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आंद्रेयेस विसेलियस की प्रेरणादायक जीवनी – Biography of Andreas Vesalius in hindi

  • जन्म – 1514 ई .
  • जन्म स्थान -ब्रुसेल्स
  • मृत्यु -1564 ई .

मानव शरीर रचना को ठीक से समझने के लिए विसेलियस ने पुरानी मान्यतयो की जगह पत्यक्ष अवलोकन पर जोर दिया. जिससे चिकित्सक शास्त्र का रूप ही बदल गया.

आंद्रेयेस विसेलियस का जन्म -Biography of Andreas Vesalius in hindi

आंद्रेयेस विसेलियस का जन्म ब्रुसेल्स शहर मे हुआ था. उनके पिता सम्राट पाचं के यहां औषधि विक्रेता थे. आंद्रेयेस विसेलियस के अधिकांश पूर्वज आयुर्वेद के ज्ञाता थे. अर्थात आंद्रेयेस विसेलियस को चिकित्सक का क्षेत्र विरासत मे मिला था.
उनका बचपन छोटे छोटे चूहें, परिंदे आदि के चिड़ा फाड़ी मे बिता. और उनकी यह आदत उनके घरवालों के लिए लगभग एक सिरदर्द थी. सभी ने पहले से ही फैसला कर लिया था की वह चिकित्सक ही बनेगे.

आंद्रेयेस विसेलियस की शिक्षा-Education of andreas vesalius

आंद्रेयेस विसेलियस (Biography of Andreas Vesalius in hindi )की शिक्षा-दीक्षा लूव्रे विश्वविद्यालय मे तथा पेरिस विश्वविधालय मे हुई. और पढ़ाई खत्म करते ही वही मेडिकल फैक्ल्टी मे शल्य शास्त्र तथा शरीर शास्त्र के प्रोफेसर के रूप मे नियुक्ति हो गयी.

1543 तक वह यही कार्य करते रहे. इस दौरान उन्होंने मानव संरचना की अंतरीक रचना के विषय पर अपनी पुस्तक पर कार्य किया. इस पुस्तक का शिर्षक था. “De humani corporis fabrica “, विसेलियस अच्छी तरह से जानते थे की उनकी इस रचना को वर्तमान चिकित्सक समाज नहीं मानेगा. क्युकी उन्होंने अपने किताब मे सदियों से चलि आ रही मान्यताओं का खंडन किया था.

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इन्होने स्पेन के सम्राट चार्ल्स के अभीरक्षा मे इस किताब को प्रकाशित किया. लेकिन किताब छपते ही उनकी नौकरी चली गयी. अब वह चार्ल्स के राज वैध के तोप मे नियुक्त हो गए. यहां पहुँचकर आगे शरीर रचना पता उन्होंने कुछ भी अनुसधान नहीं किया. चार्ल्स के बाद उनके बेटा फिलिप्स के यहां भी वह उसी तरह राज वैध बने रहे.

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जब वह विधार्थी जीवन मे थे. तभी उनको यह आभास हो हो गया थी. पुराने चिकित्सक शास्त्र मे दम नहीं है. शरीर रचना चिकित्सक शास्त्र के मुख्य अंग है. और चिकित्सक विषय सही सही बिना शरीर के अंग के ज्ञान के बिना अधूरी है. बिना इसे समजे बीमारी का सही इलाज सम्भव नहीं है. अभी तक की चिकित्सक पद्धति 1300 साल पुराने गेलेन के सिद्धांतो पर आधारित थी. जो बंदरो की चिड़ाफाड़ी का परिणाम थी.

विसेलियस चिकत्सा की इस प्रणाली से असंतुष्ट थे. उन्हें याद था की बचपन मे उन्होंने किस प्रकार परिंदो पर, चूहों पर चिड़ाफाड़ी करने का शौक था. उन्होंने निश्चय कर लिया की इंसान के बारेे भी वह अपना शौक इसी तरह बढ़येंगे. अपने अनुसन्धान के लिए उन्होंने मुर्दा शरीर अनधिकृत रूप से कब्रिस्तान से प्राप्त किये. इन मुर्दो पर शोध करें हुए उन्होंने अपने खुद के सिद्धांत बनाये. उन्हें रोज शरीर विज्ञान रचना पर लेक्चर देने होते थे. इन लेक्चरो मे अब विधार्थी की संख्या बढ़ने लगी.

विधार्थियो के लिए उन्होंने एक नियम ही बना दिया. की वे उनके क्लास मे स्वयं ही जिस्मो को चिढ़ने फाड़ने की आदत बनाये. प्रोफेसर के इधर उधर पुतला बनकर खड़े न रहे.

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विसेलियस (Biography of Andreas Vesalius in hindi ) के किताब फैब्रिका मे चित्रकार यान stephen van जो एक प्रसिद्ध कलाकार टीटीयन का शिष्य था. मे अपने बेहतरीन कलाकारी का उपयोग किया है. आज भी उसके रेखाचित्रों के सूक्ष्म दृस्टि को मात नहीं दी जा सकी है. और शरीर रचना शास्त्र की वो सम्पति बन चुके है.
1564 मे विसेलियस के मृत्यु के बाद भी उनके उस किताब की आलोचना बंद नहीं हुई.

आधुनिक विज्ञान मनाता है. की आज भी उनके सिद्धांत उतने ही कारागार है. जितने उनके समय मे थे.

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