कहानियाँ(Story in hindi of Moral) सुनना सुनाना छोटे-बड़े सभी के लिए आनंद व रूचि का विषय है। खासकर बालकों के लिए Hindi moral story विशेष महत्व रखती हैं। Moral story न केवल मनोरंजन का साधन होती हैं, अपितु यह बाल-मन पर गहरा प्रभाव भी डालती हैं। किसी गूढ़ विषय को भी Moral story के माध्यम से बड़ी सरलता से प्रस्तुत किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही चमत्कार आज से लगभग 600 ई. पू. दक्षिणी भारतवर्ष में हुआ। राज्य के तत्कालीन राजा के तीन राजकुमारों को राजनीति व नीतिशास्त्र में पारंगत बनाने हेतु पंडित विष्णु शर्मा ने Moral story in hindi की कहानियों की रचना की। ये कहानियाँ कोई आम कहानियाँ नहीं थीं। ये नीतिज्ञान का सार थी, जिसे कहानियों (Story in hindi of Moral) के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। सबसे रोचक बात यह कि इसके मुख्य पात्र पशु-पक्षी हैं, जो नैतिक ज्ञान की शिक्षा बड़ी ही सरलता से देती हैं। यही विशेषता इस नीतिग्रंथ को अद्वितीय बनाती है। वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए यहाँ पंचतंत्र की कुल १०१ कहानीरूपी मोतियों को एक सूत्र में पिरोकर आधुनिक रूप-रंग में प्रस्तुत किया गया है। ये बालकों में सच्चाई, ईमानदारी, परिश्रम, प्रेम, सहयोग, एकता, दूरदृष्टि, आत्मविश्वास, साहस जैसे व्यावहारिक गुणों का बीजारोपण(Story with moral in hindi) करती है।
मुर्ख बंदर की कहानी(The Moral story of The foolish monkey in hindi)
Story with moral in hindi-कालकेय राज्य के राजा गंगाधर के पास एक बंदर था। उसका नाम गंगू था। गंगू बहुत मूर्ख था, फिर भी वह गंगाधर को प्रिय था। एक दिन दोपहर को भोजन के बाद गंगाधर अपने कमरे में सोने चला गया। गंगू भी उसके पीछेपीछे चल दिया। जब गंगाधर लेट गया, तो गंगू पंखे से हवा देने लगा। राजा गंगाधर को नींद आ गई। गंगू वही बैठा था। उसी समय एक मक्खी गंगाधर के सिर पर आकर बैठ गई। गंगू ने पंखे की हवा से उसे उड़ा दिया। मक्खी उड़ी, लेकिन फिर घूमकर गंगाधर पर बैठ गई। उसने सोचा, “यदि मक्खी को तुरंत यहाँ से नहीं भगाया गया, तो राजा गंगाधर की नींद खराब हो जाएगी।” उसने मक्खी को भगाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। मक्खी बार-बार उड़ती और लौटकर गंगाधर पर बैठ जाती। गंगू मक्खी से परेशान हो गया था। गंगू बहुत गुस्साया हुआ था। उसने मक्खी को मारने का फैसला किया। इस बार मक्खी गंगाधर की नाक पर बैठी थी। मूर्ख गंगू ने पास में रखी तलवारी उठाई और चला दी। मक्खी तो उड़ गई, लेकिन गंगाधर की नाक कट गई गंगाधर चिल्लाते हुए उठा। उसने गंगू को हमेशा के लिए अपने राज्य से भगा दिया। ।
ढोंगी सियार की कहानी(The Moral story of The hypocrite jackal hindi)
