महान खगोलविद् और गणितज्ञ गैलीलियो ने अपने समय में अनेक भ्रांतियों को तोड़ते हुए एक साहसपूर्ण घोषणा की थी कि पृथ्वी नहीं सूर्य ब्रह्मांड का केंद्र है. अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी भी सूर्य की परिक्रमा करती है। उस समय कोई ये अद्भुत तर्क मानने के लिए तैयार नहीं था। गैलीलियो को अदालत में इसके लिए क्षमा भी मांगनी पड़ी थी।
गैलीलियो गैलिली का जन्म -Biography of Galileo Galilei in Hindi
सत्य की खोज में जिन लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया गैलीलियो गैलिली भी उन्हीं महानतम् विभूतियों में एक थे। गैलीलियो का जन्म इटली के एक प्रसिद्ध नगर पीसा (अब फ्रांस में) में हुआ था। इनके पिता एक विचारक थे तथा समाजिक तौर पर उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। बचपन में गैलीलियो( Biography of Galileo Galilei in Hindi) का झुकाव चिकित्सा शास्त्र की ओर था लेकिन कालांतर में इनकी रुचि भौतिक विज्ञान की ओर बढ़ गई।
गैलीलियो गैलिली और लोलक की कहानी -The story of Galileo Galilei and the pendulum in hindi
जब वे लगभग 17 वर्ष के थे और विद्या अध्ययन कर रहे थे तो एक शाम वेअपने शहर पीसा के गिरजाघर में प्रार्थना करने गए। तभी गिरजाघर के एक दरबान ने जंजीर से लटके एक लैम्प को जलाया। जैसे ही उसने अपना हाथ हटाया वैसे ही लैम्प जंजीर के साथ दाएं-बाएं झूलने लगा। लैम्प को झूलते देख गैलीलियो ने यह महसूस किया कि लैम्प के इधर-उधर डोलने (दोलन) का समय समान ही रहता है चाहे डोलनेकी दूरी बड़ी हो या छोटी। चिकित्सा विज्ञान के छात्र होने के कारण उन्हें पता था कि मनुष्य की नाड़ी की हर धड़कन में समान समय लगता है। इसलिए अपने विचारों (Observation) की जांच करने के लिए उन्होंने लैम्प के दोलनों की निश्चित संख्या जानने के लिए अपनी नाड़ी की धड़कनों को गिनने का निश्चय किया। इस परीक्षण में उनकी धारणा सत्य सिद्ध हुई। उन्होंने पाया कि दोलन छोटा हो या बड़ा, सबके लिए समान समय लगता है। इसी तथ्य के आधार पर उनके दिमाग में एक यंत्र बनाने
का विचार पैदा हुआ जिसे आज सरल दोलक (Simple Pendulum) कहते हैं
इसी तथ्य के आधार पर उन्होंने एक यंत्र का आविष्कार किया जिसे ‘नाड़ी स्पंदन मापी’ (Pulse Meter) कहते हैं। कई वर्षों बाद जब गैलीलियो वृद्ध और अंधे हो चले थे, उनके पुत्र विन्सेंजी ने इसी आधार पर दीवार घड़ियों के मॉडल बनाए। आज भी इसी आविष्कार के आधार पर दीवार की पेंडुलम घड़ियां बनाई जाती हैं।
गैलीलियो गैलिली और उनके अविष्कार -Galileo Galilei and his inventions
एक परम्परागत कहानी के अनुसार गैलीलियो ने
अरस्तू के इस कथन को कि–’यदि समान ऊंचाई से अलग-अलग भार की दो वस्तुएं एक ही साथ गिराई जाएं तो अधिक भार की वस्तु कम भार की वस्तु की तुलना में जमीन पर पहले गिरेगी। गलत सिद्ध करने के लिए पीसा की झुकी हुई 180 फुट ऊंची मीनार को चुना। सन् 1590 में एक दिन वे जीने से चढ़कर इस मीनार की सातवीं मंजिल के छज्जे पर चढ़ गए। अपने साथ वे धातु से बने दो गोले भी ले गए, जिनमें एक का भार सौ पौंड था और दूसरे का मात्र एक पौंड। गैलीलियो (Biography of Galileo Galilei in Hindi) ने छज्जे से झुककर देखा
कि उनके इस प्रयोग को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ खड़ी है। इस भीड़ में पीसा विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर, दार्शनिक और विद्यार्थी भी शामिल थे।
