Total internal reflection in hindi-दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है हीरे के चमकने का मुख्य कारण क्या है,हिरा को प्रकाश में रख देने पर इतना मनमोहन दृश्य उत्पन्न करता है। देखने वाले का मन मोह लेता है। आखिर इसके पीछे का विज्ञान क्या है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम पूर्ण आंतरिक परावर्तन जिसके कारण हीरा इतना चमकदार दिखाई देता है। को अच्छे से समझेंगे।
पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या होता है(What is Total internal reflection in hindi)
पूर्ण आंतरिक परावर्तन की परिभाषा- जब कोई प्रकाश की किरण संघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है। तो अपवर्तन के कारण अपवर्तीत किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है। जैसे जैसे हम आपतन कोण का मान बढ़ाते हैं। विरल माध्यम में अपवर्तीत किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है।
मतलब अपवर्तन कोण का मान बढ़ता जाता है। (जब एक निश्चित आपतन कोण के लिए अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री हो जाता है तो इस आपतन कोण को क्रांतिक कोण (critical angle) ))कहते हैं।) एक समय ऐसा आता है जब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से ज्यादा हो जाता है। और प्रकाश किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है।
दैनिक जीवन में पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण-
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के अनेक उदाहरण दैनिक जीवन में देखने को मिलते हैं। हीरे के चमकने का कारण मुख्य रूप से पूर्ण आन्तरिक परावर्तन ही है। चूंकि हीरे का अपवर्तनाँक बहुत अधिक.2.4 होने के कारण इसका क्रान्तिक कोण केवल 24 ° होता है।
अतः जब विशेष रूप से काटे गये हीरे के अन्दर प्रकाश पड़ता है तो यह हीरे के पृष्ठों पर बार-बार पूर्ण परावर्तित होता रहता है। हीरे के अन्दर जब किसी पृष्ठ पर आपतन कोण 24 ° से कम होता है तभी वह प्रकाश हीरे से बाहर निकलता है तथा जब यह प्रकाश हमारी आँखों पर पड़ता है तो हीरा हमें चमकदार दिखायी देता है।
गर्मियों के मौसम में रेगिस्तान में मरीचिका (Mirage) का कारण भी पूर्ण आन्तरिक परावर्तन है। गर्मियों की दोपहर में रेगिस्तान में यात्रियों को कुछ दूरी पर पानी होने का भ्रम हो जाता है। इसे रेगिस्तान की मरीचिका कहते हैं।
गर्मी के मौसम में रेगिस्तान अत्यधिक गर्म हो जाता है जिसके कारण बालू के सम्पर्क की वायु भी गर्म होकर फैलती है एवं उसका घनत्व घट जाता है ।
ऊपर की वायु-पर्ते ठंडी व सघन होती हैं। जैसे-जैसे हम ऊपर से नीचे की ओर आते हैं पर्ते विरल होती जाती हैं। किसी पेड़ की चोटी से आने वाली प्रकाश किरणें, वायु की विभिन्न पर्तों, जो कि नीचे की ओर विरल होती हैं, से अपवर्तित होकर अभिलम्ब से दूर हटती जाती हैं।
धीरे-धीरे एक स्थिति ऐसी स्थिति आती है जब वायु की किसी परत के लिए आपतन कोण परतो के क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है। तो किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total internal reflection in hindi)हो जाता है।
प्रकाश की किरण पुनः ऊपर की ओर संघन माध्यम में परिवर्तित हो जाती है। जब ये किरण यात्री की आँख में पहुँचती है तो पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखलायी पड़ने लगता है और उसे पानी का भ्रम होने लगता है।
ठण्डे देशों में मरीचिका (Looming) का कारण भी पूर्ण आन्तरिक परावर्तन ही है। जब काँच चटक जाता है तो चटका हुआ भाग चमकीला दिखायी देता है क्योंकि चटके हए भाग में हवा भर जाती है जो कि काँच की अपेक्षा विरल होती है।
जब प्रकाश काँच से इस हवा की पर्त में प्रवेश करता है तो उसका सघन माध्यम से विरल माध्यम में अपवर्तन होता है। काँच-हवा के पृष्ठ पर आपतित किरण के आपतन कोण का मान काँच के क्रॉन्तिक कोण से अधिक हो जाता है तो पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होने लगता है।
इस कारण से चटका हुआ काँच चमकीला प्रतीत होता है। इसी प्रकार जब पानी से अंशत: भरी हुई परखनली को पानी से भरे बीकर में डुबोते हैं तो परखनली के जिस भाग में पानी नहीं होता अर्थात् परखनली का खाली भाग चाँदी की तरह चमकने लगता है।
इसका कारण भी प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन(Total internal reflection in hindi) है । जब प्रकाश की किरणें बीकर के पानी से चलकर परखनली के खाली भाग पर आपतित होती हैं तो उनका पानी से वायु में अर्थात् सघन माध्यम से विरल माध्यम में अपवर्तन होने लगता है।
परखनली को धीरे-धीरे झुकाने पर आपतन कोण का मान बढ़ता जाता है तथा जब इसका मान पानी-वायु के लिये क्रांन्तिक कोण से अधिक हो जाता है तो प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होने लगता है और परखनली का खाली भाग चमकीला दिखायी देता है।
पूरी परखनली को पानी से भर देने पर परखनली का चमकना बन्द हो जायेगा। आजकल मेडिकल, प्रकाशीय सिग्नल के संचरण, विद्युत सिग्नलों के भेजने व प्राप्त करने में ऑप्टिकल-फाइबर (Optical-fibre)का बहुत अधिक उपयोग होगा रहा है।
ऑप्टिकल फाइबर भी पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total internal reflection in hindi)के सिद्धांत पर कार्य करता है जब कभी प्रकाश को अधिक दूरी तक भेजना होता है तब वहां पर ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें प्रकाश का अवशोषण बहुत कम होता है।
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