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परमाणु किसे कहते हैं। परमाणु के बारे में संपूर्ण जानकारी।(Atom in hindi)

Hello dosto अगर आप science background से हैं तो आपको परमाणु(Atom in hindi)के बारे में जरूर पता होगा। फिर भी अगर आप परमाणु के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते है। तो मैं दावा करता हूं। यह आर्टिकल पढ़ने के बाद परमाणु से जुड़े सारे concept clear हो जाएंगे। इस आर्टिकल में हम परमाणु से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे परमाणु क्या है, परमाणु की खोज कब हुई, और सभी परमाणु मॉडल्स के बारे में जानेंगे।

परमाणु किसे कहते हैं(What is atom in hindi)

शुरुआती दिनों में जब परमाणु की खोज हुई। तब वैज्ञानिकों ने परमाणु को परिभाषित करते हुए कहा था कि “परमाणु पदार्थ का सूक्ष्मतम कण है। जिसको तोड़ा नहीं जा सकता है ” लेकिन यह अवधारणा गलत साबित हो गई। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार– परमाणु पदार्थ की सूक्ष्मतम इकाई है। जिनसे मिलकर हमारी पूरी दुनिया बनी हुई है। “

Chemistry Definition

परमाणु किसी तत्व का सबसे छोटा कण है जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है। परमाणु किसी तत्व का सबसे छोटा कण है जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है। यह शब्द ग्रीक ἄτομος (एटमोस) से आया है, जिसका अर्थ है “अविभाज्य।” जैसा कि आप देख सकते हैं, परमाणु छोटे भागों से नहीं बने होते हैं। वास्तव में, वे पदार्थ के सबसे छोटे संभव टुकड़े हैं जो अभी भी अपने रासायनिक गुणों को बरकरार रखते हैं और रासायनिक रूप से सक्रिय रहते हैं।

Physics Definition

परमाणु किसी तत्व की सबसे छोटी इकाई है। यह एक नाभिक और इलेक्ट्रॉनों से बना होता है। परमाणु सभी पदार्थों के निर्माण खंड हैं। ये किसी तत्व की सबसे छोटी इकाई होते हैं और ये एक नाभिक और इलेक्ट्रॉनों से बने होते हैं। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, जिनका धनात्मक आवेश होता है, जबकि इलेक्ट्रॉनों का ऋणात्मक आवेश होता है।

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परमाणु की संरचना(Structure of an atom in hindi)

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार हम जानते थे कि परमाणु के कण अविभाज्य एवं अविनाशी थे। लेकिन परमाणु के दो मौलिक कण इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन की खोज ने डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के इस अवधारणा को गलत साबित कर दिया।

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इस प्रकार इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन की खोज ने यह प्रमाणित कर दिया कि परमाणु विभाज्य है और उनकी अपनी आंतरिक संरचना है। अतः परमाणुओं की आंतरिक संरचना को समझाने के लिए बहुत सारे वैज्ञानिकों ने भिन्न- भिन्न प्रकार के परमाणु की संरचना का मॉडल प्रस्तुत किया।

परमाणु संरचना के प्रस्तुतीकरण के समय तक दो ही मौलिक सूक्ष्मतम कण- —इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन का आविष्कार हुआ था, इस समय सूक्ष्मतम मौलिक कण न्यूट्रॉन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। परमाणु की संरचना संबंधित मुख्यतः तीन मॉडल-टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल एवं बोर मॉडल हैं, जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे।

टॉमसन का परमाणु मॉडल(Thomson’s atomic model in hindi)

परमाणु के दो सूक्ष्मतम मौलिक कण—इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन की खोज के बाद जे जे० टॉमसन ने सन् 1903-04 ई० में परमाणु का एक मॉडल प्रस्तुत किया जो टॉमसन मॉडल के नाम से जाना जाता है।

परमाणु (Atom in hindi)के इस टॉमसन-मॉडल की तुलना हम लाल रंग के तरबूज से कर सकते हैं। तरबूज का लाल खाने वाला भाग (गुदा) धन आवेश के गोले को प्रदर्शित करते हैं जबकि तरबूज में फँसे बीज इलेक्ट्रॉन के समान होते हैं।

इस मॉडल में टॉमसन ने निम्नलिखित तथ्यों को उजागर किया-

(i) परमाणु एक गोलाकार गेंद की तरह है।
(ii) परमाणु एक धन आवेशित कण से बना होता है एवं इलेक्ट्रॉन इसमें से होते है।
(iii) ऋणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं, इसलिए परमाणु वैद्युतीय रूप से उदासीन होते हैं।

टॉमसन मॉडल से परमाणु के वैद्युत उदासीन(electrically neutral) होने की जो ख्याष्ट व्याख्या दी गई वह दूसरे वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयोगों के परिणामों को इस मॉडल के आधार पर (About Atom in hindi)समझाया नहीं जा सका।

लॉर्ड अरनेस्ट रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford’s atomic model in hindi)

लॉर्ड अरनेस्ट रदरफोर्ड ने इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद यह जानने का प्रयास किया कि इलेक्ट्रॉन परमाणु के भीतर कैसे व्यवस्थित होते हैं। इस उद्देश्य के लिए रदरफोर्ड ने एक परमाण्विक मॉडल प्रस्तुत किया जो रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल कहलाता है।

इसके लिए रदरफोर्ड ने एक प्रयोग का सहारा लिया जिसमें उन्होंने त-कण एवं सोने की एक पतली पन्नी का उपयोग किया। रदरफोर्ड महोदय ने सोने की पतली पन्नी का उपयोग इसलिए किया कि वे बहुत ही पतली परत (लगभग 1000 परमाणुओं के बराबर मोटी) चाहते थे। रदरफोर्ड
ने-कण का उपयोग इसलिए किया क्योंकि यह द्विआवेशित हीलियम कण (doubly ionizedHelium particle) होते हैं अर्थात् ये धन आवेशित होते हैं और इसका द्रव्यमान 4u होता है।

