हेलो दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानने वाले हैं। nutrition meaning in Hindi क्या होता है, nutrition का हिंदी मतलब क्या है, types of Nutrition meaning in Hindi क्या है। दोस्तों आर्टिकल के अंत तक आपको nutrition से जुड़ी ढेर सारी जानकारियां प्राप्त होंगी।
पोषण का मतलब(What is the meaning of Nutrition)
जैविक प्रक्रियाओं के संचालन, वृद्धि, टूट-फूट को रोकने आदि कार्यों के लिए जीवों को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खाद्य-पदार्थों की जरूरत होती है जो पोषण (nutrition) की क्रिया से जीव प्राप्त करते हैं। अपनी आवश्यकताओं एवं वातावरण के अनुरूप जीवों में विभिन्न प्रकार की पोषण विधियाँ होती हैं। पोषण द्वारा प्राप्त जटिल खाद्य-पदार्थों का सरलीकरण विभिन्न चरणों में उपचयन एवं अपचयन (oxidation and reduction) अभिक्रियाओं द्वारा होता है। इस प्रक्रम को श्वसन (respiration) कहते हैं। इसमें ऑक्सीजन का उपयोग होता है एवं ऊर्जा मुक्त होती है। वृहत रूप में श्वसन उन सभी क्रियाओं का सम्मिलित रूप है जिनके द्वारा शरीर में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
पोषण के प्रकार(Types of Nutrition)
जीवन-संबंधी क्रियाओं (life processes) को सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रत्येक जीव की दो प्रमुख आवश्यकताएँ
(i) जीवन की उपापचयी क्रियाओं (metabolic activities) के संचालन के लिए निरंतर ऊर्जा की आपूर्ति,
(ii) शरीर की वृद्धि तथा टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत के लिए जीवद्रव्य का निर्माण।
इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तथा अपने जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रत्येक जीव को जीवनपर्यंत भोजन की जरूरत होती है। भोजन में स्थित विभिन्न तत्त्व ये कार्य करते हैं। भोजन के ऐसे तत्त्व पोषक तत्त्व कहलाते हैं। अतः, वह विधि जिससे जीव पोषक तत्त्वों.को ग्रहण कर उनका उपयोग करते हैं, पोषण कहलाता है।
पोषण की विधियाँ
जीवों में पोषण मुख्यतः दो विधियों द्वारा होता है-
(i) स्वपोषण (Autotrophic nutrition)
(ii) परपोषण (Heterotrophic nutrition)
1) स्वपोषण (Autotrophic nutrition)-
ऑटोट्रॉफ (autotroph) शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों, ऑटो और ट्रॉफ के मेल से हुई है। ऑटो शब्द का अर्थ ‘स्व’ या ‘स्वतः’ (auto = self) होता है तथा ट्रॉफ का अर्थ होता है ‘पोषण’ (troph nutrition)। अतः, ऐसे जीव जो भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर न रहकर अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं,स्वपोषी या ऑटोट्रॉफ्स (autotrophs) कहलाते हैं।
सभी हरे पौधे स्वपोषी होते हैं। इन पौधों में एक प्रकार की रचना हरितलवक या क्लोरोप्लास्ट (chloroplast) पाई जाती है। क्लोरोप्लास्ट में हरे रंग का वर्णक (pigment) जिसे पर्णहरित या क्लोरोफिल (chlorophyll) कहते हैं, पाया जाता है। क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण ही पौधों का रंग हरा.दिखता है। ऐसे हरे पौधे सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त कर, क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा जल (H,O) के द्वारा अपने भोजन कार्बोहाइड्रेट (कार्बनिक पदार्थ) का संश्लेषण करते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाशसंश्लेषण (photosynthesis) कहते हैं।
2) परपोषण (Heterotrophic nutrition)-
क्लोरोफिल की अनुपस्थिति के कारण समस्त जंतु तथा कवक (fungi) पौधों की तरह अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करने में सक्षम नहीं होते हैं। अतः भोजन के लिए ये पूर्णरूप से अन्य जीवों पर निर्भर होते हैं। ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए किसी-न-किसी रूप में अन्य जीवों पर आश्रित होते हैं, परपोषी या हेटरोट्रॉफ्स (heterotrophs) कहलाते हैं।
हेटरोट्रॉफ शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों, हेटरो और ट्रॉफ के मेल से हुई है। हेटरो शब्द का अर्थ ‘विषम’, ‘भिन्न’ या ‘पर’ (hetero= different or other) तथा ट्रॉफ शब्द का अर्थ ‘पोषण’ (troph = nutrition) है। अतः, परपोषण वह प्रक्रिया है जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित न कर किसी-न-किसी रूप में अन्य स्त्रोतों से प्राप्त करते हैं।
