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हमें प्यास क्यों लगती है ? बिना उबाले दूध जल्दी खराब क्यों जो जाता है ?

हमें प्यास क्यों लगती है ?

हमारे रक्त में जल एवं नमक सदैव ही मौजूद रहते हैं । शरीर के ऊतको में भी ये पदार्थ रहते हैं। सामान्यत: रक्त में इन दोनों पदार्थों का अनुपात स्थिर रहता है। किसी कारणवश रक्त में जल की मात्रा कम होने पर इन दोनों पदार्थों का अनुपात बदल जाता है । इस स्थिति में मस्तिष्क में उपस्थित प्यास केन्द्र गले को सन्देह भेजता है, जिसके फलस्वरूप गले में सिकुड़न पैदा हो जाती है। इस सिकुड़न से गला सूखने लगता है और हमें प्यास महसूस होने लगती है।

बिना उबाले दूध जल्दी खराब क्यों जो जाता है ?

ताजे दुहे दूध में कई प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं । जब दूध वायु के सम्पर्क में आता है तो इन बैक्टीरिया की संख्या कुछ ही समय में बहुत ज्यादा हो जाती है। इन्हीं बैक्टीरिया के कारण दूध खट्टा हो जाता है । दूध को खराब होने से बचाने का सबसे अच्छा तरीका फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईपास्चर ने खोजा था। इस प्रक्रिया को पास्चराइजेशन (Pasteurization) कहते हैं।

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बाजार में बिकने वाले.मक्खन और दूध के पैकेटों पर पास्चराइजेशन युक्त लिखा रहता है। यदि दूध को 62°C पर 30 मिनट तक गर्म करके ठंडा कर दिया जाय तो दूध में उपस्थित बैक्टीरिया मर जाते हैं। इस प्रकार के गर्म किये हुए दूध को बिना खराब हुए अधिक समय तक रखा जा सकता है।

मधुमेह रोगियों के लिए मशरूम (Mashroom) कैसे लाभदायक है।

हाँ ! मशरूम, विटामिन के साथ ही स्टार्च एवं कोलेस्ट्रॉल रहित होने की वजह से मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है। मशरूम में फोलिक अम्ल प्रचुर मात्रा में पाये जाने के कारण रक्त की कमी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी गुणकारी है।

मनुष्य “माँस” का पाचन कर लेता है। परन्तु उसकी आँत क्यों नहीं पचती है ?

मनुष्य की पूरी आँत में अन्दर से क्यूटिकल का आवरण चढ़ा होता है। आँत से स्रावित पाचक रसों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । माँस पर ऐसा कोई आवरण नहीं होता इसलिए वह पच जाता है।

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पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति यकायक खत्म हो जाय, तो क्या होगा ?

यदि पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति यकायक समाप्त हो जाय तो सभी वस्तुएँ अन्तरिक्ष में तैरती नजर आयेगीं। मानव एवं जीव-जन्तुओं सभी की गतिविधियाँ ठप्प हो जायेगी, क्योंकि उनकी चलने फिरने की शक्ति समाप्त हो जायेगी।

किसी गिलास में बर्फीला पानी रखने पर बाह्य सतह पर पानी की बूंदें इकट्ठी क्यों हो जाती हैं ?

गिलास के पानी में वाष्पन होने से आस-पास का तापमान काफी कम हो जाता है जिससे गिलास की बाहरी सतह पर आई वायु संघनित होकर छोटी-छोटी बूंदों के रूप में इकट्ठी हो जाती है।

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• स्याही-सोख्ता (Blotting paper) स्याही कैसे सोख लेता है ?

सोख्ता पेपर में छोटी-छोटी केशनलियाँ पाई जाती है। स्याही में पृष्ट-तनाव के गुण के कारण स्याही इन केशनलियों में चली जाती है । इस प्रकार स्णही सोखने में सोखा पेपर सहायक होता है।

• पानी की छोटी बूंदें गोल होती हैं, क्यों ?

द्रव की बूंद की आकृति दो बलों- पृष्ठ तनाव तथा गुरुत्व बल से निर्धारित होती है । बूंद वह आकृति धारण करती है जिसमें उसकी स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम् होती है। छोटी बूंद के लिए, केवल पृष्ठ तनाव ही कार्य करता है। इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम् तब होगी जब पृष्ठीय क्षेत्रफल न्यूनतम् हो । अत: बूंद्र गोलाकार हो जायेगी।

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