दंडकवन में एक बहुत खतरनाक सियार रहता था। जंगल के सारे जानवर उससे भयभीत रहते थे। समय बीतने के साथ ही सियार बूढ़ा और कमजोर हो गया। उसके लिए शिकार करना मुश्किल हो गया था। आसानी से शिकार पाने के लिए उसने एक योजना बनाई। वह साधु की तरह दिनभर ‘राम-राम’ का जाप करने लगा। जानवरों को लगा कि सियार सचमुच में बदल गया है। सियार बहुत चालाक था । Story in hindi of Moral वह दिनभर पूजा-पाठ करने का ढोंग करता और रात में सोते हुए जानवरों का शिकार करता था ।
उसी जंगल में दो खरगोश रहते थे। दोनों अच्छे मित्र थे । एक दिन गाजर को लेकर दोनों में झगड़ा हो गया । मामला सुलझने का नाम नहीं ले रहा था । एक खरगोश ने कहा, “चलो, सियार बाबा के पास चलते हैं। वे ही इसका फैसला करेंगे।” दोनों खरगोश गाजर लेकर सियार के सामने पहुँच गए। दोनों खरगोशों ने सियार को दूर से प्रणाम किया। सियार ने जब आने का कारण पूछा, तब एक खरगोश ने कहा, “बाबा, हम दोनों इस गाजर के बँटवारे लिए झगड़ा कर रहे हैं।” सियार ने सोचा, “जंगल में इस वक्त दूर-दूर तक कोई जानवर नहीं दिखाई दे रहा है। यदि मैं इन्हें खा जाऊँ, तो किसी को नहीं पता चलेगा।” उसने कहा, “वह गाजर मुझे दो। मैं इसे तुम दोनों में बराबर-बराबर बाँट देता हूँ।” दोनों खरगोश बिना सोचे-समझे गाजर लेकर सियार के नजदीक गए। सियार ने मौका (Story with moral in hindi) देखकर दोनों का शिकार कर दिया ।
सीख(Moral of The story in hindi) –
बिना जाँचे-परखे किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए। गण्य में झगड़ा करने से स्वयं की हानि और दूसरों
शरारती सूअर की कहानी(The Moral story of The mischievous boar in hindi)
पूछा, बहुत समय पहले की बात है। कंडकवन में ढेर सारे जंगली सूअर रहते थे। उनमें बहुत एकता थी, इसलिए शेर भी उनके पास जाने से डरता था । उनमें एक छोटा सूअर था, जो बहुत शरारती था । एक दिन वह जंगल में अकेले खेल रहा था। उसे एक शरारत सूझी । “बचाओ-बचाओ, शेर आया”, यह कहकर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा। कुछ ही पल में वहाँ ढेर सारे जंगली सूअर उसकी सहायता के लिए पहुँच गए। जब उन सूअरों ने शेर के बारे में तो शरारती सूअर हँसने लगा। सभी समझ गए कि उसने शरारत की है। उसे इस शरारत में बहुत मजा आया। अब वह प्रतिदिन इसी तरह की शरारत से अन्य सूअरों को परेशान करने लगा। उसे बड़े-बुजुर्ग सूअरों ने बहुत समझाया, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी।
उसकी इस शरारत से धीरे-धीरे सभी सूअर परिचित हो गए। अब जब भी वह सहायता के लिए पुकारता को एक-दो सूअर ही आते और कभी-कभी तो कोई नहीं आता। एक दिन घूमते-घूमते वह सूअर का बच्चा बीच जंगल में पहुँच गया। एक शेर ने उसे अकेले घूमते हुए देख लिया और उसकी तरफ बढ़ने लगा।(Story with moral in hindi) सूअर के बच्चे ने जब शेर को देखा, तो वह डरकर भागा और सहायता के लिए पुकारने लगा। अन्य सूअरों ने जब उसकी पुकार सुनी, तो उन्हें लगा कि छोटा सूअर आज भी शरारत कर रहा है। यह सोचकर कोई उसकी सहायता के लिए नहीं आया। उधर शेर ने उस सूअर के बच्चे को अपना शिकार बना लिया।
सीख(Moral of The story in hindi) –बड़ों की सलाह हमेशा माननी चाहिए। • बार-बार शरारत करने से स्वयं का नुकसान होता है.
