About GK question in Hindi-दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम दुनिया भर के ऐसे हैरान कर देने वाले सवालों के उत्तर जानेंगे। जो आपके मन में कभी ना कभी जरूर आए होंगे। अपने जरूर सोचा होगा हम बूढ़े क्यों होते हैं। हमें हिचकी क्यों आती है। लोग बेहोश क्यों हो जाते हैं। फल खट्टे मीठे कैसे बन जाते हैं। सांप जहरीले क्यों होते हैं। हमें नींद क्यों आता है। ऐसे ही बहुत सारे सवालों के जवाब आज इस आर्टिकल मे हम जानने वाले हैं।
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GK के महत्वपूर्ण question(GK important question in Hindi)
हमारा शरीर गर्म क्यों रहता है ?
हमारे शरीर को गर्मी भोजन से प्राप्त होती है। जो खाना हम खाते हैं, वह शरीर में आक्सीकरण (Oxidiation) की क्रिया द्वारा ऊष्मा ऊर्जा में बदल जाती है। भोजन से पैदा हुई ऊर्जा के द्वारा ही शरीर समस्त कार्य करता है । एक सामान्य.व्यक्ति के शरीर में लगभ 2500 कैलोरी ऊर्जा प्रतिदिन पैदा होती है ।
इसी ऊर्जा से शरीर द्वारा विभिन्न कार्य होते हैं और शरीर गर्म भी रहता है। शरीर में तापमान को स्थिर रखने का काम मस्तिष्क द्वारा नियत्रित होता है । जब मस्तिष्क के ताप नियन्त्रक केन्द्र में कोई गड़बड़ी आ जाती है तो मनुष्य को कंपकंपी आने लगती.है या बुखार हो जाता है। शरीर के गर्म रहने से सदा ही हमारे शरीर से ऊष्मा विकिरण द्वारा बाहर निकलती रहती है।
हमें हिचकी क्यों आती है ?
हमारी छाती एवं पेट के बीच में एक डायाफ्राम (Diaphram) होता है । अन्दर की ओर साँस खींचते समय यह डायाफ्राम नीचे चला जाता है और पेट को दबाता है, जिससे फेफड़ों में हवा भर जाती है और साँस बाहर निकलते समय यह ऊपर की ओर आ जाता है, जिससे हवा फेफड़ों से बाहर निकल जाती है। इस प्रकार यह डायाफ्राम ऊपर नीचे होता रहता है और साँस लेने की क्रिया बिना आवाज किये चलती रहती है।
यह डायाफ्राम एक पिस्टन की तरह काम करता है। कभी-कभी पेट में गैस या अम्लता बढ़ जाने के कारण यह डायाफ्राम उत्तेजित होकर सिकुड़ जाता है। ऐसी स्थिति में फेफड़ों में जाने वाली हवा रुकावट के कारण एक अजीब सी आवाज पैदा करती है। इसी को हम हिचकी आना कहते हैं । अत: हिचकी आना एक ऐसी क्रिया, जिसके द्वारा पेट में बनी गैस या अवांछित भोजन को शरीर बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिससे साँस लेने में कोई रुकावट न हो। शराब पीने या पास में किसी ट्यूमर के हो जाने पर भी यह डायफ्राम सिकुड़ जाता है और हमें हिचकी आने लगती है।
डायलेसिस क्या है ?
कृत्रिम तरीके के द्वारा रक्त से हानिकारक पदार्थों को छानकर अलग करना ही डायलेसिस (Dialysis) की क्रिया कहलाती है। किसी व्यक्ति का गुर्दा (किडनी) यदि ठीक ढंग से कार्य नहीं करता तो हानिकारक पदार्थों की मात्रा खून में बढ़ती जाती है, फलस्वरूप रक्त जहरीला हो जाता है। वैज्ञानिकों ने ऐसे छन्नों का निर्माण कर लिया है,
जो शरीर के गन्दे खून को शरीर से बाहर निकालकर साफ करने का काम करते हैं। इन छन्नों को डाइलाइजर (Dialyser) कहते हैं ।रोगी का गंदा रक्त उसकी किसी एक धमनी से सिरिन्ज द्वारा डाइलाइजर में भेजा जाता है। यहाँ रक्त साफ होकर रोगी की किसी शिरा द्वारा शरीर में वापस भेज दिया जाता है। यह प्रक्रिया डायलेसिस के द्वारा होती है।
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GK से जुड़े रोचक question हिन्दी (Some interesting question about GK in hindi)
लोग बेहोश क्यों हो जाते हैं ?
