रॉबर्ट ब्यॉल (Robert Boyel) ने सबसे पहले 1961 ई० में तत्व शब्द का प्रयोग किया। लेकिन तत्व(Element in hindi) शब्द को पहले फ्रांस के एक वैज्ञानिक एंटोनी लॉरेंज लवाइजियर (Antione Laurent Lavoisier) ने इस प्रकार परिभाषित किया-
“तत्व पदार्थ का मूल रूप है जिसे रासायनिक प्रतिक्रया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है।” अर्थात् वह पदार्थ जिसे किसी भी भौतिक अथवा रासायनिक विधि से दो अथवा दो से अधिक सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, तत्व कहलाता है। जैसे—सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, सोडियम, पोटैशियम, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन इत्यादि ।
इस प्रकार एक तत्व एक ही प्रकार के परमाणुओं से बना होता है। अब तक आद्यतन 118 तत्वों की खोज हो चुकी है जिसमें 92 तत्व प्रकृति में मुक्त अवस्था अथवा संयुक्त अवस्था में पाये जाते हैं जबकि शेष तत्व कृत्रिम रूप से विभिन्न प्रयोगशालाओं में बनाए गये हैं। अधिकतर तत्व(Element in hindi)कमरे के ताप पर ठोस हैं, 11 तत्व कमरे के ताप पर गैस हैं जबकि दो तत्व पारा और ब्रोमीन कमरे के ताप पर द्रव हैं। गैलियम और सिजियम दो ऐसे तत्व हैं जो कमरे के ताप से कुछ अधिक ताप पर द्रव अवस्था में आ जाते हैं।
तत्वों को उनके गुण-धर्मों के आधार पर तीन वर्गों में धातु, अधातु एवं उपधातु में बाँटा गया है।
धातु-Metal Element in hindi
वे तत्व जो विद्युत और ऊष्मा के सुचालक होते हैं, सामान्यतः ठोस अवस्था में पाये जाते हैं और जिनमें आघातवर्ध्यता (malleability) एवं तन्यता (ductility) के गुण पाये जाते हैं, धातु कहलाते हैं। जैसे—सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा, सोडियम, पोटैशियम, पारा, टिन इत्यादि
धातु के उदाहरण हैं। सामान्यतः सभी धातुएँ ठोस अवस्था में पाई जाती हैं जबकि अपवादस्वरूप पारा (mercury) कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है।
धातु के गुणधर्म-Properties of Metal Element in hindi
धातु के मुख्यतः निम्नलिखित गुणधर्म पाये जाते हैं-
(i) ये चमकीले होते हैं एवं इनमें चाँदी जैसी सफेदी अथवा सोने रंग का पीलापन पाया जाता है।
(ii) ये ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं। चाँदी एवं ताँबा ऊष्मा एवं विद्युत के सबसे अच्छे सुचालक है।
(iii) ये तन्य होती हैं। सोना सबसे अधिक तन्यता प्रदान करता है।
(iv) ये आघातवर्ध्य होती हैं अर्थात् जिन्हें पीटकर महीन चदरों (पत्तरों) में ढाला जा सकता है। सोना और चाँदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य हैं।
(v) सामान्यतः धातुएँ कठोर होते हैं जबकि अपवाद स्वरूप सोडियम एवं पोटैशियम मुलायम होते हैं जिसे चाकू से भी आसानी से काटा जा सकता है।
(vi) इनके गलनांक एवं क्वथनांक प्रायः उच्च होते हैं।
अधातु-Non-Metal
वे तत्व जो विद्युत और ऊष्मा के कुचालक होते हैं एवं जिनमें आघातवर्ध्यता और तन्यता के गुण नहीं पाये जाते, अधातु कहलाते हैं। जैसे—हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, आयोडीन, कार्बन (हीरा और ग्रेफाइट), ब्रोमीन, क्लोरीन, फॉस्फोरस, सल्फर इत्यादि अधातु के उदाहरण हैं। कमरे के सामान्य ताप पर कार्बन, फॉस्फोरस, सल्फर इत्यादि ठोस हैं जबकि ब्रोमीन द्रव है एवं हाइड्रोजन,ऑक्सीजन इत्यादि गैस हैं।
अधातु के गुणधर्म-Properties of non-metal Element in hindi
अधातु के मुख्यतः निम्नलिखित गुणधर्म पाये जाते हैं-
(i) ये विभिन्न रंगों के होते हैं।
(ii) ये ऊष्मा (ताप) और विद्युत के कुचालक होते हैं लेकिन कार्बन के दो अपरूप—हीरा और ग्रेफाइट में हीरा जहाँ विद्युत का कुचालक होता है वहीं ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है। ।
(iii) अधातु, धातु के समान चमकीला, अघातवर्ध्य, तन्य एवं प्रतिध्वनि पूर्ण नहीं होते । अपवादस्वरूप आयोडीन के सतह चमकीले होते हैं।
(iv) इनके गलनांक एवं क्वथनांक सामान्यतः निम्न स्तर के होते हैं।
(v) ये सामान्यतः मुलायम (मृदु) होते हैं। अपवादस्वरूप कार्बन का अपरूप हीरा अत्यंत ही कठोर होता है।
उपधातु-Metalloid
वे तत्व जिनमें धातु एवं अधातु दोनों के गुण पाये जाते हैं वे उपधातु कहलाते हैं । जैसे—बोरॉन,सिलिकॉन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एन्टीमनी, टेल्युरियम इत्यादि उपधातु के उदाहरण हैं।
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