शरारती बंदर की कहानी (Naughty monkey Moral story in hindi)
माधवपुर गाँव में एक भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा था। सभी मजदूर अपने-अपने काम में लगे थे। उसी समय बंदरों का एक समूह वहाँ पहुँचा। बंदरों के राजा ने उन्हें शरारत नहीं करने का आदेश दिया था। उन बंदरों में एक छोटा शरारती बंदर था। उसने कुछ मजदूरों को लकड़ी के मोटे-मोटे लट्ठे चीरते हुए देखा । वह देर तक उन्हें ध्यान से देखते रहा।
कुछ समय बाद सारे मजदूर भोजन करने चले गए। जाते समय एक मजदूर ने आधे चीरे हुए लट्ठे में एक लकड़ी फँसा दी। वह शरारती बंदर चुपके से वहाँ आया । इधर-उधर घूमने के बाद उसे शरारत सूझी। उसने सारा सामान इधर-उधर फेंकना और तोड़ना शुरू कर दिया । सब (Story in hindi of Moral) तहस-नहस करने के बाद वह उस आधे चीरे हुए लट्ठे पर आकर बैठ गया। उसने दोनों हाथों से जोर लगाकर लट्ठे में लगी लकड़ी खींचकर जैसे ही निकाली, उसका पैर उसमें दब गया। वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा।
उसकी आवाज सुनकर सारे बंदर वहाँ इकट्ठा हो गए। शरारती बंदर दर्द से चीख रहा था, लेकिन कोई कुछ भी नहीं कर सका। इतने में मजदूर भी वापस आने लगे। मजदूरों को देखकर वह बंदर और डर गया । उसने पूरी ताकत लगाई और किसी तरह उसका पैर निकल गया। वह वहाँ से भाग गया, लेकिन उसके पैर में बहुत चोट आई। उसने निश्चय किया कि अब वह कभी शरारत नहीं करेगा।
सीख(Moral of The story in hindi)-शरारत करना बुरी बात है। दूसरों का काम नहीं बिगाड़ना चाहिए।
बातूनी कछुआ की कहानी(The Moral story of The talking turtle in hindi)
कदंबवन में तालाब के किनारे दो हंस रहते थे। उसी तालाब में एक कछुआ भी रहता था। तीनों बहुत अच्छे मित्र थे। (Story with moral in hindi) एक साल बारिश नहीं हुई और तालाब का पानी धीरे-धीरे सूखने लगा। हंसों ने नया तालाब खोजने का फैसला किया।
कुछ ही दिनों में एक नए तालाब की खोज हुई। दोनों हंस आसानी से उस तालाब तक पहुँच सकते थे, लेकिन कछुए के लिए यह संभव नहीं था। काफी सोचने के बाद हंसों को एक तरकीब सूझी। उन्होंने कछुए से कहा, “हम लकड़ी का एक टुकड़ा ले आएँगे। तुम उसे बीच में मजबूती से पकड़ लेना। उसके सहारे हम तीनों उड़कर नए तालाब तक पहुँच जाएँगे।” दूसरे हंस ने कहा, “कछुए भाई, तुम बहुत बोलते हो, लेकिन उड़ते समय अपना मुँह बंद रखना। यदि तुम बोलने के लिए मुँह खोलोगे, तो मुसीबत हो जाएगी।” कछुए ने हँसते हुए कहा, “नहीं भाई, मैं बिलकुल चुप रहूँगा।”
अगले दिन हंस लकड़ी लेकर आया । कछुए ने अपने दाँतों से उसे पकड़ लिया। कछुए को लेकर दोनों हंस उड़ चले। रास्ते में एक नगर के लोगों ने जब उन्हें देखा, तो वे चकित रह गए। वे चिल्ला-चिल्लाकर एक-दूसरे को यह अद्भुत दृश्य दिखाने लगे। यह सब देखकर (Story in hindi of Moral) कछुए से नहीं रहा गया। उसने जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुँह खोला, लकड़ी छूट गई और वह जमीन पर गिर पड़ा । इतनी ऊँचाई से गिरने के कारण उसे बहुत चोट आई और उसकी मृत्यु हो गई।
सीख(Moral of The story in hindi)- आवश्यकता से अधिक नहीं बोलना चाहिए। जो मित्रों की बात नहीं मानता, वह मुसीबत में फँसता है।