हमें सामान्य रूप से कार्य करने के लिये यह आवश्यक है कि, मस्तिष्क में रक्त का संचार उचित प्रकार से होता रहे । जब तक हमारे मस्तिष्क में खून की उचित मात्रा पहुँचती रहती है तब तक हमारी सभी क्रियायें सामान्य रूप से चलती रहती हैं। यदि हमारे मस्तिष्क में रक्त पहुँचने में कोई बाधा आ जाय तो मनुष्य बेहोशी की अवस्था में आ जायेगा। अत: मस्तिष्क के अन्दर रक्त का अभाव होना ही बेहोशी का कारण है।
खून का रंग लाल क्यों होता है ?
हमारे रक्त के मुख्य अवयव चार हैं-प्लाज्मा, श्वेत रक्त कण, लाल रक्त कण और प्लेटलेट्स । हमारे रक्त में आधे से अधिक प्लाज्मा होता है । यह पीले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। इसमें प्रोटीन, एंटीबॉडीज, फाइबिनोजन, काबोहाइड्रेट, वसा तथा लवण होते हैं।
लाल रक्त कणों के कारण ही खून का रंग लाल दिखाई देता है। इसकी बनावट तश्तरी जैसी होती है। लाल रक्त कण ही शरीर में आक्सीजन को एक स्थान में से दूसरे स्थान तक ले जाता है। इसमें लाल रंग का हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) नामक पिगमेंट होता है, जो खून का रंग लाल बना देता है।
श्वेत रक्त की संख्या शरीर में काफी कम होती है। ये आमतौर पर कीटाणुओं के विरुद्ध संघर्ष करने में मदद करते हैं। प्लेटलेट्स का आकार बहुत छोटा होता है । यह शरीर के किसी हिस्से के कट जाने पर बहने वाले खून को रोकने में मदद करता है।
जुड़वाँ बच्चे कैसे पैदा हो जाते हैं ?
स्त्री-पुरुष का जब एक निश्चित समय पर संयोग होता है तो पुरुष के वीर्य (Semen) में उपस्थित स्पर्म (Sperms) में से एक स्पर्म स्त्री के अंडे में प्रवेश कर जाता है। अंडे में स्पर्म के प्रवेश की क्रिया को गर्भाधान कहा जाता है ।
कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि गर्भाधान की क्रिया के बाद अंडा दो हिस्सों में बँट जाता है। इन दोनों भागों का गर्भाशय में अलग-अलग दो बच्चों के रूप में विकास होता रहता है। इस प्रकार पैदा हुये दोनों बच्चे रूप, रंग, आकार में एक से होते हैं। उनके गुण भी मिलते-जुलते हैं। ये दोनों बच्चे या तो लड़की होंगे या लड़के। इसका कारण यह है कि दोनों बच्चे एक ही अंडे से पैदा हुये हैं। कभी-कभी महिलाओं को दो या उससे अधिक बच्चे एक ही साथ जन्म लेते हैं।दो या उससे अधिक बच्चे अलग-अलग अंडों में स्पर्मों द्वारा प्रवेश कर जाने से होते है।
विटामिन हमारे लिये क्यों आवश्यक होते हैं ?
