DMCA.com Protection Status

एडवार्ड जेनर की प्रेरणादायक जीवनी हिंदी -Edward Jenner biography in hindi

  • जन्म-17 मई, 1749
  • जन्म स्थान-बर्कले, इंग्लैंड
  • निधन-26 जनवरी, 1823

चेचक जैसी महामारी का टीका बनाने का श्रेय एडवर्ड जेनर को जाता है। इन्होंने पश्चिमी इंग्लैंड में प्रचलित एक मान्यता के अनुसार कि–’जिसे शीतला-काउ पांक्स हो चुकी है उसे चेचक नहीं हो सकता,’ को आधार मानकर चेचक का नामोनिशान मिटाकर मानवता की सेवा की।

एडवार्ड जेनर का जन्म -Biography of Edward Jennerin hindi

एडवार्ड जेनर का जन्म सन् 1749 में हुआ। बचपन से जेनर की इच्छा प्राकृतिक इतिहास के अध्ययन की थी। उन्होंने बड़ी लगन के साथ डॉक्टरी की शिक्षा आरम्भ की। जेनर के समय में जो लोग आयुर्विज्ञान में शिक्षा लेना चाहते थे उन्हें पहले किसी अनुभवी डॉक्टर की देख-रेख में अनौपचारिक प्रशिक्षण (Apprenticeship) लेनी पड़ती थी।

प्रशिक्षण की समाप्ति के बाद विद्यार्थियों को दो वर्ष तक मैडिकल कॉलिज या विश्वविद्यालय में शिक्षा लेनी पड़ती थी। जेनर ने 13 वर्ष की उम्र में ब्रिस्टल के पास साडबरी नामक एक छोटे से गांव में शिक्षा लेनी शुरू की और इसके बाद उन्होंने लंदन के सर्जन जान हंटर की देखरेख में 21 वर्ष की आयु तक अध्ययन किया।

अपने प्रशिक्षण के दौरान सन् 1766 में एक दिन एक ग्वालिन सर्जन के कमरे में कुछ सलाह लेने आई। उसी समय चेचक के ऊपर कुछ चर्चा चल पड़ी। उस लड़की ने कहा- ‘मुझे चेचक की बीमारी नहीं हो सकती क्योंकि मुझे गौ-शीतला हो चुकी है।’ गौशीतला का प्रभाव गायों के थनों पर पड़ता है और जो भी इस रोग से पीड़ित गाय का दूध दुहता है उसे यह बीमारी हो जाती है। इस रोग से छोटे-छोटे घाव या फुसियां हाथों में हो जाती हैं लेकिन रोगी को कोई विशेष कष्ट नहीं होता है।

Read More  Kautilya: A Brief Info

चेचक के टीके का आविष्कार -Chechak vaccine discovered by Edward Jenner

आज से लगभग ढाई सौ वर्ष पहले चेचक(Chechak disease in Hindi) सबसे अधिक भयानक रोगों में से एक था। चेचक का रोगी या तो मर जाता था अथवा भयानक रूप से कुरूप हो जाता था। कुछ लोग जीवन भर के लिए अंधे भी हो जाते थे। कभी-कभी तो महामारी में हजारों लोग एक साथ मर जाते थे।

Join

सेंट जार्ज हास्पिटल, लंदन में अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद जेनर सन् 1773 में अपने गांव बर्कले लौट आए और अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी। कई वर्षों बाद जब उन्होंने चेचक(Chechak) की भयानकता का अनुभव किया तब उन्हें ग्वालिन की बात याद आई।

उन्होंने इस कथन के विषय में गांव के अन्य लोगों से पूछा तो पता चला कि उनका भी यही विश्वास है कि एक बार गौ-शीतला हो जाने पर चेचक नहीं निकलती है।
सन 1796 में जेनर ने इस कथन का परीक्षण करने का निश्चय किया। उन्होंने एक ग्वालिन की उंगली के घाव से, जो गौ-शीतला से पीड़ित थी, कुछ द्रव लिया और उसे 7 साल की उम्र के जेम्स फिप्स नामक एक बच्चे को इसका इंजेक्शन लगा दिया।

बच्चे को गौ-शीतला का हलका-सा प्रकोप हो गया। उसके 7 सप्ताह बाद जेनर ने एक व्यक्ति के घाव से, जिसे चेचक निकली हुई थी, कुछ पस लेकर उस लड़के को इंजेक्शन लगा दिया। इस लड़के को चेचक(Chechak)निकलने की कोई शिकायत न हुई।