दुष्ट चूहा की कहानी(Evil mouse Moral story hindi)
रामपुर गाँव में एक चमत्कारी साधु रहता था। साधु के चमत्कारों के किस्से दूर-दूर तक मशहूर थे। एक छोटा चूहा भी उसी गाँव का निवासी था। उसे बिल्लियों से बहुत डर लगता था। एक दिन अपने बिल में बैठे-बैठे उसने सोचा, “यदि मैं उस साधु के पास जाकर अपनी समस्या बताऊँ, तो वे जरूर मेरी मदद करेंगे।” चूहा झटपट साधु के घर पहुँच गया। उसने साधु को अपनी समस्या बताई । साधु ने कहा, “मैं तुम्हें बिल्ली बना देता हूँ। फिर तुम्हारी सारी समस्याएँ खत्म हो जाएँगी।” साधु ने मंत्र पढ़कर चूहे को बिल्ली में बदल दिया। अब वह बिना डर के इधर-उधर घूमता और खाता-पीता था।
कुछ दिनों तक सब ठीक रहा, लेकिन एक दिन एक कुत्ते की नजर उस पर पड़ गई। बिल्ली बना चूहा बहुत डर गया और फिर से साधु के पास पहुँचा।(Story in hindi of Moral) उसने साधु को सारी बात बताई। इस बार साधु ने उसे ताकतवर कुत्ता बना दिया। कुत्ता बनकर चूहा बहुत खुश था, लेकिन उसकी खुशी अधिक दिनों तक नहीं रही। उसने देखा कि सभी इंसान उसे मारते और भगाते रहते थे।
अंत में वह फिर साधु के पास पहुँचा और बोला, “आप मुझे शेर बना दीजिए। फिर कोई मुझे तकलीफ नहीं देगा।” साधु ने फिर मंत्र पढ़ा और वह चूहा तुरंत शेर में बदल गया। उसने साधु से कहा, “मुझे भूख लग रही है। मैं तुम्हें खा जाऊँगा।” यह कहकर वह साधु पर झपटा। साधु समझ गया कि यह चूहा बहुत दुष्ट है। साधु ने फिर एक मंत्र पढ़ा और वह शेर तुरंत चूहे में बदल गया।
सीख(Moral of The story in hindi) – मदद करनेवाले को तकलीफ नहीं देना चाहिए। अपनी शक्ति का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए।
तीन बैल की कहानी(tale of three bulls hindi)
अमृतवन में एक खूँखार शेर रहता था। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे। उसी जंगल में तीन बैल भी रहते थे। वे तीनों मित्र थे। उनकी एकता से शेर भी डरता था। इसी कारण उसने कभी उन बैलों पर हमला नहीं किया। शेर बहुत चालाक था। एक दिन उसे बैलों की एकता तोड़ने का उपाय सूझा । (Story in hindi of Moral) उसने एक चिड़िया की सहायता से यह झूठी खबर फैला दी कि तीनों में से एक बैल ने शेर से दोस्ती कर ली है। इस झूठी खबर को तीनों बैलों ने सच मान लिया। वे तीनों एक-दूसरे पर शक करने लगे। इसी बात को लेकर उनमें झगड़ा भी हो गया और वे तीनों अलग हो गए।
। एक दिन शेर ने देखा कि तीनों मित्रों में से एक बैल जंगल में अकेले घूम रहा है। उसने मौका देखकर उस पर हमला कर दिया। बैल ने बहुत कोशिश की, लेकिन शेर के आगे उसकी ताकत कुछ भी नहीं थी । शेर ने उसे अपना शिकार बना लिया। इसी तरह एक दिन उसने दूसरे बैल को भी अपना शिकार बना लिया। अंत में तीसरे बैल के शिकार की बारी आई । शेर ने उससे कहा, “तुम तीनों को एकसाथ मारना मेरे लिए संभव नहीं था, इसलिए मैंने ही झूठी खबर फैलाई थी और तुम तीनों अलग हो गए।” बैल बहुत पछताया, लेकिन अब उसके मित्र उसे नहीं मिल सकते थे। आखिरकार शेर ने उस बैल को भी अपना शिकार बना लिया (Story with moral in hindi) ।
