर वायु में घुली जलवाष्प छोटी-छोटी बूंदो के रूप मे धूल-धुयें आदि के कणो पर जमा हो जाती है। जिसके कारण वायुमण्डल धुंधला दिखाई डेटा है। जिसे हम कोहरा कहते है।
यह article “आर्द्रता क्या है। आर्द्रता की परिभाषा (Humidity in hindi), आपेक्षिक आर्द्रता परिभाषा किसे कहते है ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।