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तीव्र गतिमान -कणों में पर्याप्त ऊर्जा होती है। रदरफोर्ड महोदय ने यह भी अनुमान लगाया था कि α-कण सोने के परमाणुओं में उपस्थित मौलिक कणों द्वारा कम विक्षेपित होंगे क्योंकि α-कण जो प्रोटॉन से बहुत अधिक भारी होता है एवं यह रेडियो सक्रिय तत्व रेडियम, पोलोनियम आदि से उत्सर्जित होता है।

जब रदरफोर्ड महोदय ने सन् 1911 ई० में सोने के पतले पत्तरों (लगभग 0.00004 cm मोटी) पर α-कणों का आघात अथवा प्रहार कराया तो निम्नलिखित तथ्यों को पाया-

(i) तीव्र गति से आती अधिकांश -कण सोने के पतले पत्तरों से सीधे पार कर जाती हैं।
(ii) इन 4-कणों में कुछ कण अपने मूल पथ से विचलित हो जाते हैं जिनमें कुछ बड़े कोणों से और कुछ छोटे कोणों से विचलित होते हैं।
(iii) कुछ आपतित a-कण (12000 में एक) अपने सीधे पथ से एक सरल रेखा में वापस लौट जाते हैं।
रदरफा के अनुसार : यह परिणाम उसी प्रकार अविश्वनीय था, जैसे यदि हम एक 15 इंच के तोप के गोले को टिशु पेपर के टुकड़े पर मारते हैं तो यह हमें ही लौटकर चोट पहुँचाता है।

अपने प्रयोगों के आधार पर रदरफोर्ड महोदय ने परमाणु का एक नाभिकीय मॉडल (Nuclear model) प्रस्तुत किया जो निम्न प्रकार है-

(i) परमाणु की नाभिक धनावेशित होती है जहाँ परमाणु का लगभग सारा द्रव्यमान केन्द्रित होता है।
(ii) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार पथों में चक्कर लगाते हैं।
(iii) नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में काफी छोटा होता है। इस प्रकार परमाणु के नाभिक की खोज रदरफोर्ड महोदय ने अपने -कणों के प्रकीर्णन प्रयोग (सोने के पतले पत्तरों पर प्रहार) द्वारा की। यह मॉडल सौरमंडल (Solar system) के समान है जिसमें नाभिक सूर्य के समान और इलेक्ट्रॉन ग्रहों के समान है।

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियाँ
Drawbacks of Rutherford’s atomic model

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की मुख्यतः दो कमियाँ मानी जाती हैं-

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(i) परमाणु द्रव्यमान की संख्या को नहीं सुलझाया जा सका। लेकिन न्यूट्रॉन की खोज के बाद परमाणु द्रव्यमान की समस्या हल हो गई।
(ii) परमाणु के स्थायित्व (stability of atom) की व्याख्या इस मॉडल के आधार पर नहीं हो सकी।

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करता है लेकिन विकिरण के विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत (Electro magnetic theory of radiation) के अनुसार परिक्रमा कर रहे इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा धीरे धीरे कम होती जाती है और इनकी चाल घटती चली जायेगी। इस प्रकार इलेक्ट्रॉन अधिक प्रबलता से घनावेशित नाभिक द्वारा आकर्षित होता चला जायेगा है जिसके चलते ये इलेक्ट्रॉन स्पाइरल पथ पर चलते हुए नाभिक के अत्यधिक नजदीक चली जायेगी और इन्हें नाभिक में जाकर गिर जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता क्योंकि हम जानते हैं कि परमाणु(Atom in hindi) स्थाई रूप से उदासीन कण होते हैं।

इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की मुख्य कमी अथवा दोष यह रहा कि यह परमाणु स्थायित्व को ही नहीं समझा पाया ।

बोर का परमाण्विक मॉडल(Bohr’s atomic model)

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के दोष (कमी) को दूर करने और परमाणु की संरचना को पूर्णरूप से समझाने के लिए सन् 1931 ई० में डैनिश भौतिक वैज्ञानिक नील्स बोर ने एक परमाण्विक मॉडल प्रस्तुत किया जिसकी अवधारणा को हम कुछ इस प्रकार व्यक्त करते हैं-

(i) परमाणु के इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में एक निश्चित ऊर्जा के साथ चक्कर लगाते हैं जो इन इलेक्ट्रॉनों की विविक्त अथवा विशिष्ट कक्षा (descrete or specific orbits) कहलाता है। इन कक्षाओं के अलावे इलेक्ट्रॉन परमाणु में और कहीं नहीं रहते हैं।

(ii) जब इलेक्ट्रॉन इस विविक्त अथवा विशिष्ट कक्षा में चक्कर लगाते हैं तो उनकी ऊर्जा का विकिरण नहीं होता अर्थात् इलेक्ट्रॉन ऊर्जा नहीं खोता है। लेकिन ये इलेक्ट्रॉन जब किसी एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाते हैं तभी ऊर्जा का विकिरण अथवा अवशोषण होता है।

इस प्रकार इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा किसी निश्चित कक्षा में नहीं खोने के कारण ये इलेक्ट्रॉन नाभिक के अंदर नहीं गिरते हैं और परमाणु की स्थाई उदासीनता बनी रहती है।

यह article “परमाणु किसे कहते हैं। परमाणु के बारे में संपूर्ण जानकारी।( Atom in hindi)“पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।

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