सीख(Moral of The story in hindi) –दूसरों से अधिक अपनों पर विश्वास करना चाहिए। अफवाहों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
धोखेबाज लोमड़ी की कहानी (The Moral story of The deceitful fox hindi)
Story with moral in hindi-बहुत समय पहले की बात है। जंगल में एक लोमड़ी टहल रही थी। उसे एक हट्टा-कट्टा गधा दिखाई दिया उसे देखकर लोमड़ी ललचा गई, लेकिन उसे लगा कि वह उस ताकतवर गधे का शिकार नहीं कर सकती। अत उसने उससे मित्रता करने का निर्णय लिया। लोमड़ी गधे के पास गई। उसने गधे के सामने मित्रता का प्रस्ताव रखा। गधे ने भी बिना सोचे-समझे उसे अपना मित्र बना लिया।
लोमड़ी हमेशा गधे का शिकार करने की ताक में रहती थी। उसी जंगल में एक शेर रहता था। एक बार दूर से ही शेर की नजर उस गधे पर पड़ी। लोमड़ी ने जब यह देखा, तो वह समझ गई कि शेर भी इसका शिकार करना चाहता है। लोमड़ी डरते-डरते शेर के पास पहुँची। वह बोली, “महाराज, मैं जानती हूं कि आप उस गधे का शिकार करना चाहते हैं। मैं इसमें आपकी मदद कर सकती हूँ, लेकिन आपको मुझे भी उस शिकार में से कुछ हिस्सा देना होगा।” शेर ने लोमड़ी की बात मान ली।
लोमड़ी ने शेर के साथ मिलकर एक योजना बनाई। अगले दिन वह गधे को लेकर उस जगह पहुंची, जहाँ शेर पहले से ही घात लगाए बैठा था। शेर ने बड़ी सरलता से उस गधे का शिकार किया। जब लोमड़ी शिकार में अपना हिस्सा लेने पहुँची, तो शेर ने उसका भी शिकार कर दिया।
सीख(Moral of The story in hindi) – जो दूसरों को धोखा देता है, उसे भी धोखा ही मिलता है
सोच-समझकर ही किसी पर भरोसा करना चाहिए।
नकलची नीलकंठ की कहानी(Moral Story of copycat Neelkanth hindi)
बरसात का मौसम था। एक मोर पंख फैलाकर नाच रहा था। एक नीलकंठ को मोर के पंख बहुत पसंद आए। उसने सोचा, “मेरे पास भी ऐसे सुंदर पंख होते, तो कितना अच्छा होता।” उसे एक युक्ति सूझी। उसने मोर के ढेर सारे पंख इकट्ठा किए और उन्हें अपनी पूँछ में बाँध लिया। वह मोर की तरह दिखने लगा(Story with moral in hindi) ।
एक दिन एक नीलकंठ पक्षी उसके पास आया और बोला, “भाई, तुम तो बिलकुल हमारी तरह दिखते हो, लेकिन तुम्हे मोर की तरह पंख कहाँ से मिल गए?” नकलची नीलकंठ ने बड़ी शान से कहा, “मैं एक विशेष मोर हूँ। तुम्हारी तरह कोई नीलकंठ नहीं हूँ।” नीलकंठ दुखी मन से वहाँ से चला गया।
नकलची नीलकंठ एक दिन मोरों के ठिकाने पर पहुँचा। उसे देखकर एक मोर ने उससे पूछा, “तुम कौन हो? तुम्हारे पंख, हमारे जैसे हैं, लेकिन तुम्हारा शरीर हमसे अलग है।” नकलची नीलकंठ ने कहा, “मैं एक विशेष मोर हूँ।” दूसरे मोर ने उससे पूछा, “क्या तुम हमारी तरह नाच सकते हो?” नकलची नीलकंठ तुरंत अपने पंख फैलाकर नाचने लगा। थोड़ी देर में उसके पंखों की गाँठ ढीली पड़ी और वे गिरने लगे। मोरो को समझ में आ गया कि यह कोई बहरूपिया है। उन्होंने उसे मारकर भगा दिया। घायल नीलकंठ जब अपने ठिकाने पर पहुँचा, तो उसे वहाँ वही नीलकंठ मिला, जिसे उसने नीचा दिखाया था। उसने सभी पक्षियों को नकलची नीलकंठ(Story in hindi of Moral) की सच्चाई बता दी। सारे नीलकंठों ने उसे मारकर वहाँ से भी भगा दिया।
सीख(Moral of The story in hindi)- कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है। दूसरों को कभी नीचा नहीं दिखाना चाहिए