तहमें सन्तुजित भोजन के लिये कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, जल, लवण और खनिज के साथ-साथ विटामिन भी बहुत आवश्यक होते हैं। इनके अभाव से अनेक प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं। यथा-पाचन शक्ति का कमजोर होना, रात में दिखाई न देना, कमजोरी, थकान, मसूड़ों का सूजना तथा हड्डियों का कमजोर हो जाना । विटामिन अनेक प्रकार के होते हैं-विटामिन ए, बी, बी1, बी2, बी…. बी12, सी, डी, ई, एवं के।
यदि हम सन्तुलित भोजन लेते हैं, तो सभी विटामिन मिल जाते हैं। आजकल विटामिन औषधि के रूप में बाजार में भी मिलते हैं।
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सामान्य विज्ञान से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल(Some important question about general knowledge)
मोती क्या है ? यह कैसे बनती है ?
मोती सीपी के अन्दर पायी जाती है। यह सफेद, चमकदार वस्तु है, जो बहुत ही कीमती होती है। मोती का निर्माण घोंघे (Oyster) के द्वारा होता है। जब बालू का कण इसके अन्दर जाता है तो घोंधा इस कण पर सीप के पदार्थ की परत चढ़ाये चला जाता है । यह परत कैल्शियम कार्बोनेट की होती है ।
कुछ समय बाद यही परत सीप के अन्दर मोती बन जाती है। इसी को सच्चा मोती कहा जाता है। यह आवश्यक नहीं है कि मोती सफेद ही हो यह काला, गुलाबी, बैंगनी भी हो सकता है। आजकल मनुष्य ने कृत्रिम तरीके से भी मोती बनाना सीख लिया है। इसे ही मोती कल्चर कहते हैं । जापान में यह तकनीकी काफी प्रचलित है, और कृत्रिम मोतियों का यह सबसे बड़ा निर्यातक है।
फल खट्टे या मीटे क्यों होते हैं ?
किसी फल का स्वाद उसमें उपस्थित यौगिकों पर निर्भर करता है। फलों में सामान्यत: चीनी, अम्ल, विटामिन, स्टार्च तथा प्रोटीन एवं सैल्यूलोज होते हैं। ये सभी पदार्थ फल के अन्दर मिश्रित अवस्थ में होते हौद्य जिन फलों में अम्लों की मात्रा अधिक होती है, उनका स्वाद खट्टा होता है। जिन फलों में स्टार्च या सुक्रोज (चीनी) ज्यादा होती है, उनका स्वाद मीठा होता है।
इसी प्रकार दो फलों के स्वाद में भी अन्तर होता है। इसका कारण यह है कि, एक ही प्रकार के फल में अनेक प्रकार की उपजातियाँ होती हैं, और फिर स्थान, जलवायु उगाने के तरीके,खाद, पानी इत्यादि की विभिन्नता से उनमें उपस्थित यौगिकों की मात्रा एक समान नहीं होती, इसीलिए उनका स्वाद भी भिन्न-भिन्न होता है।
छुई-मुई का पौधा छूने से क्यों मुरझा जाता है ?
छुई-मुई के पौधे की पत्तियाँ स्पर्श के प्रति संवेदनशील होती हैं। जब हम इनकी पत्ती को छुते हैं तो पतली दीवारों वाली कोशिकाओं से पानी तने में चला जाता है, फलस्वरूप ये कोशिकायें सिकुड़ जाती हैं और पत्तियों का तनाव खत्म हो जाता है, जिससे उनमें ऐठन पैदा हो जाती है । इसी को हम छुई-मुई का मुरझाना कहते हैं। इसी मुरझाने के गुण के कारण ही यह पौधा संसार भर में प्रसिद्ध है।
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सामान्य ज्ञान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी(Important information about general knowledge)
लोग बौने क्यों होते हैं।
मनुष्य की लम्बाई में वृद्धि सामान्यत: कई बातों पर निर्भर करती है। सामान्य रूप से मनुष्य की लम्बाई वंशानुगत गुणों के कारण होती है। जिस व्यक्ति के माँ-बाप लम्बे होंगे वह व्यक्ति भी लम्बा होगा। छोटे कद के माँ-बाप के बच्चे छोटे कद के होते हैं। बौनेपन का दूसरा कारण बीमारी भी हो सकती।
कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं, जो लम्बाई में वृद्धि को रोक देती हैं। बौनापन पीयूष ग्रन्थि (Pituitory gland) में हार्मोन की कमी के कारण भी हो सकता है। इस प्रकार हार्मोन्स की कमी का कारण भी मनुष्य में लम्बाई की वृद्धि को रोक देता है।
हमारे कटे हाथ-पैर दोबारा क्यों नहीं उग पाते।
पुनरुद्भवन की क्षमता अलग-अलग प्राणियों में अलग-अलग होती है । मानव एक जटिल संरचना वाला प्राणी है। इनमें पुनरुद्भवन क्षमता बहुत कम होती है। हमारे शरीर में ही कई प्रकार का पुनरुद्भवन होता है । जैसे—यदि हमारे शरीर की त्वचा जल जाये या कट जाये तो उस स्थान पर नयी त्वचा आ जायेगी, हमारे बाल, नाखून काटने पर दोबारा उग आते हैं, लेकिन हाथ, पैर, गर्दन या अन्य अंगों का निर्माण नहीं हो पाता।
ह्वेल को मछली क्यों नहीं माना जाता !
