वैज्ञानिक इंसान को मगल ग्रह पर बसाने का सपना कब से देख रहा है. हलाकि कि मगल ग्रह पर जाना और वहा रहना हम जितना आसान समझ रहे है. उतना आसान नही है. इसलिए वहा के खतरों से रूबरू होने के लिए
वैज्ञानिक कई mission चला रहे है. जिससे यह पता लगाया जा सकेकि क्या वह इंसान के रहने के लायक है.
मगल ग्रह पर भेजे गए curiosity rover ने भी इसी पर काम किया. और मगल ग्रह के प्रारंभिक वातावरण को खोजने का काम किया. लेकिन इंसानो के रहने लायक वातावरण का मगल ग्रह पर पता नही चल पाया.
ऐसे मे इंसानो को mars पर बसाने का एक दूसरा तरीका scientists को सुझा. जिसे scientists ने terra forming नाम दिया. Terra forming क्या है?…
यह एक ऐसी प्रक्रिया है. जिसमे मंगल ग्रह के जलवायु और सतह मे बदलाव करके इसे इंसानों के रहने लायक बनाया जा सकता है.
अब आप यही सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे मुमकिन हो सकता है. चलिए आपको हम इसे विस्तार से समझाते है..
Mars terraforming कि शुरुआत सबसे पहले 1940 मे jack williamson द्वारा किया गया था. जिसका मतलब है earth forming या earth shaping
terra forming वैज्ञानिक द्वारा मानी गयी एक ऐसी काल्पनिक प्रक्रिया है. जिसके द्वारा मंगल ग्रह के सतह और atmosphere को पूरी तरह से बदला जा सकता है.
और उसे पृथ्वी जैसा बनाया जा सकता है. इससे मंगल ग्रह पर जलवायु creat होंगी. ओर वह इंसानो के रहने लायक बना जाएगी. कई researchers कि टीम ने आज technology के दम पर मंगल ग्रह पर पानी के सबूत तक खोज निकला है.
जो कई सौ साल पहले मंगल ग्रह पर बहता था. लेकिन अभी वैज्ञानिक के पास ऐसी कोई technology नही है जिससे इस योजना को सजीव रूप दिया जा सके. Scientists का मानना है
कि अगर यह ग्रह एक बार फिर गर्म हो जाये तो terra forming करना आसान हो जायेगा. हलाकि कि यह equation’s मे ऐसा भले ही आसान हो लेकिन यह उतना आसान नही है
. इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए नासा ने भी कई प्रयास किये. उनहोंने अपने maven नाम के spacecraft को अंतरिक्ष मे भेजकर तैनात भी किया. Scientists का मानना है कि इतिहास के निर्माण मे मंगल ग्रह का वातावरण CO2 से बना था.
जिससे इस ग्रह पर पानी मौजूद था. समय के साथ इसका ज्यादातर वातावरण space मे खो गया. जिसके कारण इसका atmosphere बहुत पतला हो गया. ओर मंगल कि सतह से पानी गायब हो गया.
हाल ही के research मे पता चला है कि मंगल ग्रह से gases गायब हो रही है अर्थात atmosphere से बाहर जा रही है.
नासा और बहुत से अलग अलग university के वैज्ञानिक जो इस project पर काम कर रहे है उनका कहना है कि मंगल ग्रह को पृथ्वी जैसा बनाने के लिए इसके तापमान मे भारी वृद्धि करनी होंगी. जिससे मंगल ग्रह पर पानी जमने के बजाय stable form मे रह सके.
कुछ शोधकरताओ का दावा है कि ग्रीन हाउस गैस मंगल ग्रह के वातावरण मे पहले से ही मौजूद है.
हम theoreticaly रूप से तापमान को बढ़ा सकते है. और वातावरण को earth जैसा बनाने के लिए एक कोशिश कर सकते है. इन शोधकरताओ ने पिछले बीस साल से मंगल ग्रह का अध्ययन किया
. और अलग अलग space craft और rover से collect data का इस्तेमाल करके इस बात का पता लगाने कि कोशिश कि मंगल ग्रह पर कितना co2 मौजूद है.
जिसको मंगल ग्रह के वातावरण को बदलने मे इस्तेमाल किया जा सकता है. इन वैज्ञानिक का मानना था कि वातावरण को पर्याप्त रूप से terraform करने के लिए वातावरण को पर्याप्त रूप से बदलाव कि जरूरत होंगी.
ताकि मनुष्य बिना सूट के घूम सके. लेकिन कई research से पता चला कि co2 जो मंगल ग्रह पर मौजूद है वह चट्टानों या ध्रुवीय बर्फ मे जमा है.
इन इलाके मे गैस बहुत पतली और ठंडी है ऐसे मे इस तरह का वातावरण पानी को stable रखने मे help नही करता है. जो कि जीवन के लिए बहुत जरूरी है.
मंगल ग्रह का atmosphere pressure पृथ्वी कि तुलना मे 1% से भी कम है. इसका सीधा मतलब यह है कि इस ग्रह पर पानी सीधा vapour या ice मे बदल जाता है. और जो co2 ध्रुवीय इलाकों मे बची हुई है इसकी मात्रा इतनी नही है
कि पूरे atmosphere को गर्म कर सके.इसके साथ मंगल ग्रह पर co2 उत्पन्न करने वाला कोई source नही है. इसके साथ ही कई और तरीके बताये गए है.
जिससे ग्रह को गर्म किया जा सकता है. लेकिन सभी उपाय बहुत ही कठिन है. और उन्हें हकीकत मे बदलना बहुत ही मुश्किल है.
आज हमारे पास ऐसी कोई तकनीक मौजूद नही है. जिससे इसकी terra forming कि जा सके. Scientists का कहना है
कि जितनी मेहनत हम मंगल ग्रह को पृथ्वी जैसा बनाने मे कर रहे है. उतनी मेहनत अगर हम पृथ्वी कि देखभाल मे करे तो ऐसी नौबत ही नही आएगी.