स्वपोषण और परपोषण में मूल अंतर यह है कि स्वपोषण में जीव सरल अकार्बनिक अणुओं से जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेषण करते हैं, परंतु परपोषण में जंतुओं द्वारा ग्रहण किए गए जटिल कार्बनिक अणुओं का विभिन्न जैविक क्रियाओं द्वारा सरल कार्बनिक अणुओं में निम्नीकरण (degradation of breakdown) होता है।
परपोषण के प्रकार—
परपोषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।
1)मृतजीवी पोषण (Saprophytic nutrition)
ग्रीक शब्द सैप्रोस का अर्थ अवशोषण (sapros = to absorb) होता है। अतः, इस प्रकार के पोषण में जीव मृत जंतुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन, अपने शरीर की सतह से, घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अवशोषित करते हैं।
वैसे जीव जो अपना भोजन मृतजीवी पोषण के द्वारा प्राप्त करते हैं, मृतजीवी या सैप्रोफाइट्स (saprophytes) कहलाते हैं। अनेक कवकों, बैक्टीरिया तथा कुछ प्रोटोजोआ में पोषण इसी विधि से होता है। मृतजीवी अपना भोजन मुख्यतः तरल अवस्था में ही अवशोषण (absorption) के द्वारा ग्रहण करते हैं।
मृतजीवी पोषण का प्रकृति में बहुत अधिक महत्त्व है। जंतुओं और पौधों की मृत्यु के पश्चात उनके मृत शरीर को,मृतजीवी अपघटित (decompose) कर, अर्थात सड़ा-गलाकर उनके मूल तत्त्वों में बदल देते हैं। ऐसे मूल तत्त्व पुनः मिट्टी में प्रतिस्थापित हो जाते हैं और उत्पन्न गैस वातावरण में मिल जाती है। इन तत्त्वों को फिर से हरे पौधे मिट्टी से ग्रहण कर अपने उपयोग में लाते हैं। यही चक्र प्रकृति में निरंतर चलता
रहता है। इसी कारण मृतजीवी अपघटक (decomposer) भी कहलाते हैं।
2)परजीवी पोषण (Parasitic nutrition)-
पारासाइट दो ग्रीक शब्दों, पारा और साइटोस के मेल से बना है। पारा का अर्थ ‘पास’, ‘बगल’ या ‘ पार्श्व’ में (para = beside) तथा साइटोस का अर्थ ‘पोषण’ (sitos = nutrition) होता है।
इस प्रकार के पोषण में जीव दूसरे प्राणी के संपर्क में, स्थायी या अस्थायी रूप से रहकर, उससे अपना भोजन प्राप्त करते हैं। ऐसे जीवों का भोजन अन्य प्राणी के शरीर में मौजूद.कार्बनिक पदार्थ होता है। इस प्रकार, भोजन करनेवाले जीव परजीवी (parasite) कहलाते हैं और जिस जीव के शरीर से परजीवी अपना भोजन प्राप्त करते हैं, वे पोधी (host) कहलाते हैं। परजीवी पोषण अनेक प्रकार के कवक, जीवाणु, कुछ पौधों, जैसे अमरबेल तथा कई जंतुओं; जैसे-गोलकृमि, हुकवर्म, टेपवर्म, एंटअमीबा हिस्टोलीटिका, मलेरिया परजीवी आदि में पाया जाता है।
सभी परजीवियों के भोजन में समरूपता नहीं होती है। परजीवियों के द्वारा भोजन के रूप में ग्रहण किए जानेवाले कार्बनिक पदार्थ सामान्यतः तरल रूप में होते हैं।
3)प्राणिसम पोषण (Holozoic nutrition)-
होलोजोइक शब्द दो ग्रीक शब्दों, होलो और जोइक के मेल से बना है। होलो शब्द का अर्थ पूर्ण रूप से’ या पूरी तरह’ (holo = complete) तथा जोइक का अर्थ ‘जंतु जैसा’ (zoic = animal-like) होता है। अर्थात, वैसा पोषण जिसमें प्राणी अपना भोजन ठोस या तरल के रूप में जंतुओं के भोजन ग्रहण करने की विधि द्वारा ग्रहण करते हैं, प्राणिसम पोषण (holozoic nutrition)कहलाता है। वैसे जीव जिनमें इस विधि से पोषण होता है, प्राणिसमभोजी कहलाते हैं। इस प्रकार का पोषण सामान्यतः जंतुओं का लक्षण है तथा यह अमीबा, मेढ़क, मनुष्य आदि में पाया जाता है।
जीवों में पोषण प्राप्त करने की विधियाँ
अपनी आवश्यकताओं के अनुसार जीवों में अलग-अलग प्रकार के पोषकों की जरूरत होती है जिसे प्राप्त करने के तरीके भी जीवों में विभिन्न तरह के होते हैं। एककोशिकीय जीवों में कोशिका के संपूर्ण सतह से खाद्य पदार्थ ग्रहण किया जाता है जबकि बहुकोशिकीय एवं जटिल जीवों में इसके लिए खास अंग होते हैं।
हमने क्या सीखा
दोस्तों इस आर्टिकल मे हमने जाना Nutrition क्या है। Nutrition meaning in Hindi क्या होता है। Nutrition कैसे काम करता है। types of Nutrition क्या है। Nutrition से जुड़े हमें जितनी भी जानकारी प्राप्त हुई। उसे हमने आपके सामने प्रस्तुत किया है। अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई डाउट है। तो आप बेफिक्र होकर हमें कमेंट या ईमेल कर सकते हैं।
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