हेल एक स्तनधारी (Mammal) प्राणी है। ह्वेल का विकास विशाल काय जन्तुओं डाइनोसॉर (Dinosaur) से माना जाता है। हेल का आकार भी सभी जन्तुओं से विशाल है। ह्वेल फेफड़ों से साँस लेती है। मछलियों की भांति इसके गिल्स नहीं होते। यह बच्चे पैदा करती है और उनको दूध पिलाती है। इन्हीं सब गुणों के कारण ह्वेल को मछली न मानकर स्तनधारी प्राणी माना जाता है।
मछलियाँ पानी में साँस किस प्रकार लेती है ?
मछलियाँ गिल्स द्वारा साँस लेती हैं। उनमें हमारी तरह फेफड़े नहीं होते और न ही वे हमारी तरह नाक से साँस लेती हैं। मछलियाँ साँस लेने के लिये मुंह में पानी लेती हैं। यह पानी गलफड़ों से होता हुआ बाहर निकल जाता है। पानी में मिली हुई आक्सीजन गलफड़ों की कोशिकाओं द्वारा सोख ली जाती है और गलफड़ों में बहने वाले खून के साथ यह आक्सीजन में मिल जाती है, और शरीर में भ्रमण करती है। इसी आक्सीजन से मछली का खून शुद्ध होता रहता है तथा मछली के साँस लेने की क्रिया पूरी हो जाती है।
सामान्य ज्ञान से जुड़ी रोचक जानकारी( interesting fact about general knowledge)
सर्दियों में मेंढक कहाँ चले जाते हैं ?
मेंढक के शरीर का तापमान एक सा नहीं रहता बल्कि वातावरण के साथ घटता-बढ़ता रहता है। जाड़े का मौसम शुरू होते ही जैसे-जैसे वातावरण का ताप गिरता है, मेंढक के शरीर का ताप भी कम होने लगता है, इससे इनकी जीवन क्रियायें शिथिल होने लगती है। ये अपने को जीवित रखने के लिये तालाबों के नीचे गीली मिट्टी में सिर के बल धीरे-धीरे धंसाना शुरू कर देते हैं और काफी गहराई में चले जाते हैं । इस समय मेंढक पूर्णतया विश्राम करता है, और जीवित रहने के लिये अपने शरीर में जमा चर्बी तथा ग्लाइकोजन प्रयोग में लाता है।
क्या सभी प्रकार के साँप जहरीले होते हैं ?
सभी साँप जहरीले नहीं होते। हमारे यहाँ साँपों की लगभग 200 जातियाँ पायी जाती हैं जिनमें चार जातियाँ ही जहरीली हैं। इनमें कोबरा (Cobra), करैत (Krait), सास्केल वाइपर (Saw Scale Viper) और रसल वाइपर (Russell Viper) ही जहरीली जातियाँ हैं। साँपों में पाये जाने वाले जहर को वेनम (Venom) कहते हैं। साँप के सिर के दोनों ओर आँखों के थोड़ा नीचे विष ग्रन्थियाँ (Poison glands) स्थित होती है।
नींद में हमारे शरीर में क्या होता है ?