इससे जेनर को पूर्ण विश्वास हो गया कि लड़का गौ-शीतला के कारण चेचक(Chechak)से प्रतिरक्षित हो गया है। इस प्रकार ग्वालिन के कथन की पुष्टि हो गई।

Read More  Keira Knightley refuses to shoot love scenes directed by a man

पहले तो जेनर(Edward Jennerin hindi )के इस प्रयोग पर किसी को विश्वास नहीं हुआ। लोगों ने उसके विषय में अनेक बातें की। कुछ लोगों ने बताया कि चेचक और गौ-शीतला.अलग-अलग रोग हैं। अतः गौ-शीतला के द्रव का टीका लगाने से चेचक से नहीं बचा जा सकता है। कई लोगों ने तो जेनर के विरोध में एक अजीब प्रचार आरम्भ किया।

इन लोगों के अनुसार जानवरों से प्राप्त द्रव को मनुष्य के खून में प्रवेश कराना घृणात्मक कार्य ही नहीं बल्कि प्रकृति के कार्यों में भी टांग अड़ाना है।

जेनर ने इन आरोपों का मुंह तोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब मनुष्य जानवरों का मांस हजारों वर्षों से खाता आ रहा है, गाय का दूध पीता आ रहा है तब उसे कभी घृणा महसूस नहीं हुई लेकिन एक भयंकर रोग के इलाज के लिए गौ-शीतला के द्रव से उसे घृणा का आभास होता है।

यह सब मिथ्या बातें हैं। जेनर ने लोगों की बातों की कोई परवाह न की। वे गौ-शीतला रोग का द्रव इकट्ठा
करने में सारे दिन लगे रहते थे। उन्हें दूसरे कार्यों के लिए समय ही नहीं मिलता था। धीरे-धीरे उनका यश चारों ओर फैल गया और लोग चेचक के प्रकोप से बचने के लिए टीके लगवाने लगे।

इस प्रकार चेचक के टीके का आविष्कार(Chechak Treatment)हुआ। चेचक की रोकथाम के लिए संसार भर में टीके लगाए जाने लगे। जेनर विश्वविख्यात आविष्कारक बन गए। उन्हें बहुत-से देशों से सम्मान दिया गया। कहा जाता है कि हॉलैण्ड और स्विटजरलैण्ड के पादरियों ने अपने धार्मिक उपदेशों में लोगों से टीका लगवाने का अनुरोध किया

Read More  Tiger Shroff's #chotibachihokya dialogue trended on social media, users made memes in their own style

रूस में सबसे पहले जिस बच्चे को टीका(Chechak disease vaccine)लगवाया गया उसे सार्वजनिक खर्चे पर शिक्षा देने का प्रस्ताव रखा गया और उसका नाम वैक्सीनोफ (Vaccinoff) रखा गया।

एडवार्ड जेनर के अन्य क्षेत्रो मे अनुसन्धान –

सन् 1802 और 1806 में ब्रिटिश संसद ने जेनर को अच्छी-खासी धनराशि देकर सम्मानित किया। जेनर ने जानवरों से सम्बंधित और भी क्षेत्रों में अनुसंधान किए। उनके बाद के अध्ययन प्रवासी पक्षियों से सम्बंधित थे। जेनर एक ऐसे महान व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना समस्त जीवन चेचक के विरुद्ध संघर्ष करने में लगा दिया। यह उन्हीं के द्वारा खोजे गए टीके का परिणाम है कि आज विश्व के सभी देशों ने चेचक जैसे भयंकर रोग से मुक्ति पा ली है। वास्तविकता तो यह है कि विश्व में चेचक(Biography of Edward Jennerin hindi)उन्मूलन हो गया है।

एडवार्ड जेनर की मृत्यु -Edward Jennerin death

जन-जन का यह सेवक एडवार्ड जेनर सन् 1823 में भगवान को प्यारा हो गया। आज जेनर हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा दिया गया चेचक का टीका सदैव ही मानव जाति का कल्याण करता रहेगा

ये article ” एडवार्ड जेनर की प्रेरणादायक जीवनी हिंदी -Edward Jenner biography in hindi ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हुँ. कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा

DMCA.com Protection Status