काली गाय की कहानी(Moral story of black cow in hindi)
आनंदपुर गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक गाय थी। वह बहुत दूध देती थी। कुछ समय बाद गाय को तीन बच्चे हुए। गाय के दो बच्चे तो बड़े सुंदर थे, लेकिन एक का रंग काला था। गाय के तीनों बच्चों की आपस में नहीं जमती थी। माँ गाय ने एक दिन देखा कि काली गाय अकेले खड़ी है और उसकी दोनों बहनें आपस में खेल-कूद रही हैं। वह उसके पास गई और बोली, “बेटी, तुम अपनी बहनों के साथ क्यों नहीं खेलती?” काली गाय ने उत्तर दिया, “माँ, वे मुझे अपने साथ नहीं खेलने देती। वे मुझे ‘काली’ कहकर चिढ़ाती हैं । ” माँ गाय ने अपनी दोनों बेटियों को पास बुलाया और कहा, “किसी के रूप-रंग पर उसे चिढ़ाना बहुत बुरा है। हमारा महत्त्व हमारे कर्मों से बढ़ता है, ना कि शारीरिक सुंदरता से । ” माँ के समझाने का भी उन गायों पर कोई असर नहीं हुआ(Story with moral in hindi) ।
समय के साथ गाय की सभी बेटियाँ बड़ी हो गईं और गाय बूढ़ी हो गई। धीरे-धीरे तीनों गायों के दूध देने का समय आया। दोनों गाय मिलकर भी उतना दूध नहीं देती थीं, जितना काली गाय अकेले देती थी। किसान काली गाय से बहुत खुश था। वह काली गाय के खान-पान पर अधिक ध्यान देने लगा। एक दिन माँ गाय ने अपनी दोनों बेटियों से कहा, “जब मैं बचपन में तुम दोनों को समझाती थी, तब तुम मेरी बातों पर ध्यान नहीं देती थी। आज स्वयं देख लो कि रूप से अधिक कर्म का महत्त्व होता है। “
सीख(Moral of The story in hindi)- रंग-रूप से अधिक कर्म का महत्त्व होता है। •घमंडी का सिर हमेशा नीचा होता है।
हाथी और दर्जी की कहानी(The Moral story of The elephant and The tailor in hindi)
(Story in hindi of Moral) -किसी गाँव में एक बड़ा साहूकार था। उसके पास एक हाथी था। हाथी बहुत समझदार था । वह प्रतिदिन गाँव के किनारे स्थित तालाब में नहाने ले जाता था। तालाब के रास्ते में एक दर्जी की दुकान पड़ती थी। हाथी जब भी दुकान के पास से गुजरता, दर्जी उसे केले खिलाता था। हाथी को केले बहुत पसंद थे। वह प्रतिदिन तालाब जाने से पहले दर्जी की दुकान पर रुककर केले खाता था। उसके बाद तालाब में नहाकर वह वापस अपने घर लौट जाता था।
दर्जी एक दिन अपनी दुकान में बैठा काम कर रहा था। हाथी उसकी दुकान पर पहुँचा। दर्जी को उस दिन शरारत सूझी। उसने हाथी को केला खिलाते वक्त उसकी सूँड़ में सुई चुभा दी। हाथी जोर से चिल्लाया और छटपटाकर रह गया। हाथी की ऐसी हालत देखकर दर्जी जोर-जोर से हँसने लगा। हाथी समझ गया कि दर्जी ने उसके साथ शरारत की है। हाथी उस समय चुपचाप वहाँ से नहाने चला गया।
दोपहर का समय था। उसी समय हाथी तालाब से नहाकर वापस लौटता था। उस दिन लौटते समय वह दर्जी की दुकान पर रुका। वह अपनी सूँड़ में तालाब से कीचड़वाला पानी लेकर आया था। उसने सारा कीचड़ दर्जी और उसकी दुकान में रखे कपड़ों पर फेंक दिया। दर्जी का बहुत नुकसान हुआ।(Story with moral in hindi) वह समझ गया था कि यह उसकी शरारत का ही परिणाम है।
सीख(Moral of The story in hindi) -अपने आनंद के लिए दूसरों को कष्ट देना गलत है। जानवरों को कष्ट देना गलत है।
