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क्रिश्चन ह्यूजेन्स की सम्पूर्ण जीवनी -Biography of Christiaan Huygens in hindi

  • जन्म – 14 अप्रैल, 1629
  • जन्म स्थान – हेग, नीदरलैंड
  • निधन – 8 जुलाई, 1695

क्रिश्चन ह्यूजेन्स की बदौलत ही मानव निर्मित यंत्र से काल-गणना के युग की शुरुआत हुई। ह्यूजेन्स ने नेत्र सम्बंधी अनेक उपकरण ईजाद किए। इन्हीं के द्वारा आविष्कृत ह्यूजेन्स आइपीस का उपयोग सदियों से सूक्ष्मदर्शी यंत्रों में हो रहा है।

क्रिश्चन ह्यूजेन्स का जन्म – Biography of Christiaan Huygens in hindi

क्रिश्चन ह्यूजेन्स का जन्म 14 अप्रैल, 1629 को नीदरलैंड की राजधानी हेग में हुआ था। ह्यूजेन्स के पिता कान्सटेन्टाइन ह्यूजेन्स बिरादरी के एक धनी-मानी व्यक्ति, कवि, राजनीतिज्ञ, संगीतज्ञ तथा मशहूर पहलवान थे बचपन से ही क्रिश्चन को गणित तथा विज्ञान में विशेष रुचि थी। लाइदन और ब्रेदा के विश्वविद्यालयों में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। बाईस वर्ष की कच्ची उम्र में गणित तथा ग्रह-गणना सम्बंध कुछ निबंध जब छपे तो उन्हें पढ़कर प्रसिद्ध दार्शनिक रेने डेकार्ट तक चकित.उनके रह गया था .

ह्यूजेन्स ने अपने एक सहायक की मदद से खुद के टेलीस्कोप (christiaan huygens telescope) निर्मित किए। टेलिस्कोप के निर्माण में जो बेहतरी वे इस तरह ले आए उसकी बदौलत उन्होंने शनिग्रह के उस ज्योतिर्मण्डल का प्रत्यक्ष किया, जिसे उससे पहले केवल गैलीलिओ ही देख सका था। किंतु ह्यूजेन्स (Biography of Christiaan Huygens in hindi ) ने इस ‘मंडल’ की प्रकृति को पहचान लिया कि यह एक ‘भारी चपटी परिधि’ है। नेत्र-सम्बंधी कितने ही उपकरण ह्यूजेन्स ने ईजाद किए जिनमें—ह्यूजेन्स का आईपीस आज भी हमारे सूक्ष्मदर्शी यंत्रों में प्रयुक्त होता है।

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क्रिश्चन ह्यूजेन्स का अध्ययन कार्य -christiaan huygens education

24 साल की उम्र में ह्यूजेन्स (Biography of Christiaan Huygens in hindi ) को लंदन की रायल सोसायटी का सदस्य चुन लिया गया। इस सम्मान को ग्रहण करने के लिए जब वह इंग्लैंड पहुंचे, तब न्यूटन से उनकी भेंट हुई। न्यूटन भी उनकी बहुमुखी प्रतिभा से कम प्रभावित नहीं हुआ।

उसने कोशिश भी की कि लंदन में ही ह्यूजेन्स का काम बन जाए। किंतु इसमें उसे सफलता.नहीं मिली। बात यह थी कि हालैण्ड के उस वैज्ञानिक को अभी उसके अपने देश के.बाहर बहुत ही कम लोग जानते थे, और वह भी कुछ वैज्ञानिक मित्र ही। परिणामतः.न्यूटन भी, किसी समृद्ध अभिभावक को उनके सम्पर्क में न ला सका जिससे कि एक विदेशी वैज्ञानिक को उसकी आर्थिक चिंताओं से मुक्त रखा जा सके।

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काफी साल बाद लुई चौदहवें ने ह्यूजेन्स ( Biography of Christiaan Huygens in hindi ) को एक वैज्ञानिक अनुसंधान संस्था का अध्यक्ष पद प्रस्तुत किया जिस पर वे 1666 में 1681 तक बने रहे।

