सरीसृप वर्ग (Reptiles)-ये साधारणतः स्थलवासी हैं, लेकिन कुछ जलवासी भी होते हैं। सरीसृप वर्ग (L. Reptum creep= रेंगना) अर्थात ये थल पर रेंगकर चलते हैं, इसीलिए इस वर्ग को रेप्टीलिया कहा है। इनके जन्तु शीत-रुधिर (Cold Blooded) हैं, अर्थात शरीर का तापक्रम वातावरण के अनुसार बदलता रहता है। इन जन्तुओं की त्वचा सूखी (Dry) एवं खुरदरी होती है । खोपड़ी (Skull) में केवल एक आक्सिपिटल कॉण्डाइल (Occipital condyle) होता है ।
श्वसन फेफड़ों (Lungs) द्वारा होता है। क्लोम (Gills) केवल भ्रूण-विकास की प्रारम्भ अवस्था में पाये जाते हैं । हृदय (Heart) में तीन कोष्ठ होते हैं, जिसमें दो अलिन्द तथा आंशिक रूप से विभाजित एक निलय (Ventricle) होता है लेकिन मगरमच्छ (Crocodile) में हृदय चार कोष्ठ का होता है।
लाल रुधिर कणिकायें (R.B.C.) केन्द्रकयुक्त (Nucleolus), उभयोत्तल (Convex) तथा अण्डाकार होती है । आहारनाल, मूत्रवाहिनियाँ तथा जनन वाहिनियाँ, अवस्कर (Cloaca) में खुलती हैं। मादा अण्डे देती हैं, अण्डे कठोर कैल्शियम-युक्त आवरण से घिरे होते हैं। इन जन्तुओं में निषेचन (Fertilization) अन्तः निषेचन (Internal fertilization) होता है।
सभी जन्तु माँसाहारी (Carnivores) हैं जो प्रायः जीवित प्राणियों का ही शिकार करते हैं। आजकल के रेप्टाइल में छिपकली, साँप, कच्छप (Turtle), कछुआ (Tortoise) इत्यादि हैं जबकि भूतकाल (Past) में विशाल (Giant) सरीसृप वर्ग पाये जाते थे उसमें मुख्यतः डाइनासोर (Dinosaurs), छिपकली (Lizards), कीटहारी (Insectivores) होती है जबकि साँप (Snakes) छोटे जन्तुओं को खाता है । साँप में पैर उपस्थित नहीं होता है, इसमें कान (Ears) भी नहीं पाया जाता। कच्छप एनं कछुआ (Tortoise) में शरीर परिरक्षक (Shieldj से ढका रहता है।