हमारा मस्तिष्क एक बहत जटिल क्षेत्र है। इसे हम निद्रा केन्द्र भी कह सकते हैं । खून में मिला हुआ कैल्शियम इस निद्रा केन्द्र को नियन्त्रित करता है। जब कैल्शियम की एक निश्चित मात्रा रक्त द्वारा निद्रा केन्द्र तक पहुँचा दी जाती हैं तो हमें नींद आ जाती है। नींद की अवस्था में हमारे हृदय की धड़कन कुछ धीमी हो जाती है, लेकिन पाचन संस्थान अपनी सामान्य स्थिति में होता है ।
यकृत एवं गुर्दे अपना काम सामान्य रूप से करते रहते हैं। नींद की अवस्था में हमारे शरीर का तापमान लगभग एक डिग्री कम हो जाता है।
महिलाओं की आवाज सुरीली क्यों होती है ?
सामान्यत: तेरह साल की अवस्था में लड़के-लड़कियों में वयस्कता आनी शुरू होती है। इस उम्र में हमारे शरीर की ग्रन्थियाँ सेक्स हामोंन (Sex harmons) पैदा करती हैं। इन हार्मोनों के पैदा होने से लड़के एवं लड़कियों के शरीर में बहुत से परिवर्तन आ जाते हैं । इस उम्र में लड़कों की आवाज में भारीपन आने लगता है, उनके कंठनली की लम्बाई, मोटाई बढ़ जाती है जबकि लड़कियों में यह हार्मोन नहीं पैदा होता। इसलिये उनकी आवाज पले जैसी सुरीली बनी रहती है।
कुछ लोग नींद में खर्राटे क्यों लेते हैं ?
जब हम जागते रहते हैं तब हमारे मुँह के अन्दर गले के पास की त्वचा सख्त और तनी हुई रहती है, लेकिन सोते समय यह कुछ ढीली पड़ जाती है, मुँह से साँस लेने पर ढीली त्वचा वायु के दबाव म कम्पन करने लगती है। त्वचा के इसी कम्पन के फलस्वरूप एक आवाज निकल जाती है। इसी आवाज को दूसरे लोग खर्राटे के रूप में सुनते हैं। यदि हम सोने से पहल ती जा एवं मुख भली-भाँति साफ कर लें तो यह खर्राटा काफी कम हो सकता है।
General knowledge से जुड़ी जानकारी हिन्दी
फूलों में सुगन्ध क्यों होती है ?
भिन्न-भिन्न प्रकार के फूलों में अलग अलग प्रकार के तेल होते हैं। इन्हीं तेलों के कारण फूलों में गन्ध होती है। यही तेल धीरे-धीरे वाष्पित होते हैं। जिससे गन्ध का अनुभव होता है । फूलों के इन्हीं तेलों को निकालकर इत्र बनाये जाते हैं। फूलों में सुन्दरता, मनमोहक रंग इत्यादि कीट पतंगों को आकर्षित करने के लिये होता है ।
कीट-पतंगे इनकी ओर आकर्षित होकर इन पर आकर बैठते हैं, और अपने साथ ही वे फलों के परागकणों को दूसरे फूलों तक ले जाते हैं। इन्हीं परागकणों से फूलों में गर्भाधान की क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप बीजों का जन्म होता है।
प्रवासी पक्षी (Migrating Birds) अपना रास्ता कैसे ढूढ़ते हैं ?
