नाइलॉन (Nylon) :
नाइलॉन का निर्माण एक अमेरिकी रसायनज्ञ डब्ल्यू. सी. कैरोथरस ने अपने अनुसंधान के आधार पर 1935 ई. में किया था। यह पॉलीएमाइड (polyamide) शृंखलाओं से बना एक बहुलक पदार्थ है।
एडिपिक अम्ल एवं टेक्सामेथिलीन डाइएमीन के अणु आपस में संयुक्त होकर नाइलॉन का निर्माण करते हैं । इस प्रकार निर्मित नाइलॉन को पिघलाकर धागों में परिवर्तित कर दिया जाता है। नाइलॅन के रेशे सूखे एवं गीले दोनों ही अवस्थाओं में समान मजबूत होते हैं।
इन रेशों से बने कपड़ों में कीड़े नहीं लगते। ये रेशे पानी भी नहीं सोखते। यही कारण है कि इनसे बने हुए कपड़े शीघ्र सूख जाते हैं। पहनने के कपड़ों के अतिरिक्त नाइलॉन का उपयोग पैराशूट निर्माण में, मछली पकड़ने की जाली तथा रस्सियाँ बनाने में होता है। नाइलॉन अत्यधिक खरोंच प्रतिरोधी होता है। इस कारण इसका उपयोग टायर कॉई (tyre cord) बनाने में भी होता है।
रेयान (Rayon)
रेयॉन एक मानवनिर्मित सामग्री है जो सेलुलोस के रासायनिक उपचार (chemical treatment) के फलस्वरूप प्राप्त होता है। रेयॉन के रेशों से निर्मित वस्त्र में रेशम जैसी चमक होती है। इसी कारण रेयॉन को कृत्रिम रेशम भी कहा जाता है। परंतु, इसकी प्रकृति सूती रेशे जैसी ही होती है।
रेयॉन की अनेक किस्में हैं, परंतु वह रेयॉन जिसे विस्कोस विधि द्वारा बनाया जाता है,सबसे अधिक उपयोग में लाया जाता है। रेयॉन का मुख्य उपयोग अनेक प्रकार के वस्त्र बनाने में होता है। इसका उपयोग टॉयर उद्योग में टायर कॉर्ड बनाने में भी होता है।
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