विलयन (Solution in hindi)—जब जल में चीनी अथवा नमक की थोड़ी सी मात्रा डाल कर हिलाया जाय तो ये पदार्थ जल में विलुप्त हो जाते हैं तथा एक पारदर्शी व समाँग (Homogeneous) मिश्रण प्राप्त हो जाता है। इस मिश्रण के प्रत्येक भाग के गुण-धर्म एक समान होते हैं।
इस प्रकार बने मिश्रण को विलयन कहा जाता है। अतः दो या दो से अधिक पदार्थों के परस्पर मिश्रण से जो समाँग मिश्रण प्राप्त होता है, विलयन कहलाता है। विलयन कई प्रकार के होते हैं। जैसे-ठोस का द्रव में विलयन, ठोस का ठोस में विलयन, द्रव का ठोस में विलयन,द्रव का गैस में विलयन,गैस का गैस में विलयन, गैस का द्रव में विलयन, द्रव का गैस में विलयन व गैस का गैस में विलयन(solvent in hindi) आदि
विलयन की सान्द्रता (Concentration of solution in hindi)-
किसी विलयन की सान्द्रता उसमें उपस्थित विलेय तथा विलायक की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि विलयन में विलायक की मात्रा विलेय से बहुत अधिक होती है तो विलयन तनु विलयन (dilute solution) कहलाता है। यदि विलयन में विलेय पदार्थ की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है तो विलयन सान्द्र विलयन (Concentrated solution in hindi) कहलाता है ।
(1)असंतृप्त विलयन (Unsaturated solution in hindi)
वैसा विलयन जिसके विलायक में एक निश्चित ताप पर और विलय को घुलाने की क्षमता होती है, उसे असंतृप्त विलयन कहते हैं। अर्थात् जिस विलयन में विलय की मात्रा संतृप्त विलयन से कम होती है वह असंतृप्त विलयन कहलाता है।
(2)अतिसंतृप्त विलयन (Super saturated solution in hindi):
वैसा विलयन जिसके विलायक में उसकी क्षमता से अधिक मात्रा में विलेय को घुलाया जा सके, उसे अतिसंतृप्त विलयन कहते हैं। ठोस पदार्थों में अतिसंतृप्त विलयन(solvent in hindi) तभी बनना संभव होता है जब इसके ताप में वृद्धि होती है। गैस की द्रवों में अतिसंतृप्त विलयन तब संभव होता है, जब दाब बढ़ाया जाता है।
कोई विलयन एक निश्चित ही ताप पर संतृप्त होता है, ताप के बढ़ाने पर वही विलयन असंतृप्त हो जाता है क्योंकि ताप बढ़ाने पर विलेय की घुलनशीलता बढ़ जाती है जिससे विलेय की और अधिक मात्रा घोली जा सकती है। ताप बढ़ाने पर उसमें और अधिक मात्रा घोल देने पर अतिसंतृप्त विलयन बन जाता है।
अतिसंतृप्त विलयन को ठंढा करने पर उससे कुछ विलेय की मात्रा ठोस के रूप में पृथक हो जाता है। इस प्रकार किसी विशेष ताप पर उपलब्ध संतृप्त विलयन को यदि धीरे-धीरे ठंढा किया जाए तो उससे भी कुछ विलेय की मात्रा ठोस के रूप में पृथक हो जाती है क्योंकि विलयन एक विशेष ताप पर संतृप्त था लेकिन ताप घट जाने के कारण विलयन में विलेय(solvent in hindi)की घुलनशीलता अर्थात् घुलाने की क्षमता घट जाती है।
विलेय व विलायक (Solute and Solvent in hindi)-
विलयन में जो पदार्थ अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होता है, उसे विलायक कहते हैं तथा जो पदार्थ कम मात्रा में उपस्थित रहते हैं, विलेय कहलाते हैं। विलायक कई प्रकार के होते हैं लेकिन अधिक डाई इलेक्ट्रिक नियतांक वाले पदार्थ सबसे अच्छे विलायक माने जाते हैं। जल का डाइ इलेक्ट्रिक नियताँक अधिक होने के कारण इसे उत्तम विलायक माना जाता है तथा इसे सार्वत्रिक विलायक
(Universal solvent in hindi) भी कहते हैं। लेकिन कुछ कार्बनिक व अन्य पदार्थ जैसे-कपूर, गंधक, सल्फर, घी, नेफ्थलीन आदि जल में अविलेय होते हैं। ऐसे पदार्थों के लिये अन्य विलायकों का प्रयोग किया जाता है ।
विलायकों के उपयोग (Uses of solvent in hindi)-
विलायकों के दैनिक जीवन में अत्यधिक उपयोग हैं। आयोडीन को स्प्रिट में घोलकर विभिन्न प्रकार की औषधियाँ जैसे–टिंचर आयोडीन,आयोडेक्स आदि बनाये जाते हैं। बेंजीन व पेट्रोल का प्रयोग निर्जल धुलाई (dry cleaning) के रूप में किया जाता है।
रबड़ का नैफ्था में विलयन बनाकर विभिन्न प्रकार के दैनिक जीवन के कार्यों जैसे-साइकिल आदि के पंक्चर जोड़ने में इसका प्रयोग किया जाता है। कार्बनिक यौगिक एथिल ऐसीटेट का प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में विलायक(solvent in hindi) के रूप में बहुत अधिक किया जाता है।
ऐल्कोहल से विभिन्न प्रकार के सुगन्धित इत्र बनाये जाते हैं। बेन्जीन, तेल, वसा व रबड़ का अच्छा विलायक है, इसलिये इसका प्रयोग उद्योगों में विलायक के रूप में किया जाता है।
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