प्रवासी पक्षी उन पक्षियों को कहते हैं, जो प्रतिकूल मौसम आने पर एक देश छोड़कर दूसरे देश में चले जाते हैं। कई बार तो पक्षी एक महाद्वीप से उड़कर दूसरे महाद्वीप में जा सकते हैं। कुछ पक्षी सर्दियों में अपने स्थान को छोड़कर गर्म स्थानों में चले जाते हैं। बाद में वे पुन: अपने स्थान पर आ जाते हैं।
प्रश्न है कि यह सब कैसे हो जाता है। सामान्तया: ऐसा कहा जाता है कि पक्षियों में एक जन्मजात शक्ति होती है जिसके आधार पर वह अपने रास्तों और ठिकानों का पता लगा लेते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि पक्षी पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के प्रति विशेष संवेदन रखते हैं और उनके आधर पर वे पता लगाते हैं कि वे धरती के किस हिस्से से आये हैं। वास्तविकता यह है कि वैज्ञानिकों के पास इस तथ्य की कोई ठोस जानकारी नहीं है कि प्रवासी पक्षी अपना रास्ता कैसे ढूँढते
बांस किस कुल का पौधा है ? यह वृक्ष है या घास ?
बांस घास कुल का पौधा है। अत: यह एक घास है। इसका मुख्य तना जमील के भीतर रहता है। इसी से हवा में रहने वाले बांस की शाखायें निकलती हैं। बांस बहुत ही उपयोगी होता है । इसके द्वारा छत, झोपड़ी, मकान, चटाइयाँ तथा टोकरियाँ बनायी जाती हैं। इसके द्वारा कागज बनाया जाता है। कुछ देशों में हरे बांस को सब्जी के रूप में भी प्रयोग करते हैं। बांस सबसे अधिक दक्षिण-पूर्व एशिया, भारतीय महाद्वीप और प्रशांत महासागर के द्वीपों पर पाये जाते हैं। भारत में असम में सर्वाधिक बांस पाया जाता है।
General knowledge question और उनका संपूर्ण जवाब इन हिंदी
पेड़-पौधों की उम्र कैसे ज्ञात की जाती है ?
वृक्षों की उम्र ज्ञात करने के लिये वैज्ञानिक वृक्ष के तने की वृद्धि को देखते हैं। यदि पेड़ के तने में से एक गोल चकती हम काटें तो उस पर गोल घेरे दिखाई देंगे। ये गोल घेरे ही वृक्ष की उम्र के अभिलेख इन्हीं घेरों को गिनकर हम वृक्ष की उम्र ज्ञात कर लेते हैं। भारत के वैज्ञानिक जे० सी० बोस ने इसे ज्ञात करने के लिये क्रेस्कोग्राफ नामक यन्त्र का आविष्कार किया था।
क्या पेड़-पौधे भी मांसाहारी होते हैं ?
पेड़-पौधे भी मांसाहारी होते हैं। ये अपने सम्पर्क में आने वाले कीड़ों-मकोड़ों को खा जाते हैं। ये ऐसे पौधे होते हैं जो स्वयं प्रोटीन नहीं बना पाते। इसलिए वे कीड़े-मकोड़ों को खाकर ही अपनी प्रोटीन की आवश्यकतायें पूरी करते हैं। ऐसे पौधे को कीटभक्षी कहते हैं। हमारे यहाँ शिमला की पहाड़ियों में पाये जाने वाला इंडियन पाइप (Indian pipe) नामक पौधा कीटों को खाता हैं
एंटीबायोटिक्स क्या है ? इनके क्या कार्य होते हैं
एंटीबायोटिक्स (Antibioties) एक विशेष प्रकार की औषधियाँ हैं जो हमारे शरीर में रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं का विनाश करती हैं। ये हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति पैदा कर रोगों से लड़ने में हमारी मदद करती हैं।
सर्वप्रथम एंटीबायोटिक्स औषधि पेनिसिलीन थी जो निमोनिया, खाँसी, गले की सूजन इत्यादि के इलाज में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई। अन्य औषधियाँ स्ट्रेप्टोमाइसिन, एम्पिसिलीन, टेट्रासाइक्लिन, तथा क्लोरोमाइस्टीन हैं। इनके द्वारा अनेक बीमारियों को दूर करने में मदद मिली है । एंटीबायोटिक्स जीवाणुओं और फदियों से बनायी जाती हैं।
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