दोस्तों mirror तो आप सभी के घर मे होगा। जिसका उपयोग हम खुद को देखने के लिए करते है। एक शोध की मानें तो महिलाए mirror के सामने दिन भर बैठ सकती है। बिना किसी प्रॉब्लम के, अब यह दर्पण(mirror in hindi) किसे है। और किन चीजों से मिलकर बनता है। किस आर्टिकल में हम दर्पण के बेसिक पहलुओं को जानेंगे।
दर्पण किसे कहते हैं-What is mirror in hindi
दर्पण एक तरह का Object है जो अपनी तरह आने वाले प्रकाश किरणों का अधिकतर भाग परिवर्तित कर देता है। दर्पण को बनाने के लिए सिलिका (SiO2), का इस्तेमाल किया जाता है। जब 1700 डिग्री सेल्सियस तक रेट या बालू को गर्म किया जाता है तब दर्पण का निर्माण(Mirror in hindi) होता है।
दर्पण के प्रकार–Type of mirror in hindi
दर्पण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
1) समतल दर्पण
2) उत्तल दर्पण
3) अवतल दर्पण
1) समतल दर्पण-Plane mirror in hindi
समतल दर्पण में किसी वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है। जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने रखी होती है यह प्रतिबिंब काल्पनिक वस्तु के बराबर एवं उल्टा होता है।
यदि कोई व्यक्ति v चाल से दर्पण की ओर चलता है, तो उसे दर्पण में अपना प्रतिबिम्ब 2v चाल से अपनी ओर आता हुआ प्रतीत होगा।
यदि आपतित किरण को नियत रखते हुए दर्पण को θ कोण से घुमा दिया जाए तो परावर्तित किरण 2θ से घूम जाती है।
समतल दर्पण में वस्तु का पूर्ण प्रतिबिम्ब देखने के लिए दर्पण की लम्बाई वस्तु की लम्बाई की कम से कम आधी होनी चाहिए ।
यदि दो समतल दर्पण θ कोण पर झुके हों तो उनके बीच रखी वस्तु के प्रतिबिम्बों की संख्या (360°/ θ )-1
होगी।
जैसे—60° पर झुके दो समतल दर्पणों के बीच प्रतिबिंब की संख्या=2
2) उत्तल दर्पण-Convex mirror in hindi
उत्तल दर्पण में किसी वस्तु का बना प्रतिबिम्ब सदैव आभासी होता है। ये प्रतिबिम्ब सीधे व वस्तु से छोटे होते हैं अर्थात् उत्तल दर्पण द्वारा काफी बड़े क्षेत्र की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब एक छोटे से क्षेत्र में बन जाता है।
इस प्रकार उत्तल दर्पण का दृष्टि-क्षेत्र (field-view) अधिक होता है । इसीलिए इसे ट्रक-चालकों या मोटर-कारों में चालक के बगल में लगाया जाता है सड़क में लगे परावर्तक-लैम्पों में उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है । विस्तार क्षेत्र अधिक होने के कारण ये प्रकाश को अधिक क्षेत्र में फैलाते हैं।
3) अवतल दर्पण-Concave mirror in hindi
जब किसी वस्तु को अवतल दर्पण के समीप उसकी फोकस दूरी से कम दूरी पर खड़ा किया जाता है तो वस्तु का सीधा, आभासी व वस्तु के आकार से बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है । इसीलिये कान व गले के आन्तरिक भागों की जाँच करने के लिये चिकित्सक अवतल दर्पण(Mirror in hindi) का प्रयोग करते हैं ।
यदि हम परवलयाकार अवतल दर्पण के फोकस पर कोई छोटा सा बल्ब लगा दें तो इससे निकलने वाली प्रकाश किरणें दर्पण से परावर्तित होकर समान्तर स्थिर तीव्रता की किरणों में परिवर्तित हो जाती हैं। इसीलिये इस दर्पण का उपयोग सर्चलाइट (Search-light) तथा कार की हेडलाइट (Head-light) में किया जाता है।
दर्पणों की पहचान कैसे करते है
दर्पणों की पहचान कोई दिया गया दर्पण समतल या अवतल या उत्तल है की पहचान दो विधियों से कर सकते हैं-
(i)दर्पण को स्पर्श करके,
(ii) दर्पण में बने प्रतिबिम्ब को देखकर।
(i)दर्पण को स्पर्श करके,
दर्पण को स्पर्श करके हम दिये गये दर्पण के परावर्तक तल (reflecting surface) को स्पर्श करते हैं। यदि परावर्तक तल एकदम समतल है, तो दर्पण समतल होगा। यदि परावर्तक तल बीच में उभरा (bulging) है तो दर्पण उत्तल होगा और यदि परावर्तक तल बीच में दबा हुआ है तो दिया गया दर्पण अवतल होगा।
(ii) दर्पण में बने प्रतिबिम्ब को देखकर-
इस विधि में हम किसी वस्तु का, दर्पण के परावर्तक तल में प्रतिबिम्ब देखते हैं। जिस दर्पण की हमें पहचान करनी होती है उसके परावर्तक तल से वस्तु को दूर ले जाते हैं तथा उसके प्रतिबिम्ब में होने वाले परिवर्तन को देखते हैं।
यदि दर्पण में बना वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु को दर्पण से दूर ले जाने पर छोटा होता जाता है तो दिया गया दर्पण उत्तल होगा। यदि वस्तु का प्रतिबिम्ब सीधा है व वस्तु के दूर जाने पर बढ़ता जाता है तो दर्पण अवतल दर्पण होगा। यदि प्रतिबिम्ब का आकार स्थिर रहता है तो दर्पण समतल दर्पण(Mirror in hindi) होगा।
यह article “दर्पण किसे कहते हैं(Mirror in hindi) दर्पण की परिभाषा और उपयोग के बारे में जानकारी” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।