घमंडी ऊँटनी की कहानी(The Moral story of The arrogant camel)
गंगापुर गाँव में एक मजदूर रहता था। एक दिन वह जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था। वहाँ उसने एक ऊँटनी को देखा, जो बच्चे को जन्म दे रही थी। बच्चे को जन्म देने के बाद ऊँटनी बहुत कमजोर पड़ गई। मजदूर को ऊँटनी और उसके बच्चे पर दया आ गई। वह दोनों को लेकर अपने घर पहुँचा। मजदूर ने उनके खाने-पीने की व्यवस्था की।
मजदूर दिन-रात ऊँटनी और उसके बच्चे की सेवा करने लगा। कुछ दिनों में ऊँटनी स्वस्थ हो गई। वह ढेर सारा दूध देने लगी। कुछ दूध ऊँटनी का बच्चा पीता और बाकी का दूध वह मजदूर गाँव में बेच देता था। इस तरह ऊँटनी दूध को बहुत लाभ हुआ। कुछ महीनों में उसने एक और ऊँटनी खरीद ली और उसका भी लगा। धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ा और वह धनवान बन गया। उसके पास कई ऊँट-ऊँटनियाँ हो गईं। के से मजदूर दूध बेचने
वह ऊँटनी जो जंगल से आई थी, उसे स्वयं पर बहुत घमंड था। उसका मानना था कि उसके कारण ही उसका मालिक धनवान बना है। वह अन्य ऊँटो और ऊँटनियों से स्वयं को श्रेष्ठ समझती थी। जंगल में चरते वक्त भी वह सबसे अलग रहती थी। जंगल में शिकारी जानवरों का बहुत भय था।(Story with moral in hindi) सभी ऊँट और ऊँटनियाँ उसे अकेले न रहने की सलाह देते, लेकिन वह किसी की न सुनती। एक दिन वह घमंडी ऊँटनी अपने झुंड से दूर चर रही थी। उसी समय एक खूँखार शेर आया और उसने ऊँटनी को अपना भोजना बना लिया।
सीख(Moral of The story in hindi) • घमंड से स्वयं का ही नुकसान होता है। • मित्रों की सलाह हमेशा माननी चाहिए।
जैसे को तैसा की कहानी (Moral Story in hindi)
अमृतवन मे दो मित्र रहते थे। एक था लंबी चोचवाला सारस और दूसरा था सियार। एक दिन सियार को शरारत सूझी। उसने सारस से कहा, “मित्र, कल मैं खीर बनाऊँगा । तुम जरूर आना। हम दोनों मिलकर खाएँगे।” सारस प्रसन्न हो गया।
सारस अगले दिन सियार के घर पहुँचा | सियार ने सारस को थाली में खीर परोसी । सारस उसे खा नहीं पा रहा था। उधर सियार जल्दी-जल्दी अपनी थाली की खीर चट कर गया। उसने सारस से कहा, “क्या हुआ मित्र, तुम्हे खीर पसंद नहीं आई क्या?” सारस को कुछ नहीं सूझा, तो उसने कह दिया कि आज उसका पेट ठीक नहीं है। यह सुनते ही सियार ने सारस की थाली का भी खीर खा लिया। उस दिन सारस को भूखा ही रहना पड़ा। सारस समझ गया कि सियार ने उसके साथ एक गंदा मजाक किया है, इसलिए (Story in hindi of Moral) उसने भी सियार को सबक सिखाने का निर्णय लिया।
एक दिन सारस ने सियार को अपने घर पर सेवाइयाँ खाने के लिए निमंत्रित किया। सियार अगले दिन सारस के घर पहुँच गया। सारस ने एक पतले और लंबे मुँहवाले बर्तन में सेवइयाँ परोस दी। सियार का मुँह तो उस सुराही में जा ही नहीं रहा था। उधर सारस ने अपनी लंबी गर्दन और चोंच की मदद से सारी सेवाइयाँ साफ कर दी। उसने सियार से पूछा, “क्या हुआ मित्र, आज तुम्हारा पेट खराब है क्या?” यह कहकर उसने सियार के हिस्से की भी सेवाइयाँ खत्म कर दी। सियार समझ गया कि यह उसके गंदे मजाक का ही परिणाम है। उस दिन सियार को भूखा ही रहना पड़ा।
