प्रकाश तरंगों का ध्रुवण परिभाषा(Definition of Polarisation of light waves)
प्रकाश तरंगों का ध्रुवण (Polarisation of light waves)—प्रकाश के विवर्तन (Diffraction) तथा व्यतिकरण(Interference) से इस बात की पुष्टि होती है कि प्रकाश तरंगों के रूप में चलता है या प्रकाश की प्रकृति तरंग-प्रकृति है।
लेकिन इन प्रयोगों से यह पता नहीं चलता कि ये तरंगें किस प्रकार की तरंगें हैं—अनुप्रस्थ तरंगें या अनुदैर्ध्य तरंगें । प्रकाश के ध्रुवण से इस बात की पुष्टि होती है कि प्रकाश तरंग अनुप्रस्थ (Transverse) तरंग है ।
आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रकाश तरंगें एक प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं जिनमें विद्युत व चुम्बकीय क्षेत्र एक दूसरे के परस्पर लम्बवत् होते हैं व तरंग के संचरण की दिशा के लम्बवत् तलों में कम्पन करते हैं मतलब यदि तरंग कागज के तल के लम्बवत् दिशा में चल रही हो तो विद्युत व चुम्बकीय कम्पन कागज के तल में होंगे।
प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात होता है कि प्रकाश के संचरण के लिए विद्युत कम्पन ही मुख्य रूप से उत्तरदायी होते हैं। चूँकि प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें हैं
ये विद्युत कम्पन तरंग के संचरण की दिशा के लम्बवत् होते हैं जब ये कम्पन तल में स्थित हर दिशा में यादृच्छ रूप से वितरित (Randomly distributed) होते हैं तो इस प्रकार की तरंग को अधुवित तरंग (Unpolarised wave) कहते हैं।
प्रकाश तरंगों का ध्रुवण उपयोग (Polarisation of light waves in hindi)
दैनिक जीवन में प्रयोग आने वाले प्रकाश स्रोतों जैसे विद्युत बल्ब ,ट्यूबलाईट आदि से उत्सर्जित होने वाली प्रकाश तरंगें अधुवित तरंगें होती हैं
परन्तु यदि वे विद्युत कम्पन तल में सभी दिशाओं में समान रूप से वितरित न होकर एक ही दिशा में हों तो ऐसी प्रकाश तरंगों को ध्रुवित तरंगें (Polarised wave) कहते हैं।
आजकल समतल ध्रुवित प्रकाश उत्पन्न करने के लिये पोलेराइडों (Polaroids) का प्रयोग करते हैं। यह एक बड़े आकार की फिल्म होती है जिसे दो काँच की प्लेटों के बीच में रख जाता है। यह फिल्म नाइट्रो सेलुलोज (Nitro cellulose) तथा हरपेथाइट (Herpathite) के मिश्रण की बनी होती हैं।
पोलेराइडों का हमारे जीवन में काफी उपयोग है। जैसे-पानी से भीगी सड़कों, अत्यधिक श्वेत प्रकाश, अथवा चमकीले तलों, आदि से परावर्तित प्रकाश की चकाचौंध से बचने के लिये इनका प्रयोग किया जाता है ।
जब दो कारें एक दूसरे की ओर आती हैं तो उनके प्रकाश के कारण चकाचौंध से दुर्घटना हो सकती है। इसे रोकने के लिये कारों में पोलेराइडों का उपयोग किया जाता है ।
सिनेमाघर में पोलेराइड के चश्में पहनकर तीन विमाओं वाले चित्रों (three dimensional pictures) को देखा जाता है। इसी प्रकार फोटोग्राफी करने में, किसी विलयन में शर्करा की सान्द्रता ज्ञातकरने में, धातुओं के प्रकाशीय गुणों के अध्ययन करने में भी पोलेराइडों का प्रयोग किया जाता है।
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