क्रिश्चन ह्यूजेन्स और उनके अविष्कार -Christiaan Huygens inventions

फ्रांस में रहते हुए ही उन्होंने अपने महान ग्रंथ ‘प्रकाश पर एक निबंध’ लिखा किंतु इसका प्रकाशन बहुत बाद में 1690 में हुआ। अपने दिनों में क्रिश्चन ह्यूजेन्स की प्रतिष्ठा पेंडुलम घड़ी के आविष्कर्ता (Christiaan Huygens clock invention ) के रूप में थी। वे इसके केवल आविष्कर्ता मात्र ही नहीं थे, अपितु पेंडुलम की गतिविधि के मूल में क्या नियम है और कैसे वह काम करता है इसकी व्याख्या भी वे कर सकते थे।

यह विचार कि पेंडुलम का प्रयोग घड़ी-पल गिनने में किया जा सकता है सूझा तो पहले गैलीलिओ को भी था, किंतु घड़ी बनाने में उसकी उपयोगिता को क्रियात्मक रूप ह्यूजेन्स से पूर्व कोई दे न सका था।

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1657 में ह्यूजेन्स ने पहली सफल पेंडुलम घड़ी तैयार की। ह्यूजेन्स की घड़ी सही-सही घंटे-मिनट बताती थी। अब इस पेंडुलम घड़ी को समुद्र-यात्रा में सहायता पहुंचाने के लिए भेज दिया गया और, तभी, उनकी मुश्किलें शुरू हो गईं। ‘पृथ्वी की गुरुता’ की ओर आविष्कर्ता का ध्यान अभी तक नहीं गया था। (Biography of Christiaan Huygens in hind)

पृथ्वी अपनी अक्ष गति के कारण सतह के पदार्थों को न केवल गुरुत्वाकर्षण बल से खींचती है बल्कि एक और बल ह्यूजेन्स ने खोजा ( christiaan huygens discoveries )जो उसकी गति के कारण था .

ह्यूजेन्स ने इस बल को सेन्ट्रिफ्यूगल फोर्स का नाम दिया। इसी बल के कारण पेंडुलम घड़ी समुद्र-स्तर पर अपने मिनट-सैकण्ड खोने लगती है। यह सेन्ट्रिफ्यूगल बल ध्रुवों की अपेक्षा भूमध्य रेखा पर अधिक था। समुद्र-यात्रा में यदि ये पेंडुलम घड़ियां नाकारा साबित होती हैं, तो उसका भी कुछ उपाय होना चाहिए। अब ह्यूजेन्स के सम्मुख यह एक नया प्रश्न था। उसका समाधान भी उन्होंने निकाल लिया ‘स्पाइरल वाच-स्प्रिंग’ के रूप में घड़ियों के सम्बंध में ह्यूजेन्स ने एक यही आविष्कार (christiaan huygens discoveries )नहीं किया था, उनकी युग-प्रतिष्ठा हो चुकी थी, उनका ईजाद किया ‘साइक्लायडल सस्पैन्शन’ आज भी हम पेंडुलम घड़ियों में प्रयोग में लाते हैं।

घड़ियों के अतिरिक्त ह्यूजेन्स ने भौतिकी में एक और महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, वह था प्रकाश की किरणों (Christiaan Huygens light) की मूल प्रकृति का विश्लेषण। उनके अनुसार ध्वनि और
जल की भांति ज्योति भी प्रकृत्या तरंगमयी ही होती है। ह्यूजेन्स कहते हैं—’यह संदेह करना व्यर्थ है कि प्रकाश वस्तुतः ‘एक प्रकार के द्रव्य की गति’ (का परिणाम) है।’ उनका अनुमान था कि प्रकाश भी तरंगों में ही इधर-उधर फैलता है किंतु, साथ ही, इस बात का भी उन्हें निश्चय था कि जहां ध्वनि की गति ‘शून्य’ में अवरुद्ध हो जाती है, प्रकाश की नहीं हो सकती। ह्यूजेन्स ने इस प्रकार प्रकाश के सम्बंध में ‘तरंग सिद्धांत’ (वेव थीअरी) की ( Christiaan Huygens light wave invention ) स्थापना की और उसके आधार पर प्रकाश के क्षेत्र में प्रत्यावर्तन (रिफ्लैक्शन), अभ्यावर्तन (रिफ्रेक्शन), तथा गुणान्तरण (पोलराइजेशन) की व्याख्या भी कर डाली। दो सौ साल तक ह्यूजेन्स के तरंग सिद्धांत पर वैज्ञानिकों ने ज्यादा आस्था नहीं दिखाई। किंतु तब मैक्सवेल ने यह सिद्ध किया कि ह्यूजेन्स का तरंग सिद्धांत आसान भी है और सही भी।

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