सीख(Moral of The story in hindi)-जैसा करोगे, वैसा ही फल मिलेगा. जो दूसरों को तकलीफ देता है, उसे भी तकलीफ मिलती है।
स्वार्थी चमगादड़ की कहानी(The Moral story of The selfish bat)
एक बार किसी बात को लेकर पशुओं और पक्षियों में झगड़ा हो गया। बात बढ़ी तो दोनों दलों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। उसी जंगल में एक चमगादड़ रहता था। चमगादड़ ने सोचा कि वह पक्षियों की तरह उड़ सकता है, लेकिन वह अंडे नहीं देता। इस तरह उसके भीतर पक्षी और पशु दोनों के गुण है। उसने योजना बनाई कि जो दल जीतेगा, वह उसके साथ जुड़ जाएगा।
युद्ध के दौरान ऐसा समय आया जब लगने लगा कि पशु जीत रहे हैं। उस समय वह चमगादड़ पशुओं से जाकर मिल गया। इसके बाद एक ऐसा समय भी आया जब पक्षियों की जीत होने लगी। उस समय वह पशुओं को छोड़कर पक्षियों के दल में शामिल हो गया। पशुओं और पक्षियों में कई दिनों तक युद्ध चलता रहा, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। अंत में दोनों दलों में समझौता हो गया।
युद्ध समाप्त होने पर दोनों दलों ने चमगादड़ का बहिष्कार कर दिया। उनका कहना था कि चमगादड़ स्वार्थी है। उसने युद्ध में किसी का साथ नहीं दिया। इस तरह दोनों दलों ने उसे अपनाने से मना कर दिया और चमगादड़ अकेला पड़ गया।
सीख(Moral of The story in hindi)– स्वार्थी का कोई मित्र नहीं होता है। सदैव अपने फायदे के बारे में नहीं सोचना चाहिए)
घमंडी मोर की कहानी(The Moral story of The proud peacock)
एक दिन मोर तालाब पर पानी पी रहा था। उसी समय वहाँ एक कौआ आया। कौवे को देखकर मोर ने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया। कौआ और मोर दोनों पानी पीने लगे। मोर पानी पीकर अपने सुंदर पंखों को तालाब के पानी में देखने लगा। उसे अपनी सुंदरता (Story in hindi of Moral) पर बहुत घमंड था। उधर कौआ पानी पीकर मोर के पास पहुँचा। उसने मोर से पूछा, “मोर भाई, आपने मुझे देखकर मुँह उस तरफ क्यों कर लिया?” मोर ने कहा, “मैं इस जंगल का सबसे सुंदर पक्षी हूँ और तुम काले-कलूटे । मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है।” कौआ यह सुनकर बहुत दुखी हुआ और वहाँ से उड़ गया।
एक बहेलिया उस मोर को कई दिनों से पकड़ना चाहता था। मौका देखकर उसने तालाब के किनारे जाल बिछा दिया। अगले दिन जब मोर तालाब के किनारे पहुँचा, तो वह जाल में फँस गया। उसी समय कौआ भी वहाँ आ गया। कौवे ने मोर से सहायता माँगी। इस पर कौवे ने कहा, “आप तो मुझसे बात भी नहीं करना चाहते थे, तो आज मैं कैसे आपकी मदद करूँ?” कौवे की बात सुनकर मोर बहुत शर्मिंदा हुआ। मोर ने कौवे से क्षमा माँगी। कौवे ने भी मोर को क्षमा कर दिया। कौआ थोड़ी देर में लौटने का वादा कर वहाँ से चला गया। थोड़ी देर में वह अपने दोस्त चूहे के साथ वहाँ वापस आया। चूहे ने तुरंत अपने दाँतों से जाल को काट दिया ।(Story with moral in hindi) मोर आजाद हो गया। उस दिन से मोर, कौआ और चूहा तीनों पक्के मित्र बन गए।
सीख(Moral of The story in hindi) -.. क्षमा करनेवाला हमेशा महान होता है।
मुसीबत में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।