गैलीलियो ने बड़ी सावधानी से दोनों गोलों को छज्जे की मुंडेर के बाहरी किनारे पर संतुलित किया। भीड़ का उन्माद बढ़ने लगा। फिर उन्होंने दोनों गोलों को एक ही साथ नीचे गिराया। भीड़ में से अधिकांश लोगों का विश्वास था कि गैलीलियो निश्चित रूप से सबके सामने बेवकूफ सिद्ध हो जाएंगे लेकिन उस समय उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उनकी आंखों के सामने दोनों ही गोले एक साथ जमीन से आकर टकराए। इस प्रकार वर्षों से चली आ रही एक मान्यता देखते ही देखते गलत सिद्ध हो गई। इस कहानी में कितना सत्य है, इसके विषय में लोगों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं लेकिन यह सत्य है कि गैलीलियो ने गुरुत्वाकर्षण के विषय में इतने वर्ष पूर्व ही बहुत कुछ जान-बूझ लिया था और सम्भवतः इसी आधार पर वे इस तथ्य को सिद्ध कर सके।
गैलीलियो (Biography of Galileo Galilei in Hindi )ने अनेक अध्ययनों के आधार पर एक सफल दूरदर्शी (टेलीस्कोप)का निर्माण किया। गैलीलियो ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है—’जब इस दूरदर्शी (टेलीस्कोप) के निर्माण की खबर वेनिस पहुंची तो मुझे राजा सिग्नोरिया ने बुलावा भेजा, मैंने यह यंत्र दिखाकर सारे राजदरबार को चकित कर दिया। बहुत से कुलीन व्यक्ति इस यंत्र को लेकर वेनिस के गिरजाघर की सबसे ऊंची मीनार पर चढ़ गए
और उन्होंने पालदार जहाजों को देखा। इस यंत्र के कारण ये जहाज वास्तविक दूरी से 10 गुना समीप दीखते थे। उन्होंने बृहस्पति के उपग्रहों का पता लगाया और सिद्ध
किया कि आकाश गंगा बहुत से तारों से मिलकर बनी है।
गैलीलियो गैलिली और कोपर्निकस -Galileo Galilei and Copernicus hindi
गैलीलियो ने कोपर्निकस के विचारों की पुष्टि की। कोपर्निकस का कहना था कि सूर्य ब्रह्मांड का केंद्र है, न कि पृथ्वी। गैलीलियो ने इस सिद्धांत को प्रतिस्थापित करते हुए कहा कि पृथ्वी इस ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है बल्कि पृथ्वी और दूसरे सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। सन् 1616 में जब गैलीलियो ने सूर्य की स्थिरता का और पृथ्वी के घूमने का सिद्धांत घोषित किया तो इसके दो दिन बाद उन्हें चर्च के अधिकारियों के सामने प्रस्तुत होना पड़ा।
उन्हें सरकारी तौर पर चेतावनी दी गई कि वे इस विचार का प्रचार बंद कर दें। कहा जाता है कि कट्टर कैथोलिक होने के कारण गैलीलियो ने सन् 1630 तक इस सिद्धांत के बारे में कोई सार्वजनिक वक्तव्य नहीं दिया। इसके पश्चात उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘डाइलॉग्स कनसर्निंग दि टू प्रिन्सीपल सिस्टम्स आफॅ दि वर्ल्ड’ (Dialouges concerning the two principal systems of the world) धार्मिक न्यायालय में की। इस पुस्तक में उन्होंने अपने विचारों का खुलकर प्रतिपादन किया था। इसके आधार पर उन पर अभियोग लगाया गया और 70 वर्ष के इस बूढ़े वैज्ञानिक को पुनः न्यायालय में उपस्थित होना पड़ा।
गैलीलियो पर यह दबाव डाला गया कि यदि वह अपने कथनों को झूठा मान लें तो उन्हें माफ किया जा सकता है।
कहा जाता है कि न्यायालय में जब गैलीलियो (Biography of Galileo Galilei in Hindi) अपनी मान्यताओं से इंकार करने के लिए खड़े हुए तो उनका मन पश्चात्ताप से भर गया। तब उन्होंने भूमि की ओर देखा
और फुसफुसाते हुए कहा—’पृथ्वी ही सूर्य के चारों ओर घूमती है। इसके लिए उस बूढ़े वैज्ञानिक को जेल काटनी पड़ी।
गैलीलियो गैलिली के अंतिम पल – last moments of Galileo Galilei’s in hindi
सन् 1637 में गैलीलियो अंधे हो गए और जनवरी,
1642 में जेल में ही उनका देहांत हो गया। वे एक ऐसे वैज्ञानिक थे जो जीवन भर सत्य की खोज में लगे रहे। आज भी उनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
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